राजे ने अपनी रखवाली की कविता के रचनाकार कौन हैं - raaje ne apanee rakhavaalee kee kavita ke rachanaakaar kaun hain

राजे ने अपनी रखवाली की;
किला बनाकर रहा;
बड़ी-बड़ी फ़ौजें रखीं ।
चापलूस कितने सामन्त आए ।
मतलब की लकड़ी पकड़े हुए ।
कितने ब्राह्मण आए
पोथियों में जनता को बाँधे हुए ।
कवियों ने उसकी बहादुरी के गीत गाए,
लेखकों ने लेख लिखे,
ऐतिहासिकों ने इतिहास के पन्ने भरे,
नाट्य-कलाकारों ने कितने नाटक रचे
रंगमंच पर खेले ।
जनता पर जादू चला राजे के समाज का ।
लोक-नारियों के लिए रानियाँ आदर्श हुईं ।
धर्म का बढ़ावा रहा धोखे से भरा हुआ ।
लोहा बजा धर्म पर, सभ्यता के नाम पर ।
ख़ून की नदी बही ।
आँख-कान मूंदकर जनता ने डुबकियाँ लीं ।
आँख खुली-- राजे ने अपनी रखवाली की ।

राजे ने अपनी रखवाली की कविता का रचनाकार कौन है?

राजे ने अपनी रखवाली की / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"

राजे ने अपनी रखवाली की कविता का प्रकाशन वर्ष क्या है?

1896 - 1961 मिदनापुर , भारत

राजे ने अपनी रखवाली कैसे की?

राजे ने अपनी रखवाली की व्याख्या - सूर्यकांत त्रिपाठी निराला.
जनता पर जादू चला राजे के समाज का लोक नारियों के लिए रानियाँ आदर्श हुईं धर्म का बढ़ावा रहा धोखे से भरा हुआ ... .
खून की नदियाँ बहीं आँख-कान मूँदकर जनता ने डुबकियाँ ली आँ ... .
राजे ने अपनी रखवाली की किला बनाकर रहा ... .
कितने ब्राह्मण आये पोथियों में जनता को बाँधे हुए.

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की प्रसिद्ध कविता कौन सी है?

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सच है सूर्यकांत त्रिपाठी निराला.
जल्द-जल्द पैर बढ़ाओ सूर्यकांत त्रिपाठी निराला.
राजे ने अपनी रखवाली की ... .