आंखों और सिर में दर्द क्यों होता है - aankhon aur sir mein dard kyon hota hai

पिछले कई दिनों से सिर दर्द से परेशान हैं तो आंखों की जांच करवाएं। अक्सर सिर दर्द का कारण दृष्टिदोष से जुड़ा भी हो सकता है।

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दृष्टिदोष, आंख की मांसपेशियों की कमजोरी, लेटकर और कम रोशनी में पढ़ना या काम करना, ज्यादा टीवी देखना या कंप्यूटर विजन सिंड्रोम इत्यादि सिरदर्द के सामान्य कारणों में से एक है।

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-आंखों की जांच करवाने पर यदि दृष्टिदोष पाया जाता है तो आपको सही नंबर का चश्मा या कांटेक्ट लेंस पहनना शुरू कर देना चाहिए। ऐसा न करने पर सिर दर्द की समस्या बनी रह सकती है।

-आंख की मांसपेशियों की कमजोरी के कारण भी सिर दर्द हो सकता है। ऐसा आंखों के लगातार काफी समय तक एक ही फोकस पर कार्य करने के कारण होता है। इसमें पास की वस्तु से दूर की वस्तु पर और दूर की वस्तु से पास की वस्तु पर देखने (फोकस बदलने) में दिक्कत महसूस होती है। इस स्थिति में कुछ देर के लिए आंख बन्द करने पर आराम मिलता है।

इसमें किसी वस्तु जैसे पेन, कलम आदि की नोक पर लगातार देखते हुए पेन या कलम को धीरे-धीरे आंख के पास लाते है और फिर हाथ से धीरे-2 पेन या कलम को उसकी नोक को देखते हुऐ दूर ले जाते है। जब तक आंख पर जोर न पड़ने लगे या दो न दिखाई पडने लगे इस प्रक्रिया को दोहराएं। ऐसा पन्द्रह से बीस बार, दिन में दो से तीन बार करने से आंखों को फायदा मिलता है।

इसे कन्वरजैन्स एक्सरसाइज भी कहते हैं। इसके अलावा सायनेप्टोफोर नामक यन्त्र पर भी एक्सरसाइज की जाती है। साथ में विटामिन-ए युक्त भोजन का प्रयोग भी करना चाहिए। ऐसा करने से आंख की मांसपेशियों की कमजोरी से होने वाले सिर दर्द की समस्या से काफी राहत मिल जाती है।

-कम रोशनी में या लेटकर पढ़ने की आदत भी आंखों की सेहत के लिए हानिकारक है। इससे भी बाद में सिर दर्द रहने लगता है। यह लाइफ स्टाइल से संबंधित समस्या है, जिसका निदान सिर्फ आप खुद ही कर सकते हैं।

लगातार कई घंटों तक टी.वी देखना भी सिर दर्द का कारण हो सकता है। टी.वी देखते समय ध्यान रखें कि कमरे में प्रकाश उचित मात्रा में हो, टी.वी ज्यादा पास से नहीं देखना चाहिए और बीच-2 में आंखों को आराम देने के लिए कुछ समय के लिए टी.वी बंद कर देना चाहिए।

ध्यान रखें कि कमरे की खिड़की का प्रतिबिम्ब और लाइट सोर्स का रिफ्लेक्शन टी.वी स्क्रीन पर न पड़ने पाए। इन सब बातों का ध्यान रखकर टी.वी देखने से होने वाले सिर दर्द से बचा जा सकता है।

-कम्प्यूटर विजन सिन्ड्रोम आजकल सिर में भारीपन और दर्द का एक प्रमुख कारण है। हर दिन लगातार घंटों कम्पयूटर पर कार्य करने वाले व्यक्ति में कम्पयूटर विजन सिन्ड्रोम के लक्षण देखने को मिल जाते हैं। कम्पयूटर विजन सिन्ड्रोम के कारण होने वाले सिर दर्द से बचाव के लिए जरूरी  है कि जिस कमरें में कम्प्यूटर हो उसमें उचित प्रकाश होना चाहिए। प्रकाश व्यक्ति के पीछे से होना चाहिए, सामने से नहीं।

कम्प्यूटर स्क्रीन के प्रकाश एवं कमरे के प्रकाश की मात्रा लगभग बराबर होनी चाहिए। एन्टीग्लेयर (चौंध रहित) चश्मा पहनें और कंप्यूटर स्क्रीन पर भी एंटीग्लेयर परत होनी चाहिए। कंप्यूटर स्क्रीन व्यक्ति की आंख के स्तर से 15 से 20 डिग्री नीचे की तरफ होनी चाहिए। कंप्यूटर स्क्रीन और आंख के बीच लगभग 25 इंच की दूरी होनी चाहिए। कंप्यूटर पर काम करते वक्त आंख की पलकों को थोड़े-थोड़े समय बाद झपकाते रहना चाहिए।

हर आधा घंटे के बाद 10 से 15 सेकेंड के लिए कंप्यूटर स्क्रीन से नजर हटाकर किसी दूर की वस्तु को देखना चाहिए और हर एक घंटे बाद पांच से दस मिनट के लिए आराम करना चाहिए। हाथ, पैर, गर्दन और कन्धे को इधर-उधर घुमाना चाहिए। इसे स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज कहते हैं। कंप्यूटर पर काम करने वाले व्यक्ति को दूध, हरी सब्जी, मौसमी फल और जूस प्रचुर मात्रा में लेने चाहिए।

इन सब बातों का ध्यान रखकर काफी हद तक आंख की समस्या से होने वाले सिर दर्द से बचा जा सकता है।

सिर में दर्द, वजह आंखें तो नहीं!

