अहिंसा का जीवन में क्या महत्व है - ahinsa ka jeevan mein kya mahatv hai

‘मनुष्य जीवन मेंअहिंसा का महत्त्व’, इस विषय पर अपने विचार लिखिए।

हिंसा क्रूरता और निर्यात की निशानी है। इससे किसी का भला नहीं हो सकता। इस संसार के सभी जीव ईश्वर की संतान हैं और समान हैं। सृष्टि में सबको जीने का अधिकार है। कोई कितना भी शक्तिमान क्यों न हो, किसी को उससे उसका जीवन छीनने का अधिकार नहीं है। जब कोई किसी को जीवन दे नहीं सकता तब वह किसी का जीवन ले भी नहीं सकता। बड़े-बड़े मनुष्य और महापुरुषों ने अहिंसा को ही धर्म कहा है - अहिंसा परमो धर्म। अहिंसा का अस्त्र सबसे बड़ा माना जाता है। राष्ट्रपति महात्मा गांधी ने अहिंसा के बल पर शक्तिशाली अंग्रेज सरकार को झुका दिया था और अंग्रेज सरकार देश को आजाद करने पर विवश हो गई थी। जीवन का मूलमंत्र 'जियो और जीने दो है। किसी के प्रति ईर्ष्या की भावना रखना या किसी का नुकसान करना भी एक प्रकार की हिंसा है। इससे हमें बचना चाहिए।

अहिंसा का जीवन में क्या महत्व?

कोई कितना भी शक्तिमान क्यों न हो, किसी को उससे उसका जीवन छीनने का अधिकार नहीं है। जब कोई किसी को जीवन दे नहीं सकता तब वह किसी का जीवन ले भी नहीं सकता। बड़े-बड़े मनुष्य और महापुरुषों ने अहिंसा को ही धर्म कहा है - अहिंसा परमो धर्म। अहिंसा का अस्त्र सबसे बड़ा माना जाता है।

अहिंसा शब्द का क्या अर्थ है?

अहिंसा का सामान्य अर्थ है 'हिंसा न करना'। इसका व्यापक अर्थ है - किसी भी प्राणी को तन, मन, कर्म, वचन और वाणी से कोई नुकसान न पहुँचाना। मन में किसी का अहित न सोचना, किसी को कटुवाणी आदि के द्वार भी नुकसान न देना तथा कर्म से भी किसी भी अवस्था में, किसी भी प्राणी कि हिंसा न करना, यह अहिंसा है।

अहिंसा के कितने प्रकार होते हैं?

किसी को न सताना और न मारना और प्राणिमात्र को दुख न देना ही अहिंसा है। अहिंसा भी दो प्रकार की होती है-स्थूल और सूक्ष्म।

अहिंसा का दूसरा नाम क्या है?

अहिंसा का दूसरा नाम ही त्याग है। इसी प्रकार हिंसा का दूसरा नाम स्वार्थ है।