सप्तक में कितने स्वर होते हैं - saptak mein kitane svar hote hain

Saptak in Music in Hindi Definition सप्तक किसे कहते हैं सप्तक के प्रकार is available on saraswati sangeet sadhana.

सप्तक की परिभाषा

क्रमानुसार सात शुद्ध स्वरों के समूहो को सप्तक कहते हैं । सातों स्वरों के नाम – सा रे ग म प ध और नि हैं । सा से जैसे जैसे हम आगे बदते जाते हैं , स्वरों की आन्दोलन  – संख्या  बद्ती जाती है । रे की आन्दोलन  – संख्या सा से ,ग की रे से ,व म की ग से , अधिक होती है ।

प्रत्येक सप्तक में सा के बाद रे,ग,म, प,ध,नि,स्वर  होते हैं । नि के बाद फिर से सां आता है । और इसी स्वर से दूसरा सप्तक शुरू होता है । यह सा अथवा तर सां पिछली सा से दुगनी ऊंचाई पर रेहता है

उधारण के लिए अगर मध्य सा की आन्दोलन  संख्या 240 है तो तर सां की आन्दोलन  संख्या 480 होगी । सा से नि तक एक सप्तक होता है । नि के बाद दूसरा सां (तार) आता है और इसी स्थान से दूसरा सप्तक भी शुरू होता है । दूसरा सप्तक भी नि तक रेहता है और फ़्हिर से नि के बाद अति तार सा आता है ।

Types of Saptak in music in hindi

सप्तक के कितने प्रकार होते हैं ?

सप्तक के प्रकार

(1)      मन्द्र सप्तक

(2)      मध्य सप्तक

(3)      तार सप्तक

मध्य सप्तक किसे कहते हैं ?

मध्य सप्तक –

जिस सप्तक में हम अधिकतम गाते – बजाते हैं वह मध्य सप्तक  कहलता है । इस सप्तक के स्वरों का उपयोग दूसरे सप्तक के स्वरो की अपेक्षा अधिक होता है । इस सप्तक के स्वरों की आन्दोलन  संख्या मन्द्र सप्तक के स्वरों की आन्दोलन  संख्या से दुगुनी होती है और अगले सप्तक अर्थात तार सप्तक के स्वरों के आधी होती है । इसमे शुद्ध व विकृत स्वर कुल 12 होते हैं ।

 मन्द्र सप्तक  –

मध्य सप्तक  के पहले का सप्तक मन्द्र सप्तक  कहलता है । यह सप्तक मध्य सप्तक से आधा होता है अर्थात मन्द्र सप्तक  के प्रत्येक स्वरों की आन्दोलन  संख्या मध्य सप्तक के उसी स्वर के आन्दोलन  की आधी होती है .जैसे मध्य के प की आन्दोलन  संख्या 360 है तो मन्द्र सप्तक  के प की आन्दोलन  संख्या 180 होगी ।

तार सप्तक –

मध्य सप्तक के बाद का सप्तक तार सप्तक कहलता है । यह सप्तक मध्य सप्तक क दुगुना होता है । दूसरे शब्दों मैनतार सप्तक के प्रत्येक स्वर में मध्य सप्तक के उसी स्वर से दुगुनी आन्दोलन रहती है          जैसे – मध्य सप्तक के रे की आन्दोलन संख्या 270 है तो तार सप्तक के रे की आन्दोलन संख्या 540 होगी। इसमे भी 7 शुद्ध स्वर और 5 विकृत स्वर होते हैं ।  

सप्तक परिभाषा

सप्तक किसे कहते हैं सप्तक की परिभाषा क्या है

क्रमानुसार सात शुद्ध स्वरों के समूहो को सप्तक कहते हैं । सातों स्वरों के नाम – सा रे ग म प ध और नि हैं । सा से जैसे जैसे हम आगे बदते जाते हैं , स्वरों की आन्दोलन  – संख्या  बद्ती जाती है । रे की आन्दोलन  – संख्या सा से ,ग की रे से ,व म की ग से , अधिक होती है ।

सप्तक की संख्या कितनी है ? सप्तक कितने होते हैं ? सप्तक के कितने प्रकार माने गए हैं ?

