शुरू में तो यह भाव-आवेग हमारे वश में होता है, पर समय बीतने पर यह इतना बलशाली हो जाता है कि हम उसके सेवक बन जाते हैं। हमारे समूचे कार्यकलाप ही अहंकार-पूर्ति से प्रेरित होने लगते हैं। अहंकार वह पात्र बन जाता है जो कभी भरने का नाम नहीं लेता। धन, पद-प्रतिष्ठा और यश पाकर भी हम असंतुष्ट-अतृप्त रह जाते हैं। जीवन उस मरुस्थल के समान बन जाता है, जिसमें अहंकार-तृप्ति की प्यास मृगतृष्णा जैसी बन जाती है। अहंकार के बलवती होने से जीवन
जटिल और संघर्षपूर्ण बन जाता है। अहंकार के मद में हम और अधिक गहरे डूबते चले जाते हैं। असंतोष, ईर्ष्या, लोभ, क्रोध अहंकार रूपी रोग के ही लक्षण हैं। अहंकार के चक्रव्यूह को तोड़ पाना आसान नहीं है। उसके लिए सर्वप्रथम मन-प्राण से नम्रता, समर्पण और त्याग की सीढ़ी पर पांव रखना आवश्यक है। चूंकि अहंकार का घर कपाल में छुपे मन-मस्तिष्क में है, शायद इसीलिए हमारे पूर्वजों ने अनेक ऐसे धार्मिक अनुष्ठानों की रचना की जिनमें हमें अपना सिर झुकाना पड़ता है। प्रतीकात्मक दृष्टि से देखें तो नारियल फोड़ना, केश मुंडवाना आदि
सभी अहंकार को चूर करने की निशानी हैं। अहंकार से छुटकारा पाने की अगली सीढ़ी है- मृत्यु-बोध। हम जिस सुंदर शरीर, सांसारिक उपलब्धि और पद-प्रतिष्ठा पर गुमान करते हैं, वे सभी क्षणभंगुर हैं। फिर भी हम उन्हें पाने के लिए गलत काम करने से नहीं चूकते। पर जब हमारे भीतर यह अंतर्ज्ञान जाग जाता है कि मृत्यु ही जीवन यात्रा का अंतिम स्टेशन है तो अहंकार का भाव समर्पण में होम हो जाता है। इसके अलावा हृदय में प्रेम का दीया जलता रहे तो अहंकार के रोग से मुक्ति पाना आसान होता है। प्रेम की लौ से अहंकार का अंधेरा
अपने आप ही छंट जाता है। यदि इस दीपमाला में प्रेम के साथ-साथ समर्पण का दीया भी जल उठे तो अहंकार रोग पास नहीं फटक पाता। मानवता का दिव्य प्रकाश चारों दिशा में अपनी रोशनी फैलाने लगता है। हम अपने भीतर छुपे अहंकार के अंधेरे को जीत लें तो यह संसार अपने आप स्वर्ग सरीखा हो उठेगा। उसमें न कोई छोटा होगा, न कोई बड़ा। न कोई निर्धन होगा, न कोई धनी। न कोई राजा होगा, न कोई रंक! सभी अपनी-अपनी कर्मयात्रा में लीन रहकर ही जीवन का सच्चा सुख भोग सकेंगे। Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म... पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें अहंकार को नियंत्रण करने के लिए लोगों की जिंदगी में सद्गुण होना जरूरी हैहर एक इंसान समझता है कि जो वह कर रहा है, वह सबसे अच्छा है। वह जैसी जिंदगी जी रहा है, उससे अच्छा कुछ नहीं हो सकता। हर एक इंसान समझता है कि जो वह कर रहा है, वह सबसे अच्छा है। वह जैसी जिंदगी जी रहा है, उससे अच्छा कुछ नहीं हो सकता। कई बार हम यह भूल जाते हैं कि सद्गुणों का जिंदगी में होना बहुत जरूरी है। इंसान यह भूल जाता है कि जब उसके अंदर घमंड पैदा हो जाता है तो फिर उसके कदम उसे प्रभु से दूर ले जाते हैं। अनेक बार प्रभु की खोज