लोकोक्तियाँ किसी भाषा समूह के लोगों की पारस्परिक घटनाओं का परिणाम होती हैं। इनसे किसी न किसी कहानी का जुड़ाव होता है। कालांतर में ये लोगों द्वारा प्रचलित होती हैं और इनका क्षेत्रीय विस्तार होता है। लोकोक्तियाँ समाज का भाषाई इतिहास होती हैं। लोकोक्तियों को कहावतें भी कहते हैं। Show
लोकोक्तियां और मुहावरों में अंतर –मुहावरालोकोक्तियाँमुहावरे अपना कोशगत/शाब्दिक अर्थ छोड़कर नया अर्थ देते हैं।लोकोक्तियाँ विशेष अर्थ देती हैं, परन्तु उनका कोशगत अर्थ भी बना रहता है।मुहावरों के अंत में क्रियापद का होना पाया जाता है।इनके अंत में क्रियापद का होना अनिवार्य नहीं।मुहावरा एक वाक्यांश होता है जिसका लिंग, वचन व क्रियापद कारक के अनुसार बदलता रहता है।लोकोक्तियाँ स्वयं ही स्वतन्त्र वाक्य होती हैं। प्रयोग के बाद भी इनमे कोई फर्क नहीं आता।मुहावरों के अंत में अधिकतर ‘ना’ आता है।लोकोक्तियों में ऐसा नहीं होता।इसमें उद्देश्य व विधेय का पूर्ण विधान नहीं होता। इसका अर्थ वाक्य में प्रयोग होने के बाद ही पता चलता है।इसमें उद्देश्य व विधेय का पूर्ण विधान होता है। इनका अर्थ भी स्पष्ट होता है।मुहावरों और लोकोक्तियों में समानता :-
कुछ प्रमुख लोकोक्तियाँ या कहावतें –
इस लेख में हम हिंदी की लोकोक्तियाँ (Lokoktiyan in Hindi) के बारे में बता रहे हैं. विश्व की अन्य भाषाओं की तरह ही हिंदी भाषा में भी लोकोक्तियों का बहुत प्रचलन है. दरअसल, किसी भी समाज में लोकोक्तियाँ अलिखित क़ानून की तरह होती हैं. लोकोक्ति किसे कहते हैं | Lokoktiyan Kise Kahate Hainलोकोक्ति शब्द ‘लोक’ और ‘उक्ति’ शब्दों के मेल से बना है। लोक में चिरकाल से प्रचलित कथन को लोकोक्ति कहते हैं। लोकोक्ति का संबंध किसी घटित घटना से होता है। Today we are going to add 100+ Lokoktiyan in Hindi with Meaning and Sentence. हिंदी लोकोक्तियाँ अर्थ और वाक्य में प्रयोग। Learn all top 10 to 20 Lokoktiyan in Hindi with meaning and sentence. Now you can answer all Lokoktiyan in Hindi after reading. Most of you will get confused with Muhavare and Lokoktiyan in Hindi. Learn Muhavare in Hindi with meaning and sentence Lokoktiyan in Hindi with Meaning and Sentenceलोकोक्तियों का वाक्य प्रयोग/ Lokoktiyan in Hindi – लोकोक्ति का प्रयोग अपने कथन को पुष्ट करने या प्रभावक्षम बनाने के लिए होता है। ये स्वयं में पूरा वाक्य होती हैं। अत: इनका वाक्य-प्रयोग किसी सामान्य कथन के बाद होता है। ये अन्य किसी वाक्य की सहचरी बनकर प्रयुक्त होती हैं। अलग वाक्य होते हुए भी ये इस तरह अभिन्न रूप से पूर्व वाक्य से जुड़ी रहती हैं कि इनके बीच अनिवार्य और घनिष्ठ संबंध होता है। यथा – लोकोक्ति प्रयोग Lokoktiyan in Hindi एक अनार सौ बीमार (एक वस्तु के असंख्य चाहने वाले) हिंदी की कुछ प्रसिद्ध लोकोक्तियाँ तथा उनके प्रयोग इस प्रकार हैं। Let’s start with lokoktiyan in Hindi with meaning and sentence. 