सेवाभाव का महत्त्व विषय पर 25 से 30 शब्दों में अपने विचार लिखिए - sevaabhaav ka mahattv vishay par 25 se 30 shabdon mein apane vichaar likhie

स्वामी विवेकादंन के बारे में भारत के युवा कितना जानते हैं? शायद बहुत कम या शायद बहुत ज्यादा? आओ जानते हैं 8 पॉइंट में उनके बारे में कुछ खास।


1. विवेकानंद का परिचय : स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी सन्‌ 1863 को कोलकाता में हुआ। उनका घर का नाम नरेंद्र दत्त था। उनके पिता श्री विश्वनाथ दत्त का निधन 1884 में में हो गया था जिसके चलते घर की आर्थिक दशा बहुत खराब हो चली थी। मात्र 39 वर्ष की उम्र में 4 जुलाई 1902 को उनका निधन हो गया।

2. विवेकानंद की रुचि और अध्ययन : संगीत, साहित्य और दर्शन में विवेकानंद को विशेष रुचि थी। तैराकी, घुड़सवारी और कुश्ती उनका शौक था। स्वामीजी ने तो 25 वर्ष की उम्र में ही वेद, पुराण, बाइबल, कुरआन, धम्मपद, तनख, गुरुग्रंथ साहिब, दास केपीटल, पूंजीवाद, अर्थशास्त्र, राजनीति शास्त्र, साहित्य, संगीत और दर्शन की तमाम तरह की विचारधाराओं को घोट दिया था। वे जैसे-जैसे बड़े होते गए सभी धर्म और दर्शनों के प्रति अविश्वास से भर गए। संदेहवादी, उलझन और प्रतिवाद के चलते किसी भी विचारधारा में विश्वास नहीं किया।

3. ब्रह्म समाज से जुड़ाव : नरेंद्र की बुद्धि बचपन से बड़ी तीव्र थी और परमात्मा को पाने की लालसा भी प्रबल थी। इस हेतु वे पहले ब्रह्म समाज में गए किंतु वहां उनके चित्त को संतोष नहीं हुआ।


4. रामकृष्ण परमहंस की शरण में : अपनी जिज्ञासाएं शांत करने के लिए ब्रह्म समाज के अलावा कई साधु-संतों के पास भटकने के बाद अंतत: वे रामकृष्ण परमहंस की शरण में गए। रामकृष्ण के रहस्यमय व्यक्तित्व ने उन्हें प्रभावित किया, जिससे उनका जीवन बदल गया। 1881 में रामकृष्ण को उन्होंने अपना गुरु बनाया। संन्यास लेने के बाद इनका नाम विवेकानंद हुआ।

रामकृष्ण परमहंस की प्रशंसा सुनकर नरेंद्र उनके पास पहले तो तर्क करने के विचार से ही गए थे किंतु परमहंसजी ने देखते ही पहचान लिया कि ये तो वही शिष्य है जिसका उन्हें कई दिनों से इंतजार है। परमहंसजी की कृपा से इनको आत्म-साक्षात्कार हुआ फलस्वरूप नरेंद्र परमहंसजी के शिष्यों में प्रमुख हो गए।

5. बुद्धि के पार है विवेक : स्वामी विवेकानंद जब तक नरेंद्र थे बहुत ही तार्किक थे, नास्तिक थे, मूर्तिभंजक थे। रामकृष्ण परमहंस ने उनसे कहा भी था कि कब तक बुद्धिमान बनकर रहोगे। इस बुद्धि को गिरा दो। समर्पण भाव में आओ तभी सत्य का साक्षात्कार हो सकेगा अन्यथा नहीं। तर्क से सत्य को नहीं जाना जा सकता। विवेक को जागृत करो। विवेकानंद को रामकृष्ण परमहंस की बातें जम गईं। बस तभी से वे विवेकानंद हो गए। फिर उन्होंने कभी अपनी नहीं चलाई। रामकृष्ण परमहंस की ही चली।

