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Published in JournalYear: Feb, 2019 Article Details
निःशस्त्रीकरण की समस्याएं “विश्व को सम्भावित परमाणु विध्वंस तथा पूर्ण विनाश से बचाना” सभी देशों का मुख्य उद्देश्य है, और होना भी चाहिए। यद्यपि इस उद्देश्य की प्राप्ति का एक मुख्य साधन निश्चय ही निःशस्त्रीकरण तथा शस्त्र-नियन्त्रणहै, लेकिन अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धोंनिःशस्त्रीकरण का विषय सदा से ही एक जटिल तथा विवादास्पद विषय रहा है। एक ओर, विश्व जनमत स्पष्टतया शस्त्र-नियन्त्रण के पक्ष में है तो दूसरी ओर इस उद्देश्य को प्राप्त करने के रास्ते में बड़ी-बड़ी कठिनाइयाँ विद्यमान हैं। वी० वी० डाइक द्वारा दी गई निम्नलिखित कठिनाइयाँ मुख्यरूप से निःशस्त्रीकरण तथा शस्त्र-नियन्त्रण में बाधक रही हैं-
इन छः मुख्य तत्त्वों के अतिरिक्त सैन्य तकनीक की भारी गतिशीलता, तथा आर्थिक-व्यवस्था में शस्त्रास्त्र उद्योग का महत्त्व वर्तमान समय की दो मुख्य कठिनाइयाँ रही हैं। इनके साथ-साथ प्रत्येक राष्ट्र का अपनी प्रभुसत्ता के साथ संकीर्ण प्रकार का प्रेम निःशस्त्रीकरण तथा शस्त्र-नियन्त्रण के रास्ते की कठिनाई है। वास्तविक प्रक्रिया में समकालीन अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों में निःशस्त्रीकरण तथा शस्त्र-नियन्त्रण के रास्ते में अन्य बड़ी कठिनाई इस उद्देश्य के सम्बन्ध में विभिन्न देशों के बीच दृष्टिकोणों का अन्तर रहा है। अन्तरिक्ष की खोज के प्रश्न को अर्थात् सुरक्षा व्यवस्था के प्रश्न को जिसमें बाह्य अन्तरिक्ष का प्रयोग भी आया है, छोड़कर आज अमरीका अपने को सामरिक तथा मध्यम मारक-शक्ति वाले शस्त्रों के सम्बन्ध में निःशस्त्रीकरण तथा शस्त्र-नियन्त्रण से जोड़ना चाहता है। सोवियत संघ के विघटन के बाद उत्तराधिकारी बना रूस निःशस्त्रीकरण तथा शस्त्र-नियन्त्रण के सभी पहलुओं पर बातचीत करना चाहता है तथा वह चाहता है कि अमरीका शस्त्र-नियन्त्रण के हित में अपने सितारा-युद्ध कार्यक्रम का परित्याग करने के लिए तैयार हो। INF, START-I, START-II तथा रासायनिक शस्त्रों की समाप्ति सम्बन्धी सन्धि ने एक नये सकारात्मक तथा उत्साहपूर्ण वातावरण को जन्म दिया। पिछले कुछ वर्षों से परमाणु शस्त्रधारी राज्यों ने नये परमाणु परीक्षण न करने की नीति अपनाई, परन्तु परमाणु निःशस्त्रीकरण-शस्त्र नियन्त्रण तथा साधारण निःशस्त्रीकरण के सम्बन्ध में कोई विशेष प्रगति न हो सकी। CTBT का मुद्दा भी लटक ही गया विशेषकर अमरीकी सीनेट द्वारा CTBT पर अमरीकी हस्ताक्षरों की पुष्टि न करने के बाद। अब अमरीकी ने राष्ट्रीय मिसाइल सुरक्षा प्रोग्राम आरम्भ कर दिया है जिसका रूस और चीन विरोध कर रहे हैं। रूस यह समझता है कि इससे ABM सन्धि टूट जायेगी। अमरीकी प्रशासन अपने नये प्रोग्राम को चलाने के लिये दृढ़ संकल्प है। एक बार फिर निःशस्त्रीकरण और शस्त्र-नियन्त्रण