10 Lokoktiyan in Hindi with meaning 1. अंत भले का भला (अच्छे काम का परिणाम अच्छा होता है) 2. अंधा क्या चाहे दो आँखें (आदमी मनवाँछित वस्तु पाने को उत्सुक रहता है) 3. अंधों में काना राजा (मूख के बीच अल्पबुद्धि भी समझदार माने जाते हैं) 4. अंधा बाँटे रेवड़ी, फिर-फिर अपनों को दे (न्यायरहित आदमी अपने ही लोगों को लाभ पहुँचाता है) 5. अंधी पीसे कुत्ता खाए (कमाए कोई, खाए कोई) 6. अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता (अकेला आदमी बड़े काम नहीं कर सकता) 7. अकेली मछली सारा तालाब गंदा कर देती है (दुष्ट आदमी समूचे वातावरण को दूषित कर देता है) 8. अधजल गगरी छलकत जाय (थोड़ा ज्ञान या कम धन रखने वाले अधिक घमंड करते हैं) 9. अपना पैसा खोटा हो तो परखने वाले का क्या दोष (अपना आदमी बुरा हो तो बुरा कहने वालों का कोई दोष नहीं) 10. अपनी-अपनी ढपली, अपना-अपना राग (सबका अलग मत) 20 Lokoktiyan in Hindi with meaning and sentence 11. अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत (अवसर चूकने के बाद पछताने का कोई लाभ नहीं) 12. अशर्फ़ियाँ लुटें कोयले पर मोहर (बड़े-बड़े खचों पर ध्यान न देना, छोटे खर्चे में कंजूसी दिखाना) 13. आए थे हरिभजन को ओटन लगे कपास (आवश्यक कार्य छोड़कर अनावश्यक कार्य में उलझ जाना) 14. आगे कुआँ पीछे खाई (सब ओर विपत्ति का होना) 15. आप भला तो जग भला (अच्छे को सभी अच्छे लगते हैं) 16. आम के आम गुठली के दाम (दोहरा लाभ) 17. आमों की कमाई नींबू में गंवाई (एक वस्तु में होने वाला लाभ दूसरी वस्तु में हुई हानि में नष्ट हो जाना) 18. आसमान से गिरा खजूर में अटका (एक विपत्ति से हटे, दूसरी में फँसे) 19. ऊँची दुकान फीका पकवान (दिखावा अधिक वास्तविकता कम) 20. उलटा चोर कोतवाल को डाँटे (अपराधी का निर्दोष पर हावी होना) 21. एक अनार सौ बीमार (एक वस्तु के ग्राहक अनेक) 22. एक तो करेला कडुआ, दूसरे नीम चढ़ा (स्वाभाविक दोषों का किसी अन्य कारण से और अधिक बढ़ जाना) 23. एक तो चोरी, दुसरे सीना-जोरी (अपराधी होने के बावजूद अकड़ दिखाना) 24. एक म्यान में दो तलवारें नहीं समा सकतीं (एक वस्तु के दो समान अधिकारी नहीं हो सकते) 25. एक पंथ दो काज (एक काम से दोहरा लाभ) 26. ओखली में सिर दिया तो मूसलों से क्या डर (चुनौती स्वीकार करने के बाद कष्टों से नहीं घबराना चाहिए) 27. कंगाली में आटा गीला (दुखी पर और अधिक दुख आना) 28. कहाँ राजा भोज, कहाँ गंगू तेली (दो असमान व्यक्तियों की तुलना) 29. कहीं की ईंट, कहीं का रोड़ा, भानुमती ने कुनबा जोड़ा (असंगत वस्तुओं का मेल बैठाना) 30. का बरखा जब कृषि सुखाने (काम बिगड़ने पर सहायता व्यर्थ होती है) 31. काठ की हाँडी बार-बार नहीं चढ़ती (बेईमानी बार-बार नहीं चलती) 32. काला अक्षर भैंस बराबर (बिल्कुल अनपढ़) 33. कोयलों की दलाली में मुँह काला (दुर्जनों की संगति में कलंक लगता है) 34. खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है (संगति का प्रभाव अवश्य पड़ता है) 35. खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे, (अपनी शर्म छिपाने के लिए व्यर्थ का क्रोध करना, अपनी खीझ निकालना) 36. खोदा पहाड़ निकली चुहिया (परिश्रम अधिक, फल कम) 37. गंगा गए तो गंगादास, जमना गए तो जमनादास (परिस्थिति के अनुसार विचार बदलने वाला अस्थिर व्यक्ति) 38. गुरु गुड़ ही रहे, चेले शक्कर हो गए (चेला गुरु से भी आगे बढ़ गया) 39. गेहूँ के साथ घुन भी पिसता है (दोषी के साथ निर्दोष भी मारे जाते हैं) 40. घर का भेदी लंका ढाए (आपस की फूट से