1905 से पहले रूस में सामाजिक स्थिति क्या थी? - 1905 se pahale roos mein saamaajik sthiti kya thee?

19वीं शताब्दी में लगभग समस्त यूरोप में महत्त्वपूर्ण सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन हुए थे। इनमें कई देश गणराज्य थे, तो कई संवैधानिक राजतंत्र। सामंती व्यवस्था समाप्त हो चुकी थी और सामंतों का स्थान नए मध्य वर्ग ने ले लिया था। परन्तु रूस अभी भी ‘पुरानी दुनिया में जी  रहा था। यह बात रूस की सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक दशा से स्पष्ट हो जाएगी –
1. 1905 ई. से पूर्व रूस की सामाजिक और आर्थिक स्थिति-
(i) किसानों की शोचनीय स्थिति- रूस में किसानों की स्थिति अत्यन्त शोचनीय थी। वहाँ कृषि-दास प्रथा अवश्य समाप्त हो चुकी थी, लेकिन किसानों की दशा में कोई सुधार नहीं हुआ था। उनकी कृषि जोतें बहुत ही छोटी थीं और खेती को विकसित तरीके से करने के लिए उनके पास पूँजी का अभाव था। इन छोटी-छोटी जोतों को पाने के लिए भी उन्हें अनेक दशकों तक मुक्ति कर के रूप में बड़ी कीमत चुकानी पड़ती थी।
(ii) श्रमिकों की हीन दशा- औद्योगिक क्रांति के कारण रूस में बड़े-बड़े पूँजीपतियों ने अधिक मुनाफा कमाने की इच्छा से मजदूरों का शोषण करना आरम्भ कर दिया। वे उन्हें कम वेतन देते थे तथा कारखानों में उनके साथ बुरा व्यवहार करते थे। यहाँ तक कि बच्चों व स्त्रियों के जीवन से भी खिलवाड़ करने में वे कभी नहीं चूकते थे। ऐसी अवस्था से बचने के लिए मजदूर एक होने लगे। किन्तु 1900 ई. में इन पर हड़ताल करने व संघ बनाने पर भी रोक लगा दी गई। उन्हें न तो कोई राजनीतिक अधिकार प्राप्त थे और न ही उन्हें सुधारों की कोई आशा थी। ऐसे समय में उनके पास मरने अथवा मारने के अलावा और कोई चारा नहीं था।
यूरोप के देशों की तुलना में रूस में औद्योगीकरण बहुत देर से शुरू हुआ। इसीलिए वहाँ के लोग बहुत पिछड़े हुए थे। रूस में उद्योग-धन्धे लगाने के लिए पूँजी का अभाव होने के कारण विदेशी पूँजीपति रूस के धन को लूटकर स्वदेश पहुँचाते रहे। सन् 1904 मजदूरों के लिए बहुत बुरा था। आवश्यक वस्तुओं के दाम बहुत बढ़ गए। मजदूरी 20 प्रतिशत घट गयी। कामगार संगठनों की सदस्यता शुल्क नाटकीय तरीके से बढ़ जाता था।
2. रूस की राजनीतिक स्थिति-रूस की राजनीतिक स्थिति 1905 ई. से पूर्व अत्यन्त चिंताजनक थी। रूस में जार का निरंकुश शासन था जिसमें जनता ‘पुरानी दुनिया की तरह रह रही थी क्योंकि वहाँ पर अभी तक यूरोप के अन्य देशों की भाँति आर्थिक, सामाजिक व राजनीतिक परिवर्तन नहीं हो रहे थे। रूस के किसान, श्रमिक और जनसाधारण की हालत बड़ी खराब थी। रूस में औद्योगीकरण देरी से हुआ।  सारा समाज विषमताओं से पीड़ित था। राज्य जनता को कोई अधिकार देने को तैयार नहीं था क्योंकि वह दैवी सिद्धान्त में विश्वास रखता था। जार और उसकी पत्नी बुद्धिहीन और भोग-विलासी थे। वह जनता पर दमनपूर्ण शासन रखना चाहता था।

Que : 306. रुस के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक हालात 1905 से पहले कैसे थे?

Answer:

उत्तर. रुस के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक हालात 1905 से पहले जनसाधारण के लिये बुरे थे। 5 ई. से पहले रुस के ग्रामीण क्षेत्रों में समाज मजदूरों, अभिजात वर्ग और चर्च के बीच बंटा हुआ था। अभिजात वर्ग व चर्च के सदस्यों के बीच विशाल भूमि खण्ड थे। शहरों में समाज मालिकों और नौकरों में विभाजित था। श्रमिक अपने कौशल के अनुसार समूहों में बंटे हुए थे।
रुसी साम्राज्य की लगभग 85 प्रतिशत जनसंख्या आजीविका के लिये खेती पर निर्भर थी। शहरों में कारखानों के मजदूरों को कम मजदूरी दी जाती थी जो सामाजिक जीवन निर्वाह हेतु पर्याप्त नहीं थी। कारखानों से प्राप्त लाभ पूर्ण रुपेण मालिकों की संपत्ति होता था।
मजदूरों, भूमिहीन, कृषकों व महिलाओं को रुस के शासन में भाग लेने को कोई अधिकार नहीं था। अर्थात् रुस एक निरंकुश राजशाही था।

 

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1905 से पहले रूस की सामाजिक स्थिति क्या थी?

सन १९०५ में रूसी साम्राज्य के एक विशाल भाग में राजनीति एवं सामाजिक जनान्दोलन हुए जिन्हें १९०५ की रूसी क्रान्ति कहते हैं। यह क्रान्ति कुछ सीमा तक सरकार के विरुद्ध थी और कुछ सीमा तक दिशाहीन। श्रमिकों ने हड़ताल किये, किसान आन्दोलित हो उठे, सेना में विद्रोह हुआ।

1905 से पहले रूस में सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक स्थिति में क्या थीं?

रूस के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक हालात 1905 से पहले कैसे थे ? उत्तर : रूस के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक हालात 1905 से पहले जनसाधारण के लिए बहुत बुरे थे। बीसवीं सदी के प्रारंभ में 85 प्रतिशत रूसी कृषक थे। फ्रांस तथा जर्मनी में अनुपात 40 प्रतिशत से 50 प्रतिशत था।

1950 से पहले रूस की सामाजिक स्थिति क्या थी?

रूसी क्रांति.

रूस के सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक हालात 1956 से पहले कैसे थे?

रूस में हुई 1917 की समाजवादी क्रांति के बाद अस्तित्व में आया। यह क्रांति पूँजीवादी व्यवस्था के विरोध में हुई थी और समाजवाद के आदर्शों और समतामूलक समाज की ज़रूरत से प्रेरित थी ।