6. देश भ्रमण :1886 में रामकृष्ण के निधन के बाद जीवन एवं कार्यों को उन्होंने नया मोड़ दिया। 25 वर्ष की अवस्था में उन्होंने गेरुआ वस्त्र पहन लिया। तत्पश्चात उन्होंने पैदल ही पूरे भारतवर्ष की यात्रा की। गरीब, निर्धन और सामाजिक बुराई से ग्रस्त देश के हालात देखकर दुःख और दुविधा में रहे। उसी दौरान उन्हें सूचना मिली कि शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन आयोजित होने जा रहा है।

7. शिकागो में भाषण : सन्‌ 1893 में शिकागो (अमेरिका) में विश्व धर्म परिषद् हो रही थी। स्वामी विवेकानंदजी उसमें भारत के प्रतिनिधि के रूप से पहुंचे। योरप-अमेरिका के लोग उस समय पराधीन भारतवासियों को बहुत हीन दृष्टि से देखते थे। वहां लोगों ने बहुत प्रयत्न किया कि स्वामी विवेकानंद को सर्वधर्म परिषद् में बोलने का समय ही न मिले। एक अमेरिकन प्रोफेसर के प्रयास से उन्हें थोड़ा समय मिला। विश्व धर्म सम्मेलन 'पार्लियामेंट ऑफ रिलीजन्स' में अपने भाषण की शुरुआत उन्होंने 'बहनों और भाइयों' कहकर की। इसके बाद उनके विचार सुनकर सभी विद्वान चकित हो गए।

फिर तो अमेरिका में उनका बहुत स्वागत हुआ। वहां इनके भक्तों का एक बड़ा समुदाय हो गया। तीन वर्ष तक वे अमेरिका रहे और वहां के लोगों को भारतीय तत्वज्ञान की अद्भुत ज्योति प्रदान करते रहे। 'अध्यात्म-विद्या और भारतीय दर्शन के बिना विश्व अनाथ हो जाएगा' यह स्वामी विवेकानंदजी का दृढ़ विश्वास था। अमेरिका में उन्होंने रामकृष्ण मिशन की अनेक शाखाएं स्थापित कीं। अनेक अमेरिकन विद्वानों ने उनका शिष्यत्व ग्रहण किया। शिकागो से आने के बाद देश में प्रमुख विचारक के रूप में उन्हें सम्मान और प्रतिष्ठा मिली। 1899 में उन्होंने पुन: पश्चिम जगत की यात्रा की तथा भारतीय आध्यात्मिकता का संदेश फैलाया। विदेशों में भी उन्होंने अनेक स्थान की यात्राएं की।

8. विवेकानंद का दर्शन : विवेकानंद पर वेदांत दर्शन, बुद्ध के आष्टांगिक मार्ग और गीता के कर्मवाद का गहरा प्रभाव पड़ा। वेदांत, बौद्ध और गीता के दर्शन को मिलाकर उन्होंने अपना दर्शन गढ़ा ऐसा नहीं कहा जा सकता। उनके दर्शन का मूल वेदांत और योग ही रहा। विवेकानंद मूर्तिपूजा को महत्व नहीं देते थे, ‍लेकिन वे इसका विरोध भी नहीं करते थे। उनके अनुसार 'ईश्वर' निराकार है। ईश्वर सभी तत्वों में निहित एकत्व है। जगत ईश्वर की ही सृष्टि है। आत्मा का कर्त्तव्य है कि शरीर रहते ही 'आत्मा के अमरत्व' को जानना। मनुष्य का चरम भाग्य 'अमरता की अनुभूति' ही है। राजयोग ही मोक्ष का मार्ग है।

अस्पताल पर निबंध Essay On Hospital In Hindi: हमारे समाज के महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थलों में चिकित्सालय भी एक है जिनकी निगरानी, स्वच्छता का जिम्मा हम सभी पर हैं. जीवन में कई बार बीमार होने पर अस्पताल ही हमारे मददगार होते है जहाँ डॉक्टर हमारा ईलाज कर स्वस्थ बनाते हैं. आज के अस्पताल निबंध स्पीच भाषण अनुच्छेद में हम एक घंटा, दृश्य, विजिट, इतिहास, महत्व आदि बिन्दुओं को इस निबंध के जरिये समझने का प्रयास करेंगे.