सर्वनाश होता है) 41. घर की मुर्गी दाल बराबर (घर की चीज की कद्र नहीं होती) 42. चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए (बहुत कंजूस होना) 43. चार दिन की चाँदनी फिर अँधेरी रात (थोड़े दिन की मौज, फिर वही कष्ट) 44. चोर की दाढ़ी में तिनका (अपराधी व्यक्ति हमेशा सशंकित रहता है) 45. चौबे गए छब्बे बनने, दूबे ही रह गए (लाभ के स्थान पर हानि होना) 46. छबूंदर के सिर में चमेली का तेल (अयोग्य व्यक्ति को बहुमूल्य वस्तु मिलना) 47. जंगल में मोर नाचा किसने देखा (सराहना के बिना योग्यता का व्यर्थ हो जाना) 48. जल में रहकर मगर से बैर (समाज में रहकर शक्तिशाली लोगों से बैर करना हानिकारक होता है) 49. जाको राखे साइयाँ मार सकै ना कोय (जिसका भगवान रक्षक है, उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता) 50. जिसकी लाठी उसकी भैंस (बलवान की ही विजय होती है) 51. जैसी करनी वैसी भरनी (किए का फल भोगना पड़ता है) 52. जैसा देश वैसा भेष (जहाँ रहो, वहाँ के रीति-रिवाजों के अनुसार रहो) 53. जो गरजते हैं वे बरसते नहीं (अधिक बोलने वाले व्यक्ति काम कम करते हैं) 54. डूबते को तिनके का सहारा (विपत्ति में थोड़ी-सी सहायता भी किसी को उबार सकती है) 55. तेते पाँव पसारिए जेती लाँबी सौर (शक्ति के अनुसार ही खर्च करना चाहिए) 56. थोथा चना बाजे घना (ओछा व्यक्ति सदा दिखावा करता है) 57. दादा बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपया (रुपया ही सब कुछ है) 58. दुविधा में दोनों गए माया मिली न राम (अनिश्चय की स्थिति में दोनों ओर हानि होना) 59. दूध का जला छाछ को भी फुँक-फुँक कर पीता है (एक बार धोखा खाकर व्यक्ति सावधान हो जाता है) 60. दूर के ढोल सुहावने (परिचय के अभाव में वस्तु का आकर्षक लगना) 61. धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का (अस्थिरता के कारण कहीं का न हो पाना) 62. न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी (विवाद को जड़ से नष्ट कर देना) 63. न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी (शर्त पूरी न होने पर काम का न बनना) 64. नाच न जाने आँगन टेढ़ा (स्वयं अयोग्य होना, दोष दूसरों को देना) राधा को कपड़े सीना तो आता नहीं, दोष मशीन का बताती है, इसी को कहते हैं – नाच न जाने आँगन टेढ़ा। 65. नौ नकद न तेरह उधार (नकद लेन-देन हमेशा अच्छा होता है) लाओ भाई, ग्यारह की जगह दस ही रुपये दे दो, मगर दो अभी। नौ नकद न तेरह उधार। 66. पर उपदेश कुशल बहुतेरे (दूसरों को उपदेश देने वाले किंतु स्वयं उस पर आचरण न करने वाले बहुत होते हैं) 67. बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद (मूर्ख व्यक्ति गुण का आदर करना नहीं जानता) 68. बिन माँगे मोती मिले माँगे मिले न भीख (माँगने से कुछ नहीं मिलता) 69. बोया पेड़ बबूल का आम कहाँ से खाय (गलत कार्य का परिणाम भी गलत होता है) 70. भागते भूत की लंगोटी सही (जो मिल जाए वह काफी है) 71. मन चंगा तो कठौती में गंगा (मन शुद्ध है तो सब ठीक है) 72. मुँह में राम बगल में छुरी (ऊपर से मित्रता, मन में शत्रुता) 73. मुद्दई सुस्त गवाह चुस्त (जिसका काम हो, वह सुस्त, उसका समर्थक अधिक सक्रिय) 74. रस्सी जल गई पर ऐंठ न गई (सब बर्बाद हो गया, किंतु शेखी अब भी