10 Class History Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद Notes in hindi
Class 10 History Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद Notes in hindi. जिसमे हम प्रथम विश्व युद्ध, खिलाफत, असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलन , नमक सत्याग्रह , किसानों, श्रमिकों, आदिवासियों के आंदोलन , विभिन्न राजनीतिक समूहों की गतिविधियां आदि के बारे में पड़ेंगे । Show Class 10 History Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद Notes in hindi📚 अध्याय = 2 📚 ❇️ भारत में राष्ट्रवाद ( समय के अनुसार एक नजर में ) :-
❇️ राष्ट्रवाद का अर्थ :- 🔹 अपने राष्ट्र के प्रति प्रेम की भावना एकता की भावना तथा एक समान चेतना राष्ट्रवाद कहलाती है । यह लोग समान ऐतिहासिक , राजनीतिक तथा सांस्कृतिक विरासत साझा करते है । कई बार लोग विभिन्न भाषाई समूह के हो सकते है ( जैसे भारत ) लेकिन राष्ट्र के प्रति प्रेम उन्हें एक सूत्र में बांधे रखता है । ❇️ राष्ट्रवाद को जन्म देने वाले कारक :-
❇️ भारत में राष्ट्रवाद की भावना पनपने के कारक :-
💠 पहला विश्वयुद्ध , ख़िलाफ़त और असहयोग 💠 ❇️ प्रथम विश्वयुद्ध का भारत पर प्रभाव तथा युद्ध पश्चात परिस्थितियाँ :-
💠 सत्याग्रह का विचार 💠 ❇️ सत्याग्रह का अर्थ :- 🔹 यह सत्य तथा अहिंसा पर आधारित एक नए तरह का जन आंदोलन करने का रास्ता था । ❇️ महात्मा गांधी के सत्याग्रह का अर्थ :- 🔹 सत्याग्रह ने सत्य पर बल दिया । 🔹 गांधीजी का मानना था कि यदि कोई सही मकसद के लिए लड़ रहा हो तो उसे अपने ऊपर अत्याचार करने वाले से लड़ने के लिए ताकत की जरूरत नहीं होती है । अहिंसा के माध्यम से एक सत्याग्रही लड़ाई जीत सकता है । ❇️ महात्मा गाँधी द्वारा भारत में किए गए सत्याग्रह के आरंभ :-
❇️ रॉलट ऐक्ट 1919 :- 🔶 रॉलट ऐक्ट का मुख्य प्रावधान :- 🔹 राजनीतिक कैदियों को बिना मुकदमा चलाए दो साल तक जेल में बंद रखने का प्रावधान । 🔶 रॉलट ऐक्ट का उद्देश्य :- 🔹 भारत में राजनीतिक गतिविधियों का दमन करने के लिए । 🔶 रॉलट ऐक्ट अन्यायपूर्ण क्यों था :-
🔶 रॉलट ऐक्ट के परिणाम :-
❇️ रॉलैट ऐक्ट 1919 ( विस्तार से ) :- 🔹 इंपीरियल लेगिस्लेटिव काउंसिल द्वारा 1919 में रॉलैट ऐक्ट को पारित किया गया था । भारतीय सदस्यों ने इसका समर्थन नहीं किया था , लेकिन फिर भी यह पारित हो गया था । 🔹 इस ऐक्ट ने सरकार को राजनैतिक गतिविधियों को कुचलने के लिए असीम शक्ति प्रदान किये थे । इसके तहत बिना ट्रायल के ही राजनैतिक कैदियों को दो साल तक बंदी बनाया जा सकता था । 🔹 6 अप्रैल 1919 , को रॉलैट ऐक्ट के विरोध में गांधीजी ने राष्ट्रव्यापी आंदोलन की शुरुआत की । हड़ताल के आह्वान को भारी समर्थन प्राप्त हुआ । अलग – अलग शहरों में लोग इसके समर्थन में निकल पड़े , दुकानें बंद हो गईं और रेल कारखानों के मजदूर हड़ताल पर चले गये । 