वर्तमान समय में हिंदी का क्या महत्व है? - vartamaan samay mein hindee ka kya mahatv hai?

आज के युग में हम हिंदी के महत्व को उजागर करने जा रहे हैं। हिंदी के उद्भव , विकास और प्रसिद्धि इन सभी बिंदुओं पर विस्तार पूर्वक चर्चा करने की कोशिश करेंगे। यह लेख हिंदी भाषी तथा गैर हिंदी भाषी लोगों के लिए भी लाभदायक है , जिसके माध्यम से वह हिंदी को और विस्तार पूर्वक समझ सकेंगे।

यह लेख हिंदी के महत्व को ध्यान में रखकर तैयार किया जा रहा है। जिसके माध्यम से आपके ज्ञान की वृद्धि और जिज्ञासा की शांति हो सके। ऐसा इस लेख का उद्देश्य  है –

हिंदी का महत्व ( निबंध के रूप में प्रस्तुत )

पृष्ठभूमि – हिंदी की प्रसिद्धि आज देश ही नहीं अभी तो विदेश मे भी है। हिंदी का सरलतम रूप आज समाज में व्याप्त है।  हिंदी का अध्ययन देश ही नहीं अपितु विदेश में भी किया जा रहा है। हिंदी भाषी क्षेत्रों का दायरा व्यापक और विस्तृत होता जा रहा है , जिसमें संभावनाएं असामान्य रूप से बढ़ती जा रही है।

खड़ी बोली को पीछे छोड़कर हिंदी भाषा में एक नया रूप धारण किया , जिसमें इसके पाठकों और श्रोताओं का साथ मिलता गया। हिंदी भाषी लोग भारत में बेहद ज्यादा संख्या में उपलब्ध है , जिसके कारण भारतीय साहित्य में हिंदी भाषा ने अपनी प्रतिष्ठा प्राप्त कर ली। वर्तमान शोध में यह पाया गया है कि इंटरनेट की दुनिया में गुणात्मक रूप से वृद्धि करने वाली भाषा हिंदी है।

जिसके अध्ययन के लिए विदेशी लोग भी लालाहित हैं।

माना जाता है हिंदी का जन्म उर्दू , अरबी और फारसी भाषाओं से हुआ है। मेरा ऐसा मानना है काफी शब्द उनसे ग्रहण किया गया है , किंतु संस्कृत का यह सरलतम रूप है। हिंदी मे  , संस्कृत और उर्दू के शब्दों भाषा के शब्दों का प्रयोग देखने को मिलता है।

हिंदी भाषा के उद्भव के कारण

हिंदी के उद्भव से पूर्व की जो भाषाएं भारत में प्रचलित थी वह सामान्य जनमानस की भाषा नहीं थी। संस्कृत पढ़े लिखे और विद्वानों की भाषा मानी जाती थी।  इस भाषा का प्रयोग सामान्य जीवन में नहीं किया जाता था। जिसके कारण इस भाषा से सामान्य जन परिचित नहीं थे। भारत की अधिकतर आबादी गांव में निवास करती थी , जहां के लोग अपनी क्षेत्रीय भाषा में बातचीत किया करते थे। इन ग्रामीणों को बैंक अथवा कार्यालय में हिंदी भाषा का प्रयोग करने में सुविधा होती है। अतः ऐसे क्षेत्र बहुतायत संख्या में है जहां कार्यालय भाषा हिंदी है।

हिंदी के शब्द सरल और सुविधाजनक माने जाते हैं। इस प्रकार यह लोग सम्मानीय की भाषा बनती है। हिंदी का साहित्य में आगमन एक क्रांतिकारी चरण है। हिंदी से पूर्व प्राकृत , अपभ्रंश , खड़ी बोली आदि का प्रयोग था जो बेहद ही जटिल भाषा मानी जाती है। इसको लिखना और बोलना बेहद कठिन माना जाता है।

अतः नवजागरण काल में हिंदी भाषा का चलन आरंभ हुआ।

भारतेंदु हरिश्चंद्र और उनकी सहयोगी टोलियों ने हिंदी भाषा के क्षेत्र में बेहद सराहनीय कार्य किया। भारतेंदु को हिंदी भाषा के विकास का श्रेय दिया जाता है इससे पूर्व खड़ी बोली प्रचलन में थी।

जनसामान्य की रुचि को ध्यान में रखते हुए भारतेंदु ने हिंदी भाषा का चलन आरंभ किया।

तत्काल समय में कविता नाटक और उपन्यास की रचना हिंदी में की गई जिसे लोगों ने खूब सराहा और धीरे-धीरे मध्यमवर्गीय पाठकों का उदय हुआ। इन पाठकों की प्रमुख भाषा हिंदी थी।

