अमेरिका की "इन्टरस्टेट ८०" नामक राजपथ किसी समाज या उद्योग के सुचारु रूप से काम करने के लिये आवश्यक मूलभूत भौतिक एवं संगठनात्मक संरचना को अवसंरचना या आधारिक संरचना (Infrastructure) कहते हैं। दूसरे शब्दों में, अर्थव्यवस्था को काम करने के लिये जिन सेवाओं और सुविधाओं की जरूरत होती है उसे अधोसंरचना कहते हैं। बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
Q1. आधारिक संरचना की व्याख्या कीजिए। Q2. आधारिक संरचना को विभाजित करने वाले दो वर्गों की व्याख्या कीजिए। दोनों एक-दूसरे पर कैसे निर्भर हैं? Q3. आधारिक संरचना उत्पादन का संवर्द्धन कैसे करती है? Q4. किसी देश के आर्थिक विकास में आधारिक संरचना योगदान देती है। क्या आप सहमत हैं? कारण बताइए। Q5. भारत में ग्रामीण आधारिक संरचना की क्या स्थिति है? Q6. ऊर्जा का महत्त्व क्या है? ऊर्जा के व्यावसायिक और गैर-व्यावसायिक स्रोतों में अंतर कीजिए। Q7. विद्युत के उत्पादन के तीन बुनियादी स्रोत कौन-से हैं? Q8. संचारण और वितरण हानि से आप क्या समझते हैं? उन्हें कैसे कम किया जा सकता है? Q9. ऊर्जा के विभिन्न गैर-व्यावसायिक स्रोत क्या हैं? Q10. इस कथन को सही सिद्ध कीजिए कि ऊर्जा के पुनर्नवीनीकृत स्रोतों के इस्तेमाल से ऊर्जा संकट दूर किया जा सकता है। Q11. पिछले वर्षों के दौरान ऊर्जा के उपभोग प्रतिमानों में कैसे परिवर्तन आया है? Q12. ऊर्जा के उपभोग और आर्थिक संवृद्धि की दरें कैसे परस्पर संबंधित हैं? आर्थिक विकास Q13. भारत में विद्युत क्षेत्रक किन समस्याओं का सामना कर रहा है? Q14. भारत में ऊर्जा संकटे से निपटने के लिए किए गए उपायों पर चर्चा कीजिए। Q15. हमारे देश की जनता के स्वास्थ्य की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं? Q16. रोग वैश्विक भार (GDB) क्या है? Q17. हमारी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की प्रमुख कमियाँ क्या हैं? Q18. महिलाओं का स्वास्थ्य गहरी चिंता का विषय कैसे बन गया है? Q19. सार्वजनिक स्वास्थ्य का अर्थ बतलाइए। राज्य द्वारा रोगों पर नियंत्रण के लिए उठाए गए प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों को बताइए। Q20. भारतीय चिकित्सा की छह प्रणालियों में भेद कीजिए। Q21. हम स्वास्थ्य सुविधा कार्यक्रमों की प्रभावशीलता कैसे बढ़ा सकते हैं? UP Board Solutions for Class 11 Economics Indian Economic Development Chapter 8 Infrastructure (आधारिक संरचना) पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. 2. आर्थिक आधारित संरचना– आर्थिक आधारित संरचना से अभिप्राय आर्थिक परिवर्तन के उन सभी तत्त्वों (जैसे शक्ति, परिवहन तथा संचार) से है जो आर्थिक संवृद्धि की प्रक्रिया के लिए एक आधारशिला का कार्य करते हैं। इस प्रकार की संरचना उत्पादन पर सीधा प्रभाव डालती है। शक्ति, ऊर्जा, परिवहन एवं दूरसंचार आदि को आर्थिक आधारिक संरचना में सम्मिलित किया जाता है। आर्थिक आधारिक संरचना संवृद्धि की प्रक्रिया में वृद्धि लाती है जबकि सामाजिक आधारिक संरचना मानव विकास की प्रक्रिया में वृद्धि लाती है इसीलिए आर्थिक तथा सामाजिक आधारिक संरचना एक-दूसरे की पूरक हैं। दोनों एक-दूसरे के प्रभाव को प्रबल बनाती हैं एवं सहायता प्रदान करती हैं। प्रश्न
3. प्रश्न 4.
