हिंदी न्यूज़ बिहारगाड़ी बुला रही है: 9 सालों के बाद बिहार के इस स्टेशन पर बजी रेल की सीटी, इंजन देखने के लिए उमड़ी भीड़ Show
9 सालों के बाद बिहार के सुपौल जिले के प्रतापगंज रेलवे स्टेशन पर बड़ी रेल लाइन की पहली ट्रायल इंजन के पहुंचने पर लोगों में रेल परिचालन की आस जग गई है। सोमवार की दोपहर बड़ी रेल इंजन की सीटी बजते ही लोगों...Malay Ojhaसुपौल हिन्दुस्तान टीमTue, 12 Jan 2021 05:22 PM 9 सालों के बाद बिहार के सुपौल जिले के प्रतापगंज रेलवे स्टेशन पर बड़ी रेल लाइन की पहली ट्रायल इंजन के पहुंचने पर लोगों में रेल परिचालन की आस जग गई है। सोमवार की दोपहर बड़ी रेल इंजन की सीटी बजते ही लोगों की भीड़ स्टेशन पर उमड़ पड़ी। सालों बाद रेलवे स्टेशन पर इंजन को देख लोगों में खुशी का माहौल था। लोगों को अब लगने लगा है कि अब जल्द ही रेल पर चढ़ने का सपना पूरा होगा। रेल परिचालन के लिए उत्सुक लोग एक-दूसरे से पूछते दिख रहे थे कि आखिर कब से रेल का चलना शुरू होगा। पिछले साल ही सहरसा से सरायगढ़-आसन्नपुर और राघोपुर तक बड़ी रेल लाइन की ट्रेनों के परिचालन होने के बाद राघोपुर से फारबिसगंज तक धीमे चल रहे अमान परिवर्तन कार्य में गति देखी गई। स्टेशन पर ट्रायल इंजन पहुंचने से अब लोगों को जल्द ट्रेन परिचालन की आस जगी है। मार्च-अप्रैल तक ललितग्राम तक ट्रेनों का होगा परिचालन बिहार की पहली रेल लाइन का नाम क्या है?बिहार में सबसे पहली ट्रैन कहाँ से कहाँ तक चली थी ? - Quora. मेरे हिसाब से बिहार में पहली ट्रेन भागलपुर में चली थी। । उसके अगले साल ही रेल की पटरी मुंगेर, किऊल , दानापुर होते मुग़लसराय पहुंच गयी और 1866 में हावड़ा (कोलकाता) दिल्ली रेल लाइन को आम जनता के लिए खोल दिया गया।
बिहार में रेलवे की शुरुआत कब हुई थी?बिहार के सबसे पुराने रेलवे स्टेशन की स्थापना 161 वर्ष पहले 1861 में की गई थी.
प्रथम रेल लाइन कौन सी है?दक्षिण में पहली रेल लाइन 1 जुलाई, 1856 को मद्रास रेलवे कंपनी ने चालू की। इस लाइन पर 63 मील की दूरी तय करते हुए वयासरपांडी और वालाजाह रोड (आर्कोट) के बीच पहली रेलगाड़ी चली। उत्तर में 3 मार्च, 1859 को इलाहाबाद से कानपुर से बीच 119 मील की दूरी तक पहली रेल लाइन बिछाई गई।
भारत में पहली रेलवे लाइन कहाँ से कहाँ तक थी?भारत में 16 अप्रैल 1853 को पहली यात्री ट्रेन बोरी बंदर (बॉम्बे) और ठाणे के बीच 34 किमी की दूरी पर चली थी. यह साहिब, सुल्तान और सिंध नामक तीन इंजनों द्वारा संचालित की गई थी.
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