🔹 अंग्रेजी हुकूमत ने राष्ट्रवादियों पर कठोर कदम उठाने का निर्णय लिया । कई स्थानीय नेताओं को बंदी बना लिया गया । महात्मा गांधी को दिल्ली में प्रवेश करने से रोका गया । ❇️ जलियावाला बाग हत्याकांड की घटना :- 🔹 10 अप्रैल 1919 को अमृतसर में पुलिस ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई । इसके कारण लोगों ने जगह – जगह पर सरकारी संस्थानों पर आक्रमण किया । अमृतसर में मार्शल लॉ लागू हो गया और इसकी कमान जेनरल डायर के हाथों में सौंप दी गई । 🔹 जलियांवाला बाग का दुखद नरसंहार 13 अप्रैल को उस दिन हुआ जिस दिन पंजाब में बैसाखी मनाई जा रही थी । ग्रामीणों का एक जत्था जलियांवाला बाग में लगे एक मेले में शरीक होने आया था । यह बाग चारों तरफ से बंद था और निकलने के रास्ते संकीर्ण थे । 🔹 जेनरल डायर ने निकलने के रास्ते बंद करवा दिये और भीड़ पर गोली चलवा दी । इस दुर्घटना में सैंकड़ो लोग मारे गए । सरकार का रवैया बड़ा ही क्रूर था । इससे चारों तरफ हिंसा फैल गई । महात्मा गांधी ने आंदोलन को वापस ले लिया क्योंकि वे हिंसा नहीं चाहते थे । ❇️ जलियावाला बाग हत्याकांड का प्रभाव :-
❇️ आंदोलन के विस्तार की आवश्यकता :- 🔹 रॉलैट सत्याग्रह मुख्यतया शहरों तक ही सीमित था । महात्मा गांधी को लगा कि भारत में आंदोलन का विस्तार होना चाहिए । उनका मानना था कि ऐसा तभी हो सकता है जब हिंदू और मुसलमान एक मंच पर आ जाएँ । ❇️ खिलाफत का मुद्दा :- 🔹 खिलाफत शब्द ‘ खलीफा ‘ से निकला हुआ है जो ऑटोमन तुर्की का सम्राट होने के साथ – साथ इस्लामिक विश्व का आध्यात्मिक नेता भी था । 🔹 प्रथम विश्व युद्ध में तुर्की की हार हुई थी यह अफवाह फैल गई थी कि तुर्की पर एक अपमानजनक संधि थोपी जाएगी । इसलिए खलीफा की तात्कालिक शक्तियों की रक्षा के लिए मार्च 1919 में अली बंधुओं द्वारा बम्बई में एक खिलाफत समिति का गठन किया गया । ❇️ महात्मा गांधी ने क्यों खिलाफत का मुद्दा उठाया :- 🔹 रॉलट सत्याग्रह की असफलता के बाद से ही महात्मा गांधी पूरे भारत में और भी ज्यादा जनाधार वाला आंदालन खड़ा करना चाहते थे । 🔹 उन्हे विश्वास था कि बिना हिंदू और मुस्लिम को एक दूसरे के समीप लाए ऐसा कोई अखिल भारतीय आंदोलन खड़ा नही किया जा सकता इसलिए उन्होने खिलाफत का मुद्दा उठाया । ❇️ हिंद स्वराज :- 🔹 महात्मा गांधी द्वारा लिखित प्रसिद्ध पुस्तक , जिसमें भारत में ब्रिटिश शासन के असहयोग पर जोर दिया गया था । 💠 असहयोग आंदोलन 💠 ❇️ असहयोग क्यों ? 🔹 अपनी प्रसिद्ध पुस्तक स्वराज ( 1909 ) में महात्मा गाँधी ने लिखा कि भारत में अंग्रेजी राज इसलिए स्थापित हो पाया क्योंकि भारतीयों ने उनके साथ सहयोग किया और उसी सहयोग के कारण अंग्रेज हुकूमत करते रहे । यदि भारतीय सहयोग करना बंद कर दें , तो अंग्रेजी राज एक साल के अंदर चरमरा जायेगी और स्वराज आ जायेगा । गाँधीजी को विश्वास था कि यदि भारतीय लोग सहयोग करना बंद करने लगे , तो अंग्रेजों के पास भारत को छोड़कर चले जाने के अलावा और कोई चारा नहीं रहेगा । ❇️ असहयोग आंदोलन के कारण :-