सेवाभाव का महत्त्व विषय पर 25 से 30 शब्दों में अपने विचार लिखिए - sevaabhaav ka mahattv vishay par 25 se 30 shabdon mein apane vichaar likhie

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short essay on hospital in hindi

hospital nibandh in hindi:अस्पताल वह स्थान है जहाँ मरीजों का ईलाज कर उन्हें स्वस्थ बनाया जाता हैं. राजकीय या निजी स्तर के भारत में दो प्रकार के चिकित्सालय प्रचलन में हैं. जहाँ मरीज आकर विशेयज्ञ डॉक्टर, नर्स आदि के द्वारा ईलाज करवाते हैं. यहाँ उनकी ठीक ढंग से देखभाल एवं ईलाज का कार्य किया जाता हैं.

आज के 21 वीं सदी के दौर में जब चिकित्सा के क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास हुआ हैं. जहाँ समस्त बीमारियों का सुलभ ईलाज प्रत्येक व्यक्ति के लिए उपलब्ध करवाया जाता हैं. एंटीबायोटिक टेबलेट, इंजेक्शन से लेकर भयावह रोगों की सर्जरी तक के ईलाज अब सम्भव हो चुके हैं.

एक अस्पताल के भली भांति संचालन में वहां के डोक्टर, नर्स, कम्पाउडर, सफाई कर्मियों का बड़ा योगदान होता हैं. इनका प्रयास रहता हैं कि चिकित्सालय का वातावरण अधिक सुखमय बनाने के निरंतर प्रयास किये जाए ताकि मरीजो को चिकित्सा के साथ ही साथ मानसिक संतुष्टि की अनुभूति करवा सके.

यहाँ नियुक्त डोक्टर न केवल मरीज को दवाई देते है बल्कि उनके मन की समस्त पीडाओं और सवालों का समाधान करने लगे हैं. भारत में आयुष्मान भारत योजना के चलते आम आदमी की अस्पताल तक पहुँच सम्भव हो पाई हैं. देश में आज भी ऐसे कई चिकित्सालय है जो ईलाज के नाम पर लोगों की जेब काटने के कार्य में रत हैं. लोगों को नयें जीवन देने वाली ये संस्थाएं यदि ईमानदारी से न चले तो फिर जनता को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं.

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Essay yadi hospital na hota hindi

मानव सभ्यता के प्रादुर्भाव काल से औषधालय समाज के महत्वपूर्ण संस्थान के रूप में अपनी भूमिका निभाते नजर आए हैं. आज के दौर में ये मेडिकल कॉलेज और हाईटेक शहरों के अस्पतालों में तब्दील हो गये. हमारी धार्मिक मान्यताओं एवं ग्रंथों में कहा गया हैं कि भगवान स्वयं पहले चिकित्सक के रूप में अवतरित हुए थे. धन्वन्तरि सुश्रुत सर्जन एवं आयुर्वेद चिकित्सकों हमारे देश में हुए हैं.

जैसे जैसे मानव सभ्यता का विकास होता गया, लोगों की बीमारियों के निदान के लिए सेवाभाव से प्रेरित इन संस्थाओं ने गाँव गाँव में अपनी सेवाएं देनी शुरू की. पूर्व के जमाने में वैद्यों द्वारा चिकित्सक की भूमिका का निर्वहन किया जाता था. आज हरेक स्थान पर छोटे बड़े अस्पताल खुल गये हैं. जिनमें विभिन्न विभागों में अलग अलग विद्या के प्रतिष्ठित चिकित्सक अपनी सेवा देते हैं.

हम यह कल्पना भी नहीं कर सकते कि यदि होस्पिटल न हो तो क्या होगा. उन हजारों करोड़ लोगों का क्या होगा, जो अपना जीवन दवाओं के सहारे गुजार रहे हैं. जीवनरक्षक के रूप में दवाइयाँ खाकर ही जीवित रह पाते हैं. यदि अस्पताल न हो तो इन लोगों का जीवन खतरें में पड़ जाएगा.

मानव इतिहास से ही चिकित्सा हमारे जीवन का अभिन्न अंग रहा हैं. आज भी गरीब लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध नहीं हो रही है, जिसके चलते बड़ी संख्या में लोगों को अपने जीवन से हाथ धोना पड़ता हैं. ऐसे में यदि चिकित्सालय ही न हो तो निश्चय ही जीवन के प्रति असुरक्षा का भाव बढ़ जाएगा तथा संसार भर में संक्रामक बीमारियाँ तेजी से फैलने लगेगी. इससे मानव जीवन पर घोर संकट उत्पन्न हो जाएगा.

