शूलपाणि : का पर्यायवाची क्या होगा *? - shoolapaani : ka paryaayavaachee kya hoga *?

शूलपाणि का पर्यायवाची

शूलपाणि का पर्यायवाची क्या है?

शिव,

महादेव।

जिन शब्दों के अर्थ में समानता हो, उन शब्दों को ‘पर्यायवाची शब्द’ अथवा ‘समानार्थी शब्द’ कहते हैं। हिन्दी एक समृद्ध भाषा है, यही कारण है कि हिन्दी में प्रत्येक शब्द के लिए एक से अधिक शब्द उपलब्ध हैं। ध्यान दें – प्रत्येक शब्द की महत्ता विषय के अनुसार होती है। एक ही शब्द के पर्यायवाची समय और विषय के अनुसार अलग-अलग अर्थ प्रकट कर सकते हैं।

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"शूलपाणि" शब्दकोश में हिन्दी का अर्थ

शूलपाणि का उच्चारण

हिन्दी में शूलपाणि का क्या अर्थ होता है?

हिन्दीशब्दकोश में शूलपाणि की परिभाषा

शूलपाणि संज्ञा पुं० [सं०] हाथ में शूल धारण करनेवाले, शिव । महादेव ।


शब्द जिसकी शूलपाणि के साथ तुकबंदी है

हिन्दी में शूलपाणि के पर्यायवाची और विलोम

«शूलपाणि» शब्द का 25 भाषाओं में अनुवाद

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का अनुवाद शूलपाणि

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शूलपाणि के उपयोग का रुझान

«शूलपाणि» पद के उपयोग की प्रवृत्तियां

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ऊपर दर्शाया गया नक्शा अलग-अलग देशों में «शूलपाणि» पद के उपयोग की आवृत्ति प्रदान करता है।

हिन्दी साहित्य, उद्धरणों और समाचारों में शूलपाणि के बारे में उपयोग के उदाहरण

हिन्दी किताबें जो «शूलपाणि» से संबंधित हैं

निम्नलिखित ग्रंथसूची चयनों में शूलपाणि का उपयोग पता करें। शूलपाणि aसे संबंधित किताबें और हिन्दी साहित्य में उसके उपयोग का संदर्भ प्रदान करने वाले उनके संक्षिप्त सार।.

1

Jainadharma aura Bihāra - Page 169

दृश्य में महावीर शूलपाणि यक्ष के आयतन में बैठे हैं। जैन परम्परा में उल्लेख है कि महावीर संध्या समय अस्थिग्राम पहुंचे और नगर के बाहर शूलपापि1 यक्ष के आयतन में ही रुक गये। लोगों ने ...

2

Jaya vardhamāna: nāṭaka

अस्थिक ग्राम के एक चैत्य में शूलपाणि नामक एक यक्ष रहता था 1 उस चैत्य में वह किसी को नहीं ठहरने देता था : एक बार एक मुनि वहाँ ठहरने के लिए पहुँचे । शूलपाणि ने उनके शरीर के टुकडे-टुकडे ...

3

Tīrthankara Bhagawān Mahāvīra Illustrated

इस से शूलपाणि क्रुद्ध हो गया, मन ही मन बोला कि–सभीने आग्रहपूर्वक निषेध किया, फिर भी अपनी शक्ति पर निर्भर रहनेवाला यह कितना ढीठ-वृष्ट मनुष्य है? यह तो मेरे समक्ष चुनौती है। अब मैं ...

Gokuladāsa Kāpaḍiyā, 1974

4

Anuttara Yogī Tīrthaṅkara Mahāvīra - Volume 2

यह शूलपाणि यक्ष का मन्दिर है । कोई भी मनुष्य यहाँ राविवास करे, तो वह सवेरे जीवित नहीं निकलता है । यक्ष का कोपभाजन हो कर वह मौत के वाट उतार दिया जाता है । . . "भले, हब आपके आवास के लिए ...

