राजभाषा से आप क्या समझते हैं Class 12? - raajabhaasha se aap kya samajhate hain chlass 12?

1. भाषा

‘भाषा’ शब्द की मूल क्रिया भाष’ है। भाष का अर्थ ‘बोलना’ या ‘कहना’ होता है। जिन ध्वनियों द्वारा मनुष्य परस्पर विचार-विनिमय करता है,उसकी समष्टि को भाषा कहते हैं। बोलते समय हमारे विचारों की पूर्ण अभिव्यक्ति ध्वनि-चिह्नों से नहीं होती, मदद के लिए हम इंगित का भी प्रयोग करते हैं; जैसे-मुखाकृति, नयनों के भाव, हाथों का संचालन आदि। इंगित की सहायता के बिना वाणी अभिव्यक्ति में अपूर्ण रह जाती है।

राजभाषा से आप क्या समझते हैं Class 12? - raajabhaasha se aap kya samajhate hain chlass 12?

परिभाषा-उच्चरित ध्वनि-संकेतों की सहायता से भाव या विचार की पूर्ण अभिव्यक्ति भाषा है। भाषा के मुख के कण्ठ,तालु आदि उच्चारण अवयवों से बोली गयी वह ध्वनि है जिसके द्वारा किसी समाज के लोग आपस में विचारों का आदान-प्रदान करते हैं। भाषा के तीन पक्ष होते हैं-

(1) व्यक्तिगत,
(2) सामाजिक,
(3) सामान्य या सर्वव्यापक।

भाषा के उपयोग का सबसे व्यापक क्षेत्र व्यक्ति और समाज के सम्पर्क से उत्पन्न होता है। मनुष्य का अपने आप से या किसी दूसरे व्यक्ति से भाषा की दृष्टि से जो सम्बन्ध है, वह अपेक्षाकृत सीमित होता है। जिस प्रकार कोई कार्य करने के लिए अपने अंगों में समन्वय की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार व्यक्ति भी समाज के अंग होते हैं और परस्पर समन्वय तथा संगठन बनाये रखने के लिए भाषा का उपयोग अपेक्षित है। सामाजिक दृष्टि से भाषा के चार उपयोग हैं :
(1) सूचन,
(2) प्रेरण,
(3) रसन,
(4) चिन्तन।

(1) भाषा का बहुलांश सूचनात्मक होता है। तकनीकी विषय, विज्ञान, इतिहास, भूगोल और समाचार-पत्र का उद्देश्य किसी न किसी प्रकार की सूचना देना होता है।
(2) प्रेरण को भाषा का गत्यात्मक उपयोग,कह सकते हैं। इस प्रकार की भाषा का प्रयोग जनमत के निर्माण या किसी वस्तु के पक्ष-विपक्ष में धारणा उत्पन्न करने के लिए किया जाता है।
(3) सामाजिक दृष्टि से भाषा का तीसरा उपयोग रचनात्मक या रसास्वादन है, जिसमें भाषा का रमणीय पक्ष सामने आता है। इसका मुख्य लक्षण भावों को उद्दीपन करना है। जैसे—युद्ध आदि के अवसर पर वीर रस की कविताएँ या चुनाव-प्रचार के समय जोशीले भाषण जन-भावना को जगाने की दृष्टि से होते हैं। इसका प्रधान उद्देश्य सौन्दर्यबोध भी है।
(4) भाषा का अन्यतम सामाजिक उपयोग चिन्तन से सम्बद्ध है। हम अपनी कोई वैयक्तिक समस्या सुलझाने के लिए जो चिन्तन करते हैं, वह समाज-निरपेक्ष होता है। इसके विपरीत धर्म,दर्शन, अर्थनीति, राजनीति आदि का सैद्धान्तिक निरूपण समाज-सापेक्ष चिन्तन के अन्तर्गत आता है।

भाषा के इन उपयोगों में परस्पर संकीर्णता नहीं है, क्योंकि एक की सीमा दूसरे से मिल जाती है।

भाषा का प्रयोग कई अर्थों में होता है। भाषा शब्द का प्रयोग कभी व्यापक अर्थ में होता है तो कभी संकुचित। जैसे—मूक भाषा,पशु-पक्षियों की भाषा आदि। व्यक्त वाणी का अर्थ यह भी है कि स्पष्ट और पूर्ण अभिव्यंजना हो जो वाचिक भाषा के सूक्ष्म अर्थ की बोधक है।

