“भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में तृतीयक क्षेत्रक कोई महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभा रहा है।“ क्या आप इससे सहमत हैं? अपने उत्तर के समर्थन में कारण दीजिए। Show मैं इस कथन से पूर्णता सहमत नहीं हूँ कि प्रत्येक क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में कोई महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभा रहा है। में अपने उत्तर के पक्ष में निम्नलिखित कारण दे सकता हूँ: (क) भारत में तृतीयक क्षेत्र या सेवा क्षेत्र कई अलग-अलग प्रकार के लोगों को रोजगार देता है। (ख) प्राथमिक क्षेत्र को पीछे छोड़ते हुए यह क्षेत्र अब भारत का सबसे बड़ा उत्पादन क्षेत्र बन गया है। जी.डी.पी में तृतीयक क्षेत्र का हिस्सा अब 50% से अधिक है। 728 Views सेवा क्षेत्रक में रोजगार में उत्पादन के समान अनुपात में वृद्धि ..........। (हुई है/नहीं हुई है) 1460 Views भारत में .............. संख्या में श्रमिक असंगठित क्षेत्रक में काम कर रहे हैं। (बड़ी/छोटी) 272 Views .............. क्षेत्रक के श्रमिक वस्तुओं का उत्पादन नहीं करते हैं। (तृतीयक/कृषि) 459 Views .............. क्षेत्रक के अधिकांश श्रमिकों को रोज़गार सुरक्षा प्राप्त होती है। (संगठित/असंगठित) 270 Views कपास एक ............. उत्पाद है और कपड़ा एक .............उत्पाद है। (प्राकृतिक/विनिर्मित) 286 Views भारत में तृतीयक क्षेत्र का महत्व बढ़ने का क्या कारण हैं?जैसे कि अधिक-से-अधिक लोगों को बुनियादी सेवाएं प्रदान कराने में लगाया जाता है, इसलिए जी०डी०पी० में तृतीयक क्षेत्रक की भागीदारी बढ़ रही है। <br> (ii) परिवहन तथा संचार के साधनों का विकास-कृषि तथा उद्योगों के विकास के कारण परिवहन, संचार, व्यापार आदि सेवाओं का विकास होता है। ये सभी तृतीयक क्षेत्रक के अंतर्गत आते हैं।
तृतीय क्षेत्र में क्या क्या होता है?तृतीयक क्षेत्र का विकास २०वीं शताब्दी के आरम्भ में शुरू हुआ। इसके अन्तर्गत व्यापार, यातायात, संप्रेषण (कमुनिकेशन्स), वित्त, पर्यटन, सत्कार (हॉस्पितैलिटी), संस्कृति, मनोरंजन, लोक प्रशासन एवं लोक सेवा, सूचना, न्याय, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि आते हैं।
तृतीयक क्षेत्र का दूसरा नाम क्या है?तृतीयक क्षेत्र का दूसरा नाम 'सेवा क्षेत्र' है। यह खुदरा बिक्री, मनोरंजन और वित्तीय संगठनों जैसी सेवाएं प्रदान करता है।
तृतीयक क्षेत्र क्या प्रदान करता है?परिवहन, भण्डारण, संचार, बैंक सेवाएँ और व्यापार तृतीयक गतिविधियों के कुछ उदाहरण हैं। चूँकि ये गतिविधियाँ वस्तुओं के बजाय सेवाओं का सृजन करती हैं, इसलिए तृतीयक क्षेत्रक को सेवा क्षेत्रक भी कहा जाता है। सेवा क्षेत्रक में कुछ ऐसी अपरिहार्य सेवाएँ भी हैं, जो प्रत्यक्ष रूप से वस्तुओं के उत्पादन में सहायता नहीं करती हैं।
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