अर्जुन के पेड़ की पहचान कैसे करें? - arjun ke ped kee pahachaan kaise karen?

ऐसे बनाएं अर्जुन के पेड़ की छाल का काढ़ा, दिल से लेकर पेट तक को रखता है दुरुस्त

अर्जुन के पेड़ की पहचान कैसे करें? - arjun ke ped kee pahachaan kaise karen?

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युर्वेद में अर्जुन के पेड़ की छाल के काढ़े को कार्डियक टॉनिक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. Image-shutterstock.com

अर्जुन के पेड़ (Arjuna Tree) की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से हार्ट (Heart) हेल्दी रहता है. साथ ही यह इम्यूनिटी (Immunity) को भी मजबूत बनाता है.

  • News18Hindi
  • Last Updated : June 30, 2021, 08:16 IST

    पेड़-पौधे न सिर्फ प्रकृति को फायदा पहुंचाते हैं बल्कि यह इंसानों के लिए भी बहुत लाभदायक होते हैं. कई पेड़ पौधे इंसानों के लिए औषधि (Medicine) का काम करते हैं. इन पेड़-पौधों के विभिन्न अंगों का सेवन करने से शरीर से कई प्रकार की बीमारियां दूर भागती हैं. ऐसा ही एक पेड़ है अर्जुन (Arjuna Tree). इस पेड़ पर लगने वाले फल और इसकी छाल के औषधीय गुण जान लेंगे तो आप हैरान हो जाएंगे. अर्जुन के पेड़ की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से हार्ट हेल्दी रहता है. साथ ही यह इम्यूनिटी को भी मजबूत बनाता है. यह हड्डियों के लिए भी बहुत फायदेमंद है.

    इसका फल खाने से एसिडिटी और गैस की समस्या नहीं होती. अर्जुन की छाल से कफ, पित्त, सर्दी-खांसी और मोटापे की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है. आयुर्वेद में अर्जुन के पेड़ और फल को दिव्य औषधि माना जाता है. आइए जानते हैं इसके फायदे और कैसे करें इसका सेवन.

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    अर्जुन पेड़ की छाल के फायदे
    -आयुर्वेद के अनुसार अर्जुन के पेड़ की छाल से बना काढ़ा पीने से हार्ट हेल्दी रहता है.
    -हृदय और रक्तवाहिनियों में आई शिथिलता को दूर करने के लिए भी यह फायदेमंद है.
    -एसिडिटी की समस्या में अर्जुन का फल फायदेमंद माना जाता है.
    -आयुर्वेद में अर्जुन के पेड़ की छाल के काढ़े को कार्डियक टॉनिक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.
    -पीलिया में इस पेड़ की छाल का चूर्ण बनाकर उसका घी के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है.
    -हड्डियों में दर्द होने पर भी इस पेड़ की छाल का चूर्ण दूध से लेने पर फायदा मिलता है.
    -अर्जुन की छाल से कफ, पित्त, सर्दी-खांसी और मोटापे की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है.

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    ऐसे करें सेवन
    अर्जुन के पेड़ की 10-15 ग्राम छाल को कूटकर उसे 300 ग्राम पानी में मिला लें. जब यह मिश्रण पककर एक चौथाई रह जाए तो इसे छानकर सुबह और शाम इसका सेवन करें. इससे हार्ट हेल्दी रहता है. यह दिल की धड़कनों को कंट्रोल में रखता है और सीने में दर्द में भी राहत मिलती है. कहते हैं कि भारत में अर्जुन के पेड़ का विभिन्न बीमारियों के खिलाफ करीब 3000 साल से भी ज्यादा समय से इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके सेवन से पेट संबंधी बीमारियां भी दूर होती हैं. हालांकि आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह पर ही इसका सेवन करना चाहिए. विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भावस्था, डायबिटीज और सर्जरी होने के तुरंत बाद इसका सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए.(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारी पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)undefined

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    FIRST PUBLISHED : June 30, 2021, 08:16 IST

    मुख्यपृष्ठAyurvedic plantअर्जुन का पेड़ (Arjuna tree) के बारे में औषधीय गुण की जानकारी