2. बोली

शिक्षा, संस्कार, पालन-पोषण, व्यवसाय, सामाजिक स्थिति, वातावरण आदि के भेद से व्यक्ति की भाषा का निर्धारण होता है। प्रत्येक व्यक्ति की भाषा दूसरे से भिन्न होती है या प्रत्येक व्यक्ति की भाषा स्वतन्त्र बोली जाती है। उसकी अपनी भाषा की विशेषता दूसरों से भिन्न होती है। किन्तु एक व्यक्ति की भाषा सदा एकरूप नहीं होती।

एक भाषा-क्षेत्र में कई उप-बोलियाँ होती हैं। प्रकृति की दृष्टि से भाषा और बोली में अन्तर करना बहुत कठिन है। ‘बोली’ किसी भाषा के एक ऐसे सीमित क्षेत्रीय रूप को कहते हैं जो ध्वनि, रूप, वाक्य-गठन, अर्थ,शब्द-समूह तथा मुहावरों आदि की दृष्टि से उस भाषा के अन्य क्षेत्रीय रूपों से भिन्न होती है।

जब बोली किन्हीं कारणों से महत्त्व प्राप्त कर लेती है तो भाषा कहलाने लगती है।

  • मध्य प्रदेश की मुख्य बोलियाँ –
  • मालवी – देवास,इन्दौर, धार, उज्जैन,रतलाम। [2009]
  • निमाड़ी – खरगौन, बड़वानी, खंडवा,झाबुआ।
  • ब्रज – भिण्ड,मुरैना, ग्वालियर, शिवपुरी, गुना।
  • बुन्देली – दतिया, टीकमगढ़, सागर, छतरपुर, जबलपुर। [2009]
  • छत्तीसगढ़ी – सरगुजा, बिलासपुर, रायपुर, दुर्ग।
  • बघेली – रीवा, सतना, सीधी, बालाघाट, शहडोल।
  • खड़ी बोली–प्रायः पूरे प्रदेश में पढ़े – लिखे सुसंस्कृत लोगों की बोली है। इसमें संस्कृत के साथ अरबी, फारसी, अंग्रेजी के तद्भव शब्दों के रूप मिलते हैं।

3. विभाषा (उप-भाषा)

इसे उप-भाषा भी कहा जाता है। विभाषा का क्षेत्र भाषा से कम व्यापक एकं बोली से अधिक विस्तृत होता है। एक प्रदेश में अथवा प्रदेश के भाग में सामान्य बोल-चाल, साहित्य आदि के लिए प्रयुक्त होने वाली भाषा को विभाषा कहते हैं। इसे क्षेत्रीय भाषा भी कहते हैं। पूर्वी हिन्दी, पश्चिमी हिन्दी,राजस्थानी, बिहारी एवं गढ़वाली आदि विभाषाएँ हैं।

हिन्दी की पाँच उप-भाषाएँ हैं और प्रत्येक उप-भाषा की निम्नलिखित बोलियाँ हैं
(1) शौरसेनी-पश्चिमी हिन्दी (ब्रजभाषा,खड़ी बोली,बाँगरू, कन्नौजी,बुन्देली)। राजस्थानी (मेवाती,मारवाड़ी,मालवी,जयपुरी)। गुजराती (सौराष्ट्री)।
(2) अर्द्धमागधी-पूर्वी हिन्दी (अवधी, बघेली, छत्तीसगढ़ी) मागधी, भोजपुरी, मगही, मैथिली,बंगला,असमी,उड़िया।
(3) खस–पहाड़ी (गढ़वाली, कुमाऊँनी, गोरखाली)।
(4) ब्राचड़-पंजाबी, सिन्धी।
(5) महाराष्ट्री-मराठी,कोंकणी।

राजभाषा से आप क्या समझते हैं Class 12? - raajabhaasha se aap kya samajhate hain chlass 12?

4. मातृभाषा

जो जिस प्रान्त का होता है और उसके माता-पिता,विशेषकर माता जो बोली बोलती हैं,वह मातृभाषा कहलाती है। भारत में बोलियों के अलावा 15 भाषाएँ प्रमुख हैं,जो वहाँ के सम्बन्धित निवासियों की मातृभाषा है। हिन्दी,मराठी, गुजराती,बंगला, असमिया,तेलुगू, तमिल,मलयालम, कन्नड़,पंजाबी,सिन्धी,उड़िया,उर्दू-ये प्रमुख मातृभाषाएँ हैं। इनको संविधान में भी स्थान प्राप्त है। प्रायः इन सभी भाषाओं में साहित्य की रचना की गयी है। इसलिए इन्हें भाषा का दर्जा प्राप्त है।