में लगे हुए लोगों के मन में भी घमंड आ जाता है। हम ऐसी जिंदगी जिएं, जो नम्रता से भरपूर हो। कुछ लोगों को अपने आप पर बड़ा घमंड होता है, उन्हें लगता है कि उनके कारण ही सब कुछ हो रहा है। वे सोचते हैं कि मैं बहुत अच्छा हूं, मैं बहुत पढ़-लिख गया हूं, मैंने बहुत पैसे कमा लिए हैं, मेरा बहुत बोलबाला है। अपने अहंकार को काबू में न रखा जाए तो फिर इंसान सच्चाई की जिंदगी नहीं जी पाता, क्योंकि जहां पर घमंड आ जाता है, वहां पर आदमी बढ़-चढ़कर बातें करना शुरू कर देता है, वह सच्चाई को भी बदल देता है। झूठी चीज को भी ऐसे दिखाएगा जैसे वह सच्ची हो। उसकी जिंदगी सच्चाई से दूर होनी शुरू हो जाती है। इंसान अहंकार में सच्चाई से बहुत दूर चला जाता है। अहंकार के कारण ही इंसान को गुस्सा भी आता है। हम यह न सोचें कि सारे गुण जरूरी नहीं हैं। अधूरे और अनियमित विकास से हम अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच सकते। हमें काम, क्रोध, लोभ, मोह, और अहंकार को काबू में करना है और एक संतुलित व स्थिर जिंदगी जीनी है। वह स्थिरता हमें तब मिलती है जब हम अंदर (अंतस) की दुनिया की ओर कदम उठाते हैं। स्थिरता हमें तब मिलती है, जब हम प्रभु की नजदीकी पाते हैं। इंसान को शांति तब मिलती है, उसकी जिंदगी में हलचल तब कम होती है, जब वह अंतर्मन में प्रभु की ज्योति का अनुभव करता है। सब कुछ हमारे अंदर है, लेकिन इंसान का ध्यान बाहर की ओर है। अगर हम अपना ध्यान अंदर की ओर करेंगे तो हम असलियत को जान जाएंगे। हमारे अंदर आध्यात्मिक जागृति आ जाएगी और हमारे कदम तेजी से प्रभु की ओर उठने शुरू हो जाएंगे। हम सब प्रभु को पा सकते हैं। हमें सिर्फ उन्हें दिल से, आत्मा की गहराई से पुकारना है। हमें अपनी रूह को उड़ान देनी है और अंदर की दुनिया में जाना है। [ संत राजिंदर सिंह जी महाराज ] Edited By: Bhupendra Singh अपने होने का एहसास होना अच्छी बात है। पर उस एहसास का इस हद तक बढ़ जाना कि कुछ और भान ही न रहे, समस्या पैदा करता है। हम यह स्वीकार ही नहीं कर पाते कि हम भी गलत हो सकते हैं। फिर बात-बेबात हम हर चीज का केंद्र खुद को बनाने लगते हैं। अपने अहं की जड़ों को फैलने से रोकना आसान नहीं होता। क्या आपने कभी सोचा है कि कुछ लोग इतने कटु क्यों होते हैं, या बिना किसी कारण आपकी जिंदगी से बाहर क्यों चले जाते हैं? क्या कभी यह सोचा है कि पिछले हजार वर्षों में जितने युद्ध लड़े गए, वे क्यों शुरू हुए? यहां तक कि कुछ युद्ध तो काफी भयानक थे। इनमें न जाने कितनी जिंदगियां खत्म हो गईं। और क्या आपने कभी उन तमाम अपराधों के बारे में सोचा, जो लाखों लोगों की जान ले रहा है? चाहे दांव पर दोस्ती लगे, या युद्ध हो या फिर अपराध, ये सभी एक ही कुख्यात स्रोत से शुरू होते हैं, जो है इगो, यानी हमारा अहंकार। इसे छोड़ना हमारे लिए वाकई बहुत मुश्किल होता है। हमें असलियत में अपने इसी अहंकार से मुक्ति पानी है। मगर इसके लिए सबसे जरूरी