हिंदी उपन्यास के विकास को कितने भागों में बांटा गया है? - hindee upanyaas ke vikaas ko kitane bhaagon mein baanta gaya hai?

हिंदी में उपन्यास को कितने भागों में विभाजित किया गया?...


हिंदी उपन्यास के विकास को कितने भागों में बांटा गया है? - hindee upanyaas ke vikaas ko kitane bhaagon mein baanta gaya hai?

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क्वेश्चन पूछा है हिंदी उपन्यास को कितने भागों में विभाजित किया गया मैं बताना चाहता हूं हिंदी में उपन्यास को चार भागों में विभाजित किया गया भारतेंदु युग त्रिवेदी प्रेमचंद यू प्रेमी युगल धन्यवाद

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हिंदी उपन्यास के विकास को कितने भागों में बांटा गया है? - hindee upanyaas ke vikaas ko kitane bhaagon mein baanta gaya hai?

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हिंदी उपन्यास के विकास को कितने भागों में बांटा गया है? - hindee upanyaas ke vikaas ko kitane bhaagon mein baanta gaya hai?

सवाल: उपन्यास के विकास क्रम को समझाइए?

हिंदी उपन्यास के विकास क्रम को मुख्य रूप से चार भागों बांटा गया है। पहला है भारतेन्दु युग जो की 1850 से लेकर 1915 तक चला था, जिसमे मौलिक उपन्यासो की शुरुवात हुई थी। उस वक्त में सबसे पहले लाला श्री निवास दास द्वारा पहला मौलिक उपन्यास जिसका नाम था परीक्षा गुरु था। और उपन्यास के विकास क्रम में दूसरा है 1916 से 1936 तक चलने वाला प्रेमचंद युग जिसके नाम से आज भी सब परिचित है, और हमने बचपन में उनकी काफी कहानिया और उपन्यास पढ़े है। प्रेमचंद जी को हिंदी साहित्य का अग्रदूत भी माना जाता है, और उन्होंने 11 उपन्यास लिखकर उपन्यास के विकास क्रम को आगे की और अग्रसर किया था। तीसरा है प्रेमचंद-उतर युग जो की 1936 से 1960 तक चला जिसमे दूसरे युग के बाद काफी अघतन देखने को मिला था और उपन्यास काफी स्पष्ट होने लग गए थे, जिसमे कई उपन्यासकारों ने अपना योगदान दिया जिसमे जैनेन्द्र से लेकर अज्ञेय तक के काफी लोकप्रिय उपन्यासकार थे। चौथा और आखिरी उपन्यास के विकास क्रम युग है जो अभी भी चल रहा है 1960 के बाद से, और इसमें सब कुछ भिन्न हो चूका है, क्योंकि आज के उपन्यासों में आपको सोचने की गहराई और प्राथमिकता के बारे में काफी देखने को मिलता है। 

हिंदी उपन्यास के विकास को कितने भागों में बांटा गया है? - hindee upanyaas ke vikaas ko kitane bhaagon mein baanta gaya hai?

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हिंदी उपन्यास के विकास क्रम को कितने भागों में बांटा गया है?

यहाँ हम हिंदी उपन्यास को विभिन्न कालों में विभाजित करके उसके विकास पर प्रकाश डालेंगे। इस इकाई के द्वारा छात्रों को हिंदी उपन्यास के विकास से अवगत कराया जायेगा। हिंदी का पहला उपन्यास किसे माना जाता है इस पर भी चर्चा की जाएगी। हिंदी उपन्यास को विभिन्न कालो में बांटकर उसके विकास पर विस्तार से प्रकाश डाला जाएगा।

हिंदी उपन्यास के विकास का अध्ययन करने के लिए हम उस को कितने भागों में बांट सकते हैं?

इस युग के उपन्यासों को हम पांच भागों में विभाजित कर सकते हैं: सामाजिक उपन्यास, तिलस्मी तथा ऐय्यारी के उपन्यास, जासूसी उपन्यास, प्रेमाख्यात्मक और ऐतिहासिक उपन्यास

हिंदी उपन्यास का विकास कैसे हुआ?

प्रारम्भिक हिन्दी उपन्यास का कालखण्ड सन् 1877 से 1918 माना जा सकता है। सन् 1877 में श्रद्धाराम फिल्लौरी ने भाग्यवती उपन्यास लिखा था। यह उपन्यास उपदेशात्मक है। यह अंग्रेजी ढंग का मौलिक उपन्यास तो नहीं था , परन्तु इसमें विषय - वस्तु की नवीनता थी।

उपन्यास क्या है उपन्यास के विकास क्रम को समझाइए?

बेकर ने उपन्यास की परिभाषा देते हुए उसे गद्यबद्ध कथानक के माध्यम द्वारा जीवन तथा समाज की व्याख्या का सर्वोत्तम साधन बताया है। यों तो विश्वसाहित्य का प्रारंभ ही संभवत: कहानियों से हुआ और वे महाकाव्यों के युग से आज तक के साहित्य का मेरुदंड रही हैं, फिर भी उपन्यास को आधुनिक युग की देन कहना अधिक समीचीन होगा।