प्रश्न 5. प्रश्न 6. ऊर्जा का महत्त्व आर्थिक आधारित संरचना का बहुत अधिक महत्त्वपूर्ण संघटक ऊर्जा है। किसी राष्ट्र की विकास प्रक्रिया में ऊर्जा का एक महत्त्वपूर्ण स्थान है, साथ ही यह उद्योगों के लिए भी अनिवार्य है। आज ऊर्जा का कृषि और उससे सम्बन्धित क्षेत्रों जैसे खाद, कीटनाशक और कृषि उपकरणों के उत्पादन और यातायात; में उपयोग भारी स्तर पर हो रही है। इस प्रकार प्रत्येक गतिविधि को सम्पन्न करने हेतु ऊर्जा आवश्यक है। ऊर्जा के उपभोग स्तर से सामाजिक एवं आर्थिक संवृद्धि निर्धारित होती है।
प्रश्न 7.
प्रश्न 8.
प्रश्न 9. प्रश्न 10.
स्पष्ट है कि इन संसाधनों के अधिकाधिक उत्पादन एवं प्रयोग से हम ऊर्जा संकट को समाप्त कर सकते हैं। परन्तु आधुनिक तकनीक के अभाव में, इनकी पर्याप्त उपलब्धता के बावजूद हम इनका व्यापक उपभोग नहीं कर पा रहे हैं। अतः ऊर्जा संकट से छुटकारा पाने के लिए इस ओर अधिकाधिक प्रयास करने की आवश्यकता है। प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. 1. विभिन्न पॉवर स्टेशनों द्वारा जनित बिजली का पूरा उपभोग उपभोक्ता नहीं करते। इस वित्तीय घाटे को कम करने के लिए सरकार निजी व विदेशी क्षेत्रक को विद्युत उत्पादन व वितरण में सहभागिता बढ़ाने को प्रोत्साहित कर रही है। उपर्युक्त समस्याओं के अतिरिक्त भारत में बिजली से जुड़ी कुछ और समस्याएँ निम्नलिखित हैं
प्रश्न 14. ऊर्जा संकट से बचाव के उपाय इस संकट से बचने के लिए निम्नलिखित सुधार किए गए हैं
प्रश्न 15.
प्रश्न 16. प्रश्न 17. 1. यद्यपि देश की 72 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है परन्तु ग्रामीण जनसंख्या की तुलना में शहरी जनसंख्या को अधिक स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं। प्रश्न 18. प्रश्न 19.
रोगों के नियन्त्रण सम्बन्धी कार्यक्रम राज्य द्वारा रोगों को नियन्त्रित करने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए गए हैं 1. मलेरिया
नियन्त्रण-यह मलेरिया जैसी संक्रामक बीमारी के विरुद्ध विश्व का सबसे बड़ा स्वास्थ्य कार्यक्रम है। प्रश्न 20. 1. आयुर्वेद। प्रश्न 21. 1. स्वास्थ्य क्षेत्र में सरकारी व्यय सकल घरेलू उत्पाद का मात्र 5 प्रतिशत है। यह अन्य देशों
के मुकाबले
काफी कम है। स्वास्थ्य सुविधा कार्यक्रमों की सफलता के लिए सरकार को स्वास्थ्य व्यय बढ़ाना चाहिए।
परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर बहुविकल्पीय प्रश्न प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. अतिलघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न
2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न
11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15.
प्रश्न 16.
प्रश्न 17. प्रश्न 18. प्रश्न 19. प्रश्न 20. प्रश्न 21. प्रश्न 22. प्रश्न 23. प्रश्न 24. लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न
1.
