चर्बी की गाँठ के बनने को यदि हम चिकित्सकीय भाषा में समझें तो इसका अर्थ है मांस के अंदर फैट निर्मित होना. एक रोचक तथ्य यह भी है कि यह देखने में हमारे शरीर की त्वचा के भीतर हुए फोड़े के जैसा ही लगता है. यह हमारे शरीर के किसी भी भाग में हो सकते हैं. हालांकि चर्बी की गाँठ अक्सर गर्दन या बाहों पर ही दिखाई पड़ते हैं. आप इसे एक तरह का ट्यूमर भी कह सकते हैं जो हमारी चमड़ी के निचली परतों में चर्बी की गाँठों के रूप में धीरे-धीरे जमा होता जाता है. यह भी हैरान करने वाला तथ्य है कि चर्बी की गाँठ का मोटापे से कुछ भी लेना-देना नहीं है. इन गाँठों में किसी प्रकार का कोई दर्द नहीं होता है और यह गांठे ज्यादातर गर्दन, हाथ और पैरों पर पायी जाती हैं. कुछ लोग इन गाँठों को देखकर परेशान हो जाते हैं कि कहीं ये कैंसर तो नहीं. लेकिन ऐसा नहीं है, चर्बी की गाँठ और कैंसर की गाँठों में सबसे बड़ा फर्क होता है कि चर्बी की गाँठ की गांठें मुलायम होती हैं और हिलती हैं जबकि कैंसर वाली गाँठ सख्त होती हैं और वह हिलती नहीं हैं. आइए इस लेख के माध्यम से हम चर्बी की गाँठ के इलाज (Charbi Ki Ganth Ka Ilaj in Hindi) के विभिन्न तरीकों और इसके होने के कारणों के बार में जानें ताकि इस विषय में जागरूकता फैल सके. Show
चर्बी की गाँठ होने का कारण - Charbi Ki Ganth Ke Karanचर्बी की गाँठ की गांठें आपकी त्वचा के अंदरूनी हिस्से में होती हैं जो एक से तीन सेंटीमीटर तक मोटी हो सकती हैं. इन छोटी गाँठों में ना तो कभी दर्द होता है और ना ही ये गांठे कभी कोई नुकसान पहुंचाती हैं. जब यह गांठें बड़ी हो जाती हैं तब ये थोड़ी बुरी सी दिखने लगती हैं बस यही एक परेशानी सामने आती है. चर्बी की गाँठ या चर्बी की गाँठ बनने का सही कारण आज तक पता नहीं चल पाया है, इसीलिए इन गाँठों का सही कारण बता पाना बेहद कठिन हैं. कुछ लोग बोलते हैं कि मोटापे की वजह से ये गांठे हो जाती हैं लेकिन चर्बी की गाँठ का मोटापे से कोई सम्बन्ध नहीं है. चर्बी की गांठ का घरेलू इलाज - Charbi Ki Ganth Ka Gharelu Ilajचर्बी की गांठ का घरेलू इलाज है सुबह की दौड़ 1. तला भुना और जंक फूड कम खायें 2. आटा और शहद का लेप 3. सर्जरी से गांठे निकलवाना 4. सुईं की सहायता से गांठे निकालना 35 people found this helpful थायरॉइड कैंसर के मामले बढ़ते जा रहे हैं. नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम इंडिया के आंकड़ों के अनुसार, महिलाओं और पुरुषों में इस बीमारी के मामलों में 60 फीसदी तक का इजाफा हुआ है.थायरॉइड को कंट्रोल करने के लिए इन टिप्स को अपनाएं Image Credit source: Freepik थायरॉइड की बीमारी पहले की तुलना में काफी बढ़ गई है. इसको लोग एक सामान्य समस्या मानते हैं और इलाज को लेकर लापरवाही भी करते हैं. लेकिन ये डिजीज कैंसर में भी बदल सकती है. अगर गर्दन के आसपास गांठ है तो ये थायरॉइड कैंसर का एक लक्षण हो सकता है. इस कैंसर होने का एक बड़ा कारण जेनेटिक भी होता है. ये बीमारी छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी उम्र के लोगों को हो सकती है. महिलाओं में पुरुषों की तुलना में इसके ज्यादा केस रिपोर्ट किए जाते हैं. डॉक्टर बताते हैं कि थायरॉइड ग्लैंड गले में तितली के आकार का होता है ,जिसका वजन लगभग 20 ग्राम होता है. थायरॉइड ग्लैंड महत्वपूर्ण हार्मोन बनाता है जो