5. राजभाषा

राजभाषा और राष्ट्रभाषा ये दोनों शब्द मिलते-जुलते हैं,पर इनमें सामान्य और पारिभाषिक शब्द भिन्न हैं। अंग्रेजी में इनको ‘ऑफिशियल लेंग्वेज’ और ‘नेशनल लेंग्वेज’ कहते हैं।

राजभाषा यानी सरकारी कामकाज की भाषा अथवा भारतीय संघ की भाषा है। भारत का संविधान बनाते समय हिन्दी को राजभाषा माना गया। सात राज्यों में हिन्दी राजभाषा है, शेष राज्यों में अपनी-अपनी प्रदेशों की भाषाएँ हैं। सिन्धी, संस्कृत, कश्मीरी किसी भी राज्य की राजभाषा नहीं है।

राजभाषा बनाने के लिए सरकारी कामकाज इसी भाषा में होना चाहिए। शिक्षा का माध्यम, कार्य के निर्णय,रेडियो और दूरदर्शन में राजभाषा का प्रयोग होना चाहिए। लेकिन अहिन्दी भाषी राज्यों की सुविधा को ध्यान कर भारतीय संविधान में अंग्रेजी का प्रयोग सीमित समय तक के लिए रखा गया है।

6. राष्ट्रभाषा

प्रत्येक स्वतन्त्र राष्ट्र की एक सर्वसम्मत राष्ट्रभाषा होती है। राष्ट्रभाषा में राष्ट्र की संस्कृति, साहित्य और इतिहास की प्रेरणाएँ निहित होती हैं,जो जनजीवन को प्रभावित करती हैं। बहुभाषी देशों में सभी भाषाओं को समान सम्मान मिलता है,लेकिन वहाँ सम्पर्क की एक ही भाषा होती है जो राष्ट्रभाषा कहलाती है। देश के विभिन्न प्रदेश अपने प्रदेश में अपनी भाषा का प्रयोग कर सकते हैं, किन्तु जहाँ सम्पूर्ण राष्ट्र का प्रश्न आता है, वहाँ वे अपनी राष्ट्र भाषा का ही प्रयोग करते हैं। स्वतन्त्रता-प्राप्ति के पश्चात् भारतीय संविधान में हिन्दी को राष्ट्र भाषा का पद दिया गया है।

राष्ट्रभाषा उसी तरह महत्त्वपूर्ण होती है,जैसे-राष्ट्रगान, राष्ट्रध्वज अथवा राष्ट्र चिह्नी वह पूरे राष्ट्र की संस्कृति की अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है। इसी भाषा से उस व्यक्ति,समाज, देश का व्यक्तित्व झलकता है।

राष्ट्रभाषा के लिए सम्पर्क भाषा शब्द भी प्रयुक्त होता है।

राजभाषा से आप क्या समझते हैं Class 12? - raajabhaasha se aap kya samajhate hain chlass 12?

हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने का प्रमुख कारण यह है कि देश में इसके बोलने वाले 52 प्रतिशत से अधिक हैं। यही एकमात्र ऐसी भाषा है जो सभी प्रान्तों में किसी न किसी रूप में समझी जा सकती है। देश के सात हिन्दी राज्यों में हिन्दी मातृभाषा के रूप में प्रयुक्त होती है। हिन्दी का उद्भव संस्कृत परम्परा से जुड़े होने के कारण समस्त आर्य-परिवार की प्रान्तीय भाषा-शब्दावली हिन्दी से जुड़ी प्रतीत होती है।

MP Board Class 12th Hindi Solutions

राज भाषा से आप क्या समझते हैं?

अनुच्छेद 343. संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी, संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा।

राजभाषा से क्या तात्पर्य है 12 राष्ट्रभाषा से क्या तात्पर्य है?

इन नियमों का संक्षिप्त नाम राजभाषा (संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग) नियम, 1976 है। इनका विस्तार, तमिलनाडु राज्य के सिवाय सम्पूर्ण भारत पर है। ये राजपत्र में प्रकाशन की तारीख को प्रवृत्त होंगे।

राजभाषा हिंदी की विशेषता क्या है?

हिंदी देश की संविधान स्वीकृत राजभाषा है किन्तु उसके मानकीकरण की बात प्रशासकीय स्तर पर कोई नहीं सोचता । विशिष्ट पाठ्यक्रम तथा पाठ्य पुस्तकें तैयार की जाएं।