मुख्य द्वार हो इस दिशा में तभी लगाएं मूर्ति: वास्तु अनुसार घर का मुख्य द्वार अगर दक्षिण या उत्तर दिशा में हो तभी गणेश जी की प्रतिमा लगाएं। अगर मुख्य द्वार पूर्व या पश्चिम दिशा में है तो गणेश जी की मूर्ति नहीं लगानी चाहिए। क्योंकि वास्तु अनुसार ऐसा करना अशुभ माना जाता है। Show ऐसी मूर्ति खरीदें: गणेश जी की जो प्रतिमा घर के मुख्य द्वार पर लगा रहे हैं ध्यान रखें कि उनकी सूंड़ वामवर्त होनी चाहिए। वहीं घर के अंदर लगाने वाली प्रतिमा की सूंड़ दक्षिणावर्त होनी चाहिए। घर में गणेश जी की बैठी हुई मुद्रा में मूर्ति लगानी चाहिए। वहीं कार्यस्थल पर गणपति की खड़ी मुद्रा वाली मूर्ति स्थापित करनी चाहिए। घर के मुख्य द्वार पर गणेश जी की प्रतिमा कहां लगाएं: गणेश जी की मूर्ति घर के मुख्य द्वार पर अंदर की तरफ मुख करके रख सकते हैं। ध्यान रखें की गणेश जी की प्रतिमा का मुख मुख्य द्वार की तरफ होना चाहिए। दक्षिण दिशा में मूर्ति न रखें। मूर्ति रखने के लिए पश्चिम, उत्तर और उत्तर पूर्व दिशा सबसे अच्छी है। किस रंग की
मूर्ति मानी जाती हैं शुभ: अगर आप चाहते हैं कि आपके जीवन में शांति और समृद्धि आए तो गणेश जी की मूर्ति सफेद रंग की लगानी चाहिए। वहीं जो लोग किसी काम में तरक्की पाना चाहते हैं तो सिंदूर रंग की गणेश जी की प्रतिमा लगानी चाहिए। बेहद लकी माना जाता है ये नंबर, इन बर्थ डेट में जन्मे लोग होते हैं भाग्यशालीपीठ मिलाकर लगाएं गणेश प्रतिमा: घर के मुख्य द्वार पर जो गणेशजी की प्रतिमा आप लगा रहे हैं उसी के ठीक पीछे यानी दरवाजे के दूसरी ओर गणेशजी की वैसी ही प्रतिमा लगाएं। ध्यान रखें कि ये मूर्तियां इस तरह से लगाएं कि दोनों प्रतिमा की पीठ आपस में मिल रही हो। ऐसी प्रतिमा लगाना बेहद शुभ माना जाता है। - बेणी रघुवंशी अक्सर श्री गणेश की प्रतिमा स्थापना से पूर्व यह सवाल सामने आता है कि श्री गणेश की कौन सी सूंड होनी चाहिए यानी किस तरफ सूंड वाले श्री गणेश पूजनीय हैं? आइए जानें ..... दाईं सूंड : जिस मूर्ति में सूंड के अग्रभाव का मोड़ दाईं ओर हो, उसे दक्षिण मूर्ति या दक्षिणाभिमुखी मूर्ति कहते हैं। यहां दक्षिण का अर्थ है दक्षिण दिशा या दाईं बाजू। दक्षिण दिशा यमलोक की ओर ले जाने वाली व दाईं बाजू सूर्य नाड़ी की है। जो यमलोक की दिशा का सामना कर सकता है, वह शक्तिशाली होता है व जिसकी सूर्य नाड़ी कार्यरत है, वह तेजस्वी भी होता है। इन दोनों अर्थों से दाईं सूंड वाले गणपति को 'जागृत' माना जाता है। ऐसी मूर्ति की पूजा में कर्मकांड अंतर्गत पूजा विधि के सर्व नियमों का यथार्थ पालन करना आवश्यक है। उससे सात्विकता बढ़ती है व दक्षिण दिशा से प्रसारित होने वाली रज लहरियों से कष्ट नहीं होता। दक्षिणाभिमुखी मूर्ति की पूजा सामान्य पद्धति से नहीं की जाती, क्योंकि तिर्य्क (रज) लहरियां दक्षिण दिशा से आती हैं। दक्षिण दिशा में यमलोक है, जहां पाप-पुण्य का हिसाब रखा जाता है। इसलिए यह बाजू अप्रिय है। यदि दक्षिण की ओर मुंह करके बैठें या सोते समय दक्षिण की ओर पैर रखें तो जैसी अनुभूति मृत्यु के पश्चात अथवा मृत्यु पूर्व जीवित अवस्था में होती है, वैसी ही स्थिति दक्षिणाभिमुखी मूर्ति की पूजा करने से होने लगती है। विधि विधान से पूजन ना