भारत में राज्य स्वायत्तता की मांग - bhaarat mein raajy svaayattata kee maang

विषयसूची

  • 1 राज्य की स्वायत्तता क्या है?
  • 2 शिक्षक की स्वायत्तता से आप क्या समझते है?
  • 3 स्वायत्तता और स्वतंत्रता में क्या अंतर है?
  • 4 प्रांतीय स्वायत्तता से क्या तात्पर्य है?
  • 5 राज्य और अधिक स्वायत्तता की मांग क्यों करते हैं?
  • 6 प्रांतीय स्वायत्तता कब लागू हुई?

राज्य की स्वायत्तता क्या है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: इसका तात्पर्य है कि राज्यों को अपने कार्य क्षेत्र में पूर्ण विकास कार्यों को अपनी योजनाओं और विचारों के अनुसार स्वतंत्र एवं निर्वाध रूप से कर सकें। समय-समय पर अनेक राज्यों और राजनीतिक दलों ने केन्द्र से राज्यों को अधिक स्वायत्तता देने की मांग उठायी है।

स्वायत्त जिला परिषद क्या है?

इसे सुनेंरोकेंदीमा हसाओ स्वायत्त जिला परिषद उत्तरी कछार हिल्स स्वायत्त परिषद, दीमा हसाओ जिला (NCHAC) भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के प्रावधानों के तहत गठन की गयी आदीवासी लोगों के विकास और जिले के प्रशासन हेतु गठित की गयी एक स्वायत्त परिषद है। इसका मुख्यालय दीमा हसाओ जिले के हाफ़लांग में स्थित है।

शिक्षक की स्वायत्तता से आप क्या समझते है?

इसे सुनेंरोकेंशिक्षक की स्वायत्तता से तात्पर्य है कि शिक्षकों की पहल को विद्यालय और हितधारकों की जरूरतों के अनुसार आवश्यक पेशेवर क्रियाकलाप करने का अधिकार प्राप्त होता है। 3) शिक्षक स्वायत्तता एक निश्चित सत्ता नहीं है जो कुछ लोगों के पास होती है और कुछ के पास नहीं होती है।

स्वायत्त संस्था क्या है?

इसे सुनेंरोकेंस्वायत्त संस्था का मतलब होता है अपने दैनिक कार्य व्यापार में बाहरी हस्तक्षेप से स्वतंत्रता ताकि संस्था को सुचारु और तीव्र गति से चलाने में बाधा न आए। भारतीय रिज़र्व बैंक और ऐसी ही अनेक शीर्ष संस्थाएं हैं जो किसी अधिनियम के अंतर्गत गठित की गई स्वायत्त हैं।

स्वायत्तता और स्वतंत्रता में क्या अंतर है?

इसे सुनेंरोकेंस्वायत्तता और स्वतंत्रता के बीच इस अंतर को निम्नानुसार समझा जा सकता है। स्वायत्तता स्व-शासित होने की स्थिति है। दूसरी ओर, स्वतंत्रता दूसरे पर निर्भर न होने की स्थिति है। इसकी अवधारणा आजादी तात्पर्य a नियमों और विनियमों की अस्वीकृति लेकिन स्वायत्तता में ऐसा नहीं है।

भारत में राज्य स्वायत्तता की मांग कब शुरू हुई?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: १९८१ में कार्बी आंगलोंग जिला परिषद ने अलग राज्य की मांग के प्रस्ताव को पारित कर इस आंदोलन ने फिर से गति दे दी। इसके बाद १९८६ में स्वायत्त राज्य मांग समिति (एएसडीसी) के नेतृत्व में संविधान के अनुच्छेद २४४(ए) के तहत कार्बी आंगलोंग और दीमा हसाओ क्षेत्रों के लिए स्वायत्त राज्य की मांग की गई।

प्रांतीय स्वायत्तता से क्या तात्पर्य है?

इसे सुनेंरोकेंप्रांतों को स्वायत्तता, पृथक पहचान, विधि बनाने का दायित्व एवं उसको लागू करने का अधिकार दिया गया। प्रांतीय विषयों का संचालन मंत्रियों के द्वारा किया जाता था, जो मुख्यमंत्री के अधीन कार्य करते थे तथा विधानमंडल के प्रति जाबदेह थे। इसके द्वारा एक संघीय न्यायपालिका की स्थापना की गई।

संस्था कौन कौन सी है?

