ऐसे बनाएं अर्जुन के पेड़ की छाल का काढ़ा, दिल से लेकर पेट तक को रखता है दुरुस्त Show
युर्वेद में अर्जुन के पेड़ की छाल के काढ़े को कार्डियक टॉनिक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. Image-shutterstock.comअर्जुन के पेड़ (Arjuna Tree) की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से हार्ट (Heart) हेल्दी रहता है. साथ ही यह इम्यूनिटी (Immunity) को भी मजबूत बनाता है.
पेड़-पौधे न सिर्फ प्रकृति को फायदा पहुंचाते हैं बल्कि यह इंसानों के लिए भी बहुत लाभदायक होते हैं. कई पेड़ पौधे इंसानों के लिए औषधि (Medicine) का काम करते हैं. इन पेड़-पौधों के विभिन्न अंगों का सेवन करने से शरीर से कई प्रकार की बीमारियां दूर भागती हैं. ऐसा ही एक पेड़ है अर्जुन (Arjuna Tree). इस पेड़ पर लगने वाले फल और इसकी छाल के औषधीय गुण जान लेंगे तो आप हैरान हो जाएंगे. अर्जुन के पेड़ की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से हार्ट हेल्दी रहता है. साथ ही यह इम्यूनिटी को भी मजबूत बनाता है. यह हड्डियों के लिए भी बहुत फायदेमंद है. इसका फल खाने से एसिडिटी और गैस की समस्या नहीं होती. अर्जुन की छाल से कफ, पित्त, सर्दी-खांसी और मोटापे की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है. आयुर्वेद में अर्जुन के पेड़ और फल को दिव्य औषधि माना जाता है. आइए जानते हैं इसके फायदे और कैसे करें इसका सेवन. इसे भी पढ़ेंः अस्थमा के रोगी जरूर खाएं ये चीजें, अटैक से बचने के लिए ऐसा रखें अपना डाइट प्लान अर्जुन पेड़ की छाल के फायदे इसे भी पढ़ेंः कोरोना काल में एक कप 'दाल का पानी' ऐसे करेगा आपका बचाव, नहीं होंगी ये समस्याएं ऐसे करें सेवन ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी| Tags: Health, Health tips, Healthy Foods, Lifestyle FIRST PUBLISHED : June 30, 2021, 08:16 IST मुख्यपृष्ठAyurvedic plantअर्जुन का पेड़ (Arjuna tree) के बारे में औषधीय गुण की जानकारी अर्जुन का पेड़ भारत भूमि में पाया जाने वाला एक मुख्य औषधीय पौधा है। यह पौधा पूरे भारत में पाया जाता है। यह एक सदाबहार पेड़ है। यह पेड़ साल भर हरा भरा रहता है। इस पेड़ में एक मोटा तना होता है और घनी शाखाएँ होती
है। इस पेड़ की पत्तियां लंबी और पत्तियों का ऊपरी सिरा चिकना रहता है। पतियों का निचला सिरा में शिराएँ साफ दिखती है। अर्जुन को स्थानीय भाषा में और भी बहुत सारे नामों में जाना जाता है। अर्जुन को धनंजय, काहू, कोह आदि नाम से भी जाना जाता है। अर्जुन का पेड़ जंगलों में नाले और नदियों के किनारे आसानी से देखा जा सकता है। इसके पेड़ को आप घर के आंगन में भी लगा सकते हैं। अर्जुन का वृक्ष 60 से 80 फुट ऊंचा होता है। अर्जुन के पत्ते लंबे होते हैं। इसके पत्ते अमरूद के आकार के समान होते
हैं। अर्जुन का तना सफेद रंग का रहता है और चिकना रहता है। अर्जुन के फल देखने में बहुत ही अलग होते हैं। ग्रीष्म ऋतु में अर्जुन के फल पकते हैं। अर्जुन का पेड़ बहुत ही विशाल है। अर्जुन के फल प्रारंभ में हल्के हरे कलर के रहते हैं। उसके बाद यह फल पक कर काले कलर के हो जाते हैं। अर्जुन के पेड़ की छाल और पत्ते का प्रयोग औषधीय रूप में किया जाता है। अर्जुन के पेड़ की छाल का प्रयोग बहुत सारी दवाइयों में किया जाता है। अर्जुन वृक्ष की तासीर ठंडी रहती है। अर्जुन की छाल का प्रयोग हम