अतः उन्होंने हाथों-हाथ इन उपन्यास और साहित्य को अपनाया।

हिंदी भाषी क्षेत्र की जानकारी

हिंदी भाषा का क्षेत्र आज व्यापक हो गया है , पूर्व समय में उत्तर भारत का संपूर्ण भाग हिंदी भाषी माना जाता था। जिसमें प्रमुख मध्य प्रदेश , उत्तर प्रदेश , बिहार आदि है। इन प्रदेशों में अधिक आबादी और संख्या होने के कारण हिंदी भारत में लोकप्रिय भाषा बन गई।  आज वैश्विक स्तर पर हिंदी भाषा उभर कर सामने आई है। वर्तमान समय में देश ही नहीं अपितु विदेश में भी हिंदी भाषा की सराहना की जा रही है। हिंदी भाषा इतनी सरल है कि जो शब्द का उच्चारण होता है वही शब्द लिखित रूप में होता है।

जबकि अन्य भाषाओं में शब्द का उच्चारण और लेख विभिन्न होते हैं।

विदेशी पाठक भी हिंदी का अध्ययन कर रहे हैं और इस क्षेत्र में उभरती संभावनाओं की तलाश कर रहे हैं।

इंटरनेट पर हिंदी भाषी लोगों का निरंतर गुणात्मक रूप से वृद्धि हो रही है।

जिसका यही कारण है कि हिंदी सरल और सुगम भाषा बनती जा रही है। यह एक विशाल समूह की भाषा है जो सरल और सुगम मानी गई है।

वैश्विक स्तर पर हिंदी का महत्व – Hindi ka mahatva vaishvik star par

भारत सदैव से विश्व गुरु माना गया है , बीच में कुछ कालखंड ऐसे रहे जहां भारत अपनी राजनीतिक परिस्थितियों में घिर गया था। किंतु वह आज भी विश्व गुरु बनने की राह में पीछे नहीं है। भारत में वैदिक गुरुकुल और शिक्षा को ग्रहण करने के लिए देश-विदेश से शिक्षार्थी आया करते थे यहां के गुरुकुल की शिक्षा दुर्लभ थी। नालंदा विश्वविद्यालय इसका एक प्रमुख उदाहरण है।

  • भारत ने ही विश्व को वेद और योग तथा विज्ञान की शिक्षा दी।
  • भारतीय वेद पुराणों में निहित विज्ञानों को आज के वैज्ञानिक खोज कर रहे हैं।
  • जबकि उन सभी को भारतीय वेद पुराण में लिखा जा चुका था।

इसको आप झुठला नहीं सकते।

ठीक इसी प्रकार हिंदी की पकड़ विश्व स्तर पर हो गई है। इसके पाठकों के माध्यम से हिंदी भाषा का विस्तार हो रहा है। आज विदेशी लोग भी व्यापार करने के लिए भारत की ओर ताक रहे हैं। ऐसी स्थिति में वह हिंदी भाषा का गहन अध्ययन कर रहे हैं। आए दिन शोध में यह पाया जा रहा है कि भारतीय हिंदी भाषा का निरंतर गुणात्मक रूप से विकास हो रहा है। अतः इनकी आबादी और पाठकों की संख्या बेहद अधिक है ऐसे में विदेशी भी भारत की ओर अपनी संभावनाएं तलाश रहे हैं।

इंटरनेट पर इंग्लिश और चाइना भाषा के बाद हिंदी ही सबसे लोकप्रिय भाषा मानी जा रही है। देश विदेश के लोग हिंदी सीखने के लिए मोटी रकम खर्च कर रहे हैं।

हिंदी के साहित्य

हिंदी के साहित्य का वर्तमान में वैश्विक स्तर पर मांग बढ़ गई है। हिंदी के साहित्य व्यक्ति के जीवन से जुड़े होते हैं। उसमें हर्ष , विषाद , संवेदना सभी प्रकार के भाव निहित होते हैं। हिंदी साहित्य मानवीय संवेदनाओं को प्रकट करने में सक्षम है। आप इन साहित्य को पढ़कर यह महसूस करेंगे कि यह हूबहू आपके सामने आपके आंखों के दृश्य को प्रकट कर रहा है। हिंदी से पूर्व खड़ी बोली और अवधी भाषा का प्रचलन जोर पर था।