     अर्जुन का पेड़ के फायदे एवं जानकारीArjun ka ped ke fayde aor jankari (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});

    अर्जुन का पेड़ का वानस्पतिक या वैज्ञानिक नाम  - टर्मिनेलिया अर्जुनअर्जुन का पेड़ का अंग्रेजी नाम - अर्जुन माइरोबलान 

    अर्जुन का पेड़ भारत भूमि में पाया जाने वाला एक मुख्य औषधीय पौधा है। यह पौधा पूरे भारत में पाया जाता है। यह एक सदाबहार पेड़ है। यह पेड़ साल भर हरा भरा रहता है। इस पेड़ में एक मोटा तना होता है और घनी शाखाएँ होती है। इस पेड़ की पत्तियां लंबी और पत्तियों का ऊपरी सिरा चिकना रहता है। पतियों का निचला सिरा में शिराएँ साफ दिखती है। अर्जुन को स्थानीय भाषा में और भी बहुत सारे नामों में जाना जाता है। अर्जुन को धनंजय, काहू, कोह आदि नाम से भी जाना जाता है। 

    अर्जुन का पेड़ जंगलों में नाले और नदियों के किनारे आसानी से देखा जा सकता है। इसके पेड़ को आप घर के आंगन में भी लगा सकते हैं। अर्जुन का वृक्ष 60 से 80 फुट ऊंचा होता है। अर्जुन के पत्ते लंबे होते हैं। इसके पत्ते अमरूद के आकार के समान होते हैं। अर्जुन का तना सफेद रंग का रहता है और चिकना रहता है। अर्जुन के फल देखने में बहुत ही अलग होते हैं। ग्रीष्म ऋतु में अर्जुन के फल पकते हैं। अर्जुन का पेड़ बहुत ही विशाल है। अर्जुन के फल प्रारंभ में हल्के हरे कलर के रहते हैं। उसके बाद यह फल पक कर काले कलर के हो जाते हैं। अर्जुन के पेड़ की छाल और पत्ते का प्रयोग औषधीय रूप में किया जाता है। 

    अर्जुन के पेड़ की छाल का प्रयोग बहुत सारी दवाइयों में किया जाता है। अर्जुन वृक्ष की तासीर ठंडी रहती है। अर्जुन की छाल का प्रयोग हम प्राकृतिक तरीके से भी कर सकते हैं। इसकी छाल का पाउडर बनाया जा सकता है और इसकी छाल का उपयोग काढ़ा बनाने में भी किया जा सकता है, जिसके द्वारा हम अपने शरीर के बहुत सारे रोगों को ठीक कर सकते हैं। अर्जुन की छाल पेड़ से उतार लेने पर, यह पेड़ में फिर से उग  जाती है। यह 3 साल में दोबारा पेड़ में आ जाती है। आप 3 साल बाद, फिर से पेड़ की छाल को निकाल सकते हैं। अर्जुन की छाल बाहर से सफेद रंग की रहती है। अंदर से चिकनी, मोटी और हल्की गुलाबी रंग की होती है। छाल का स्वाद कसैला, तीखा होता है। अर्जुन के वृक्ष को गोदने पर सफेद रंग का दूध निकलता है। 

    अर्जुन के पेड़ एवं छाल के औषधीय महत्व, गुण और फायदे - Medicinal importance, properties and benefits of Arjun tree and bark