का मुद्दा उलझता दिखाई दे रहा है। अक्तूबर 2001 में आतंकवाद के विरुद्ध आरम्भ हुए युद्ध ने एक बार फिर शस्त्रों तथा सशस्त्र सैनिकों की आवश्यकता को प्रकट किया। निष्कर्षइस तरह निःशस्त्रीकरण के रास्ते में विभिन्न कठिनाइयाँ विद्यमान हैं तथा इस अवधारणा के साथ कितनी ही समस्याएं जुड़ी हैं। निःशस्त्रीकरण समझौते की सम्भावनाओं का विश्लेषण करते हुए श्लीचर ने बड़ी अच्छी तरह सारे विषय का सार प्रस्तुत किया है, “निःशस्त्रीकरण तथा शस्त्र-नियन्त्रण पर अन्तर्राष्ट्रीय समझौते की सम्भावनाएँ, इसका स्वरूप तथा प्रभाव कई मुख्य तत्त्वों पर आधारित हैं। इनमें से दो अनुकूल विशेषताएँ हैं- (i) परमाणु युद्ध का डर, तथा (ii) शान्ति की इच्छा और यह विश्वास कि शस्त्रों के तनाव से युद्ध बढ़ते हैं तथा अनियम्बित शस्त्र-दौड़ से अस्थिरताएँ और जोखिम। दूसरी तरफ तीन गम्भीर कठिनाइयाँ हैं (i) राष्ट्रवाद तथा संप्रभुता का तत्त्व, (ii) अनुपात की समस्या तथा (iii) राष्ट्रों के बीच अविश्वास । दो अतिरिक्त तत्त्व-(i) निःशस्त्रीकरण को या फिर शस्त्र नियंत्रण को प्राथमिकता तथा (ii) राजनीतिक समस्याओं का निपटारा या फिर आर्थिक मुद्दों पर ध्यान समझौते के पक्ष तथा विपक्ष दोनों में शामिल किए जा सकते हैं। इन तत्त्वों में से रुकावट डालने वाले तत्त्व इस समय तक अनुकूल तत्त्वों से अधिक शक्तिशाली रहे हैं। लेकिन आज परमाणु निःशस्त्रीकरण तथा शस्त्र-नियन्त्रण के पक्ष में विश्व जनमत दृढ़ हो रहा है। नवम्बर 2001 में अमरीका तथा रूस ने अपने-अपने परमाणु शस्त्र भण्डारों में काफी कटौती करने का सैद्धांतिक रूप में निर्णय लिया। महत्वपूर्ण लिंक
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सामूहिक सुरक्षा क्या है सामूहिक सुरक्षा की समस्या की विवेचना कीजिए?सामूहिक सुरक्षा का अर्थ
जो अंतरराष्ट्रीय राजनीति में शांति व्यवस्था स्थापित करने का या फिर बाहरी देशों द्वारा आक्रमण को रोकने के एक साधन के रूप में अपना विशेष महत्व रखता है । साधरण शब्दों में कहा जाए तो सामुहिक सुरक्षा दूसरे देशों द्वारा आक्रमण को एकत्रित रूप में रोकने की व्यवस्था है ।
सामूहिक सुरक्षा के लिए कौन सा तत्व अनिवार्य है?सामूहिक सुरक्षा के तत्व (samuhik suraksha ke tatva)
सामूहिक सुरक्षा के लिए सामूहिक प्रयास को स्पष्ट करने से पूर्व Aggression शब्द का अर्थ जान लेना आवश्यक हैं। यह स्पष्ट है कि जो आक्रमण से पहले करता है वह आक्रमणकारी होता है। यदि A, B पर आक्रमण इसलिए करता है क्योंकि वह इससे भयभीत है तो दोष बंट जाता हैं।
शक्ति संतुलन से क्या अभिप्राय है?शक्ति-संतुलन का सिद्धान्त (balance of power theory) यह मानता है कि कोई राष्ट्र तब अधिक सुरक्षित होता है जब सैनिक क्षमता इस प्रकार बंटी हुई हो कि कोई अकेला राज्य इतना शक्तिशाली न हो कि वह अकेले अन्य राज्यों को दबा दे।
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