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भारत से सीटीबीटी पर हस्ताक्षर की अपीलसंयुक्त राष्ट्र के परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि संगठन (सीटीबीटीओ) ने भारत, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया से क्षेत्र में राजनीतिक स्थिरता की खातिर समग्र परीक्षण प्रतिबंध संधि ‘सीटीबीटी’ पर हस्ताक्षर करने...लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM संयुक्त राष्ट्र के परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि संगठन (सीटीबीटीओ) ने भारत, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया से क्षेत्र में राजनीतिक स्थिरता की खातिर समग्र परीक्षण प्रतिबंध संधि ‘सीटीबीटी’ पर हस्ताक्षर करने की अपील की है। गौरतलब है कि इराक ने कल न्यूयार्क में सीटीबीटी पर हस्ताक्षर किए हैं। सीटीबीटीआे तैयारी आयोग के कार्यकारी सचिव तिबोर टोथ ने कहा कि इराक के संधि पर हस्ताक्षर कर देने से सीटीबीटी पर हस्ताक्षर करने वाले देशों की संख्या 17हो गई है। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि जल्द ही यह संख्या 180 पार कर जाएगी। टोथ ने बताया कि 17देशों में से 145 देशों ने ही संधि का अनुमोदन किया है, जबकि इसे लागू करने में अन्य 44 विशिष्ट देशों का अनुमोदन जरुरी है। अमरीका, चीन, ईरान, इजरायल, मिस्र और इण्डोनेशिया को भी सीटीबीटी का अनुमोदन करना बाकी है। जबकि हस्ताक्षर नहीं करने वाले तीन देशों में भारत, पाकिस्तान तथा उत्तर कोरिया हैं। टोथ ने कहा कि यदि अमरीका सीटीबीटी का अनुमोदन कर दे तो चीन सहित अन्य बाकी देशों को भी इसके लिए मनाया जा सकेगा। हालांकि इसका यह मतलब नहीं है कि चीन को अमरीका के अनुमोदन की प्रतीक्षा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह अच्छा होगा कि सभी परमाणुशस्त्र संपन्न देश इस संधि के दायरे में रहे। उन्होंने माना कि इस संधि में विभिन्न स्तरों पर तमाम पेचीदगियां हैं, लेकिन वह आशा करते हैं कि भारत पाकिस्तान और उत्तर कोरिया सीटीबीटी परिवार में शीघ्र ही शामिल हो जाएंगे।
व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (सीटीबीटी) को ही कांप्रेहेन्सिव टेस्ट बैन ट्रीटी कहा जाता है। यह एक ऐसा समझौता है जिसके जरिए परमाणु परीक्षणों को प्रतिबंधित किया गया है। यह संधि 24 सितंबर 1996 को अस्तित्व में आयी। उस समय इस पर ७१ देशों ने हस्ताक्षर किया था। अब तक इस पर १७८ देशों ने हस्ताक्षर कर दिए हैं। भारत और पाकिस्तान ने सीटीबीटी पर अब तक हस्ताक्षर नहीं किया है। इसके तहत परमाणु परीक्षणों को प्रतिबंधित करने के साथ यह प्रावधान भी किया गया है कि सदस्य देश अपने नियंत्रण में आने वाले क्षेत्रें में भी परमाणु परीक्षण को नियंत्रित करेंगे। सीटीबीटी संद्घि में भागीदारी
सन्दर्भ[संपादित करें][[श्रेणी:बीसवीं शताब्दी की संधियां] भारत सीटीबीटी पर हस्ताक्षर करे: जापान
