हमारे लिए जंगल क्यों जरूरी है? - hamaare lie jangal kyon jarooree hai?

बगहा। जब जंगल है, जीव व जंतु हैं तभी तक मनुष्य का जीवन है। जैसे ही वे नष्ट होंगे वैसे ही इंसान का विनाश हो जायेगा। इसलिए हर इंसान को जंगल व उसमें निवास करने वाले जीव जंतुओं की सुरक्षा करने उनका अधिकार है। उक्त बातें शुक्रवार को वन्य प्राणी सप्ताह के तहत टाईगर रिजर्व के निदेशक आरबी सिंह ने स्कूली बच्चों व आम जनता से कही। मौके पर उपस्थित सभी लोगों ने वन्य व वन्य जीव जंतुओं की सुरक्षा के लिए संकल्प भी लिया। इसके पहले उत्क्रमित मध्य विद्यालय रामपुर के छात्र-छात्राओं के साथ वन विभाग के कर्मियों ने आम जनता के बीच जागरूकता लाने के लिए साइकिल रैली निकाला गया। जिसमें शामिल सभी लोगों ने जंगल व जीव जंतुओं की सुरक्षा के लिए अपनी-अपनी भागीदारी सुनिश्चत करने की जानकारी दी गई। साइकिल रैली को हरी झंड़ी दिखाने के बाद उक्त रैली मदनपुर वन विश्रामालय पहुंचा। जहां विधिवत उक्त कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया। मौके पर उपस्थित सभी लोगों ने वन व वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए संयुक्त रूप से संकल्प लिया। मौके पर उपस्थित वन प्रमंडल दो के डीएफओ अमित कुमार ने कहा कि इंसान को जीवित रहने के लिए पेड़ पौध जरूरी है। अगर आप कोई पेड़ नहीं लगाते है तो उसका नुकसान भी करने का अधिकार आपको नहीं है। मौके पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए श्री कुमार ने कहा कि आज के बच्चे कल के भविष्य है। जैसे आप अपने भविष्य की रक्षा कर रहे है। उसी प्रकार उन्हें जीवित रखने के लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाए। मौके पर डब्लुडब्लुएफ के पदाधिकारियों ने भी लोगों को जंगली जानवरों से होने वाले फायदे की जानकारी दी। इसके साथ ही अन्य वन क्षेत्र के पदाधिकारियों ने भी अपने-अपने विचार रखे।

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हफ्तेभर चलेगा कार्यक्रम

मदनपुर वन क्षेत्र पदाधिकारी आनंद कुमार ने बताया कि दो अक्टूबर से शुरू हुआ यह वन्य प्राणी सप्ताह एक सप्ताह तक मनेगा। उसके बाद अन्य वन क्षेत्रों में इस तरह का आयोजन होना है। साइकिल रैली में गनौली वन क्षेत्र पदाधिकारी विनोद कुमार सिंह,डब्लुडब्लुएफ के कमलेश मौर्य आदि पदाधिकारी मौजूद रहे।

इसे सुनेंरोकेंवन जंगली जानवरों और पक्षियों की कई प्रजातियों के लिए एक घर के रूप में सेवा करते हैं। इस प्रकार जैव विविधता को बनाए रखने के लिए ये एक बढ़िया साधन हैं जो एक स्वस्थ वातावरण को बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी है। वृक्ष जंगलों से निकल रही नदियों और झीलों पर छाया का निर्माण करते हैं और उन्हें सूखने से बचाएं रखते हैं।

इनमें से कौन सी टिप्पणी प्राकृतिक वनस्पति जात और प्राणी जात?