हृदय गति और शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है. कैंसर होने की स्थिति में थायरॉइड ग्लैंड में सूजन आने लगती है और ये उभरा हुआ नजर आने लगता है. वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. कवलजीत सिंह के मुताबिक, थायरॉइड कैंसर के चार मुख्य प्रकार हैं. इनमें पैपिलरी थायरॉइड कैंसर, फॉलिक्युलर थायरॉइड कैंसर, मेडुलरी थायरॉइड कैंसर और एनाप्लास्टिक थायरॉइड कैंसर शामिल है. पैपिलरी थायरॉइड कैंसर सबसे आम प्रकार का थायरॉइड कैंसर है, जो सभी थायरॉइड कैंसर का लगभग 85 प्रतिशत है. इस प्रकार के कैंसर के लिए इलाज की दर अधिक है. भारत और दुनिया भर में थायरॉइड कैंसर के मामले बढ़ेंदुनिया भर में थायरॉइड कैंसर के मामले बढ़ते जा रहे हैं. नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम (एनसीआरपी) इंडिया के आंकड़ों के अनुसार, महिलाओं और पुरुषों में थायरॉइड कैंसर की घटनाओं में क्रमशः 62% और 48% की वृद्धि हुई है. घटनाओं में वृद्धि लोगों में बढ़ती जागरूकता और लक्षणों की समय पर पहचान की वजह से होती है. जागरूक होने की वजह से लोग समय पर जांच कराते हैं जिससे बीमारी का पता चलता है. ये लक्षण दिखें तो हो जाएं सतर्कडॉ. बताते हैं किअधिकांश थायरॉइड कैंसर गर्दन में एक छोटी गांठ के रूप में मौजूद होते हैं जो आमतौर पर कठोर और दर्द रहित होती है. कुछ रोगियों को आवाज में खराश और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है. साधारण गर्दन की जांच से थायरॉइड कैंसर का पता लगा सकती है. हालांकि, 90% थायरॉइड नोड्यूल सौम्य होते हैं और कैंसर नहीं होते हैं. ऐसे करें कंट्रोलअगर किसी भी व्यक्ति को ये सभी लक्षण दिख रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर के पास जाकर थायरॉइड की जांच करानी चाहिए. इसकी जांच के लिए थायरॉइड फंक्शन टेस्ट किए जाते हैं. इनमें टी3, टी4 और टीएसएच शामिल हैं. इसके अलावा गर्दन का अल्ट्रासोनोग्राफी टेस्ट भी जरूरी है. ऐसे करें कंट्रोलहेल्थ की ताजा खबरें यहां पढ़ें गर्दन में गांठ क्यों होती है?गांठ का स्थान
गर्दन की गांठ का सटीक स्थान इसके कारण के बारे में संकेत सकता है। उदाहरण के लिए, थायरॉयड ग्रंथि में सूजन के कारण होने वाली गांठ आमतौर पर गर्दन के सामने दिखाई देगी। गर्दन के किनारे पर एक गांठ अक्सर सूजी हुई लिम्फ नोड का संकेत देती है, जो संक्रमण के कारण हो सकती है।
गर्दन में गांठ कितने प्रकार की होती है?जवाब : तीन प्रकार की गांठ हो सकती हैं।
कैंसर की गांठ की पहचान कैसे होती है?कभी ये गांठ दर्द के साथ होते हैं तो कभी ये गांठ बिना दर्द के भी होते हैं. यदि गांठ के साथ खून आ रहा हो तो यह कैंसर का लक्षण हो सकता है. अधिकतर कैंसर की शुरुआत गांठ से ही होती है. शुरुआती में गांठ छोटा होता है और उसमें दर्द नहीं रहता है तो लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं.
गर्दन में गांठ हो तो क्या करें?एक सूजी हुई लिम्फ नोड (कभी-कभी लिम्फ ग्रंथि कहा जाता है) गर्दन की गांठ का सबसे आम कारण है। ), तो वे आकार में बढ़ सकते हैं क्योंकि आपका शरीर संक्रमण से लड़ता है। यह सामान्य है और संक्रमण ठीक होने के बाद सूजन कम होनी चाहिए। अगर सूजन कम नहीं होती है, तो आपको डॉक्टर से इसकी जांच करवानी चाहिए।
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