रंगभेद की नीति का विरोध करने वाले दक्षिण अफ्रीका के नेता कौन थे? - rangabhed kee neeti ka virodh karane vaale dakshin aphreeka ke neta kaun the?

नेल्सन मंडेला ने गांधीवादी विचारों से प्रेरणा लेकर रंगभेद के खिलाफ अपने संघर्ष की शुरुआत की और दक्षिण अफ्रीका के दूसरे गांधी बन गए. दिल्ली के गांधी पीस फाउंडेशन से जुड़े रमेश शर्मा की नेल्सन मंडेला से मुलाकात 90 के दशक में दिल्ली में हुई थी. वह याद करते हैं, "बहुत ही मधुर मुलाकात. नेल्सन मंडेला ने अन्याय के विरुद्ध क्रोध को रचनात्मक रूप दिया. अहिंसा का सशक्त रास्ता ढूंढा. उससे अफ्रीका की आजादी के आंदोलन के साथ साथ व्यक्तिगत तौर पर भी लोगों में अहिंसक धारा की बात मन में जुड़ी."

महात्मा गांधी ने कहा था कि उन्हें आश्चर्य नहीं होगा अगर किसी दिन कोई अश्वेत नेता उनके सिद्धांतों को आगे ले जाए. वहीं जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में पश्चिम एशिया और अफ्रीका विभाग के प्रमुख प्रोफेसर अजय कुमार दुबे कहते हैं कि पुराने दर्शन को अपनाने के आयाम बदलते रहते हैं. प्रोफेसर दुबे के शब्दों में, "किसी के सिद्धांतों को इस्तेमाल करने के संदर्भ बदलते रहते हैं. जब वे उपनिवेशवाद से लड़ रहे थे, लोगों को जगाने की कोशिश हो रही थी और अपने संघर्ष के लिए जब उन्हें वैश्विक सहयोग की जरूरत थी तब गांधी बहुत प्रासंगिक थे."

हिंसा में अहिंसा

1964 से 1990 तक रंगभेद और अन्याय के खिलाफ लड़ाई की वजह से जेल में जीवन के 27 साल बिताने वाले टाटा यानी अफ्रीका के पिता नेल्सन मंडेला ने ऐसे समय में अहिंसा, असहयोग और सत्य का रास्ता अपनाया जब दुनिया हिरोशिमा और नागासाकी की हिंसा में डूबी हुई थी. दुनिया विश्व युद्ध के नतीजों से जूझ रही थी. शादी से बचने के लिए अपना घर छोड़ कर भागे नेल्सन मंडेला ने जोहानिसबर्ग में खदान का गार्ड बन कर काम शुरू किया और फिर यहीं से प्रेस की स्वतंत्रता के लिए और रंगभेद के खिलाफ उनकी लड़ाई शुरू हुई.

रंगभेद की नीति का विरोध करने वाले दक्षिण अफ्रीका के नेता कौन थे? - rangabhed kee neeti ka virodh karane vaale dakshin aphreeka ke neta kaun the?
बांग्लादेश के मोहम्मद यूसुफ के साथ नेल्सन मंडेलातस्वीर: AP

बर्लिन में गांधी सर्व फाउंडेशन के संस्थापक और अध्यक्ष पीटर रूए का मानना है कि महात्मा गांधी की अहिंसा और असहयोग की विचारधारा ने मंडेला पर काफी असर डाला है. वह कहते हैं, "जो लोग राजनीति में अहिंसा का इस्तेमाल करना चाहते हैं उन्हें अपने जीवन में भी इसे अपनाने की जरूरत है. गांधी की अहिंसा और असहयोग की नीति वैश्विक है और देश या समय की सीमा में बंधी हुई नहीं है. गांधी जी के असहयोग की शुरुआत तो सिर्फ सहयोग न करने के साथ हुई लेकिन जल्द ही उन्हें समझ में आ गया कि चुप बैठ कर कुछ नहीं होगा."