Vīrendrakumāra Jaina, 1993

5

Himācala Pradeśa: aitihāsika aura sāṃskṛtika adhyayana - Page 68

क्या शूलिशग्राम और शूलपाणि बन्दर से यह संभावना नहीं उत्पन्न होती कि शूलिशगाम के दानकर्ता शूलिक राजा ही हों ? (लिक अनुमाना: हूणों से पहले किन्तु शक, कुषाण और पलवल के पश्चात् ...

Padmacandra Kāśyapa, 1981

6

Mahābhāratakālīna samāja

३ राजा सगर ने निकी, शूलपाणि, व्यम्बक तथा बल के नाम से उमापति की आराधना की थी 1इन्द्र ने अवुन को महादेव की उपासना का उपदेश देते हुए कहा था-वह भूतेश शिव, ऋक्ष एवं शूलधर है ।"५ अतीत ...

Sukhamaẏa Bhaṭṭācārya, 1966

7

Śrīvishṇusahasranāmacintanikā: mūla śloka, Hindī anuvāda, ...

म्हणोनि शूलपाणि जपताहे वारंवार। 'हे भगवन् विट्ठल, त्रिवार तुम्हारा नाम ही एक सार है। इस लिए शूलपाणि शंकर उसी का जाप करता रहता है'। उस आदिनाथ से गुरुशिष्य परंपरा से चले आये इस ...

Kundara Baḷavanta Divāṇa, 2007

8

Pitrbhaktitarangini : Pam. ...

एकोपवासेहुंच्छी पणा: : श्रीपद" शुद्रबीपरें ब्राह्मप्यादिनिषेधवैयशयत्दिति शूलपाणि: है ज्ञान, (हिशम, र अभ्यासे प्रेयविचत्तावृत्ति: 1: : सकू-त: शुद्रोडिअटामान्नभीजने ब्राह्म' ...

9

Bhagavāna Mahāvīra kā ahiṃsā darśana

संगम देव की तरह शूलपाणि यज्ञ ने भी भगवान महावीर को बहुत कष्ट दिये थे : जिसे सुनने मात्र से आत्मा करिपत होती है : भगवान विहार करते-करते अस्थि ग्राम में पहुंचे और शूलपाणि यज्ञ के ...

10

Nigaṇṭha jñātaputta: Śramaṇa Bhagvāna Mahāvīra kī jīvanī

ग्रामवासियों का विस्वास था कि वह बैल ही मर कर वहाँ शूलपाणि यक्ष के रूप में उत्पन्न हुआ और उसी के कोप से गाँव उजड़ गया । अतएव उन्होंने उस शूलपाणि यक्ष को तुम् करने के लिए वहाँ पर ...

«शूलपाणि» पद को शामिल करने वाली समाचार सामग्रियां

इसका पता लगाएं कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रेस ने निम्नलिखित समाचार सामग्रियों के बारे में क्या चर्चा की है और इस संदर्भ में शूलपाणि पद का कैसे उपयोग किया है।

भगवान शिव हमेशा क्यों रखते थे त्रिशूल

त्रिशूल धारण करने से ही भगवान शिव, शूलपाणि यानी त्रिशूल धारण करने वाले देवता के रूप में भी वंदनीय है। भगवान शिव के त्रिशूल रखने के पीछे धार्मिक दर्शन है कि त्रिशूल घातक और अचूक हथियार तो है, किंतु सांसारिक नजरिए से यह कल्याणकारी है, ... «Patrika, मई 14»

वासंतिक नवरात्र बहुविध महिमा

शूलपाणि और रघुनंदन नामक निबंधकारों ने वाचस्पति मिश्र की रचना 'कृत्य चिंतामणि' का हवाला देकर लिखा है कि 'ब्रह्मïवैवर्त पुराण' में उल्लिखित है कि चैत्र शुक्लाष्टमी एवं नवमी को पहले-पहल राजा-सुरथ ने देवी जी की अर्चा की थी; फिर रावण का वध ... «Dainiktribune, मार्च 12»


संदर्भ

« EDUCALINGO. शूलपाणि [ऑनलाइन] उपलब्ध <https://educalingo.com/hi/dic-hi/sulapani>. सितंबर 2022 ».

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