एलआईसी में शीघ्र मृत्यु का दावा - elaeesee mein sheeghr mrtyu ka daava

भारतीयजीवन बीमा निगम (एलआईसी) काे जीवन बीमा पॉलिसी में मृत्यु दावा राशि खारिज करना काफी महंगा पड़ा। जिला उपभोक्ता मंच ने एक परिवाद पर सुनवाई करते हुए एलआईसी को मृत्यु दावा राशि 9 प्रतिशत ब्याज समेत चुकाने के साथ परिवादी को मानसिक संताप परिवाद खर्चा देने का अादेश दिया।

गत गुरुवार को जिला उपभोक्ता मंच बाड़मेर कैंप बालोतरा में प्रस्तुत परिवाद में परमेश्वर बंजारा ने बताया कि उनके पिता प्रेम कुमार ने एलआईसी शाखा बालोतरा से अलग-अलग कुल 6 बीमा पॉलिसियां करवाई थी। उनकी मृत्यु के बाद जब एलआईसी बालोतरा से जीवन बीमा पालिसियों के अंतर्गत मृत्यु दावा राशि की मांग की गई तो एलआईसी शाखा बालोतरा ने शुरुआत में करवाई गई तीन पॉलिसियां का भुगतान कर दिया तथा अंतिम की तीनों बीमा पॉलिसियों में दावा खारिज कर दिया। हवाला दिया गया कि प्रस्तावक की ओर से तीनों पॉलिसियों के प्रस्ताव पत्रों में बीमित द्वारा कुछ तथ्य छिपाए गए थे। इस पर परिवादी की ओर से एडवोकेट करणसिंह सोलंकी के जरिये उपभोक्ता मंच में परिवाद प्रस्तुत किया गया। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच बाड़मेर की ओर से दोनों पक्षों को सुनने के बाद परिवादी का परिवाद स्वीकार कर एलआईसी शाखा बालोतरा को तीनों बीमा पॉलिसियों के तहत कुल 6 लाख रुपए एवं परिवादी तिथि से 6 प्रतिशत ब्याज समेत 5 हजार रुपए मानसिक संताप परिवाद खर्चा देने का आदेश दिया। परिवादी की ओर से एडवोकेट करणसिंह सोलंकी ने पैरवी की तथा एलआईसी की आेर से लूणकरण शर्मा ने विरोध किया।

बीमा कंपनी की दावा प्रबंधन योग्यता ग्राहकों द्वारा पॉलिसी लेने के लिए उनकी निर्णय प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसलिए बीमा कंपनी का प्रदर्शन मापने के लिए उसकी दावा पूर्ति की प्रक्रिया अहम मानदंड है। दावों का शीघ्र भुगतान करने के लिए लाभार्थी को निम्नलिखित बातों को अवश्य ध्यान में रखना चाहिए:

जीवन बीमा कंपनी को सूचित करना:

सबसे पहले बीमा कंपनी को बीमित की मृत्यु के बारे में सूचित करना पड़ता है। इसे क्लेम इंटीमेशन के रूप में जाना जाता है। इसकी जानकारी जीवन बीमा कंपनी के शाखा/कार्यालय जाकर या ईमेल से दी जा सकती है। इसमें बीमित का नाम, मृत्यु की तिथि, मृत्यु का कारण, मृत्यु स्थान, दावेदार का नाम, दावेदार का बीमित से संबंध जैसी मूलभूत जानकारी शामिल होती हैं।

दावा भरने के समय जरूरी चीजें:

दावेदार की ओर से नगर निगम/ग्राम पंचायत द्वारा जारी मृत्यु प्रमाणपत्र जमा कराना अनिवार्य है। उचित ढंग से भरा गया दावा फॉर्म, जो कि जीवन बीमा कंपनी द्वारा दिया जाता है। कंपनी द्वारा दावा प्रोसेस करने के लिए पॉलिसी के दस्तावेज जमा कराना अनिवार्य है। दावेदार को तस्वीरें, एड्रेस प्रूफ, फोटो पहचान पत्र भी उपलब्ध कराना चाहिए। प्रमाण पत्र के अलावा बीमा कंपनियां दावेदार से बैंक खाता स्टेटमेंट जैसे अन्य दस्तावेज उपलब्ध कराने की उम्मीद करती हैं, ताकि दावा राशि का भुगतान सही लाभार्थी को हो सके।

दावा जमा कराने की सीमा:

दावा जमा करने की कोई विशिष्ट समय सीमा नहीं होती, लेकिन विभिन्न समस्याओं व अनचाहे विलंब से बचने के लिए प्रक्रिया की शुरुआत जल्द से जल्द करनी चाहिए।

दावा प्रोसेसिंग के लिए समय सीमा:

बीमा कंपनियों द्वारा सभी आवश्यक दस्तावेज मिलने पर 30 दिनों के भीतर क्लेम प्रोसेस करना अनिवार्य है। इन दस्तावेजों के आधार पर ही दावे का फैसला किया जाता है। हालांकि, कुछ कंपनियां इसे जल्दी प्रोसेस करती हैं, ताकि उद्योग में नए मानदंड स्थापित किए जा सकें। कुछ कंपनियां 7-8 दिनों की अवधि में दावे का निपटान का वादा करती हैं। यदि निर्धारित समय में क्लेम का सेटलमेंट नहीं हो पाता है तो ग्राहकों को कंपनी की पॉलिसी में किए गए उल्लेख के मुताबिक ब्याज दिया जाता है।

शिकायत सुधार प्रणाली:

समाधान के लिए पॉलिसीधारक संबंधित बीमा कंपनियों के पास शिकायत कर सकते हैं। यदि पॉलिसी धारक कंपनी के निर्णय से संतुष्ट नहीं है तो वह इरडा के इंटीग्रेटेड ग्रीवांस मैनेजमेंट सिस्टम (आइजीएमएस) से संपर्क कर सकता है। यदि पहले वाले विकल्प काम नहीं आते तो पॉलिसीधारक उपभोक्ता अदालत व इंश्योरेंस ओम्बुड्समैन के पास जा सकता है।

अगर आप LIC (जीवन बीमा निगम) पॉलिसीधारक के नॉमिनी हैं, जिसकी मौत हो चुकी है, तो आपको यह पता होना चाहिए कि डेथ इंश्योरेंस के लिए क्लेम कैसे फाइल करते हैं.

एलआईसी में शीघ्र मृत्यु का दावा - elaeesee mein sheeghr mrtyu ka daava

अगर आप LIC (जीवन बीमा निगम) पॉलिसीधारक के नॉमिनी हैं, जिसकी मौत हो चुकी है, तो आपको यह पता होना चाहिए कि डेथ इंश्योरेंस के लिए क्लेम कैसे फाइल करते हैं.

How to file death insurance claim with LIC: अगर आप LIC (जीवन बीमा निगम) पॉलिसीधारक के नॉमिनी हैं, जिसकी मौत हो चुकी है, तो आपको यह पता होना चाहिए कि डेथ इंश्योरेंस के लिए क्लेम कैसे फाइल करते हैं. डेथ क्लेम फाइल करने की प्रक्रिया पूरी तरह ऑफलाइन है. आपको इसके लिए होम ब्रांच जाना होगा, जहां से पॉलिसी जारी की गई थी. वहां जाने से पहले आपको सभी जरूरी दस्तावेजों को तैयार भी रखना चाहिए. इसके अलावा आपको इसे सब्मिट करने से पहले डेथ क्लेम के फॉर्म पर पॉलिसीधारक के इंश्योरेंस एजेंट या डेवलपमेंट ऑफिसर के हस्ताक्षर भी लेने होंगे.