सरकारी अस्पताल पर निबंध Essay on government hospitals in india in hindi

aspatal essay in hindi: भारत में सरकारी तथा निजी स्तर पर चलने वाले चिकित्सालयों का बड़ा तंत्र मौजूद हैं. देश के प्रत्येक कोने में ग्राम पंचायत तक की आबादी के बीच एक सरकारी चिकित्सालय खुला हुआ हैं. सरकार के स्तर पर यह प्रयास रहता है कि प्रत्येक व्यक्ति को ईलाज मुहैया कराने के लिए 5 मील की दूरी तरह एक स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किया जाए.

भारत में सबसे छोटे स्तर पर उप स्वास्थ्य केंद्र एवं इसके ऊपर प्राथमिक चिकित्सालय केंद्र स्थापित होते हैं. अमूमन ये दो से तीन हजार की आबादी वाले गाँवों में ही स्थापित होते हैं. इसके बाद तहसील और जिला स्तर पर बड़े अस्पताल और मेडिकल कॉलेज अपनी स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करते हैं.

आयुष्मान भारत योजना के तहत अब प्रत्येक व्यक्ति को 5 लाख तक के निशुल्क ईलाज का अधिकार मिला हैं. सरकारी अस्पतालों में यह योजना लागू है ही साथ ही निजी अस्पतालों में भी इसे लागू किया गया हैं. एक अस्पताल में समस्त तरह के ईलाज की सुविधाएं राज्य द्वारा उपलब्ध करवाई जाती हैं.

आवश्यक संख्या में डॉक्टर, परिचर्या, सफाई कर्मचारी एवं हेल्पर एक सरकारी अस्पताल में सेवारत रहते हैं. विरिष्ट पदाधिकारी के पास समस्त चिकित्सालय का कार्यभार रहता हैं. पिछले कुछ वर्षों से प्रसव सुविधा से लेकर साफ़ सफाई और 24 घंटे खुले चिकित्सालय मिलने लगे हैं. सभी कर्मचारी अब अपनी ड्यूटी को सेवा भाव से निभाकर जनसेवा में बड़ी भूमिका अदा कर रहे हैं.

Essay on A Visit to a Hospital in Hindi – एक अस्पताल का दृश्य पर निबंध

essay on one hour in hospital in hindi: मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि आप पूर्ण रूप से स्वस्थ रहे और कभी आपकों स्वास्थ्य केंद्र में जाना न पड़े. यहाँ विभिन्न तरह के रोगियों एवं पीड़ितों का ईलाज किया जाता हैं. दर्द पीड़ा और वेदना की गूंज यहाँ स्पष्ट रूप से सुनी जा सकती हैं.

पिछले सप्ताह मेरे एक दोस्त को मलेरिया हो गया था, मुझे उसके साथ अस्पताल तक जाना पड़ा. अब तक के मेरे जीवन में मुझे कभी चिकित्सालय का यथार्थ अनुभव या परिचय नहीं था. अनजान लोगों के बीच सभी के कष्ट साझा थे. बिस्तरों पर लोग लेटे हुए थे, कोई किसी को खिला पिला रहा था तो नर्स किसी का चेकअप कर रही थी.

हमने हरे पर्दे को उठाते हुए मुख्य चिकित्सक के दफ्तर में प्रवेश करते हुए नमस्ते करते हुए सीट पर बैठे. दोस्त का चेकअप हुआ, उनके ब्लड टेस्ट के लिए कुछ मिनट तक हमें इन्तजार करना पड़ा. फिर पता चला कि उसे मलेरिया बुखार है और इंजेक्शन लेने होंगे.

डॉक्टर ने नर्स को दवाई और इंजेक्शन दिए. जो मेरे दोस्त के लिए थे. उन्हें एक खाली बेड पर लिटाकर इंजेक्शन देने की तयारी चल ही रही थी. कि मैंने निकास द्वार की ओर प्रस्थान करना शुरू किया. मैं यह सब नहीं देख सकता था. कुछ मिनट की चहल कदमी के बाद लौटा तो नर्स अपना काम कर चुकी थी.