होने पर यह श्री गणेश रुष्ट हो जाते हैं। बाईं सूंड : जिस मूर्ति में सूंड के अग्रभाव का मोड़ बाईं ओर हो, उसे वाममुखी कहते हैं। वाम यानी बाईं ओर या उत्तर दिशा। बाई ओर चंद्र नाड़ी होती है। यह शीतलता प्रदान करती है एवं उत्तर दिशा अध्यात्म के लिए पूरक है, आनंददायक है। इसलिए पूजा में अधिकतर वाममुखी गणपति की मूर्ति रखी जाती है। इसकी पूजा प्रायिक पद्धति से की जाती है। इन गणेश जी को गृहस्थ जीवन के लिए शुभ माना गया है। इन्हें विशेष विधि विधान की जरुरत नहीं लगती। यह शीघ्र प्रसन्न होते हैं। थोड़े में ही संतुष्ट हो जाते हैं। त्रुटियों पर क्षमा करते हैं। Please follow and like us: Ganesh ji ki murti kis disha mein rakhna chahiye – Vastu Tips of Ganesh Idol – Ganesh ji ki murti kaha rakhna chahiye – हिंदू धर्म में गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा गया है और किसी भी शुभ काम को करने से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। कहते हैं जो भक्त सच्चे मन से भगवान गणेश की आराधना करता है, वह उसके सारे कष्टों को दूर कर देते हैं। गणेश जी को विघ्नहर्ता, संकटनाशक और गणपति आदि नामों से भी पुकारा जाता है। आज हम आपको अपने लेख के माध्यम से यह बताने वाले हैं, कि यदि आप अपने घर में गणेश जी की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करना चाहते हैं, तो आपको निम्न बातों का अवश्य ध्यान रखना चाहिए। आपको पता होना चाहिए कि मूर्ति को किस दिशा में रखें और साथ ही घर की किस जगह पर मूर्ति स्थापित करें। Ganesh ji ki murti kis disha mein rakhna chahiye – Vastu Tips of Ganesh Idol
Must Read: कर्ज से पाना चाहते हैं मुक्ति, तो बुधवार को पढ़ें ऋणहर्ता गणपति स्तोत्र Ganesh ji ki murti kis disha mein rakhna chahiye – ganesh ji ki murti kis disha mein lagaye
Must Read: गणेश जी के 108 नामों का जाप करने से दूर होंगे सभी संकट
Must Read: क्यों भगवान गणेश की पूजा पहले होती है Must Read : मोरिया क्यों जुड़ा है गणपति बप्पा मोरिया में Ganesh ji ki murti kis disha mein rakhna chahiye, हमारे फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर हमें फ़ॉलो करें और हमारे वीडियो के बेस्ट कलेक्शन को देखने के लिए, YouTube पर हमें फॉलो करें। गणेश जी का मुंह किधर करना चाहिए?ध्यान रखें की गणेश जी की प्रतिमा का मुख मुख्य द्वार की तरफ होना चाहिए। दक्षिण दिशा में मूर्ति न रखें। मूर्ति रखने के लिए पश्चिम, उत्तर और उत्तर पूर्व दिशा सबसे अच्छी है।
गणेश जी की मूर्ति कौन सी दीवार पर लगानी चाहिए?वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार, पश्चिम, उत्तर और उत्तर-पूर्व दिशा, भगवान गणेश की मूर्तियों या फोटो के लिए सबसे अच्छी दिशाएं हैं।
मेन गेट पर गणेश जी की मूर्ति कैसे लगाएं?मेन गेट पर गणेश जी की मूर्ति लगाने के नियम
साथ ही गणेश जी की वामवर्ती सूंड वाली प्रतिमा लगाएं. घर के अंदर दक्षिणवर्ती सूंड और बाहर वामवर्ती सूंड वाली प्रतिमा लगानी चाहिए. ध्यान रखें कि दोनों ही स्थिति में गणपति की मूर्ति बैठी हुई मुद्रा में हो. खड़े हुए गणपति की मूर्ति वर्कप्लेस पर ही लगाना चाहिए.
|