2. आर्थिक आधारिक संरचना– आर्थिक आधारिक संरचनाएँ वे सुविधाएँ तथा सेवाएँ हैं, जो उत्पादन तथा वितरण की प्रणाली को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती हैं। ये सेवाएँ बाहर स्थित न होकर उत्पादन एवं वितरण की प्रणाली के अन्दर ही स्थित होती हैं। ये अर्थव्यवस्था के लिए एक दूसरा सहयोगी ढाँचा प्रदान करती हैं। आर्थिक आधारिक संरचना के मुख्य घटक निम्नलिखित हैं
प्रश्न 2.
प्रश्न 3.
प्रश्न 4. जलवाष्प समाप्त हो गई तथा वह कोयले में परिणत हो गई। कोयला जितने समय तक भू-गर्भ में दबा रहता है, उतना ही उत्तम और कार्बनयुक्त होता जाता है। इस प्रकार खनिज तेल तथा प्राकृतिक गैस की उत्पत्ति भी भू-गर्भ में दबी हुई वनस्पति तथा जलजीवों के रासायनिक परिवर्तनों के कारण हुई आसवन क्रिया का परिणाम है। भू-गर्भ से निकलने के कारण इनमें अनेक अशुद्धियाँ मिली होती हैं, अत: उपभोग करने से पूर्व इन्हें परिष्करणशालाओं में रासायनिक क्रियाओं द्वारा साफ किया जाता है। जीवाश्मीय ईंधन के अवगुण कोयला, खनिज तेल तथा प्राकृतिक गैस के दो विशेष अवगुण इस प्रकार हैं
प्रश्न 5. भारत में परमाणु ऊर्जा का महत्त्व भारत में परमाणु ऊर्जा के महत्त्व को निम्नलिखित तथ्यों द्वारा व्यक्त किया जा सकता है
प्रश्न 6.
प्रश्न 7.
प्रश्न 8. ऊर्जा के परम्परागत तथा गैर-परम्परागत साधनों की तुलना प्रश्न 9.
प्रश्न 10. भारत में स्वास्थ्य सेवाएँ स्वास्थ्य सेवाएँ सामाजिक आधारिक संरचना का एक महत्त्वपूर्ण घटक है। अच्छा स्वास्थ्य लोगों को अधिक कार्य कुशल बनाता है। इसके लिए एक उपयुक्त स्वास्थ्य ढाँचे का होना आवश्यक है। इस ढाँचे का निर्माण करते समय हमारे पास दो विकल्प होते हैं-
प्रश्न 11. प्रश्न 12. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. आधारिक संरचना से आशय किसी अर्थव्यवस्था में उत्पादन करने के लिए अनेक वस्तुओं तथा सेवाओं की आवश्यकता पड़ती है। ये वस्तुएँ तथा सेवाएँ ही आधारिक संरचना (Infrastructure) कहलाती हैं। दूसरे शब्दों में—“आधारिक संरचना के अन्तर्गत ने वस्तुएँ, सुविधाएँ तथा सेवाएँ सम्मिलित की जाती हैं जो आर्थिक क्रियाओं को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से अपना योगदान प्रदान करती हैं।” उत्पादन उत्पत्ति के साधनों के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है अर्थात् उत्पादक को उत्पादन क्रिया के लिए विभिन्न उपादानों की आवश्यकता पड़ती है; उदाहरण के लिए उत्पादन के लिए सर्वप्रथम