समग्र विकास से शांति

31 जनवरी 2004 को नई दिल्ली में शांति और अहिंसा पर वैश्विक सम्मेलन में नेल्सन मंडेला ने कहा था कि शांति का मतलब सिर्फ संघर्ष का खत्म हो जाना नहीं है. शांति तब होती है जब सब संपन्न हों, भले ही वह किसी भी जाति, धर्म, देश, लिंग, समाज के हों. धर्म, जातीयता, भाषा, संस्कृति मानव समाज को समृद्ध करती है, फिर यह क्यों विभाजन और हिंसा का कारण बनती है. 1952 से 1964 के बीच दक्षिण अफ्रीका में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों का दौर चला. इस दौरान शार्पविल का नरसंहार हुआ जिसमें 96 लोग मारे गए. यहां से मंडेला के आंदोलन की दिशा बदली. उन्हें लगने लगा कि अहिंसा से अब कुछ नहीं हो सकता. यही बात मंडेला ने एक अदालती सुनवाई के दौरान भी कही.

क्या सच में बिना हिंसा के कुछ नहीं हो सकता? पीटर रुएर कहते हैं, "गांधी जी ने भी अपना आंदोलन निष्क्रिय प्रतिरोध के साथ शुरू किया था लेकिन उन्हें जल्द ही समझ में आ गया कि इससे बात नहीं बनेगी. तो उन्होंने इसे शांतिपूर्ण असहयोग का नाम दिया. नेल्सन मंडेला के उदाहरण से हम देख सकते हैं कि हिंसा के बगैर, प्यार और अहिंसा से बहुत कुछ हासिल किया जा सकता है."

रंगभेद की नीति का विरोध करने वाले दक्षिण अफ्रीका के नेता कौन थे? - rangabhed kee neeti ka virodh karane vaale dakshin aphreeka ke neta kaun the?
तस्वीर: AP

नेल्सन मंडेला को 5 अगस्त 1962 के दिन पकड़ लिया गया. अपने जीवन के 27 अहम साल मंडेला ने जेल में गुजारे. जेल में भी रंगभेद का बोलबाला था. अश्वेतों को अलग रखा जाता और उन्हें खाना भी कम दिया जाता. जेल में रहने के दौरान मंडेला की लोकप्रियता दुनिया में बढ़ती गई और उन्हें अफ्रीका के सबसे अहम नेताओं में एक माना जाने लगा. प्रोफेसर दुबे कहते हैं, "इतिहास के किस समय में कौन सी नीति किस देश के काम आती है यह बहुत अहम बात है. वक्त बदलता है, चुनौतियां बदलती हैं. लोग और देश समय के हिसाब से चुनाव करते हैं कि उन्हें क्या चाहिए. मुझे लगता है कि गांधी और मंडेला हमेशा प्रासंगिक रहेंगे और उनकी नीतियों की जरूरत आगे भी पड़ती रहेगी."

बड़ा योगदान

मंडेला ने अपने जीवन में बार बार गांधीवादी विचारधारा की बात की है. सत्याग्रह शुरू होने के 100 साल बाद 2007 में नई दिल्ली में हुए सम्मेलन में अपने विडियो संदेश में मंडेला ने कहा, "दक्षिण अफ्रीका के शांतिपूर्ण बदलाव में गांधी की विचारधारा का योगदान छोटा नहीं है. उनके सिद्धांतों के बल पर ही दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद की घृणित नीति के कारण जो समाज में गहरा भेदभाव था वह खत्म हो सका."

हालांकि नेल्सन मंडेला इस बात पर दुःख जाहिर करते हैं कि भले ही दुनिया ने बहुत प्रगति कर ली हो लेकिन शांति और अहिंसा आज भी दुनिया में स्वाभाविक रूप से और मुख्य धारा में नहीं आ सकी है. दिल्ली में जवाहरलाल यूनिवर्सिटी में पश्चिम एशिया और अफ्रीका विभाग के प्रमुख प्रोफेसर अजय कुमार दुबे कहते हैं, "दक्षिण अफ्रीका अगर अफ्रीकी ताकत बनना चाहता है तो उसे दिखाना होगा कि उनके पास दुनिया के सर्वश्रेष्ठ नेता नेल्सन मंडेला हैं. जिन्होंने दक्षिण अफ्रीका को शांतिपूर्ण तरीके से उपनिवेशवाद से मुक्त करवाया जो और किसी तरीके से संभव नहीं था. वे चाहेंगे कि अलग अलग लोगों के साथ रहने और शांतिपूर्ण विकास की मंडेला की नीति इस्तेमाल की जाए. वे ऐसा जरूर करना चाहेंगे."