❇️ असहयोग आंदोलन के कुछ प्रस्ताव :-
❇️ असहयोग आंदोल से संबंधित कांग्रेसी अधिवेशन :-
❇️ आंदोलन के भीतर अलग – अलग धाराएँ :- 🔹 असहयोग – खिलाफत आंदोलन की शुरुआत जनवरी 1921 में हुई थी । 🔹 विभिन्न सामाजिक समूहों ने आंदोलन में हिस्सा लिया परंतु प्रत्येक वर्ग की अपनी अपनी आकांक्षाएँ थी । 🔹 सभी के लिए ‘ स्वराज ‘ का अर्थ भिन्न था । 🔹 प्रत्येक सामाजिक समूह ने आंदोलन में भाग लेते हुए ‘ स्वराज ‘ का मतलब एक ऐसा युग लिया जिसमें उनके सभी कष्ट और सारी मुसीबते खत्म हो जाएंगी । ❇️ शहरों में असहयोग आंदोलन का धीमा पड़ना :- 🔹 चक्की के कपड़े की तुलना में खादी का कपड़ा अधिक महंगा था और गरीब लोग इसे खरीद नहीं सकते थे । परिणामस्वरूप वे बहुत लंबे समय तक मिल के कपड़े का बहिष्कार नहीं कर सकते थे । 🔹 वैकल्पिक भारतीय संस्थान वहां नहीं थे जिनका इस्तेमाल अंग्रेजों की जगह किया जा सकता था । ये ऊपर आने के लिए धीमी थीं । 🔹 इसलिए छात्रों और शिक्षकों ने सरकारी स्कूलों में वापस आना शुरू कर दिया और वकील सरकारी अदालतों में काम से जुड़ गए । ❇️ असहयोग आंदोल की समाप्ति :- 🔹 फरवरी 1922 में महात्मा गांधी ने आंदोलन वापस ले लिया क्योंकि चौरी चौरा में हिंसक घटना हो गई थी । ❇️ चौरी चौरा की घटना :- 🔹 फरवरी 1922 में , गांधीजी ने नो टैक्स आंदोलन शुरू करने का फैसला किया । बिना किसी उकसावे के प्रदर्शन में भाग ले रहे लोगों पर पुलिस ने गोलियां चला दीं । लोग अपने गुस्से में हिंसक हो गए और पुलिस स्टेशन पर हमला कर दिया और उसमें आग लगा दी । यह घटना उत्तर प्रदेश के चौरी चौरा में हुई थी । 💠 सविनय अवज्ञा आंदोलन की ओर 💠 ❇️ सविनय अवज्ञा आंदोलन :- 🔹 1921 के अंत आते आते , कई जगहों पर आंदोलन हिंसक होने लगा था । फरवरी 1922 में गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का निर्णय ले लिया । कांग्रेस के कुछ नेता भी जनांदोलन से थक से गए थे और राज्यों के काउंसिल के चुनावों में हिस्सा लेना चाहते थे । राज्य के काउंसिलों का गठन गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ऐक्ट 1919 के तहत हुआ था । कई नेताओं का मानना था सिस्टम का भाग बनकर अंग्रेजी नीतियों विरोध करना भी महत्वपूर्ण था । 🔹 प्रांतीय परिषद चुनाव में हिस्सा लेने को लेकर कांग्रेस के नेताओं मे आपसी मतभेद हुआ । सी . आर दास तथा मोती लाल नेहरू द्वारा ‘ स्वराज पार्टी ‘ ( जनवरी 1923 ) का गठन ताकि प्रांतीय परिषद के चुना में हिस्सा ले सकें । विश्वव्यापी आर्थिक मंदी की वजह से कृषि उत्पाद की कीमतों में भारी गिरावट आई । ग्रामीण इलाकों में भारी उथल पुथल । ❇️ साइमन कमीशन :- 🔹 1927 में ब्रिटेन में साइमन कमिशन का गठन ताकि भारत में सवैधानिक व्यवस्था की कार्यशैली का अध्ययन किया जा सके । 