अंग्रेजों की भूमि राजस्व व्यवस्था आज की व्यवस्था से कैसे अलग थी संक्षेप में बताएं - angrejon kee bhoomi raajasv vyavastha aaj kee vyavastha se kaise alag thee sankshep mein bataen

अंग्रेजों की भूमि राजस्व व्यवस्था आज की व्यवस्था से कैसे अलग थी संक्षेप में बताएं - angrejon kee bhoomi raajasv vyavastha aaj kee vyavastha se kaise alag thee sankshep mein bataen

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Published in Journal

Year: May, 2019
Volume: 16 / Issue: 6
Pages: 1310 - 1315 (6)
Publisher: Ignited Minds Journals
Source:
E-ISSN: 2230-7540
DOI:
Published URL: http://ignited.in/I/a/210974
Published On: May, 2019

Article Details

भारत में अंग्रेजों की भू-राजस्व नीतियां अध्ययन | Original Article


अंग्रेजों की भूमि राजस्व व्यवस्था आज की व्यवस्था से कैसे अलग थी संकलन में बातें?

इस व्यवस्था के अंतर्गत जमींदारों को भूमि का स्थायी मालिक बना दिया गया। भूमि पर उनका अधिकार पैतृक एवं हस्तांतरणीय था। जब तक वो एक निश्चित लगान सरकार को देते रहें तब तक उनको भूमि से पृथक् नहीं किया जा सकता था। परंतु किसानों को मात्र रैयतों का नीचा दर्जा दिया गया तथा उनसे भूमि संबंधी अधिकारों को छीन लिया गया।

अंग्रेजों ने नई राजस्व व्यवस्था क्यों शुरू की?

ऐसा करना स्वाभाविक भी था क्योंकि भू - राजस्व ही ऐसा माध्यम था जिससे कम्पनी को अधिकाधिक धन प्राप्त हो सकता था। ईस्ट इंडिया कम्पनी ने अपने आर्थिक व्यय की पूर्ति करने तथा अधिकाधिक धन कमाने के उद्देश्य से भारत की कृषि व्यवस्था में हस्तक्षेप करना प्रारंभ कर दिया तथा कृषि के परम्परागत ढांचे को समाप्त करने का प्रयास किया।

अंग्रेजों द्वारा शुरू की गई भू राजस्व बंदोबस्तों के क्या प्रभाव थे?

इस व्यवस्था से सबसे अधिक हानि किसानों को हुयी। इससे उनके भूमि संबंधी तथा अन्य परम्परागत अधिकार छीन लिये गये तथा वे केवल खेतिहर मजदूर बन कर रह गये। किसानों को जमींदारों के अत्याचारों व शोषण का सामना करना पड़ा तथा वे पूर्णतया जमीदारों की दया पर निर्भर हो गये।

राजस्व व्यवस्था क्या है?

भू-राजस्व की इस व्यवस्था में सरकार ने रैयतों अर्थात किसानों से सीधा बंदोबस्त किया। अब रैयतों को भूमि के मालिकाना हक तथा कब्जादारी अधिकार दे दिये गये तथा वे सीधे या व्यक्तिगत रूप से स्वयं सरकार को लगान अदा करने के लिये उत्तरदायी थे। इस व्यवस्था ने किसानों के भू-स्वामित्व की स्थापना की।