Show १.डॉ संजय कुमार मिश्र गर्भावस्था के दौरान पशु की देखभाल:- बछिया के स्वास्थ्य तथा संतुलित आहार का जन्म से ही समुचित ध्यान रखने से वह कम उम्र में ही ऋतु में आ जाती है तथा वीर्यदान करवाने पर 2 से ढाई साल में बच्चा देने योग्य हो जाती है। गर्भित पशु के गर्भ का विकास 6 से 7 महीने के दौरान तेजी से होता है इसलिए निम्नलिखित तथ्यों पर विशेष ध्यान रखना चाहिए:- ब्याने के समय पशु की देखभाल:- ब्याने के 1 दिन पहले गर्भित पशु के जनन अंगों से द्रव का स्राव होता है। पशु को बाधा पहुंचाए बिना हर 1 घंटे रात के दौरान भी अवलोकन करना चाहिए। ब्याने के समय जनन अंगों से द्रव से भरा बुलबुला सा निकलता है जो धीरे-धीरे बड़ा हो जाता है और अंत में फट जाता है उसमें बच्चे के पैर का खुर का भाग दिखाई देता है अगले पैरों के घुटनों के बीच सिर दिखाई देता है। धीरे धीरे अपने आप बच्चा बाहर आ जाता है। कभी-कभी गर्भित पशु अशक्त होता है तो बच्चों को बाहर आने में परेशानी होती है।
ऐसी स्थिति में कोई अनुभवी व्यक्ति बच्चे को बाहर खींचने में मदद कर सकता है। बच्चे की ऊपर बताई गई स्थिति में कोई अंतर हो तो तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें। ब्याने के बाद पशु की देखभाल:- बच्चा देने के बाद पशु को बहुत थकान होती है अतः आसानी से पचने वाला भोजन जैसे गर्म चावल उबला हुआ बाजरा तेल मिलाएं गेहूं गुड सोया अजवाइन मेथी अदरक देना चाहिए। यह जेर गिरने में भी सहायता करता है पशु को ताजा हरा चारा व पानी उसकी इच्छा अनुसार देना चाहिए। Please follow and like us:
गाभिन पशुओं की देखभाल यूं करेंगाभिनपशु अन्य पशुओं के मुकाबले काफी संवेदनशील होते हैं। क्योंकि इनमें कई प्रकार के हारमोनल परिवर्तन होते हैं। गाय गाभिन होने के 9 माह 9 दिन भैंस गाभिन होने के 10 माह 10 दिन में बच्चा देती है। इसलिए पशु के गाभिन होने की तारीख का पता होना जरुरी होता है। लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा पशु विज्ञान विश्वविद्यालय हिसार के पशु चिकित्सा विकृति विज्ञान विभाग के वैज्ञानिक रेनू सिंह, गौरी चंद्रात्रे आद्रय प्रकाश के अनुसार पशु पालकों को कई जरुरी बातों का ध्यान रखना चाहिए। ब्यानेके बाद यूं रखें पशु का ध्यान: ब्यानेके बाद पशु को गुनगुने पानी से भीगे कपड़े द्वारा साफ करें, ब्याने के बाद पशु को कार्बोहाइड्रेटस युक्त चारे खिलाएं। पशु को गेहूं का दलिया, सोंठ, गुड़ अजवायन पकाकर खिलाएं। ब्याने के 10 घंटे तक पशु जेर गिराए तो पशु चिकित्सक से संपर्क करें। जेर को तुरंग गड्ढे में दबा दें। } निषेचन के दो माह बाद पशु के गर्भ की जांच पशु चिकित्सक से करा लें। } प्रथम तीन महीने में भ्रूण का विकास धीरे-धीरे होता है। अत: इन तीन माह में आहार व्यवस्था में ज्यादा परिवर्तन की जरुरत नहीं होती। खनिज लवण प्रोटीन की मात्रा थोड़ी बढ़ा देनी चाहिए। } तीन से छह माह के गाभिन पशु के चारे में प्रोटीन, विटामिन एवं खनिज लवण की मात्रा बढ़ा दें। } गाभिन पशु साफ एवं स्वच्छ वातावरण में रखें एवं उक्त स्थान पर हर रोज सफाई करें। } छह माह के गाभिन पशु को पाचक प्रोटीन, 10 से 12 ग्राम कैल्सियम, 7-8 ग्राम फास्फोरस एवं विटामिन दें। } कैल्शियम की पूर्ति के लिए दाने में कैल्शियम कार्बोनेट मिलाएं। } जिस स्थान पर गाभिन पशु रखा गया हो वहां शांति हो। } गाभिन पशु को बेवजह दौड़ाया जाए, उसे साधारण व्यायाम ही कराएं। } ब्याने के 60 दिन पहले गाभिन पशु का दूध निकालना बंद कर दें। } जहां गाभिन पशु रखा गया हो वहां पशु के खड़े एवं बैठने सही जगह हो पशु घर का फर्श चिकना एवं ढलानदार हो। } गाभिन गाय या भैंस को साधारणतया 25 से 30 किलोग्राम हरा चारा, दो से चार किलोग्राम सूखा चारा, दो से तीन किलोग्राम दाना एवं 50 ग्राम नमक रोज दें। } गाभिन पशु के ब्याने के करीब दो सप्ताह पहले अन्य पशुओं से अलग कर दें। अच्छी गुणवत्ता के शीघ्र पाचक चारों में चोकर अलसी मिलाकर दें। } कई बार गाभिन पशु के ब्याने से पहले दूध उतर जाता है, ऐसे में पशु का दूध निकालें। } गाभिन पशु को गर्मी, सर्दी एवं बरसात से बचाएं। } पशुओं का बिछावन रोज बदलें। डिलीवरी के बाद भैंस को क्या देना चाहिए?ब्याने के 3 से 4 दिन बाद सामान्य दाना जिसमें गेहूं का चोकर, दाल की चुनी व खल देना आरंभ कर सकते हैं। हरा चारा यदि उपलब्ध हो तो आवश्यक रूप से खिलाना चाहिए। लगभग 50 ग्राम नमक भी पशु को देना चाहिए। यदि पशु में पहले के प्रसव में कैल्शियम की कमी देखी गई हो तो कैल्शियम की जेल 3 दिन तक अवश्य पिलाना चाहिए।
भैंस के बच्चे को क्या खिलाना चाहिए?नवजात बच्छे/बच्छियों की मुख्य बीमारियाँ व उनकी रोकथाम. 1.काफ अतिसार(काफ डायरिया व्हायट स्कौर/कोमन स्कौर): ... . 2.पेट में कीड़े (जूने) हो जाना: ... . 3.नाभि का सडना (नेवल इल): ... . निमोनियां: ... . 5.बछड़े/बछडियों का टायफड (साल्मोनेल्लोसिस): ... . 6.मुंह व खुर की बीमारी (फुट एंड माउथ डिजीज):. |