जन लोकपाल जैसी स्वतंत्र संस्था को लेकर आंदोलन जारी है। आइए देखते हैं कि देश में और कौन-कौन सी महत्वपूर्ण स्वायत्त संस्थाएं हैं-

  • योजना आयोग
  • भारतीय चुनाव आयोग
  • संघ लोक सेवा आयोग
  • राष्ट्रीय महिला आयोग
  • केंद्रीय सूचना आयोग
  • राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग
  • भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक
  • राज्य और अधिक स्वायत्तता की मांग क्यों करते हैं?

    इसे सुनेंरोकेंइतने वर्षों तक भारतीय संविधान के कार्य करते रहने के बाद अब यह बात स्पष्ट हो गई है कि केन्द्र तथा राज्यों के बीच संबंध अब बहुत मधुर नहीं रह गए हैं। राज्य अपने लिए अधिकतम स्वायत्तता की मांग करने लगे हैं। भारत सरकार द्वारा केन्द्र-राज्य संबंधों की पुनर्व्याख्या करने के लिए कई आयोग गठित किए जा चुके हैं।

    स्वायत्तता की मांग क्या है?

    इसे सुनेंरोकेंस्वायत्तता किसी विशेष स्थान पर एक प्रकार की संप्रभुता होती हैं जिससे निर्णय लेने में बेहतरी आती हैं। यह किसी राज्य की विकासात्मक अंग भी होती हैं,जो आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।।

    प्रांतीय स्वायत्तता कब लागू हुई?

    इसे सुनेंरोकेंइसमें 321 अनुच्छेद एवं 10 परिशिष्ट थे। इसे 3 जुलाई 1936 को लागू किया।

    भारत सरकार अधिनियम 1935 के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन गलत है?

    इसे सुनेंरोकेंभारत सरकार अधिनियम 1935 में एक अखिल भारतीय महासंघ का प्रस्ताव था जिसमें प्रांतों और रियासतों को इकाइयों के रूप में शामिल किया गया था लेकिन ऐसी संरचना लेकिन संघ कभी अस्तित्व में नहीं आया क्योंकि रियासतें इसमें शामिल नहीं हुईं। इसलिए, 1 विकल्प गलत है।

    भारत में राज्य स्वायत्तता की मांग कब शुरू हुई?

    Answer: १९८१ में कार्बी आंगलोंग जिला परिषद ने अलग राज्य की मांग के प्रस्ताव को पारित कर इस आंदोलन ने फिर से गति दे दी। इसके बाद १९८६ में स्वायत्त राज्य मांग समिति (एएसडीसी) के नेतृत्व में संविधान के अनुच्छेद २४४(ए) के तहत कार्बी आंगलोंग और दीमा हसाओ क्षेत्रों के लिए स्वायत्त राज्य की मांग की गई।

    राज्य की स्वायत्तता की मांग का क्या अर्थ है?

    स्वायत्तता किसी विशेष स्थान पर एक प्रकार की संप्रभुता होती हैं जिससे निर्णय लेने में बेहतरी आती हैं। यह किसी राज्य की विकासात्मक अंग भी होती हैं,जो आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।।

    भारत में राज्य स्वायत्तता क्या है?

    इससे केंद्र और राज्यों के बीच संघर्ष और विवादों का जन्म होता है। केंद्र और राज्य अथवा विभिन्न राज्यों के आपसी कानूनी विवादों का समाधान न्यायपालिका करती है। लेकिन स्वायत्तता की माँग एक राजनीतिक सवाल है जिसे आपसी बातचीत द्वारा ही हल किया जा सकता है

    सामान्य अर्थों में स्वायत्तता क्या है?

    स्वायत्तता परिभाषा : किसी दूसरे के हस्तक्षेप के बगैर व्यक्ति विशेष, संस्था, राज्य का देश के अधिकार क्षेत्र में विषयों और मामलों में स्वतंत्र निर्णय लेना।