वही) 75. लकड़ी के बल पर बंदर नाचे (डंडे से सब भयभीत होते हैं) 76. लातों के भूत बातों से नहीं मानते (दुष्ट व्यक्ति दंड से ही भयभीत होते हैं) 77. सहज पके सो मीठा होय (धीरे-धीरे सहज रूप से किया गया कार्य ही अच्छा होता है) 78. साँप भी मर जाए, लाठी भी न टूटे (काम भी बन जाए और हानि भी न हो) 79. साँच को आँच नहीं (सच्चे को डरने की आवश्यकता नहीं) 80. सिर दिया ओखल में तो मूसल से क्या डर (जब कोई काम आरंभ किया तो कठिनाइयों से नहीं डरना चाहिए) 81. सीधी उँगली से घी नहीं निकलता (बिल्कुल सीधेपन से काम नहीं चलता) 82. सेवा करे सो मेवा पावै (सेवा का फल हमेशा अच्छा होता है) 83. हाथ कंगन को आरसी क्या (प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं) 84. हाथी निकल गया, दुम रह गई (थोड़ा-सा काम अटक जाना) 85. हाथी के दाँत खाने के और, दिखाने के और (कहना कुछ और करना कुछ) 86. हाथी के पाँव में सबका पाँव (एक बड़ा प्रयत्न अनेक छोटे-छोटे प्रयत्नों के बराबर होता है) 87. होनहार बिरवान के होत चिकने पात (होनहार व्यक्तियों की प्रतिभा बचपन में ही दिखाई दे जाती है) 88) to 100) adding soon. You can comment and add Hindi Lokoktiyan to help our viewers. First 10 unique Lokoktiyan in Hindi with meaning and sentence will be accepted. Let us know if you want Lokoktiyan in Hindi pdf. Comment Lokoktiyan in Hindi pdf through comment box. दस लोकोक्तियों का अर्थ लिखकर उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए?प्रयोग- अभी मैं विद्यालय से अवकाश लेने की सोच ही रही थी कि मेघा ने मुझे बताया कि कल विद्यालय में अवकाश है। यह तो वही हुआ- अन्धा क्या चाहे दो आँखें। अंधों के आगे रोना, अपना दीदा खोना= (मूर्खों को सदुपदेश देना या अच्छी बात बताना व्यर्थ है।) प्रयोग- मुन्ना को समझाना तो अंधे के आगे रोना, अपना दीदा खोना वाली बात है।
दस मुहावरे और दस लोकोक्तियाँ लिखकर वाक्यों में प्रयोग करें?कुछ प्रमुख लोकोक्तियाँ. अंधों में काना राजा – मूर्खों में कुछ पढ़ा-लिखा व्यक्ति. अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता – अकेला आदमी लाचार होता है. अधजल गगरी छलकत जाय – डींग हाँकना. आँख का अँधा नाम नयनसुख – गुण के विरुद्ध नाम होना. आँख के अंधे गाँठ के पूरे – मुर्ख परन्तु धनवान. हिंदी मुहावरे और उनके अर्थ और वाक्यों?हमारे दैनिक जीवन में प्रयुक्त होने वाले हिंदी में मुहावरे और उनके अर्थ व वाक्य प्रयोग( hindi muhavare with sentences) –. अपना सा मुंह लेकर रह जाना –काम न बनना। ... . आटा गीला होना–कठिनाई/मुश्किल में पड़ना ... . आकाश में उड़ना–कल्पना/ख्वाब में घूमना ... . अंधा होना –कुछ न सूझना। ... . अपना उल्लू सीधा करना – स्वार्थ सिद्ध करना।. लोकोक्ति क्या है एक उदाहरण लिखिए?लोकोक्ति वाक्यांश न होकर स्वतंत्र वाक्य होते हैं। जैसे- भागते भूत को लंगोटी भली ; आम के आम गुठलियों के दाम ; सौ सोनार की, एक लोहार की ; धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का। लोकोक्ति और मुहवरों में अन्तर है। मुहावरा पूर्णतः स्वतंत्र नहीं होता है, अकेले मुहावरे से वाक्य पूरा नहीं होता है।
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