    1. अर्जुन की छाल का मुख्य फायदा हृदय रोगों में किया जाता है। अर्जुन के छाल से बने चूर्ण से हृदय में होने वाली बहुत सारी समस्या दूर होती है। अगर हृदय की गति बढ़ गई हो, तो अर्जुन का छाल प्रयोग किया जा सकता है। सामान्य हृदय की गति 1 मिनट में 72 बार हृदय धड़कता है। मगर हृदय की गति बढ़ जाने से 1 मिनट में ह्रदय 150 से भी ज्यादा बार धड़कता है। इस स्थिति में हम अर्जुन की छाल के पाउडर का प्रयोग कर सकते हैं, जो हमारे हृदय की गति को सामान्य करता है। 
    2. मूत्र विसर्जन के समय अगर दर्द होता है और जलन होती है, तो अर्जुन की छाल के काढ़े का प्रयोग किया जा सकता है, जिससे मूत्र विसर्जन में राहत मिलती है। 
    3. अर्जुन के छाल के पाउडर के प्रयोग से हृदय में सूजन में भी  फायदा मिलता है। 
    4. अर्जुन के पाउडर के प्रयोग से हृदय में दर्द और घबराहट जैसी समस्या भी ठीक हो जाती है। 
    5. अगर आप मुंह में होने वाली समस्याओं से ग्रसित है, तो आप अर्जुन की छाल का प्रयोग कर सकते हैं। आप अर्जुन की छाल का काढ़ा बनाकर कुल्ला कर सकते हैं, जिससे आपकी मुंह के परेशानी समाप्त हो जाती है। मुंह में दांतों दर्द, मसूड़े की समस्या, दांतों में खून आना, कैविटी यह सभी समस्याएं आपकी अर्जुन की छाल के प्रयोग से ठीक हो जाएंगी। 
    6. अर्जुन की छाल का प्रयोग आप पेट की कमजोरी के लिए भी कर सकते हैं। अगर आपके पेट में अपच की समस्या हो, तो आप अर्जुन की छाल का प्रयोग करेंगे। आपकी यह समस्या बहुत आसानी से सुलझ जाएगी। 
    7. मासिक धर्म के समय अर्जुन की छाल का प्रयोग किया जा सकता है। मासिक धर्म के समय यदि अत्याधिक मात्रा में रक्त स्त्राव होता है, तो अर्जुन की छाल का चूर्ण का प्रयोग किया जा सकता है। जिससे मासिक धर्म में अत्यधिक रक्तस्त्राव को रोकने में मदद मिलती है। 
    8. अर्जुन की छाल के चूर्ण का प्रयोग कुष्ठ रोग में भी किया जा सकता है। अर्जुन की छाल को पानी में घिसकर कुष्ठ रोग वाले स्थान पर लगाया जा सकता है और अर्जुन की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से कुष्ठ में लाभ मिलता है। 
    9. अर्जुन की छाल का प्रयोग अल्सर में भी किया जा सकता है। 
    10. अर्जुन की छाल से ब्लड प्रेशर को नियंत्रित किया जा सकता है। 
    11. अर्जुन की छाल के प्रयोग से कोलेस्ट्रॉल कम होता है। 
    12. अर्जुन की छाल का प्रयोग मोटापे के लिए भी किया जाता है। आप अर्जुन की छाल का पाउडर का प्रयोग दैनिक रूप से कर सकते है। आपका मोटापा कम हो जाता है। 
    13. टूटी हड्डियों को जोड़ने में भी अर्जुन की छाल का प्रयोग किया जा सकता है, क्योंकि इसकी छाल में भरपूर मात्रा में कैल्शियम होता है, जो हड्डियों को जोड़ने में मदद करता है। 
    14. मधुमेह की बीमारी में अर्जुन की छाल का प्रयोग किया जा सकता है। मधुमेह की बीमारी में अर्जुन की छाल के प्रयोग से शुगर को कंट्रोल किया जा सकता है। इसमें एंटीबायोटिक गुण पाए जाते हैं, जो ब्लड में शुगर की मात्रा को कंट्रोल करते हैं। इसके लिए अर्जुन की छाल का पाउडर और जामुन की गुठली के पाउडर के बराबर मात्रा लेकर सेवन किया जा सकता है। 
    15. कील मुहांसों को दूर करने में अर्जुन की छाल का प्रयोग किया जा सकता है। अर्जुन की छाल में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जिसके कारण यह पिंपल्स और कील मुहांसों को दूर करने में मदद करता है। अर्जुन की छाल के पाउडर को आप शहद के साथ मिलाकर चेहरे में लगा सकते हैं, जिससे आपका चेहरा में कील मुहासे के दाग धब्बे और कील मुंहासे दूर हो जाएंगे। 
    16. अर्जुन की छाल का प्रयोग बालों के लिए भी किया जा सकता है। अर्जुन की छाल का पाउडर बनाकर, इसको मेहंदी के साथ लगाने पर बाल काले और घने होते हैं। 