इसे सुनेंरोकें(ii) विस्तारपूर्वक बताएँ कि मानव क्रियाएँ किस प्रकार प्राकृतिक वनस्पति जात और प्राणी जात के ह्रास के कारक हैं? मानव अपने स्वार्थ के अधीन होकर कभी ईंधन के लिए तो कभी कृषि के लिए वनों को अंधाधुंध काटता है। इससे वन्य वनस्पति तो नष्ट होती ही है साथ ही वन्य जीवों का प्राकृतिक आवास भी छिन जाता है।

इसे सुनेंरोकेंपेड़ों, पौधों और झाड़ियों के साथ कवर एक विशाल भूमि और जंगली जानवरों की विभिन्न प्रजातियों के लिए घर वन के रूप में जाना जाता है। जंगल पृथ्वी के पारिस्थितिक तंत्र का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। वे ग्रह की जलवायु को बनाए रखने में मदद करते हैं, वातावरण को शुद्ध करते हैं, वाटरशेड की रक्षा करते हैं।

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जंगल के संरक्षण के लिए आपके क्या सुझाव है?

इसे सुनेंरोकेंअवैध रूप से होने वाली कटाई को रोक कर पहाड़ी इलाकों में हरे भरे पेड़ो की अवैध रूप से कटाई होने के कारण पर्यावरण संकट बढ़ता जा रहा है। लोगो द्वारा अपने फायदे के लिए कीमती लकड़ी की कटाई कर जंगलों को खत्म करने का कार्य बड़ी तेज़ी से किया जा रहा है। भविष्य में प्रदूषण बढ़ने की सम्भावना दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

वनों से हमें क्या लाभ है?

वनों से होने वाले प्रत्यक्ष लाभ :

  • वनों से लकड़ी की प्राप्ति :
  • जानवरों के लिए चरागाह :
  • रोजगार की प्राप्ति :
  • लघु उद्योग में सहायता मिलती हैं :
  • वनों से प्राप्त इमारती धन :
  • बाढ़ से बचने में सहायक :
  • वर्षा में सहायता प्रदान करना :
  • वनों के द्वारा भूमि की सहायता :

जंगलों के मुख्य लाभ क्या है?

इसे सुनेंरोकेंवनों से हम प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप में अनेक लाभ प्राप्त करते हैं, जैसे – प्रत्यक्ष लाभ स्वरूप हम वनों से इमारती काष्ठ, जलाऊ ईंधन, पशुओं के लिए चारा, गोंद, लाख, फल, जड़ी – बूटियाँ आदि प्राप्त करते हैं तो अप्रत्यक्ष रूप में वन वर्षा, बाढ़ की रोकथाम करते हैं, सुन्दर अभयारण्य एवं आकर्षक पर्यटक स्थल देते हैं ।

उत्तराखंड, ओडिशा से लेकर मप्र के कई जंगलों में आग लगी हुई है। इस मौसम में जंगलों में आग की घटनाएं सामान्य होती हैं, लेकिन गर्मी के पूरे चरम पर पहुंचने से पहले ही इन घटनाओं में असामान्य बढ़ोतरी चिंताजनक है।

जंगलों में लगने वाली आग अब एक महत्वपूर्ण वैश्विक घटना बन चुकी है जिसकी वजह से हर साल विभिन्न देशों को पर्यावरणीय क्षति के साथ-साथ भारी आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है। पिछले कुछ सालों के दौरान जंगलों में लगने वाली आग की घटनाओं में एकाएक तेजी देखने को मिली है और ये घटनाएं अब एक तरह से वार्षिक आपदाओं में तब्दील होती दिख रही है। भारत के जंगल भी इसका तेजी से शिकार हो रहे हैं। वैश्विक स्तर पर वनों की निगरानी रखने वाली संस्था- ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच के अनुसार इस साल 4 जनवरी से 12 अप्रैल 2021 के बीच करीब 100 दिन में ही सिर्फ भारत में ही जंगलों में आग के 15,170 मामले सामने आ चुके हैं जो पिछले वर्ष की तुलना में कहीं ज्यादा हैं। इनमें हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड, असम और बिहार को जंगली आग से प्रभावित शीर्ष पांच राज्य बताया गया है।

जंगलों की आग और जलवायु परिवर्तन का दुष्चक्र ...

