जेम्स प्रिंसेप (1799-1840): ‘एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल’ के संस्थापक जेम्स प्रिंसेप आधुनिक युग में पहली बार ब्राह्मी और खरोष्ठी लिपियों को पढ़ने के लिये जाने जाते हैं। कुटिल लिपि
देवनागरी लिपि
शारदा लिपि
गुरुमुखी लिपि
ग्रंथ लिपि
तेलुगू एवं कन्नड़ लिपि
तमिल-मलयालम लिपि
शाहमुखी लिपि
मोडी लिपि
राज्यों में बोली जाने वाली विभिन्न भाषाएँ
× देवनागरी लिपि का अन्य नाम क्या है?देवनागरी लिपि का नामकरणः
कुछ विद्वानों गुजरात के नागर ब्राह्मणों की लिपि होने से इसे नागरी लिपि कहते है। कुछ अन्य विद्वानों के अनुसार, नगर की लिपि होने से इसे नागरी लिपि कहते है। एक अन्य मत से, नागवंशी राजाओं की लिपि होने से इसे नागरी कहा गया। तान्त्रिका चिह्न 'देवनगर' से सम्बन्धित होने का कारण इसे नागरी कहा गया।
देवनागरी लिपि का क्या अर्थ है?देवनागरी एक लिपि है जिसमें अनेक भारतीय भाषाएँ तथा कुछ विदेशी भाषाएं लिखीं जाती हैं। संस्कृत, पालि, हिन्दी, मराठी, कोंकणी, सिन्धी, कश्मीरी, नेपाली, तामाङ भाषा, गढ़वाली, बोडो, अंगिका, मगही, भोजपुरी, मैथिली, संथाली आदि भाषाएँ देवनागरी में लिखी जाती हैं।
देवनागरी लिपि का जनक कौन है?देवनागरी लिपि का जन्मदाता कोई एक व्यक्ति नहीं था। इसका विकास भारत की प्राचीन लिपि ब्राहमी से हुआ। ब्राहमी की दो शाखाएं थीं, उत्तरी और दक्षिणी। देवनागरी का विकास उत्तरी शाखा वाली लिपियों से हुआ माना जाता है।
देवनागरी लिपि में कुल कितने अक्षर हैं?इस लिपि में कुल 52 अक्षर आते हैं जिनमें 14 स्वर और 38 व्यंजन हैं. इसी के अंतर्गत स्वर व्यंजन, कोमल-कठोर, अल्पप्राण-महाप्राण, अनुनासिक्य-अंतस्थ और उष्म का प्रयोग होता है. इस लिपि के पीछे एक मत यह भी है कि देवनगरी काशी में इसका बहुत प्रचलन था, इसलिए इस लिपि को देवनागरी का नाम दिया गया.
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