भूमि चाहिए, फिर पूँजी चाहिए जिससे हल, ट्रैक्टर, मशीनें व औजार क्रय किए जा सकें; कार्य करने के लिए श्रमिक चाहिए, उत्पादन व्यवस्था के प्रबन्धक चाहिए और उत्पादन कार्य में निहित जोखिम वहन करने के लिए उद्यमी। केवल इन साधनों की समुचित उपलब्धि ही पर्याप्त नहीं है, अपितु उत्पादित वस्तुओं को उपभोक्ता क्षेत्रों तक पहुँचाने के लिए परिवहन, परिवहन के साधन-टूक, रेलगाड़ी आदि चाहिए। पत्र-व्यवहार व अद्यतन सूचनाओं के लिए संचार के साधन (डाक, तार व टेलीफोन आदि) चाहिए। धन सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बैंक व वित्तीय संस्थाएँ चाहिए। अनिश्चितता और जोखिमों के भार को वहन करने के लिए बीमा कम्पनियाँ चाहिए। वस्तुओं की बिक्री को बढ़ाने के लिए विज्ञापन के साधन भी महत्त्वपूर्ण हैं। संक्षेप में, वस्तुओं के उत्पादन व वितरण के लिए दो चीजें चाहिए-1. वस्तु व 2. सेवाएँ। आधारिक संरचना से आशय उन सेवाओं से है जिनका वस्तु के उत्पादन व वितरण के दौरान प्रयोग होता है जैसे कच्चा माल व निर्मित उत्पादों को लाने व ले जाने के लिए परिवहन सेवाएँ अथवा उत्पादित वस्तुओं की बिक्री बढ़ाने के लिए विज्ञापन सेवाएँ। ये सेवाएँ उत्पादन व वितरण प्रक्रिया में सहायता पहुँचाती हैं और वस्तुओं के मूल्य में भी वृद्धि करती हैं, इसलिए इन्हें ‘उत्पादक सेवाएँ’ कहा जाता है। कुछ ऐसी सेवाएँ होती हैं जिन्हें हम एक वस्तु की तरह खरीदते हैं तथा उनका प्रयोग करते हैं। जब हम एक सेवा वस्तु की भाँति खरीदते हैं जैसे यात्रियों द्वारा परिवहन के साधनों का प्रयोग, मरीजों द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अस्पतालों एवं चिकित्सालयों का उपयोग तो वह उपभोक्ता सेवा कहलाती है। उपर्युक्त दोनों ही प्रकार की सेवाएँ प्रदान करने के लिए कुछ सुविधाओं (जैसे सड़कें, बस, विद्यालय, अस्पताल आदि) का निर्माण करना आवश्यक होता है। ये अर्थव्यवस्था के पूँजी ढाँचे का उसी प्रकार से एक भाग होती हैं जिस प्रकार से वस्तुओं का उत्पादन करने वाली फैक्ट्रियाँ और मशीनें तथा खेत पर आधारित उद्योगों का विस्तार होता है और नए-नए उद्योगों की स्थापना होती है। इसके फलस्वरूप उत्पादन में वृद्धि होती है, राष्ट्रीय आय एवं प्रति व्यक्ति आय बढ़ती है, उपभोग स्तर एवं जीवन-स्तर में वृद्धि होती है तथा निर्धनता एवं बेरोजगारी जैसी समस्याओं का समाधान होता है। इस प्रकार आधारित संरचना का विकास देश के आर्थिक विकास में सहायक होता है। प्रश्न 3.
