पत्र से आप क्या समझते है लिखिए? - patr se aap kya samajhate hai likhie?

पत्र से आप क्या समझते है लिखिए? - patr se aap kya samajhate hai likhie?

पत्र, चिट्ठी या खत किसी कागज या अन्य माध्यम पर लिखे सन्देश को कहते हैं। उन्नीसवीं एवं बीसवीं शताब्दियों में पत्र ही दो व्यक्तियों के बीच संचार का सबसे विश्वसनीय माध्यम था। किन्तु अब टेलीफोन, सेलफोन एवं अन्तरजाल के युग में इसकी भूमिका काफी कम हो गयी है।पत्रो का हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान है। पत्र संचार का एक सुगम साधन है।

इसका उपयोग करना बहुत सरल है। कोई भी व्यक्ति अपनी बात पत्र में आसानी से लिख कर अपना सन्देश दूसरे व्यक्ति को भेज सकता है। मोबाइल आदि आ जाने के बावजूद भी पत्रो की अहमियत अभी भी बरक़रार है।[1]

पत्र भी दो प्रकार के होते है

  • औपचारिक पत्र
  • अनौपचारिक पत्र।
औपचारिक पत्र:[संपादित करें]

एक औपचारिक पत्र एक औपचारिक और औपचारिक भाषा में लिखा जाता है और एक निश्चित निर्धारित प्रारूप का पालन करता है। ऐसे पत्र आधिकारिक उद्देश्यों के लिए अधिकारियों, गणमान्य व्यक्तियों, सहकर्मियों, वरिष्ठों आदि को लिखे जाते हैं, न कि व्यक्तिगत संपर्कों, दोस्तों या परिवार के लिए।

अनौपचारिक पत्र:[संपादित करें]

अनौपचारिक पत्र लेखक, उनके दोस्तों, परिवार, रिश्तेदारों आदि के करीबी परिचितों को लिखे जाते हैं। अनौपचारिक पत्र लिखते समय अनौपचारिक भाषा का प्रयोग किया जाता है। और कभी-कभी पत्रों में भावनात्मक रूप भी हो सकता है।चूंकि वे करीबी संबंधों के लिए लिखे जाते हैं, इसलिए पत्रों में एक अनौपचारिक और व्यक्तिगत स्वर होता है।

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • पत्राचार - साहित्यकारों के पत्राचार (गूगल पुस्तक ; सम्पादक)
  • The Letter Repository[मृत कड़ियाँ] Archive personal letters from 1600s through to the 1940s.
  • High Quality Letter Writing Guide - (विदेशी सम्पादक)
  • Web form to Letter (PDF) generator
  • University of Wisconsin Writing Center Guide
  • Purdue University Online Writing Lab
  • sample letters
  • sample letters of sympathy
  • Sample Letters
  • How to Write a Letter
  • What Is Letter In Hindi
  1. बरनवाल, जगदीश (२००२)

पत्र लेखन (परिभाषा, विशेषताएं, महत्व और प्रकार) | Patra Lekhan (Letter Writing)Definition, Type, Importance and Characteristics in Hindi

पत्र लेखन एक रोचक कला है. अभिव्यक्ति के समस्त लिखित साधनों में पत्र आज भी सबसे प्रमुख, शक्तिशाली, प्रभावपूर्ण और मनोरम स्थान रखता हैं. पत्र-लेखन में आत्मीयता स्पष्ट दिखाई देती चाहिए जिससे लेखक तथा पाठक दोनों समीपता का अनुभव करते हैं. लिखित भाषा का उद्देश्य सबसे अधिक पत्र लेखन द्वारा ही प्राप्त होता है. पत्र लेखन द्वारा हम दूसरों के दिलों को जीत सकते हैं, मैत्री बड़ा सकते हैं और मंत्रमुग्ध कर सकते हैं. अतः पत्र लेखन एक ऐसी कला हैं जिसके लिए बुद्धि और ज्ञान की परिपक्वता, विचारों की विशालता, विषय का ज्ञान, अभिव्यक्ति की शक्ति और भाषा पर नियंत्रण की आवश्यकता होती हैं.

पत्र की विशेषताएँ

सरलता

पत्र की भाषा सरल, स्पष्ट तथा स्वभाविक होनी चाहिए. इसमें कठिन शब्द या साहित्यिक भाषा का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि भाषा की जटिलता पत्र को नीरस बना देती हैं.

स्पष्टता

पत्र की भाषा में स्पष्टता होनी चाहिए. स्पष्ट करता मधुर भाषा वाला पत्र प्रभावी होता है. शब्दों का चयन, वाक्य रचना की सरलता पत्र को प्रभावशाली बनाती है.

संक्षिप्तता

पत्र की भाषा में संक्षिप्तता होनी चाहिए. उसमें अनावश्यक विस्तार नहीं होना चाहिए. संक्षिप्तता का अर्थ है पत्र अपने आप में पूर्ण हो. व्यर्थ के शब्द जाल से मुक्त होना चाहिए.