बलिया : क्या आपके सिर में प्राय: दर्द रहता है, लिखने-पढ़ने में तकलीफ होती है, टीवी देखते समय आंखों से पानी आता है, आंखों में प्राय: जलन या सूखापन रहता है, आपका बच्चा अपनी किताब आंख के काफी करीब लाकर पढ़ता है..। अगर हां तो आपको सचेत हो जाने की जरूरत है। इसमें थोड़ी सी भी लापरवाही खतरनाक हो सकती है। जनपद के वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ व कैलाश नेत्रालय के चिकित्सक डॉ.केके तिवारी कहते हैं कि सिर में दर्द का एक अहम कारण आंखों की रोशन का कम होना भी हो सकता है। आंखों की मांसपेशियों की कमजोरी भी सिर दर्द का सबब बन सकती है। इसके अतिरिक्त यदि आंखों का अंत:दबाव बढ़ जाए तो यह स्थिति ग्लूकोमा की ओर इशारा करती है। इसमें सिर में तेज दर्द के साथ ही उल्टी महसूस होती है। इसमें आंखों की रोशनी भी कम हो जाती है। उपचार में लापरवाही से आंख कर रोशनी हमेशा के लिए जा सकती है। 'जागरण' से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि सिर में हल्का दर्द, आंख में भारीपन के साथ कम दिखाई पड़ना, आंख का लाल हो जाना आदि छोटी पुतली में सूजन का प्रतीक है। अगर सिर में बहुत तेज दर्द के साथ उल्टी महसूस हो तो इसकी वजह मस्तिष्क का ट्यूमर हो सकता है। इन परिस्थितियों में मरीज को अविलंब किसी योग्य चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। उन्होंने बताया कि कभी-कभी आधे सिर में दर्द के साथ उल्टी या उल्टी जैसा मन होने पर माइग्रेन की शिकायत हो सकती है। इसका दूसरा कारण अंत:पुतली में सूजन भी हो सकता है। यदि मरीज मधुमेह या रक्तचाप से प्रभावित है तो उसे अपनी आंख के पर्दे (रेटिना) की जांच नियमित अंतराल पर कराते रहना चाहिए। बच्चों की आंख की पहली नियमित जांच पांच साल की उम्र से पहले करवा लेना चाहिए ताकि सुस्त आंख की समस्या से उसे बचाया जा सके। दूसरी नियमित जांच 40 वर्ष की आयु के आस-पास हर हाल में करा लेनी चाहिए। श्री तिवारी के अनुसार कंप्यूटर पर काम करते समय पलकों को नियमित रूप से झपकाएं और हर आधे घंटे बाद स्क्रीन से नजर हटा लेनी चाहिए। इसके साथ ही कंप्यूटर पर एंटीग्लेयर स्क्रीन का इस्तेमाल कर विजन सिंड्रोम से बचा जा सकता है।

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आंख और सिर में दर्द हो तो क्या करना चाहिए?

आइये जानते हैं सिर और आंखों के दर्द को कैसे दूर करें..
1- तेल मालिश- सिर में दर्द हो या आंखों में दर्द हो, सबसे ज्यादा आराम मालिश से पड़ता है. ... .
2- भरपूर नींद लें- कई बार नींद पूरी नहीं होने पर भी सिर में दर्द होने लगता है. ... .
3- मेडिटेशन- दिमाग को तनाव मुक्त बनाने और सिर दर्द को दूर भगाने के लिए आप मेडिटेशन जरूर करें..

आंखों में भारीपन क्यों होता है?

शुगर के लगातार बढ़ते और ब्लड प्रेशर के कारण आंखों पर दबाव बढ़ता है। जिससे भारीपन महसूस होता है और यही भारीपन ग्लूकोमा यानी काला मोतिया बन जाता है। अगर इसका समय रहते इलाज न कराया जाए तो व्यक्ति अंधेपन का शिकार हो जाता है। ऑप्टिकल कोहेरेंस टोमोग्राफी (ओसीटी) टेस्ट कराकर ग्लूकोमा का समय रहते पता लगाया जा सकता है।

आंखों में दर्द होने का कारण क्या है?

किसी बड़ी परेशानी या टेंशन से ऐसा दर्द हो सकता है. कई बार नींद की कमी, सर्दी जुकाम या फ्लू से भी इस तरह का दर्द हो सकता है. 2- आई इंफेक्शन- कई बार आंख में किसी तरह का इंफेक्शन होने पर भी आंख और आईब्रो में दर्द हो जाता है. हालांकि इसके कई और कारण भी हो सकते हैं जैसे साइनस या किसी तरह का इनफेक्शन होना.

माइग्रेन की जांच कैसे होती है?

माइग्रेन के रोग-निदान के लिये कोई विशिष्ट जांच नहीं है। ठीक रोग-निदान करने के लिये, आपके डॉक्टर को बार-बार होने वाले संबन्धित लक्षणों के साथ सिरदर्दों के पैटर्न की पहचान करनी चाहिये। माइग्रेन अप्रत्याशित हो सकते हैं एवं ये कभी-कभी बिना अन्य लक्षणों के भी हो सकते हैं। कभी-कभी ठीक रोग-निदान में कुछ समय लग सकता है।