सब्सक्राइब करे youtube चैनल Show भारत में भक्ति आंदोलन के कारण और स्वरूप पर प्रकाश डालें भक्ति आंदोलन के उदय के क्या कारण थे ? भक्ति आंदोलन के उदय के क्या कारण थे भारतीय समाज पर इसका क्या प्रभाव पड़ा? प्रश्न:
एक निडर संत और अन्वेषी के रूप में कबीर का मूल्यांकन कीजिए। भक्ति आंदोलन के प्रमुख कारण क्या थे?भक्ति आंदोलन के उदय के कारण (bhakti aandolan ke uday ke karan). जाति व्यवस्था का जटिल होना मध्यकालीन भारत में जाति व्यवस्था का स्वरूप बहुत जटिल हो चुका था। ... . मुस्लिम अत्याचार इस समय मुस्लिमों शासकों द्वारा हिन्दू पर कभी अत्याचार किया जाता था। ... . इस्लाम का प्रभाव ... . मन्दिर व मूर्तिया का विनाश ... . ब्राह्मणवाद का जटिल होना. भक्ति आंदोलन के प्रमुख संत कौन कौन थे?भक्ति आन्दोलन के प्रमुख सन्त. अलवर (लगभग २री शताब्दी से ८वीं शताब्दी तक; दक्षिण भारत में). नयनार (लगभग ५वीं शताब्दी से १०वी शताब्दी तक; दक्षिण भारत में). आदि शंकराचार्य (788 ई से 820 ई). रामानुज (1017 - 1137). बासव (१२वीं शती). माध्वाचार्य (1238 - 1317). नामदेव (1270 - 1309 ; महाराष्ट्र). भक्ति आंदोलन क्या है इस आंदोलन के किन्हीं दो संतों के नाम लिखिए?नारद, अलवर, नयनार, आदि शंकराचार्य, कुछ प्रमुख संत थे. (1) भक्ति आन्दोलन का आरम्भ दक्षिण भारत में आलवारों एवं नायनारों से हुआ जो कालान्तर में उत्तर भारत सहित सम्पूर्ण दक्षिण एशिया में फैल गया. (2) इस हिन्दू क्रांतिकारी अभियान के नेता शंकराचार्य थे जो एक महान विचारक और जाने-माने दार्शनिक रहे.
भक्ति आंदोलन के प्रमुख संत कौन कौन थे किन्हीं पांच संतो के योगदान की व्याख्या कीजिए?यहां हम सामान्य जागरूकता के लिए भक्ति आंदोलन के संतों और शिक्षकों की सूची दे रहे हैं। शंकराचार्य (788 - 820 ई.) रामानुज (1017-1137 ई.) माधव (1238-1319 ई.). मराठा राजा शिवाजी के समकालीन. विठ्ठल के भक्त. उन्होंने वाराकू संप्रदाय की स्थापना की।. अभंगास में उनकी शिक्षाएं समाहित हैं।. |