स्वतंत्रता दिवस पर झंडा कौन फहराता है - svatantrata divas par jhanda kaun phaharaata hai

आजादी के 75 साल पूरे होने वाले है। इस बार स्वतंत्रता दिवस को बड़े ही धूमधाम से मनाने की तैयार चल रही है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से आग्रह किया है कि इस बार हर भारतीय अपने घरों पर तिरंगा फहराएं। भारत सरकार के द्वारा हर घर तिरंगा अभियान का आयोजन 13 अगस्त से 15 अगस्त तक चलाया जाएगा। वही भारत के प्रधानमंत्री आजादी के 75 साल पूरे होने पर लाल किले से झंडा फहराएंगे। आज हम आपको एक अलग जानकारी देने जा रहे हैं शायद इसके बारे में आपको मालूम नहीं होगा।

क्या अंतर है?

15 अगस्त 1947 को हमारा देश अंग्रेजों से आजाद हुआ था और इसी दिन हम सब स्वतंत्रता दिवस के रूप में झंडा फहराते हैं लेकिन क्या आपको मालूम होगा कि 15 अगस्त को भारत के प्रधानमंत्री लाल किले से ध्वजारोहण करते हैं और 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस के दिन भारत के राष्ट्रपति के द्वारा झंडा को फहराया जाता है। वही 15 अगस्त को झंडे को ऊपर खींच कर फहराया जाता है और गणतंत्र दिवस के दिन झंडा ऊपर बांधा रहता है, बस उसे खोलकर लहराया जाता है। इसमें दोनों की अलग-अलग मान्यता है। 15 अगस्त 1947 को देश हमारा आजाद हुआ। एक स्वतंत्र देश के रूप में भारत का उदय और ब्रिटिश शासन के अंत का प्रतीक माना जाता है जबकि गणतंत्र दिवस पर, ध्वज को ध्वज के खंभे के शीर्ष पर बांधा जाता है और इसे 'फहराया' जाता है जो देश के लिए एक गणतंत्र के रूप में अपने पंख फैलाने के लिए एक खुले युग का संकेत देता है।

15 अगस्त पर प्रधानमंत्री ही तिरंगा क्यों फहराते हैं
इतिहासकारों के मुताबिक ऐसा कहा जाता है कि 15 अगस्त को प्रधानमंत्री इसलिए झंडा फहराते हैं क्योंकि जब देश हमारा आजाद हुआ था उस समय देश में कोई  राष्ट्रपति नहीं था। उस समय आजाद भारत के सर्वे सर्वा प्रधान सेवक प्रधानमंत्री ही थे, जिनके द्वारा 15 अगस्त 1947 को झंडा फहराया गया। हालांकि 26 जनवरी 1950 को जब देश के पहले राष्ट्रपति के रूप में डॉ राजेंद्र प्रसाद को चुना गया, तो वही से गणतंत्र दिवस पर झंडा लहराने की परंपरा शुरू हो गई। आपको बता दें कि 26 जनवरी को हमारी संविधान की स्थापना हुई थी और राष्ट्रपति पूरे राष्ट्र के रक्षक होते हैं, संविधान के सर्वोच्च सैनिक होते हैं ऐसे में गणतंत्र की रक्षा करना राष्ट्रपति की जिम्मेदारी होती है इसलिए 26 जनवरी को राष्ट्रपति झंडा लहराते हैं।

दोनों अलग अलग जगह झंडा लहराते हैं?
भारत के प्रधानमंत्री 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से झंडा फहराते हैं। प्रधानमंत्री सरकार के मुखिया होते हैं, लाल किले से प्रधानमंत्री अपनी सरकार की उपलब्धियां बताते हैं साथ ही साथ आने वाला कल कैसा होगा, भारत के प्रधानमंत्री सभी भारतवासियों को एक सपना भी दिखाते हैं जबकि गणतंत्र दिवस के दिन राष्ट्रपति के द्वारा राजपथ पर झंडे को फहराया जाता है। उस दिन पूरे देश की संस्कृति को दिखाई जाती है इसके साथ ही साथ हमारी सैन्य ताकत का भी प्रदर्शन किया जाता है। अकाशों में जंगी जहाज सर्कस दिखाती हैं। इस मौके पर कई बार देखा गया है कि किसी देश के प्रधानमंत्री अतिथि के रूप में शामिल भी होते हैं। इस कार्यक्रम में 15 अगस्त के अपेक्षा बैठने के लिए सीटों की संख्या काफी होती है ।

 

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नई दिल्ली : आजादी के 75वीं वर्षगांठ पर आजादी के अमृत महोत्सव के तहत केंद्र की मोदी सरकार की ओर से पूरे देश में 'हर घर तिरंगा' अभियान चलाया जा रहा है. इस मौके को ऐतिहासिक बनाने के लिए भारत में जगह-जगह सरकारी कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं और राज्य सरकारों द्वारा तिरंगे का वितरण भी किया जा रहा है. आम तौर पर भारत में तिरंगा प्रत्येक साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस और 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर फहराया जाता है, लेकिन इन दोनों मौकों पर तिरंगा झंडा के फहराने में अंतर है. आइए, सबसे पहले जानते हैं 'हर घर तिरंगा' अभियान के बारे में, उसके बाद स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के मौके पर झंडोत्तोलन के अंतर के बारे में जानेंगे.