LIC में डेथ क्लेम फाइल करने के पूरे स्टेप्स

  • डेथ क्लेम फाइल करने की प्रक्रिया को शुरू करने के लिए, नॉमिनी को LIC की होम ब्रांच पर जाना होगा, जहां से पॉलिसी जारी की गई थी. वहां उन्हें पॉलिसीधारक की मौत के बारे में जानकारी देनी होगी. ब्रांच अधिकारी नॉमिनी के बैंक अकाउंट में फंड ट्रांसफर करने के लिए फॉर्म 3783, फॉर्म 3801 और NEFT फॉर्म देगा.
  • इन फॉर्म के साथ जिन दस्तावेजों को जमा करना होगा, उनमें ऑरिजनल डेथ सर्टिफिकेट, ऑरिजनल पॉलिसी बॉन्ड, नॉमिनी का पैन कार्ड, नयमिनी के आधार कार्ड, वोटर आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस या पासपोर्ट की कॉपी और मृत पॉलिसीधारक का कोई भी आईडी प्रूफ (आधार कार्ड हो तो बेहतर) शामिल हैं. सभी दस्तावेजों को नॉमिनी को सेल्फ अटेस्ट करना होगा.
  • पूरी तरह भरे गए फॉर्म और दस्तावेजों के साथ, नॉमिनी को एक घोषणा पत्र भी देना होगा. इसमें पॉलिसीधारक की मौत की तारीख, मौत की जगह और मौत का कारण का जिक्र करना होगा.
  • NEFT फॉर्म के साथ, नॉमिनी को एक कैंसल्ड चेक और बैंक पासबुक की कॉपी देनी होगी, जिसमें बैंक अकाउंट धारक का नाम, अकाउंट नंबर और IFS कोड प्रिंट हो. अगर दूसरे दस्तावेजों के साथ बैंक पासबुक की फोटोकॉपी मौजूद नहीं है, तो दस्तावेजों को मंजूर नहीं किया जाएगा.
  • यह बात ध्यान में रखें कि ऊपर बताए गए दस्तावेजों को सब्मिट करते समय, नॉमिनी को अपने पास उन ऑरिजनल डॉक्यूमेंट्स को रखना चाहिए, जिनकी वे कॉपी सब्मिट कर रहे हैं. उन्हें वेरिफिकेशन के लिए अपना पैन कार्ड, मृत व्यक्ति का आईडी प्रूफ और ऑरिजनल पासबुक भी रखनी चाहिए.
  • LIC ऑफिसर डेथ क्लेम की प्रोसेसिंग के लिए दस्तावेजों को मंजूर करने से पहले कॉपी से ऑरिजनल पासबुक को वेरिफाई करेगा. यह ध्यान में रखें कि अंतिम राशि को नॉमिनी के बैंक अकाउंट में डालने से पहले दस्तावेजों की इस सूची के अलावा जीवन बीमा निगम अतिरिक्त दस्तावेजों की मांग कर सकती है.
  • LIC ब्रांच में एक बार दस्तावेजों को सब्मिट करने के बाद, रसीद लेना न भूलें और उसे संभालकर रखें. अगर किसी अतिरिक्त दस्तावेज की जरूरत नहीं है, तो नॉमिनी को सेटलमेंट राशि एक महीने की अवधि में मिल जाएगी. हालांकि, अगर आपके बैंक अकाउंट में एक महीने के भीतर राशि नहीं आती है, तो आपको LIC ब्रांच में रसीद लेकर जाना चाहिए और उसके स्टेटस के बारे में जानकारी मांगनी चाहिए.

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पॉलिसी सरेंडर करने पर कितना पैसा मिलता है?

कितना पैसा वापस मिलता है पॉलिसी सरेंडर करने पर काफी नुकसान उठाना पड़ता है. अगर आप लगातार 3 साल प्रीमियम भरे हैं तो सरेंडर वैल्यू के लिए पात्र हैं. उसके बाद आपको भुगतान किए गए प्रीमियम का मात्र 30 फीसदी पैसा मिलता है लेकिन पहले साल का प्रीमियम छोड़ कर. मतलब आपने पहले साल जो प्रीमियम का पैसा भरा है वो भी जिरो हो जाता है.

एलआईसी एजेंट का कमीशन कितना होता है?

कितना है एलआईसी का एजेंट कमीशन चालू वित्त वर्ष 2021-22 में एलआईसी का कमीशन अनुपात 11.5% रहा है, जो शीर्ष पांच निजी बीमा कंपनियों द्वारा भुगतान किए गए 5.4% के औसत कमीशन अनुपात के दोगुने से भी अधिक है।

क्या LIC में पैसा सुरक्षित है?

क्या एलआईसी में जमा पैसा सुरक्षित है? आपके पैसे सुरक्षित है। सरकार केवल १०% हिस्सेदारी बेच रही है। यह सर्कार की हिस्सेदारी ५१% रहने तक सरकार के अधीन ही रहेगी।

दावा प्रक्रिया क्या है?

कोई दावा उत्पन्न होने पर आपको बीमा कंपनी को अपेक्षित प्रक्रियाओं के अनुसार सूचित करना चाहिए। हॉस्पिटलाइजेशन के बाद आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आपने दावा फार्म, डिस्चार्ज समरी, दवाओं के परचे और बिल आदि दस्तावेज प्राप्त करके तैयार कर लिए हैं, जो आपको दावा करने के लिए प्रस्तुत करने होंगे।