बिहार के पिछड़ेपन का क्या कारण है? - bihaar ke pichhadepan ka kya kaaran hai?

Solution : बिहार भारत का एक ऐसा प्रान्त है जो गंगा के मैदानी भागों में होने के बाबजूद आज आर्थिक रूप से पिछड़ा प्रदेश माना जाता है। वर्तमान परिस्थिति मे बिहार आज कई समस्याओंसे जूझ रहा है। इस आर्थिक पिछड़ेपन के कई प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं - <br> (i) जनसंख्या - बिहार की जलवायु जनसंख्या की वृद्धि को प्रभावित करती है। बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण साधनों पर दबाव बनता चला जा रहा है। फलत: यहाँ आर्थिक बदहाली दृष्टिगत होती है। <br> (ii) कृषि पर निर्भर आर्थिक जीवन - बिहार की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि है। परन्तु जनसंख्या के अनुपात में कृषि व्यवस्था बहुत ही पिछड़ी है। जोतों के बँटवारे के कारण प्रति हेक्टेयर उत्पादन भी कम है जो आर्थिक पिछड़ेपन में सहायक है। <br> (iii) प्राकृतिक आपदा - बिहार के आर्थिक पिछड़ेपन में प्रकृति का भी एक विशेष योगदान है। उत्तरी बिहार की विनाशकारी बाढ़ प्रत्येक वर्ष भारी मात्रा में धन और जन को अपने लपेटे मे ले लेती है जिसका भार सम्पूर्ण बिहार को सहन करना पड़ता है। बाढ़ के बाद उत्पन्न सूखे की समस्या सम्पूर्ण बिहार को अपने चपेट में ले लेती है। <br> (iv) औद्योगिक पिछड़ापन - बिहार में उद्योग का विकास अल्प मात्रा में है जिससे राज्य को आय के साधन प्राप्त नहीं हो पाते हैं, लोगों को रोजगार नहीं मिल पाता है। फलत: पलायन की स्थिति बनी रहती है जिसका असर आर्थिक पिछड़ेपन पर पड़ता है। <br> यद्यपि बिहार के आर्थिक पिछड़ेपन को दूर किया जा सकता है। इसके लिये कई प्रभावकारी कदम उठाने पड़ेंगे जो निम्नलिखित हैं - <br> (i) कृषि तकनीक का विकास - बिहार में कृषि ही जीवन का आधार है। अत:, कृषि की उन्नत व्यवस्था को लागू किया जाना चाहिए। उन्नत तकनीक के कारण प्रति हेक्टेयर उत्पादन में वृद्धि होगी जो आर्थिक पिछड़ेपन को दूर करने में सहायक होगी। <br> (ii) बाढ़ का नियंत्रण - बिहार के विकास में बाढ़ एक बाधकारी तत्त्व है। इस पर नियंत्रण पाकर ही बिहार की आर्थिक बदहाली को दूर किया जा सकता है। इसके लिये सभी नदियों की धारा का एक होना तथ नेपाल सरकार से बातचीत कर उचित कदम उठाया जाना एक निराकरण हो सकता है। <br> (iii) आधारभूत संरचना का विकास - बिहार में कई आधारभूमत संरचनाओं का विकास कर आर्थिक पिछड़ेपन को दूर किया जा सकता है। जैसे-बिजली, सड़क मार्ग, शिक्षा आदि को बढ़ावा देकर आर्थिक पिछड़ेपन को कम किया जा सकता है। <br> (iv) अन्य कारक - आर्थिक पिछड़ेपन के कई अन्य महत्त्वपूर्ण कारक होते हैं। सरकार का स्थायित्व, उद्योगों का विकास, जनसंख्या का नियंत्रण, राज्य में कानून व्यवस्था आदि का सख्ती से पालन किया जाना, राज्य-केन्द्र के बीच एक समन्व्य स्थापित कर बिहार के पिछड़ेपन को दूर किया जा सकता है। इसके अलावे शिक्षा एवं जागरूकता आदि के जरिये भी अभियान चलाकर आर्थिक पिछड़ेपन को दूर किया जा सकता है।

बिहार में आर्थिक पिछड़ेपन का प्रमुख कारण क्या है?

इस आर्थिक पिछड़ेपन के कई प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं - <br> (i) जनसंख्या - बिहार की जलवायु जनसंख्या की वृद्धि को प्रभावित करती है। बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण साधनों पर दबाव बनता चला जा रहा है। फलत: यहाँ आर्थिक बदहाली दृष्टिगत होती है। <br> (ii) कृषि पर निर्भर आर्थिक जीवन - बिहार की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि है।

बिहार के आर्थिक पिछड़ेपन के क्या कारण है बिहार के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए कुछ मुख्य उपाय बताएं?

बिहार के पिछड़ेपन के कारणआर्थिक दृष्टि से बिहार के पिछड़ेपन के कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं । (i) तेजी से बढ़ती जनसंख्या—बिहार में जनसंख्या काफी तेजी से बढ़ रही है। इसके चलते विकास के लिए साधन कम हो रहे हैं। अधिकांश साधन जनसंख्या के भरण-पोषण में चला जाता है ।

बिहार में कृषि के पिछड़ेपन के क्या कारण है?

कृषि में पिछड़ने का पहला कारण है, बिहार में काफी पहले से लंबित भूमि सुधार का ना होना। उन सुधारो में जो सबसे जरूरी सुधार होना है, वह है बिहार में कृषि भूमि का चकबंदी होना। चुकी बिहार में जो कृषि योग्य भूमि है वह काफी छोटे हिस्सो में किसानों के बीच बटी हुई है।

आर्थिक पिछड़ेपन के क्या कारण है?

एलेक्जेंडर ली ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था पिछड़ेपन के कारण अपने आर्थिक संसाधनों का उचित निवेश नहीं कर पाया। इसका मुख्य कारण यहां की सामंती विचारधारा है। उन्होंने कहा कि औपनिवेशिक भारत में राज्यों द्वारा अपनी क्षमताओं का सदुपयोग नहीं करने के कारण आर्थिक विषमताओं में वृद्धि हुई है।