1. कोयला 2. पेट्रोलियम 1. असम तेल क्षेत्र— (क) डिगबोई तेल क्षेत्र, 2. गुजरात तेल क्षेत्र— (क) अंकलेश्वर तेल क्षेत्र, 3. अरब सागर-अपतटीय तेल क्षेत्र- (क) बॉम्बे हाई तेल क्षेत्र तथा 4. अन्य तेल क्षेत्र- राजस्थान, हिमाचल प्रदेश तथा अरुणाचल प्रदेश। 3. प्राकृतिक गैस
प्रश्न 4. 1. पवन ऊर्जा- नौ-परिवहन पवन और प्रवाहित जल का उपयोग प्राचीनकाल से होता चला आ रहा है। प्राचीनकाल में अनाज (आटा) पीसने के लिए पवनचक्कियों का उपयोग किया जाता था। भू-गर्भ से जल खींचने में भी पवनचक्कियों का प्रचलन था। वास्तव में, ऊर्जा के ये ऐसे संसाधन हैं। जिनको बार-बार नवीनीकरण किया जा सकता है। अन्य संसाधनों की अपेक्षा इनसे ऊर्जा प्राप्त करने में व्यय कम करना पड़ता है। ऐसा अनुमान लगाया गया है कि पवन के उपयोग से 200 मेगावाट तक विद्युत शक्ति उत्पन्न की जा सकती है। 2. ज्वारीय ऊर्जा– भारत की समुद्री सीमा लगभग 6,100 किमी लम्बी है। तटीय क्षेत्रों में ज्वार-भाटे की प्रक्रिया द्वारा ज्वारीय ऊर्जा का उत्पादन सुगमता से किया जा सकता है। यदि ज्वार-भाटे के समय किसी संयन्त्र के माध्यम से ऊर्जा प्राप्त कर ली जाए तो प्राप्त ऊर्जा शक्ति का उत्पादन बहुत ही सस्ता पड़ता है। यह ऊर्जा का अक्षय संसाधन है। भारत में कच्छ एवं खम्भात की खाड़ियाँ ज्वारीय ऊर्जा के उत्पादन में ओदर्श दशाएँ प्रस्तुत करती हैं, क्योंकि यहाँ सँकरी खाड़ियों में ज्वारीय जल बहुत-ही तीव्रता से ऊपर उठता है।। 3. भू-तापीय ऊर्जा- भूताषीय ऊर्जा केवल उन्हीं क्षेत्रों में सम्भव है जहाँ गर्म जल के स्रोत उपलब्ध हैं। वास्तव में गर्म जल के स्रोत ज्वालामुखी क्षेत्रों में ही उपलब्ध हो सकते हैं। भारत इस संसाधन में धनी नहीं है। हिमाचल प्रदेश में मणिकरण नामक गर्म जल स्रोत से ऊर्जा प्राप्ति के प्रयास चल रहे हैं। 4. जैव पदार्थों से प्राप्त ऊर्जा- बंजर भूमि तथा कृषि अयोग्य अपरदित भूमि का उपयोग वृक्षारोपण के लिए किया जा सकता है। इन पर ऐसे वृक्ष रोपे जा सकते हैं जिनकी वृद्धि शीघ्र हो सके तथा उनमें तापजन्य गुण भी हों। इनसे ईंधन की लकड़ी, काष्ठ कोयला और शक्ति प्राप्त की जा सकती है। भारत में इन वृक्षों का उपयोग करके लगभग 1.5 मेगावाट शक्ति का उत्पादन किया जाता है। 5. अपशिष्टों से प्राप्त ऊर्जा- बड़े-बड़े नगरों एवं महानगरों में लाखों टन कूड़ा-कचरा एकत्र होता है, जिसका उपयोग ऊर्जा उत्पादन में किया जा सकता है। दिल्ली महागनर में ठोस पदार्थों के रूप में प्राप्त कूड़े-कचरे से ऊर्जा प्राप्त करने के लिए परीक्षण के रूप में एक संयन्त्र कार्यशील है। जिससे प्रतिवर्ष 4 मेगावाट ऊर्जा का उत्पादन किया जा रहा है। इससे प्रोत्साहित होकर अन्य नगरों एवं महानगरों में ऐसे संयन्त्रों की स्थापना के प्रयास किए जा रहे हैं। 