    अर्जुन का पेड़ कहां मिलेगा - where to get arjuna tree

    अर्जुन का पेड़ जंगलों में नदी नालों के किनारे देखने के लिए मिल जाता है। अर्जुन का पेड़ सड़कों के किनारे भी देखने के लिए मिलता है। इसका पेड़ आप आसानी से पहचान सकते हैं और इसके छाल, पत्तियां और फल का प्रयोग कर सकते हैं। 

    अर्जुन का पेड़ कैसा लगाया जाता है - how to plant arjuna tree

    अर्जुन के पेड़ को आप, अर्जुन वृक्ष के बीजों के द्वारा और कटिंग के द्वारा लगा सकते हैं। अर्जुन के बीज गर्मी के समय पूरी तरह से परिपक्व होकर गिर जाते हैं। इन बीजों को आप सीधे जमीन में लगा सकते हैं या इन बीजों को नमी में रखकर इन्हें अंकुरित होने दें। उसके बाद आप इन बीजों को जमीन में लगा सकते हैं। 

    इसके अलावा आप अर्जुन की कटिंग करके भी आप अर्जुन का पौधा लगा सकते हैं। इसके लिए आप स्वस्थ डाल का चयन करें और उस डाल की कटिंग कर लें। आप जहां से कटिंग करें। उसके निचले हिस्से को अच्छी तरह से शार्प कटिंग कर ले। डाल की पत्तियों की छटाई कर ले। उसके बाद आप इसे जमीन में लगा दीजिए और पानी डाल दीजिए। आप इसे समय-समय पर पानी देते रहिए और कुछ दिनों बाद इसमें नई टेहनिया निकल जाएगी। इस तरह अर्जुन का पेड़ लगाया जा सकता है। 

    अर्जुन की छाल का उपयोग किस तरह से किया जा सकता है - How can Arjuna bark be used?

    1. अर्जुन की छाल का उपयोग काढ़ा बनाकर किया जा सकता है। 
    2. अर्जुन की छाल का पाउडर बनाकर आप इसका उपयोग कर सकते हैं। 
    3. अर्जुन की छाल कि आप चाय बनाकर पी सकते हैं। 

    गुड़हल का फूलदेसी बबूल नीम का पेड़पलाश के फायदेअपामार्ग का पौधा

    अर्जुन के पौधे की पहचान कैसे करें?

    अर्जुन का पेड़ तकरीबन 70 से 80 फिट लंबा (ऊंचा) होता है। पत्ते अमरुद के पत्तों जैसे 7 से 20 सेण्टीमीटर लंबे आयताकार होते हैं या कहीं-कहीं नुकीले होते हैं। इसमे फल वसंत में ही आते हैं, सफेद या पीले मंजरियों में लगे होते हैं जिनमें हल्की सी सुगंध भी होती है।

    अर्जुन के पेड़ के फल कैसे होते हैं?

    2 से 5 सेण्टी मीटर लंबे ये फल कच्ची अवस्था में हरे-पीले तथा पकने पर भूरे-लाल रंग के हो जाते हैंफलों की गंध अरुचिकर व स्वाद कसौला होता है। फल ही अर्जुन का बीज है। अर्जुन वृक्ष का गोंद स्वच्छ सुनहरा, भूरा व पारदर्शक होता है।

    अर्जुन का पेड़ कौन सा होता है?

    जिनमें से यह है, कि अर्जुन इस पेड़ को स्वर्ग से लाये थे और कुंती इसके फूलों से शिवजी का अभिषेक करती थी।

    अर्जुन के पेड़ के पत्ते खाने से क्या होता है?

    अर्जुन प्रकृति से शीतल, हृदय के लिए हितकारी, कसैला; छोटे-मोटे कटने-छिलने पर, विष, रक्त संबंधी रोग, मेद या मोटापा, प्रमेह या डायबिटीज, व्रण या अल्सर, कफ तथा पित्त कम होता है। अर्जुन से हृदय की मांसपेशियों को बल मिलता है, हृदय की पोषण-क्रिया अच्छी होती है। मांसपेशियों को बल मिलने से हृदय की धड़कन ठीक और सबल होती है।