1928 में साइमन कमीशन का भारत आना- पूरे भारत में विरोध प्रदर्शन हुआ । कांग्रेस ने इस आयोग का विरोध किया क्योंकि इसमें एक भी भारतीय शामिल नही था । दिसंबर 1929 में जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन हुआ था । इसमें पूर्ण स्वराज के संकल्प को पारित किया गया । 26 जनवरी 1930 को स्वाधीनता दिवस घोषित किया गया और लोगों से आह्वान किया गया कि वे संपूर्ण स्वाधीनता के लिए संघर्ष करें । ❇️ नमक यात्रा और असहयोग आंदोलन ( 1930 ) :-
❇️ गाँधी इर्विन समझौते की विशेषताएँ :-
❇️ आंदोलन में किसने भाग लिया ? 🔹 देश के विभिन्न हिस्सों में सविनय अवज्ञा आंदोलन लागू हो गया । गांधीजी ने साबरमती आश्रम से दांडी तक अपने अनुयायियों के साथ सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया । 🔹 ग्रामीण इलाकों में , गुजरात के अमीर पाटीदार और उत्तर प्रदेश के जाट आंदोलन में सक्रिय थे । चूंकि अमीर समुदाय व्यापार अवसाद और गिरती कीमतों से बहुत प्रभावित थे , वे सविनय अवज्ञा आंदोलन के उत्साही समर्थक बन गए । 🔹 व्यापारियों और उद्योगपतियों ने आयातित वस्तुओं को खरीदने और बेचने से इनकार करके वित्तीय सहायता देकर आंदोलन का समर्थन किया । 🔹 नागपुर क्षेत्र के औद्योगिक श्रमिक वर्ग ने सविनय अवज्ञा आंदोलन में भी भाग लिया । रेलवे कर्मचारियों , डॉक वर्कर्स , छोटा नागपुर के खनिज आदि ने विरोध रैली और बहिष्कार अभियानों में भाग लिया । ❇️ सविनय अवज्ञा आंदोलन की मुख्य घटनाएं :-
❇️ सविनय अवज्ञा आंदोलन में ब्रिटिश सरकार की प्रतिक्रिया :-
❇️ सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रति लोगों और औपनिवेशिक सरकार ने की प्रतिक्रिया :-
❇️ सविनय अवज्ञा आंदोलन की विशेषताएँ :-
❇️ सविनय अवज्ञा आंदोलन में महिलाओं की भूमिका :-
❇️ सविनय अवज्ञा आंदोलन कैसे असहयोग आंदोलन से अलग था :- 🔹 असहयोग आंदोलन में लक्ष्य ‘ स्वराज ‘ था लेकिन इस बार ‘ पूर्ण स्वराज की मांग थी । 🔹 असहयोग में कानून का उल्लंघन शामिल नही था जबकि इस आंदोलन में कानून तोड़ना शामिल था । ❇️ सविनय अवज्ञा आंदोलन की सीमाएँ :-
❇️ 1932 की पूना संधि के प्रावधान :- 🔹 इससे दमित वर्गों ( जिन्हें बाद में अनुसूचित जाति के नाम से जाना गया ) को प्रांतीय एवं केंद्रीय विधायी परिषदों में आरक्षित सीटें मिल गई हालाँकि उनके लिए मतदान सामान्य निर्वाचन क्षेत्रों में ही होता था । ❇️ सामूहिक अपनेपन का भाव :- 🔹 वे कारक जिन्होने भारतीय लोगों में सामूहिक अपनेपन की भावना को जगाया तथा सभी भारतीय लोगों को एक किया । 🔶 चित्र व प्रतीक :- भारत माता की प्रथम छवि बंकिम चन्द्र द्वारा बनाई गई । इस छवि के माध्यम से राष्ट्र को पहचानने में मदद मिली । 