संस्कृत में अवयव कौन कौन से होते हैं? - sanskrt mein avayav kaun kaun se hote hain?

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अव्यय शब्द (Indeclinable)


अव्यय शब्द

संस्कृत ज्ञान के लिए अव्यय शब्दों का ज्ञान होना भी परमावश्यक है। इन शब्दों को अव्यय इसलिए कहते है, क्योंकि इनमें लिंग, वचन, विभक्ति के अनुसार किसी भी प्रकार का कोई भी परिवर्तन नही होता है।

अव्यय शब्द और उनके अर्थ निम्नलिखित है-

स्थानवाचक अव्यय 

संस्कृत शब्दहिंदी अर्थ 
अत्र  यहाँ
अन्यत्र दूसरी जगह
कुत्र, क्व कहाँ
तत्र वहाँ
यत्र जहाँ
यत्र -तत्र कहीं - कहीं
यत्रंकुत्र जहाँ कही
सर्वत्र सब जगह

समय वाचक अव्यय

संस्कृत शब्दहिंदी अर्थ 
अधुना आजकल
अद्य आज
अचिरात/ अचिरण शीर्घ
अजसम् सदा 
कदा कब
तदा तब
तदानीम् तब
क्षिप्रम् शीघ्र
दिवा दिन में
परश्वः परसों
प्रातः सुबह 
यदा कदा   कभी कभी
श्वः कल
ह्राः बिता हुआ कल
पुरा  पुराने समय से
अन्येधुः, परेधुः दूसरे दिन 

प्रकार वाचक अव्यय 

संस्कृत शब्दहिंदी अर्थ 
यथा      जिस प्रकार, जैसे
एवम् इस तरह
इत्यम ऐसे
सर्वथा सब प्रकार
तथा उस प्रकार (वैसे)
कथम् किस प्रकार (कैसे)
एवम् इस प्रकार (ऐसे)
सम्भव अच्छी तरह
यथा- तथा जैसे- तैसे 

विविध अव्यय

संस्कृत शब्दहिंदी अर्थ
अपि भी
अलम् बस, पर्याप्त
अतः इसीलिए
अथ- किम् और क्या, (जी हाँ )
अधः,अधस्तात् नीचे
अग्रे आगे
अन्यथा नहीं तो
अन्यत् दूसारा
आम् जी हां
अंतरा बीच में
इतस्ततः इधर - उधर
इव समान
उपरी ऊपरी
उच्चैः ऊँचे
एव ही
कृते के लिए
क्व कहाँ
किन्तु लेकिन
कुतः कहां से 
और
तूष्णीम् चुपचाप
ततः वहां से (इसके बाद)
नहीं
पश्चात्  बाद में, पीछे
पुनः फिर
प्रायः बहुधा
बहि बाहर
वृथा व्यर्थ में
महते नीच में
यतः क्योंकि
शनैः शनैः धीरे धीरे
सहसा एकाएक
सकृत् एक बार
सह साथ
समक्षम् सामने

अव्यय शब्दों का संस्कृत वाक्यों में प्रयोग -

अधूना अहम् संस्कृतं पठामि  ।
इदानीम्  मोहनः गृहे नास्ति ।
त्वम्  शीघ्रं मा गच्छ ।
छात्राः प्रातः भ्रमन्ति ।
अहम् कदाचित् पठामि ,कदाचित् लिखामि ।
ते शनैः शनैः गच्छन्ति ।
यावद्  अहम् आगच्छामि , तावत् त्वं तत्रैव तिष्ठ ।
ज्ञानम् बिना सुखम् न भवति ।
यदि सः गच्छति तर्हि अहम् अपि गच्छामि ।
त्वं इतस्ततः वृथा किमर्थम् भ्रमसि ।
इस प्रकार अव्यय शब्दों का प्रयोग संस्कृत वाक्यों में किया जाता है |


 

संस्कृत में अव्यय कौन कौन से होते हैं?

यहाँ यह भी ध्यातव्य है कि यकार एवं तकार वाले, जैसे कि यद्यपि तथापि, यथा-तथा, यदि - तर्हि, यत्र-तत्र, यावत् - तावत्, यदा तदा इत्यादि अव्ययों का वाक्यों में प्रयोग प्रायश: एक साथ ही करना चाहिए, अन्यथा वाक्य अपूर्ण ही रहता है।

अव्यय किसे कहते हैं इसके कितने भेद होते हैं?

अव्यय का रूपांतरण नहीं किया जा सकता इसलिए इन शब्दों को अविकारी शब्द कहा जाता है और इनका व्यय नहीं किया जा सकता इसलिए अव्यय कहलाते हैं। जैसे- जब, तब, अभी, उधर, वहाँ, इधर, कब, क्यों, वाह, आह, ठीक, अरे, और, तथा, एवं, किन्तु, परन्तु, बल्कि, इसलिए, अतः, अतएव, चूँकि, अव्यय, अर्थात इत्यादि।

अव्यय क्या होता है?

किसी भी भाषा के वे शब्द अव्यय (Indeclinable या inflexible) कहलाते हैं जिनके रूप में लिंग, वचन, पुरुष, कारक, काल इत्यादि के कारण कोई विकार उत्पत्र नहीं होता। ऐसे शब्द हर स्थिति में अपने मूलरूप में बने रहते है।