6. कृषि अपशिष्टों से प्राप्त ऊर्जा– वर्तमान में भारत में चीनी मिलों से भारी मात्रा में खोई (बैगास) की प्राप्ति होती है। अतः गन्ने के पेराई मौसम में इस खोई से 2000 मेगावाट विद्युत शक्ति का उत्पादन किया जा सकता है। कृषि, पशुओं तथा मानव के अपशिष्टों द्वारा उत्पादित ऊर्जा ग्रामीण क्षेत्रों की ऊर्जा आवश्यकता में प्रयुक्त की जा सकती है। इस दिशा में बायो गैस संयन्त्रों का संचालन महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। 7. सौर ऊर्जा- सूर्य ऊर्जा का अक्षय स्रोत है। इससे विपुल मात्रा में अनवरत रूप से ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। वास्तव में, सौर ऊर्जा भविष्य के लिए ऊर्जा का सबसे महत्त्वपूर्ण संसाधन सिद्ध हो सकता है क्योंकि ऊर्जा संसाधन जैसे कोयला एवं खनिज तेल आदि; जीवाश्मीय ईधन कभी भी पूर्ण रूप से समाप्त हो सकते हैं। परन्तु ब्रह्माण्ड में जब तक सूर्य विद्यमान रहेगा, उससे भारी मात्रा में सौर ऊर्जा प्राप्त की जाती रहेगी। इस प्रकार उपर्युक्त ऊर्जा संसाधनों की विशेषताओं का ध्यान में रखते हुए नि:सन्देह कहा जा सकता है कि हमारा भविष्य ऊर्जा के लिए इन्हीं गैर-परम्परागत ऊर्जा संसाधनों पर निर्भर रहेगा। ऊर्जा के गैर-परम्परागत साधनों का महत्त्व अधुनिक समय में, गैर परम्परागत ऊर्जा संसाधनों के महत्त्व को निम्नलिखित रूपों में व्यक्त किया जा सकता है 1. सौर ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, पवन ऊर्जा, बायो ऊर्जा (कूड़-कचरा, मल-मूत्र एवं गोबर आदि से निर्मित) ऊर्जा के प्रमुख गैर-परम्परागत संसाधन हैं। We hope the UP Board Solutions for Class 11 Economics Indian Economic Development Chapter 8 Infrastructure (आधारिक संरचना) help you. आधारिक संरचना से क्या अभिप्राय है इसके दो प्रकार कौन से?उत्तर : आधारिक संरचना को दो श्रेणियों में बाँटा जाता है-सामाजिक और आर्थिक। ऊर्जा, परिवहन और संचार आर्थिक श्रेणी में आते हैं जबकि शिक्षा, स्वास्थ्य और आवास सामाजिक आधारिक संरचना की श्रेणी में आते हैं। ये दोनों संरचनाएँ एक दूसरे पर अन्योन्याश्रित हैं।
आधारिक संरचना से क्या तात्पर्य है इसकी विशेषता बताइए?किसी समाज या उद्योग के सुचारु रूप से काम करने के लिये आवश्यक मूलभूत भौतिक एवं संगठनात्मक संरचना को अवसंरचना या आधारिक संरचना (Infrastructure) कहते हैं। दूसरे शब्दों में, अर्थव्यवस्था को काम करने के लिये जिन सेवाओं और सुविधाओं की जरूरत होती है उसे अधोसंरचना कहते हैं।
आधारभूत संरचना कितने प्रकार की होती है?यह स्पष्ट है कि यदि आधारिक संरचना की ओर उचित ध्यान नहीं दिया गया, तो इससे आर्थिक विकास में गंभीर रुकावटें आएँगी। इस अध्याय में हमारा ध्यान दो प्रकार की आधारिक संरचनाओं की ओर होगा, जिनका संबंध ऊर्जा और स्वास्थ्य से है।
आर्थिक संरचना से क्या आशय है?Solution : आर्थिक आधारभूत संरचना का तात्पर्य है, वह सुविधा और सेवा जो किसी देश के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इसके अंतर्गत देश में उपस्थित सेवाएँ यथा ऊर्जा, परिवहन, दूरसंचार, बैंकिंग प्रणाली इत्यादि आती हैं। किसी देश की आर्थिक उन्नति इनके विकास पर ही निर्भर करती है।
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