🔶 लोक कथाएँ :- राष्ट्रवादी घूम घूम कर इन लोक कथाओं का संकलन करने लगे ये कथाएँ परंपरागत संस्कृति की सही तस्वीर पेश करती थी तथा अपनी राष्ट्रीय पहचान को ढूढने तथा अतीत में गौरव का भाव पैदा करती थी । 🔶 चिन्ह :- उदाहरण झंडा :- बंगाल में 1905 में स्वदेशी आंदोलन के दौरान सर्वप्रथम एक तिरंगा ( हरा , पीला , लाल ) जिसमें 8 कमल थे । 1921 तक आते आते महात्मा गांधी ने भी सफेद , हरा और लाल रंग का तिरंगा तैयार कर लिया था । 🔶 इतिहास की पुर्नव्याख्या :- बहुत से भारतीय महसूस करने लगे थे कि राष्ट्र के प्रति गर्व का भाव जगाने के लिए भारतीय इतिहास को अलग ढंग से पढ़ाना चाहिए ताकि भारतीय गर्व का अनुभव कर सकें । 🔶 गीत जैसे वंदे मातरम :- 1870 के दशक में बंकिम चन्द्र ने यह गीत लिखा मातृभूमि की स्तुति के रूप में यह गीत बंगाल के स्वदेशी आंदोलन में खूब गाया गया । Legal Notice This is copyrighted content of INNOVATIVE GYAN and meant for Students and individual use only. Mass distribution in any format is strictly prohibited. We are serving Legal Notices and asking for compensation to App, Website, Video, Google Drive, YouTube, Facebook, Telegram Channels etc distributing this content without our permission. If you find similar content anywhere else, mail us at . We will take strict legal action against them. भारत में राष्ट्रवाद क्यों हुआ?भारत में राष्ट्रवाद क्यों हुआ था? समस्त भारत पर ब्रिटिश सरकार का शासन होने से भारत एकता के सूत्र मे बँध गया। इस प्रकार देश में राजनीतिक एकता स्थापित हुई। यातायात के साधनों तथा अंग्रेजी शिक्षा ने इस एकता की नींव को और अधिक ठोस बना दिया जिससे राष्ट्रीय आन्दोलन को बल मिला।
राष्ट्रवाद क्या है कक्षा 10?राष्ट्रवाद का विकास केवल युद्धों और क्षेत्रीय विस्तार से नहीं हुआ। राष्ट्र के विचार के निर्माण में संस्कृति ने एक अहम भूमिका निभाई।
भारत का राष्ट्रवाद क्या है in Hindi?राष्ट्र की परिभाषा एक ऐसे जन समूह के रूप में की जा सकती है जो कि एक भौगोलिक सीमाओं में एक निश्चित देश में रहता हो, समान परम्परा, समान हितों तथा समान भावनाओं से बँधा हो और जिसमें एकता के सूत्र में बाँधने की उत्सुकता तथा समान राजनैतिक महत्त्वाकांक्षाएँ पाई जाती हों।
भारत में राष्ट्रवाद का उदय काल कब हुआ?उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में राष्ट्रीय राजनीतिक चेतना बहुत तेजी से विकसित हुई और भारत में एक संगठित राष्ट्रीय आंदोलन का आरंभ हुआ । दिसंबर 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की नींव पड़ी। आगे चल कर इसी के नेतृत्व में विदेशी शासन से स्वतंत्रता के लिए भारतीयों ने एक लंबा और साहसी संघर्ष किया।
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