भारतीय वन सर्वेक्षण संस्थान के एक शोध के अनुसार मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा, बिहार, उत्तर प्रदेश के वे सभी इलाके जो अग्नि संवेदनशील क्षेत्र के रूप में पहचाने गए हैं, उन जगहों पर पिछले कुछ सालों में वर्षा क्रमश: कम होती पाई गई है। अत: जलवायु परिवर्तन हमारे मौजूदा जंगलों को सूखा बनाने के साथ ही और तनावपूर्ण स्थिति में ले जा रहे हैं जिससे जंगलों में आग लगने की आशंका पहले से बहुत ज्यादा बढ़ गई है। अब होता यह है कि जब जंगलों में आग लगती है तो पेड़ों में सालों से बंद पड़े कार्बन के स्रोत ग्रीन हाउस गैस में तब्दील हो जाते हैं। जाहिर सी बात है, इस ग्रीन हाउस गैसों से ग्लोबल वार्मिंग को भी और भी बढ़ावा मिलता है। जंगलों में यह दुष्चक्र बढ़ता ही जा रहा है। जलवायु परिवर्तन से संबंधित अंतर सरकारी पैनल द्वारा किए गए बीस वर्षों के अवलोकन से पता चलता है कि एशिया के जंगलों में आग लगने के मामलों में इतनी तेज बढ़ोतरी का एक संबंध पर्यावरणीय तापमान में वृद्धि, वर्षा में गिरावट और भूमि के उपयोग में आई तेज वृद्धि से भी है।

जंगल की आग पर नियंत्रण कैसे हों?

अगर भारत की बात करें तो जंगलों में लगने वाली आग से निपटने के लिए वन विभाग एवं आपदा प्रतिक्रिया बल कार्यरत रहते हैं। हालांकि, आग नियंत्रण के लिए अपनाए गए ये पारंपरिक तरीके पुराने पड़ गए हैं। इनसे जंगली आग की घटनाओं पर काबू पाना अक्सर मुश्किल हो जाता है। इसलिए उपग्रह आधारित रिमोट सेंसिंग तकनीक और जियोग्राफिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम के माध्यम से जंगली आग पर समय रहते कार्रवाई की जा सकती है। भारतीय वन सर्वेक्षण संस्थान ने 2019 में ‘फायर अलर्ट सिस्टम’ के अंतर्गत ‘बड़े वन अग्नि निगरानी कार्यक्रम’ की शुरुआत की है जिसमें उपग्रह की मदद से रियल टाइम बड़े जंगलों में आग की निगरानी की जाती है। हालांकि इसके बावजूद मानव जनित आग लगने की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।

भारत में क्या हैं सजा का प्रावधान?

भारतीय वन अधिनियम, 1927 के अंतर्गत आरक्षित वनों में आग लगाना या किसी वस्तु को जलता छोड़ना जिससे वन को खतरा हो, एक दंडनीय अपराध है। इसके लिए छह महीने तक की जेल, एक हजार रुपए जुर्माना, आग लगने से जंगल को हुए नुकसान की भरपाई को वसूलने के साथ-साथ उस व्यक्ति पर चारागाह या वन उपज के सभी अधिकारों को स्थगित करने का प्रावधान है।

जंगलों में आग क्या फायदेमंद भी है?

जंगलों में आग दो तरह से लगती है। एक प्राकृतिक रूप से जो आमतौर पर आसमान से बिजली के गिरने या बहुत ज्यादा गर्मी में पेड़ों के पत्तों के आपस में घर्षण के कारण लगती है। यह जंगली आग प्राकृतिक चक्रों में इस वजह से महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है :

- जैव विविधता संरक्षण, घास के मैदानों एवं झाड़ीनुमा पर्यावासों को पुनर्जीवित करने में मदद करती है।

- प्राकृतिक तौर पर लगी जंगली आग पुरानी वनस्पति को साफ कर मिट्टी को पोषक तत्व लौटाती है।

- इससे सूर्य के प्रकाश को वन तल तक पहुंचाने में मदद होती है जिस वजह से छोटे पौधों, झाड़ियों एवं घास को उगने व बीजों के विकास में मदद मिलती है जो वन्यजीवों के पोषण के लिए बहुत जरूरी है।

कब होती है नुकसानदेह?