29 दिसंबर 2009 इमेज कैप्शन, जापान चाहता है कि भारत परमाणु अप्रसार पर पहल करे जापान ने उम्मीद जताई है कि भारत जल्द ही व्यापक परमाणु परीक्षण निषेध संधि यानी सीटीबीटी पर हस्ताक्षर कर देगा. तीन दिन की भारत यात्रा पर आए जापान के प्रधानमंत्री युकिओ हातोयामा ने मंगलवार को भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ मुलाक़ात के बाद एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं. हातोयामा ने कहा कि मुझे उम्मीद है, ''अमरीका और चीन के साथ भारत भी जल्द सीटीबीटी पर हस्ताक्षर करेगा और उसे अमल में लाएगा.'' हातोयामा ने कहा कि सीटीबीटी और परमाणु अप्रसार संधि यानी एनपीटी पर भारत के साथ मतभेद बरक़रार हैं. लेकिन भारत ने इस पर अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि पहले अमरीका और चीन को सीटीबीटी पर हस्ताक्षर करना चाहिए. भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा,'' भारत ने परमाणु परीक्षण न करने का एक तरफ़ा फ़ैसला किया है. भारत जापान और समान विचारधारा वाले दूसरे देशों के साथ मिलकर परमाणु निरस्त्रीकरण को बढ़ावा देने के लिए गंभीरता से काम करने का इच्छुक है.'' पाबंदियों में ढीलप्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि भारत जापान के साथ असैनिक परमाणु समझौता चाहता है. इस पर जापानी प्रधानमंत्री ने कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया और केवल इतना कहा कि भविष्य में ये बहुत महत्वपूर्ण एजेंडा बनेगा. भारत की अप्रसार के प्रति ठोस प्रतिबद्धताओं को सराहते हुए हातोयामा ने उच्च प्रौद्योगिकी के कारोबार पर लगी पाबंदियों में ढील देने का वादा किया. भारत जापान संबधों पर नज़र रखने वालों का मानना है कि आर्थिक कारणों से जापान जल्द ही भारत के साथ असैनिक परमाणु समझौता कर लेगा. जापान में भारत के राजदूत रह चुके अर्जुन असरानी ने बीबीसी से बातचीत में कहा,'' जापान की जो आर्थिक स्थिति है जैसे कि सब विकसित देशों की समस्या है, वो नीचे की ओर जा रहे हैं, अब इस हालत में उनकी कंपनियां भारत में आने के लिए काफ़ी रुचि दिखाती हैं तो कब तक उनकी सरकार उन कंपनियों को रोकती रहेंगी. ये उनकी समस्या है, हमारे लिए तो अगर जापान परमाणु तकनीक नहीं देगा तो रूस, फ़्रांस और अमरीका देंगे.'' दोनों प्रधानमंत्रियों ने पश्चिमी मालवाहक गलियारा और दिल्ली मुंबई औद्यौगिक गलियारा परियोजना पर भी दस्तख़त किए. कितने देश सीटीबीटी पर हस्ताक्षर कर चुके हैं?सीटीबीटी को दुनिया भर में काफ़ी समर्थन मिला है, 184 देशों ने इस पर हस्ताक्षर भी कर दिए हैं और 168 देशों ने इसे औपचारिक रूप से मंज़ूरी भी दे दी है.
भारत ने NPT पर हस्ताक्षर कब किए?परिचय: NPT एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है जिसका उद्देश्य परमाणु हथियार और हथियार प्रौद्योगिकी के प्रसार को रोकना, परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देना और निरस्त्रीकरण के लक्ष्य को आगे बढ़ाना है। इस पर वर्ष 1968 में हस्ताक्षर किया गया था और यह वर्ष 1970 से प्रवर्तित हुआ।
सीटीबीटी पर हस्ताक्षर कब हुए?व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (सीटीबीटी) को ही कांप्रेहेन्सिव टेस्ट बैन ट्रीटी कहा जाता है। यह एक ऐसा समझौता है जिसके जरिए परमाणु परीक्षणों को प्रतिबंधित किया गया है। यह संधि 24 सितंबर 1996 को अस्तित्व में आयी। उस समय इस पर ७१ देशों ने हस्ताक्षर किया था।
भारत ने CTBT पर हस्ताक्षर करने से इनकार क्यों किया?भारत का यह मानना है कि इस संधि के बिंदु परमाणु संपन्नता को लेकर देशों के बीच भेदभाव करने वाले हैं। यही वजह है कि भारत ने अभी तक सीटीबीटी पर हस्ताक्षर नहीं किया है।
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