किंतु इन साहित्य को पढ़ने में उनके शब्दों को समझने में काफी कठिनाई का अनुभव करना पड़ता था। तत्कालीन लेखकों और कवियों ने इस पर विचार विमर्श कर हिंदी भाषा में साहित्य का रूपांतरण और रचना आरंभ की। जयशंकर प्रसाद , भारतेंदु हरिश्चंद्र , प्रेमचंद , आदि प्रमुख कवियों ने सामाजिक जीवन को हूबहू हिंदी साहित्य में पाठक के सामने प्रकट किया है।

यही कारण है कि प्रेमचंद को कलम का सिपाही माना जाता है।

उनकी रचना ग्रामीण परिवेश से जुड़ी हुई थी , यह साहित्य ग्रामीण जीवन को प्रकट करने का सामर्थ्य रखती थी। इन कवियों के साहित्य को ग्रामीण जीवन का महाकाव्य भी माना गया है।

हिंदी साहित्य जनसामान्य का साहित्य है।

इस साहित्य के पाठक का दायरा बेहद विस्तृत और व्यापक है।

शब्द और उच्चारण

हिंदी विश्व की एक इकलौती ऐसी भाषा है जो शब्द उच्चारण किए जाते हैं वही शब्द लिखे जाते हैं। हिंदी के अतिरिक्त अन्य सभी भाषाओं में उच्चारण और लेखन में बेहद ही अंतर देखने को मिलता है।

कई बार शब्दों को पढ़कर उसके उच्चारण में अस्पष्टता होती है।

हिंदी को इन्हीं सभी कठिनाइयों को ध्यान में रखकर विस्तार मिला। हिंदी जन सामान्य और मध्यम वर्ग की सशक्त भाषा है। इस भाषा में अनेक भाषाओं के शब्दों को समाहित किया गया है।

जिसमें प्रमुख अरबी , फारसी , उर्दू , संस्कृत आदि भाषाएं शामिल है।

इंटरनेट पर भी हिंदी का प्रयोग इसलिए प्रसिद्ध है , क्योंकि इसके शब्दों का लिखना और उच्चारण करना पाठकों के लिए सुलभ है। दिन – प्रतिदिन इसी सुगमता के कारण हिंदी का निरंतर विकास होता जा रहा है।

वह दिन दूर नहीं जब हिंदी विश्व स्तर की सर्वश्रेष्ठ भाषा कहलाई जाएगी।

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हिंदी भाषा का वर्तमान समय में क्या महत्व?

हिंदी को भारत में राजभाषा का दर्जा प्राप्त है। किसी भी भाषा को राजभाषा बनने के लिए उसमें सर्वव्यापकता, प्रचुर साहित्य रचना, बनावट की दृष्टि से सरलता और वैज्ञानिकता, सब प्रकार के भावों को प्रकट करने की सामर्थ्य आदि गुण होने अनिवार्य होते हैं। यह सभी गुण हिंदी भाषा में हैं।

वर्तमान समय में हिंदी की क्या स्थिति है?

भले ही आज हिंदी की वैश्विक स्थिति काफी बहेतर है विश्व के प्रायरू सभी महतवपूर्ण देशों के विश्व विद्यालयों में हिंदी अध्ययन . अध्यापन हो रहा है। परन्तु विडंबना यह है कि विश्व में अपनी स्थिति के बावजूद हिंदी भाषा अपने ही घर में उपेक्षित जिंदगी जी रही है। जहां गुड मॉर्निग से सूर्योदय और गुड इवनिंग से सूर्यास्त होता है।

हिंदी भाषा की आवश्यकता क्यों हुई?

सामान्यत: भाषा को वैचारिक आदान-प्रदान का माध्यम कहा जा सकता है। भाषा अभिव्यक्ति का सर्वाधिक विश्वसनीय माध्यम है। यही नहीं, यह हमारे समाज के निर्माण, विकास, अस्मिता, सामाजिक व सांस्कृतिक पहचान का भी महत्वपूर्ण साधन है। भाषा के बिना मनुष्य अपूर्ण है और अपने इतिहास और परंपरा से विछिन्न है।

बच्चों की दुनिया में हिंदी भाषा का क्या महत्व है?

हिंदी भाषा इतनी लचीली है कि इसमें दूसरी भाषाओं के शब्द भी आसानी से समा जाते हैं। हिंदी में साइलेंट लेटर्स नहीं होते हैं इसलिए इसके लेखन और उच्चारण में शुद्धता रहती है। इस भाषा में निर्जीव वस्तुओं के लिए भी लिंग का निर्धारण होता है। हिंदी ऐसी व्यावहारिक भाषा है जिसमें हर संबंध-रिश्ते के लिए अलग-अलग शब्द दिए गए हैं।