उन्होंने मुझे कुछ दवाइयाँ दी और खाने और दवाई लेने की आवश्यक परामर्श देने के बाद कुछ देर विश्राम करने के बाद जाने को कहा, अस्पताल का दृश्य बेहद करुणामय था. लोग कई दिनों से वार्ड में भर्ती थे. उनके सगे सम्बन्धी उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना में मानों ईश्वर से दिल ही दिल में प्रार्थना किये जा रहे हो.

अस्पताल आधुनिक सुविधाओं से युक्त एवं पर्याप्त चिकित्सा कर्मी थे. एक ओपरेशन रूम भी था, जिसमें शल्य चिकित्सा की जाती हैं. तभी सफाई कर्मचारी अपने कर्तव्य को निभाने आ पहुंचे उन्होंने सफाई शुरू की, मैंने अपने दोस्त को उठाते हुए उनके हाथ को अपने कंधे पर रखते हुए बाहर ले आया और घर की तरफ चल पड़े.

अस्पताल की जानकारी आपके अधिकार (Your Rights When You Goes Hospital In Hindi)

जब हम बीमार होते है तो अस्पताल जाना ही पड़ता हैं, एक जागरूक नागरिक के रूप में हमारे भी कुछ अधिकार होते हैं जिन्हें हम हॉस्पिटल जाते समय ध्यान रखे तो निसंदेह अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से बच सकते हैं. हेल्थ सर्विस देने वाले सभी तरह के अस्पताल मेडिकल क्लीनिक कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के अधिन आते हैं. ऐसे में यदि डॉक्टर की कोई लापरवाही हो तो उसके खिलाफ शिकायत की जा सकती है वाजिब मामला होने पर कन्जूमर कोर्ट हर्जाना भी दिलाता हैं.

भारत की मेडिकल काउंसिल का यह दायित्व है कि वे यह सुनिश्चित करे कि सभी तरह के अस्पतालों में कोड ऑफ़ मेडिकल एथिक्स रेग्युलेशंस की कड़ाई से पालना की जाए. देश के प्रत्येक नागरिक को अस्पताल में निम्न अधिकार प्राप्त होते हैं.

  • आपातकालीन ईलाज का अधिकार: प्रत्येक व्यक्ति का यह अधिकार है कि वह इमरजेंसी के हालातों में चिकित्सालय में त्वरित ईलाज पा सके. भले ही अस्पताल के डोक्टर कितने भी व्यस्त हो उन्हें गम्भीर रूप से पीड़ित व्यक्ति को पहले देखना पड़ता हैं. इसमें डोक्टर चाहे वे निजी अथवा सरकारी हो वे आर्थिक अथवा पुलिस कार्यवाही की पूर्व मांग कर सकते हैं.
  • समस्त मेडिकल खर्च का विवरण जानने का अधिकार: एक मरीज का यह अधिकार है कि चिकित्सक से उस रोग के बारें में समस्त जानकारी उसके ईलाज आने वाले खर्च आदि की जानकारी मौखिक अथवा लिखित रूप में प्राप्त कर सकता हैं.
  • जांच रिपोर्ट को समझने का हक: किसी भी तरह के अस्पताल में रोगी को अपने ईलाज से जुड़ी समस्त रिपोर्ट प्राप्त करने का अधिकार होता हैं. रिपोर्ट की छायाप्रति मरीज को भर्ती होने के 24 घंटों एवं डिचार्ज होने के 72 घंटों में दी जानी अनिवार्य हैं.
  • अन्य चिकित्सक की परामर्श का अधिकार: किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्ति जिन्हें जान का जोखिम हो वह किसी अन्य विशेष्यज्ञ चिकित्सक का परामर्श ले सकता हैं साथ ही अस्पताल प्रशासन से अपनी जांच की समस्त रिपोर्ट को भी ले सकता हैं.
  • प्राइवेसी का अधिकार: एक डॉक्टर की यह नैतिक जिम्मेदारी होती है कि वह अपने मरीज की बीमारी से जुड़ी कोई भी बात गोपनीय रखे.

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आशा करता हूँ दोस्तों आपकों अस्पताल पर निबंध | Essay On Hospital In Hindi का यह निबंध अच्छा लगा होगा. इस निबंध में दी गई जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करे.