आकर्षकता तथा मौलिकता

पत्र आकर्षक एवं सुंदर होना चाहिए. कार्यालयी पत्रों को स्वच्छता के साथ टाइप किया जाए. पत्र की भाषा में मौलिकता होनी चाहिए. पत्र में अपना वर्णन, क्रम प्राप्त करने वाले का अधिक वर्णन होना चाहिए.

उद्देश्यपूर्णता

प्रत्येक पत्र अपने कथन में स्वतः संपूर्ण होना चाहिए. पत्र पढ़ने के बाद किसी प्रकार की जिज्ञासा शेष नहीं रहना चाहिए. पत्र का कथ्य अपने आप में पूर्ण तथा उद्देश्य की पूर्ति करने वाला हो.

शिष्टता

सरकारी, व्यवसायिक तथा अन्य औपचारिक पत्र की भाषा शैली शिष्टता पूर्ण होनी चाहिए. अस्वीकृति, शिकायत, खीझ और नाराजगी भी शिष्ट भाषा में ही प्रकट की जाए तो उसका अधिक प्रभाव पड़ता है.

चिन्हांकन

पत्र में प्रयुक्त चिन्ह पर हमें विशेष ध्यान देना चाहिए. चिन्ह से अंकित अनुच्छेद का प्रयोग करना चाहिए. प्रत्येक नए विचार, नई बात के लिए पैराग्राफ, अल्पविराम, अर्धविराम, पूर्ण विराम, कोष्ठक आदि का प्रयोग उचित स्थल पर ही होना चाहिए.

पत्र का महत्व

आज के अति व्यस्त युग में पत्र लेखन का महत्व और अधिक बढ़ गया है. आज के युग में मानव को अनेक व्यक्तियों, संबंधियों, कार्यालय से संपर्क साधना पड़ता है. प्रत्येक स्थान पर वह स्वयं तो नहीं जा सकता लेकिन उसे पत्र का सहारा लेना पड़ता है. सुरक्षा की दृष्टि से पत्र बहुत ही उत्तम है.

पत्र के प्रकार

  1. विषय अनुसार – प्रेम पत्र, निमंत्रण पत्र, विवाह पत्र, सौंपा, जन्मदिन पत्र, संवेदना पत्र, सामान्य पत्र आदि.
  2. शैली शिल्प की दृष्टि से पत्रों के दो वर्ग है.
    1. औपचारिक पत्र
    2. अनौपचारिक पत्र

अनौपचारिक पत्राचार-

जिन से हमारा व्यक्तिगत संबंध होता है उनके साथ अनौपचारिक पत्राचार किया जाता है. इसलिए इन पत्रों में व्यक्तिगत सुख दुख का विवरण होता है ऐसे पत्र अपने परिवार के लोगों, मित्रों तथा निकट संबंधियों को लिखे जाते हैं.

अनौपचारिक पत्र के उदाहरण

चुनाव प्रक्रिया पर अपने विचार को प्रकट करता हुआ अनौपचारिक पत्र
राष्ट्रीय कब्बड्डी टीम में चयन होने पर छोटे भाई को पत्र
छोटे भाई को जीवन में संगीत का महत्व बताते हुए पत्र
अपने मित्र को सेहत पर ध्यान रखने के लिए पत्र
बड़े भाई को एक घड़ी खरीदने के लिए रुपए भेजने का आग्रह पत्र
छोटे भाई को कुसंगति से बचाने के लिए पत्र
डेंगू से बचाव के लिए छोटे भाई को लिखा गया एक पत्र
वार्षिक उत्सव में माताजी को बुलाने के लिए पत्र

औपचारिक पत्राचार-

यह पत्राचार उन लोगों के साथ किया जाता है जिन से हमारा कोई निजी परिचय नहीं रहता है. इनमें औपचारिकता और कथ्य संदेश यह मुख्य होता है तथा आत्मीयता गौण होती है. इनमें तथ्यों तथा सूचनाओं को अधिक महत्व दिया जाता है.

औपचारिक पत्र विशिष्ट नियमों में आबद्ध होते हैं. औपचारिक पत्रों की परिधि बहुत ही व्यापक होती हैं. इसके अनेकानेक रूप संभव हैं, जैसे – सरकारी पत्र, अर्ध सरकारी पत्र, व्यवसायिक पत्र, पूछताछ पत्र, संपादक के नाम पत्र, अनुरोध पत्र, शोक पत्र, आवेदन पत्र, शिकायत पत्र, निमंत्रण पत्र, विज्ञापन पत्र, अनुस्मारक, स्वीकृति पत्र, बधाई पत्र, शुभकामना पत्र.