यह समझना है कि अहंकार आखिर क्या है? हमें क्यों यह मान लेना चाहिए कि कभी-कभी हम भी गलत हो सकते हैं? अगर आप इन सवालों के जवाब तलाश लेते हैं, तो यकीन मानिए आपका जीवन कहीं ज्यादा सुखद बन जाएगा। अहंकार क्या है. अहंकार, दरअसल एक अपरिपक्व, हाथ-पैर मारने वाला, रोने वाला और तेज चिल्लाने वाला बच्चा है। यह हम सभी के पास है। यह हमसे दूर कहीं नहीं जाता। इससे निपटने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि हम इसे शांत करने की कोशिश करें। ऐसा करना कई धर्मों का मूल तत्व भी रहा है, खासतौर से पूर्वी देशों के दर्शन में। हालांकि कुछ भाग्यशाली लोग ही अहंकार को परे धकेलने जैसी उपलब्धि अर्जित कर पाते हैं। ईमानदारी से कहूं, तो उनकी राह पर चलकर आज के दौर में सफलता अर्जित करना हमारी बुद्धिमता शायद ही कही जाएगी। तब हमें ऐसा जीवन जीना होगा, जिसे जीने के लिए ज्यादातर लोग तैयार नहीं होंगे। इसलिए बेहतर विकल्प यही है कि हम खुद को इस लायक बनाएं कि जब अहंकार बड़ा हो जाए, तो उसे हम खुद महसूस कर सकें और उसे शांत करने की दिशा में संजीदगी से काम करें। हम इस काम में कदम-दर-कदम आगे बढ़ सकते हैं, हालांकि इसके लिए हमें खुद को संजीदा बनाना होगा जिससे हम जान सकें कि अहंकार की वजह क्या है?. कहां-कहां है अहंकार. खुद पर दें ध्यान गलती मानने में हर्ज नहीं mondayviews.com अहंकार कम करने के लिए क्या करना चाहिए?-अपने पास-पडोस या ऑफिस की ऐसी एक्टिविटीज में शामिल हों, जहां आपको टीम भावना के साथ काम करने मौका मिले। -अपने से छोटों (उम्र, पद, सामाजिक या आर्थिक दृष्टि से ) के साथ कभी विनम्र व्यवहार करके देखें। इससे उनके दिल में आपकी इज्जत बढ जाएगी। -आत्मविश्वास बढाने की कोशिश करें।
अहंकार क्या नष्ट करता है?अहंकार से मनुष्य की बुद्धि नष्ट हो जाती है। अहंकार से ज्ञान का नाश हो जाता है। अहंकार होने से मनुष्य के सब काम बिगड़ जाते हैं। जब हम कामयाबी की ओर बढ़ते हैं, तो हमारे साथ अहंकार भी बढ़ता है और जब हम असफल होते हैं, तो अहंकार भी उतरता जाता है।
अहंकार को कैसे तोड़ा जाता है?अहंकार के चक्रव्यूह को तोड़ पाना आसान नहीं है। उसके लिए सर्वप्रथम मन-प्राण से नम्रता, समर्पण और त्याग की सीढ़ी पर पांव रखना आवश्यक है। चूंकि अहंकार का घर कपाल में छुपे मन-मस्तिष्क में है, शायद इसीलिए हमारे पूर्वजों ने अनेक ऐसे धार्मिक अनुष्ठानों की रचना की जिनमें हमें अपना सिर झुकाना पड़ता है।
अहंकार को कैसे नियंत्रित करें?अहंकार को कैसे नियंत्रित किया जाए, इसका रहस्य यह है कि आप अपनी बात सुनने के लिए तैयार रहें। जब आप अपनी बात सुनते हैं, तो आप सीखेंगे कि अहंकार को कैसे नियंत्रित किया जाए। जब आपका आत्म-सम्मान कम होगा तो आपका अहंकार नियंत्रण में होगा। यह एक प्राकृतिक प्रतिक्रिया है और इसे काफी आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।
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