सप्तक के प्रकार
(1)      मन्द्र सप्तक
(2)      मध्य सप्तक
(3)      तार सप्तक

संगीत में सप्तक किसे कहते हैं ?

क्रमानुसार सात शुद्ध स्वरों के समूहो को सप्तक कहते हैं । सातों स्वरों के नाम – सा रे ग म प ध और नि हैं । सा से जैसे जैसे हम आगे बदते जाते हैं , स्वरों की आन्दोलन  – संख्या  बद्ती जाती है । रे की आन्दोलन  – संख्या सा से ,ग की रे से ,व म की ग से , अधिक होती है ।

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सात स्वरों के समूह को जब एक क्रम में कहा जाता है अथवा लिखा जाता है, तब उसे सप्तक कहते हैं। संक्षेप में हम कह सकते हैं कि सप्तक में सातों स्वर क्रमानुसार होते हैं।

उदाहरण के लिए - सा, रे, ग, म, प, ध, नी यह एक सप्तक हैं। सप्तक में यह ध्यान रखा जाता है कि सातों स्वर एक दूसरे के बाद आऐं। एक सप्तक ‘सा’ स्वर से ‘नि’ स्वर तक होता है। अब इस ‘नि’ के बाद ‘सा’ आता है जो पहले सा से दुगुना ऊॅचा होता है। इस रूप में दूसरा नया सप्तक प्रारम्भ होता है। इस नये सप्तक के सभी स्वर पहले सप्तक के स्वरों से दुगुने ऊॅचे होते हैं।

इस प्रकार एक के बाद एक न जाने कितने सप्तक हो सकते हैं, परन्तु विद्वानों ने केवल तीन सप्तक माने हैं। कारण यह है कि साधारणतः मनुष्य की आवाज निम्न तीन सप्तकों के मध्य ही रहती है। केवल कुछ वाद्यों में इन तीनों सप्तकों के अतिरिक्त कुछ ऊपर तथा नीचे स्वर रहते हैं। 

सप्तक के प्रकार

मुख्य तीन सप्तक हैं:- 

सप्तक में कितने स्वर होते हैं - saptak mein kitane svar hote hain

1. मन्द्र सप्तक - साधारण आवाज से दुगुनी नीची आवाज को मन्द्र सप्तक की आवाज कहते हैं। साधारण आवाज वह है जिसे बोलने अथवा जिन स्वरों को गाने में हमारे गले पर कोई जोर नहीं पड़ता। इससे दुगुनी नीची आवाज जिसमें स्वर लगाने से हृदय पर जोर पड़ता है, मन्द्र सप्तक की आवाज कहलाती है। 

2. मध्य सप्तक - मध्य का अर्थ है बीच का। वह आवाज जो ना तो अधिक नीची होती है और न ही अधिक ऊॅची, अर्थात् बीच की आवाज मध्य सप्तक की आवाज कहलाती है। 

3. तार सप्तक - मध्य सप्तक से दुगुनी ऊॅची आवाज को तार सप्तक की आवाज कहते हैं। इस सप्तक के स्वरों को गाने से हमारे तालु तथा मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ता है।

सप्तक में कुल कितने स्वर होते हैं?

इस क्रम के अनुसार षड्ज से निषाद तक सातों स्वरों के समूह को सप्तक कहते हैं

12 स्वर कौन से होते हैं?

शुद्ध स्वर स ,रे, गा, मा, पा,ध, नी, होता है। बिकृत में ( स,-प)स्थायी है बाकी स्वर रे, गा, ध, नी कोमल और म तीब्र है। कुल मिलाकर स्वर बना 12( बारह).।

7 स्वर कौन कौन से हैं?

भारत में इन सातों स्वरों के नाम क्रम से षड्ज, ऋषभ, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत और निषाद रखे गए हैं जिनके संक्षिप्त रूप सा, रे ग, म, प, ध और नि हैं

सप्तक की संख्या कितनी है?

हिंदी में चार सप्तक प्रकाशित हुए हैं। इनके कवियों की सूची निम्नलिखित है।