रंगभेद की नीति का विरोध करने वाले दक्षिण अफ्रीका के नेता कौन थे? - rangabhed kee neeti ka virodh karane vaale dakshin aphreeka ke neta kaun the?
फिल्म इन्विक्टस में मंडेला बने मॉर्गन फ्रीमनतस्वीर: AP

1993 में शांति नोबेल पुरस्कार पाने वाले नेल्सन मंडेला कहते हैं, "विकास और शांति को अलग नहीं किया जा सकता. शांति और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के बगैर कोई भी देश अपने गरीब और पिछड़े हुए नागरिकों को मुख्य धारा में लाने के लिए कुछ नहीं कर सकता." मंडेला महात्मा गांधी की स्वावलंबन की नीति से भी बहुत प्रभावित रहे हैं. उन्होंने 2007 के विडियो संदेश में कहा था कि अगर आज देश स्वावलंबन की नीति को आचरण में ला सकें तो विकासशील देशों की गरीबी हट सकेगी और विकास बढ़ेगा.

20वीं सदी को अगर महात्मा गांधी ने बहुत कुछ दिया है तो नेल्सन मंडेला भी उनसे बहुत पीछे नहीं हैं. पीटर रूए कहते हैं, "नेल्सन मंडेला एक अच्छा उदाहरण हैं कि गांधी जी की विचारधारा आज किस तरह से उपयोग में आ सकती है. सफलतापूर्वक 20वीं सदी के प्रभावशाली लोगों में नेल्सन मंडेला के अलावा दलाई लामा, मिखाएल गोर्बाचोव, अल्बर्ट श्वाइत्सर, मदर टेरेसा, मार्टिन लूथर किंग, आंग सान सू ची, ये सब वे लोग हैं जिन्होंने अपने देशों में गांधी की विचारधारा का उपयोग किया और सफलतापूर्वक अहिंसा से अपने इलाकों, देशों में परिवर्तन लाया. यह एक सबूत है इस बात का कि महात्मा गांधी के बाद और भारत के बाहर भी अहिंसा के जरिए अन्याय के खिलाफ सफलतापूर्वक लड़ाई संभव है."

रिपोर्टः आभा मोंढे

संपादनः वी कुमार

रंग भेद नीति का विरोध करने वाले दक्षिण अफ्रीका के नेता कौन थे?

सरकार और उसके बीच हुए समझौते के तहत 1994 में चुनाव हुआ जिसमें ज़बरदस्त जीत हासिल करके एएनसी ने सत्ता सँभाली और नेलसन मंडेला रंगभेद विहीन दक्षिण अफ़्रीका के पहले राष्ट्रपति बने।

रंगभेद की नीति के विरुद्ध आवाज उठाने वाले कौन थे?

"हम आप, ब्रिटिश के लोगों से कुछ विशेष नहीं मांग रहे हैं. हम बस आपसे दक्षिण अफ़्रीकी सामान न खरीदने के लिए रंगभेद नीति को समर्थन न देने के लिए कह रहे हैं" "दक्षिण अफ़्रिका में अश्वेत लोगों के समर्थन के उद्देश्य के साथ इस साधारण अपील से 1959 में ब्रिटेन में बहिष्कार आंदोलन स्थापित हो गया था.

दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद का अंत कैसे हुआ?

दक्षिण अफ्रीका में नेशनल पार्टी की सरकार द्वारा सन् १९४८ में विधान बनाकर काले और गोरों लोगों को अलग निवास करने की प्रणाली लागू की गयी थी। इसे ही रंगभेद नीति या आपार्थैट कहते हैं। अफ्रीका की भाषा में "अपार्थीड" का शाब्दिक अर्थ है - अलगाव या पृथकता। यह नीति सन् १९९४ में समाप्त कर दी गयी।

दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद से मुक्ति दिलाने वाला नया संविधान कब लागू हुआ?

अश्वेतों को संगठन बनाने और इस भेदभावपूर्ण व्यवहार का विरोध करने का भी अधिकार नहीं था । 28 वर्षों तक उन्हें दक्षिण अफ्रीका की सबसे भयावह जेल, रोब्बेन द्वीप में कैद रखा गया था। हुए अपना शासन जारी रखा। नेल्सन मंडेला के जीवन और संघर्षों पर एक पोस्टर बनाएँ ।