औपचारिक पत्र के उदाहरण

विद्यालय की प्रधानाचार्य को फीस माफ़ करने के लिए आवेदन पत्र
सिम कार्ड खो जाने या चोरी हो जाने पर पत्र
विद्यालय में किसी कारण वश खिड़की टूट जाने पर प्रधानाचार्य को माफ़ी पत्र
अज्ञात बटुआ मिलने पर प्राचार्य को पत्र
नॉमिनी रजिस्टर करने के लिए बैंक शाखा में आवेदन पत्र
क्षेत्र में बेहतर जल आपूर्ति के लिए जल अधिकारी को पत्र
बीमारी होने पर विद्यालय में अवकाश के लिए प्रार्थना पत्र
विद्यालय में हिंदी दिवस मनाने हेतु प्रधानाचार्य को आवेदन पत्र
बुखार होने पर विद्यालय से छुट्टी के लिए आवेदन पत्र
अधिक बिजली बिल आने पर बिजली विभाग में शिकायत हेतु आवेदन पत्र
लाउडस्पीकर के अनुचित प्रयोग को रोकने हेतु पुलिस आयुक्त को आवेदन पत्र

पत्र के अंग

प्रेषक का नाम व पता

व्यवसायिक पत्रों में सबसे ऊपर लिखने वाले का नाम तथा पता दिया होता है. पाने वाले को देखते ही पता चल जाए कि वह पत्र किसने भेजा है तथा कहां से आया है. प्रेषक का नाम व पता ऊपर की ओर दाएं कोने में आता है. पत्र के नीचे दूरभाष नंबर और उसके नीचे दिनांक के लिए स्थान निर्धारित रहता है.
सरकारी पत्रों में उसके ठीक सामने बायीं और पत्रिका संदर्भ रहता है.

पाने वाले का नाम व पता

प्रेषक के बाद ट्रस्ट की बायीं और पत्र पाने वाले का नाम और पता लिखा होता है. नाम के स्थान पर कभी-कभी केवल पद नाम भी लिखते हैं. कभी-कभी नाम और पदनाम दोनों लिखे जाते हैं. पाने वाले का विवरण इस प्रकार होना चाहिए.

नाम, पदनाम, कार्यालय का नाम, स्थान, शहर, जिला एवं पिन कोड.

विषय संकेत

औपचारिक पत्रों में पाने वाले के नाम और पते के बाद बायीं ओर विषय शीर्षक देकर लिखना चाहिए. इससे पत्र को देखकर उसके विषय की जानकारी हो जाती हैं.

संबोधन

विषय के बाद पत्र के बायीं ओर संबोधन सूचक शब्द का प्रयोग किया जाता हैं. व्यक्तिगत पत्र में प्रिय लिखकर प्राप्तकर्ता का नाम या उपनाम दिया जाता हैं. जैसे प्रिय अरुण. अपने से बड़ों के लिए प्रिय के स्थान पर पूज्य, मान्यवर आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता हैं. सरकारी पत्रों में प्रिय महोदय और प्रिय महोदया लिखा जाता हैं.

पत्र की मुख्य सामग्री

संबोधन के पश्चात पत्र की मूल सामग्री लिखी जाती है. आवश्यकता, समय तथा परिस्थिति के अनुसार विषय में परिवर्तन होता रहता है.

समापन सूचक शब्द

पत्र की समाप्ति पर प्रेषक प्राप्तकर्ता से अपने संबंध के अनुसार समापन सूचक शब्दों का प्रयोग कर सत्र समाप्त करता है. बड़ों के लिए आपका आज्ञाकारी, आपका प्रिय, बराबरी वालों के लिए स्नेहशील, स्नेही और छोटों के लिए शुभचिंतक, शुभकांक्षी जैसे शब्दों का प्रयोग किया जाता हैं.

हस्ताक्षर तथा नाम

समापन शब्द के ठीक नीचे होने वाले का हस्ताक्षर होते हैं. हस्ताक्षर के ठीक नीचे कोष्टक में भेजने वाले का पूरा नाम तथा पता भी अवश्य लिख देना चाहिए. हस्ताक्षर प्रायः सूपाठ्य नहीं होने के कारण नाम भी लिखना चाहिए.

संलग्नक

सरकारी पत्रों में प्रायर मूल पत्र के साथ अन्य आवश्यक कागजात भी भेजे जाते हैं. उन्हें इस पत्र के संलग्न पत्र या संलग्नक कहते हैं. संलग्न पत्र में “संलग्नक” शीर्षक लिखकर उसके आगे संख्या 1,2,3,4,5 के द्वारा संकेत दिया जाता है.

पुनश्च

कभी-कभी पत्र लिखते समय मूल सामग्री में से किसी महत्वपूर्ण अंश के छूट जाने पर इसका प्रयोग किया जाता है. ‘समापन सूचक शब्द’,हस्ताक्षर, संलग्नक आदि सब कुछ लिखने के बाद कागज पर अंत में सबसे नीचे या उसके पृष्ठ भाग पर पुनश्च शीर्षक देकर छुट्टी हुई सामग्री लिखकर एक बार पुनः स्थापित कर दिए जाते हैं.

पता

लिफाफे/ पोस्टकार्ड/ अंतर्देशीय पत्र के बाहर पत्र प्रेषक को अपना नाम लिखना चाहिए. यदि पत्र में ऊपर पूर्ण पता नहीं दिया गया है तो उसे यहां लिख देना चाहिए.

पत्र प्राप्त करने वाले का पता

पत्र प्राप्त करने वाले का पता बाहर लिफाफे/ पोस्टकार्ड/ अंतर्देशीय पत्र पर लिख देना चाहिए.

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