अयोध्या काण्ड श्रीगणेशायनमः Show रिधि सिधि संपति नदीं सुहाई। उमगि अवध अंबुधि कहुँ आई।। अस कहि सीय बिकल भइ भारी। बचन बियोगु न सकी सँभारी।। करत प्रबेस मिटे दुख दावा। जनु जोगीं परमारथु पावा।। This entry was posted on सोमवार, जुलाई 24th, 2006 at 7:15 पूर्वाह्न and is filed under 02. अयोध्या काण्ड. You can follow any responses to this entry through the RSS 2.0 feed. You can leave a response, or trackback from your own site. पोस्ट नेविगेशन« Previous Post Next Post »अयोध्या कांड में कितने दोहा हैं?रामायण के सात काण्डों में कथित सर्गों की गणना करने पर सम्पूर्ण रामायण में 645 सर्ग मिलते हैं। सर्गानुसार श्लोकों की संख्या 23,440 आती है, जो 24,000 से 560 श्लोक कम है। अयोध्याकाण्ड वाल्मीकि द्वारा रचित प्रसिद्ध हिन्दू ग्रंथ 'रामायण' और गोस्वामी तुलसीदास कृत 'श्रीरामचरितमानस' का एक भाग (काण्ड या सोपान) है।
रामचरितमानस के कौनसे काण्ड में 314 दोहे हैं?रामचरित मानस (तुलसीकृत रामायण) के 'अयोध्या कांड' में कुल 314 दोहे हैं। ✎... रामचरितमानस जोकि गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित की गई थी। इस काव्य ग्रंथ में कुल 1172 दोहे हैं।
रामायण में दोहा कितने होते हैं?गोस्वामी तुलसीदास ने राममय होकर श्री रामचन्द्र जी के चरित्र का बखूबी से रामचरित मानस में वर्णन किया है। रामचरित मानस में राम शब्द 1443 बार आया है, सीता शब्द 147 बार आया है, इसमें श्लोक संख्या 27 है, मानस में चौपाई संख्या 4608 है, मानस में दोहा 1074 है, मानस में सोरठा संख्या 207 है और मानस में 86 छन्द है।
रामायण की प्रथम चौपाई कौन सी है?रामचरितमानस प्रथम सोपान (बालकाण्ड) : मंगलाचरण वर्णानामर्थसंघानां रसानां छन्दसामपि। मङ्गलानां च कर्त्तारौ वन्दे वाणीविनायकौ।। 1।।
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