in Module Show Published on: 28 September 2018 अशोक तिवारीएंथ्रोपोलॉजी में स्नातकोत्तर, इथनोग्राफ़िक संग्रहालयों में कार्यानुभव , शोधकर्ता
एवं लेखक। गढ़ कलेवा, छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में शहर के बीचोंबीच स्थित महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय में विद्यमान एक खान-पान स्थल है। यहाँ पर केवल पारंपरिक छत्तीसगढ़ी व्यंजन ही परोसे
जाते हैं। यहाँ मुख्यतः छत्तीसगढ़ के मैदानी क्षेत्रों में उपयोग किए जाने वाले सूखे और गीले नाश्ते तथा भोजन की व्यवस्था रहती है। गढ़ कलेवा की स्थापना जनवरी 26, 2016 को की गई थी। यहाँ का पूरा का पूरा माहौल एक ग्रामीण परिवेश के रूप में तैयार किया गय है| खाद्य पदार्थों को परोसने के लिए भी छत्तीसगढ़ के पारंपरिक संस्कृति में इस्तेमाल किए जाने वाले कांसे और पीतल के बर्तनों की व्यवस्था की गई है | गढ़ कलेवा की लोकप्रियता में, छत्तीसगढ़ी खानपान के परिपूरक के रूप में, इसकी निर्माण शैली तथा यहां का माहौल भी एक महत्वपूर्ण पक्ष है| इस स्थान पर जहां बस्तर के मुरिया जनजाति के कलाकारों ने लकड़ी पर कारीगरी के आधार पर मनमोहक सौन्दर्य का अंकन किया है, वहीं सरगुजा अंचल के कारीगरों ने मिट्टी के रिलीफ वर्क और जाली, तथा अपनी पारंपरिक लिपाई-पुताई के विभिन्न नमूनों को दीवार पर अंकित कर, बहुत ही सुन्दर वातावरण की रचना की है| गढ़कलेवा का संचालन मोनिशा महिला स्वसहायता समूह नामक एक संस्था द्वारा किया जा रहा है जो मार्च 2016 से इसका संचालन कर रही है। यहां काम करने वाली अधिकांश कर्मचारी महिलाएं हैं| This content has been created as part of a project commissioned by the Directorate of Culture and Archaeology, Government of Chhattisgarh, to document the cultural and natural heritage of the state of Chhattisgarh. साल 2000, 1 नवंबर के दिन एक बार फिर मध्य प्रदेश का पुनर्गठन किया गया. इसमें छत्तीसगढ़ को मध्यप्रदेश से अलग कर भारत का 26वां राज्य बनाया गया. प्राचीन भारत के दौर से ही भारत को गौरवान्वित करने के बाद आज भी छत्तीसगढ़ अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए दुनिया भर में जाना जाता है. भारत का नियाग्रा कहा जाने वाला चित्रकोट जलप्रपात यहीं स्थित है. विभिन्न संस्कृतियों का केंद्र रहा छत्तीसगढ़ आज भी अपने प्राचीन मंदिरों के लिए पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध है. क्यों
पड़ा छत्तीसगढ़ का नाम कैसे मिली
छत्तीसगढ़ को पहचान गांधी से प्रभावित हुए नाटक से लाया समाज में बदलाव रायपुर कैसे बना राजधानी आजादी के बाद राज्यों का जो नया बंटवारा हुआ उसमें पहले सी.पी. एंड बरार और बाद में मध्य प्रदेश का हिस्सा बने छत्तीसगढ़ ने कई तरह की उपेक्षाओं को महसूस किया. एक तरफ, मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री पं. रविशंकर शुक्ल थे, जो छत्तीसगढ़ अंचल के ही थे, तो दूसरी तरफ, पूरा का पूरा प्रशासनिक ढांचा कुछ इस ढंग से विकसित हुआ था कि छत्तीसगढ़ की सीमा के भीतर कोई प्रशासनिक केंद्र नहीं आया. शिक्षा मंडल, उच्च-न्यायालय, राजधानी जैसे प्रतिष्ठा के प्रतीक छत्तीसगढ़ के बाहर ही स्थापित हुए. छत्तीसगढ़ राजनीतिक इतिहास छत्तीसगढ़ में गढ़ शब्द का अर्थ क्या है?गढ़ शब्द गढ़ शब्द का अर्थ खाई युक्त किला होता है किन्तु छत्तीसगढ़ में गढ़ शब्द का प्रयोग किले के अतिरिक्त राज्य या जिलों के लिये भी किया जाता था।
छत्तीसगढ़ में कितने गढ़ थे?छत्तीसगढ़ के 36 किले
अधिकांश इतिहासकारों का मत है कि कल्चुरी राजाओं ने 36 किले या कई गांवों को मिलाकर गढ़ बनाए थे। रामायण काल से सत्रहवीं शताब्दी तक इस इलाके को कोसल या दक्षिण कोसल के तौर पर जाना जाता था। आज बिलासपुर के पास स्थित शहर रतनपुर, कल्चुरी राजाओं के दौर में छत्तीसगढ़ की राजधानी हुआ करता था।
छत्तीसगढ़ को पहले क्या बोलते थे?प्राचीन काल में छत्तीसगढ़ "दक्षिण कोशल" के नाम से जाना जाता था। सभी ऐतिहासिक शिलालेख, साहित्यिक और विदेशी यात्रियों के लेखों में, इस क्षेत्र को दक्षिण कोशल कहा गया है। आधिकारिक दस्तावेज में "छत्तीसगढ़" का प्रथम प्रयोग १७९५ में हुआ था।
छत्तीसगढ़ का राजा कौन है?इस वंश का संस्थापक शरभ नाम का राजा था और इसी के नाम पर इसकी राजधानी का नाम शरभपुर पड़ा। इस वंश के प्रमुख शासक नरेंद्र, प्रसन्नमात्र, जयराज, मनमात्र, दुर्गराज, सुदेवराज, प्रवरराज, प्रवरराज द्वितीय थे।
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