समस्या तब पैदा होती है जब जंगल में लगने वाली आग मानव जनित होने के कारण बेकाबू हो जाती है और तबाही का कारक बन जाती है। एक अनुमान के मुताबिक हाल ही के समय में दुनियाभर के जंगलों में लगने वाली आग की 75 फीसदी घटनाएं मानव जनित होती हैं, वहीं भारत में ऐसे मामले 95 फीसदी हैं। इसमें इंसानी लापरवाही प्रमुख कारण है जैसे जंगलों में महुआ या तेंदू पत्ता बीनने गए और अनजाने में बीड़ी या सिगरेट जलाकर फेंक दी। तेंदू पत्ते की छंटाई के लिए स्थानीय समुदायों द्वारा नियंत्रित आग का इस्तेमाल भी किया जाता है जिससे कई बार आग नियंत्रण से बाहर चली जाती है। कभी-कभी जंगलों को साफ करने, शिकार करने या चारागाह को बढ़ाने के लिए भी स्थानीय निवासियों द्वारा जानबूझकर गैरकानूनी ढंग से जंगलों में आग जलाई जाती है।

जंगलों में आग की दो बड़ी घटनाएं...

- 1 जून 1950 को ब्रिटिश कोलम्बिया (कनाडा) के चिनचागा में आग लगने की शुरुआत हुई थी जो जल्दी ही बेकाबू हो गई। करीब 5 महीने तक जंगल लगातार जलते रहे। इस पर 31 अक्टूबर तक काबू पाया जा सका। तब तक 3 लाख एकड़ से भी ज्यादा जंगल साफ हो गए थे।

- आग की दूसरी बड़ी घटना 6 मई 1987 को उत्तर-पूर्व चीन के ग्रेटर किंघम माउंटेन रेंज और साइबेरियाई की सीमाओं पर घटित हुई थी। इस पर 2 जून को काबू पाया जा सका। इसमें भी करीब 3 लाख एकड़ जंगलों को नुकसान पहुंचा था। इसमें 200 से अधिक लोगों की मौत भी हुई थी।

जंगल हमारे लिए क्यों जरूरी है?

पेड़ों, पौधों और झाड़ियों के साथ कवर एक विशाल भूमि और जंगली जानवरों की विभिन्न प्रजातियों के लिए घर वन के रूप में जाना जाता है। जंगल पृथ्वी के पारिस्थितिक तंत्र का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। वे ग्रह की जलवायु को बनाए रखने में मदद करते हैं, वातावरण को शुद्ध करते हैं, वाटरशेड की रक्षा करते हैं।

जंगल हमारे लिए क्या है?

जंगल का महत्व:- जंगल से हमें ऑक्सीजन प्राप्त होती है। जंगल कार्बन-डाई-ऑक्साइड ग्रहण करके ऑक्सीजन छोड़ते है। जिससे इस प्रकृति में ऑक्सीजन और कार्बन-डाइ-ऑक्साइड के बीच में संतुलन बना रहता है। जंगल और भी कईं तरह की ग्रीन हाउस गैसों को ग्रहण करके प्रकृति का संतुलन बनाए रखता है।

जंगलों से क्या लाभ है?

वनों से होने वाले प्रत्यक्ष लाभ :.
वनों से लकड़ी की प्राप्ति :.
जानवरों के लिए चरागाह :.
रोजगार की प्राप्ति :.
लघु उद्योग में सहायता मिलती हैं :.
वनों से प्राप्त इमारती धन :.
बाढ़ से बचने में सहायक :.
वर्षा में सहायता प्रदान करना :.
वनों के द्वारा भूमि की सहायता :.

जंगल ना होते तो क्या होता?

जंगल नही होती तो इस पृथ्वी पर जीवन नाम कि कोई नाम ही नही होती । पेड -पौधे नही होगे तो जंगल नही होती । जंगल नही होते तो वर्षा नही होती । वर्षा नही होती तो नदी नही होती, नदी नही होती तो पुरा पृथ्वी बंजर होती ।