क्या है 'हर घर तिरंगा' का मकसद

सबसे पहले हम आपको बताते हैं कि 'हर घर तिरंगा' अभियान क्या है? दरअसल, आजादी के 75 साल पूरा होने के उपलक्ष्य में सरकार की ओर से 'हर घर तिरंगा' अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान की शुरुआत 11 अगस्त को की गई है और यह 15 अगस्त तक अनवरत जारी रहेगा. सरकार के इस अभियान के तहत पूरे देश में करीब 20 करोड़ से अधिक घरों पर तिरंगा झंडा फहराया जाना है. इसके लिए देश के निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठानों और विभागों को शामिल किया गया है. इस अभियान के शुरू होने के बाद से ही देश के विभिन्न स्थानों के घरों, दफ्तरों और प्रतिष्ठानों पर तिरंगा झंडा लगाया गया है. भारत में 'हर घर तिरंगा' अभियान चलाने के पीछे सरकार का मकसद आबादी में 'देशभक्ति की भावना' पैदा करना और भारत की आजादी में प्रमुखता से भागीदारी निभाने वाले महापुरुषों के बलिदान और कर्तव्य का बोध करना है.

स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर झंडोत्तोलन में अंतर

अब हम आपको भारत में स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के मौकों पर फहराए जाने वाले तिरंगा के अंतर के बारे में बताते हैं.

पहला अंतर : जब हम देश में 15 अगस्त के दिन स्वतंत्रता दिवस के मौके पर झंडोत्तोलन करते हैं, तो इसमें बांस या लोहे के खंभे में लटकाए गए तिरंगे को नीचे से रस्सी द्वारा खींच कर ऊपर ले जाया जाता है. इसके बाद उसे खोल कर फहराया जाता है. इसे हम ध्वजारोहण भी कहते हैं. भारतीय संविधान में ध्वजारोहण को फ्लैग होस्टिंग (Flag Hoisting) भी कहा गया है. ऐसा 15 अगस्त 1947 की ऐतिहासिक घटना को सम्मान देने के लिए किया जाता है. भारत की आजादी मिलने के बाद प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भी तिरंगा झंडा फहराने के समय ऐसा ही किया था. वहीं, गणतंत्र दिवस के मौके पर जब हम प्रत्येक साल 26 जनवरी को झंडोत्तोलन करते हैं, तो तिरंगा बांस या लोहे के खंभे के ऊपर ही बंधा रहता है, जिसे खोल कर फहराया जाता है. संविधान में इसे फ्लैग अनफर्लिंग (Flag Unfurling) कहा गया है.

दूसरा अंतर : इसके बाद दूसरा अंतर यह है कि जब हम 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं, तो भारत के प्रधानमंत्री दिल्ली स्थित लाल किले के प्राचीर पर तिरंगा झंडे से ध्वजारोहण करते हैं, क्योंकि स्वतंत्रता दिवस के दिन भारत का संविधान लागू नहीं हुआ था. वहीं, जब हम देश में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाते हैं, तो भारत के राष्ट्रपति दिल्ली स्थित इंडिया गेट के राजपथ पर तिरंगा झंडे को फहराते हैं. भारत में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस इसलिए मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन 1950 को देश में भारत का संविधान लागू किया गया था और भारत को पूरी दुनिया में एक गणतांत्रिक देश के रूप में मान्यता मिली थी. गणतंत्र दिवस को भारत के राष्ट्रपति तिरंगा झंडा इसलिए फहराते हैं, क्योंकि वे देश के संवैधानिक प्रमुख होते हैं.

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तीसरा अंतर : स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भारत के प्रधानमंत्री दिल्ली स्थित लाल किले के प्राचीर पर तिरंगे का ध्वजारोहण करते हैं. वहीं, गणतंत्र दिवस के मौके पर भारत के संवैधानिक प्रमुख होने के नाते देश के राष्ट्रपति इंडिया गेट के राजपथ पर तिरंगा झंडा फहराते हैं.

गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज कौन फहराता है?

वहीं, गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम राजपथ पर होता है जहां राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं. 26 जनवरी को ही राष्ट्रपति क्यों फहराते हैं ध्वज? 1950 से पहले प्रधानमंत्री राज्य के मुखिया हुआ करते थे, इसलिए,पंडित जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण करते थे.

15 अगस्त को झंडारोहण कौन करता है?

15 अगस्त के दिन प्रधानमंत्री (जो कि केंद्र सरकार के प्रमुख होते हैं) ध्वजारोहण करते हैं, क्योंकि स्वतंत्रता के दिन भारत का संविधान लागू नहीं हुआ था. वहीं, राष्ट्रपति (जो कि राष्ट्र के संवैधानिक प्रमुख होते हैं), उन्होंने तब तक पदभार ग्रहण नहीं किया था. गणतंत्र दिवस को राष्ट्रपति अपना संदेश राष्ट्र के नाम देते हैं.

15 अगस्त को झंडा कैसे फहराते हैं?

वही 15 अगस्त को झंडे को ऊपर खींच कर फहराया जाता है और गणतंत्र दिवस के दिन झंडा ऊपर बांधा रहता है, बस उसे खोलकर लहराया जाता है। इसमें दोनों की अलग-अलग मान्यता है। 15 अगस्त 1947 को देश हमारा आजाद हुआ।