प्राकृतिक तरीके से भी कर सकते हैं। इसकी छाल का पाउडर बनाया जा सकता है और इसकी छाल का उपयोग काढ़ा बनाने में भी किया जा सकता है, जिसके द्वारा हम अपने शरीर के बहुत सारे रोगों को ठीक कर सकते हैं। अर्जुन की छाल पेड़ से उतार लेने पर, यह पेड़ में फिर से उग जाती है। यह 3 साल में दोबारा पेड़ में आ जाती है। आप 3 साल बाद, फिर से पेड़ की छाल को निकाल सकते हैं। अर्जुन की छाल बाहर से सफेद रंग की रहती है। अंदर से चिकनी, मोटी और हल्की गुलाबी रंग की होती है। छाल का स्वाद कसैला, तीखा होता है। अर्जुन के
वृक्ष को गोदने पर सफेद रंग का दूध निकलता है। अर्जुन का पेड़ जंगलों में नदी नालों के किनारे देखने के लिए मिल जाता है। अर्जुन का पेड़ सड़कों के किनारे भी देखने के लिए मिलता है। इसका पेड़ आप आसानी से पहचान सकते हैं और इसके छाल, पत्तियां और फल का
प्रयोग कर सकते हैं। अर्जुन का पेड़ कैसा लगाया जाता है - how to plant arjuna treeअर्जुन के पेड़ को आप, अर्जुन वृक्ष के बीजों के द्वारा और कटिंग के द्वारा लगा सकते हैं। अर्जुन के बीज गर्मी के समय पूरी तरह से परिपक्व होकर गिर जाते हैं। इन बीजों को आप सीधे जमीन में लगा सकते हैं या इन बीजों को नमी में रखकर इन्हें अंकुरित होने दें। उसके बाद आप इन बीजों को जमीन में लगा सकते हैं। इसके अलावा आप अर्जुन की कटिंग करके भी आप अर्जुन का पौधा लगा सकते हैं। इसके लिए आप स्वस्थ डाल का चयन करें और उस डाल की कटिंग कर लें। आप जहां से कटिंग करें। उसके निचले हिस्से को अच्छी तरह से शार्प कटिंग कर ले। डाल की पत्तियों की छटाई कर ले। उसके बाद आप इसे जमीन में लगा दीजिए और पानी डाल दीजिए। आप इसे समय-समय पर पानी देते रहिए और कुछ दिनों बाद इसमें नई टेहनिया निकल जाएगी। इस तरह अर्जुन का पेड़ लगाया जा सकता है। अर्जुन की छाल का उपयोग किस तरह से किया जा सकता है - How can Arjuna bark be used?
गुड़हल का फूलदेसी बबूल नीम का पेड़पलाश के फायदेअपामार्ग का पौधाअर्जुन के पौधे की पहचान कैसे करें?अर्जुन का पेड़ तकरीबन 70 से 80 फिट लंबा (ऊंचा) होता है। पत्ते अमरुद के पत्तों जैसे 7 से 20 सेण्टीमीटर लंबे आयताकार होते हैं या कहीं-कहीं नुकीले होते हैं। इसमे फल वसंत में ही आते हैं, सफेद या पीले मंजरियों में लगे होते हैं जिनमें हल्की सी सुगंध भी होती है।
अर्जुन के पेड़ के फल कैसे होते हैं?2 से 5 सेण्टी मीटर लंबे ये फल कच्ची अवस्था में हरे-पीले तथा पकने पर भूरे-लाल रंग के हो जाते हैं। फलों की गंध अरुचिकर व स्वाद कसौला होता है। फल ही अर्जुन का बीज है। अर्जुन वृक्ष का गोंद स्वच्छ सुनहरा, भूरा व पारदर्शक होता है।
अर्जुन का पेड़ कौन सा होता है?जिनमें से यह है, कि अर्जुन इस पेड़ को स्वर्ग से लाये थे और कुंती इसके फूलों से शिवजी का अभिषेक करती थी।
अर्जुन के पेड़ के पत्ते खाने से क्या होता है?अर्जुन प्रकृति से शीतल, हृदय के लिए हितकारी, कसैला; छोटे-मोटे कटने-छिलने पर, विष, रक्त संबंधी रोग, मेद या मोटापा, प्रमेह या डायबिटीज, व्रण या अल्सर, कफ तथा पित्त कम होता है। अर्जुन से हृदय की मांसपेशियों को बल मिलता है, हृदय की पोषण-क्रिया अच्छी होती है। मांसपेशियों को बल मिलने से हृदय की धड़कन ठीक और सबल होती है।
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