पूर्ण बहुमत के लिए कितनी सीट चाहिए Maharashtra? - poorn bahumat ke lie kitanee seet chaahie maharashtr?

मुंबई
महाराष्ट्र की राजनीति में शनिवार सुबह जो उलटफेर हुआ है, उससे न सिर्फ राज्य बल्कि देश भी भौंचक्का रह गया। अभी तक शिवसेना और कांग्रेस के साथ बातचीत कर रही एनसीपी के सीनियर नेता अजित पवार के भारतीय जनता पार्टी को समर्थन देकर सरकार बनने से राजनीतिक समीकरणों ने लोगों को तो उलझा ही दिया है, साथ ही अब सबकी नजरें बहुमत के उस जादुई आंकड़े पर टिक गई हैं जिसके कारण पूरी कहानी शुरू हुई। दरअसल, एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने यह साफ कह दिया है कि बीजेपी संग जाने का फैसला भतीजे अजित का निजी है, पार्टी का नहीं। ऐसे में माना जा रहा है कि एनसीपी का एक धड़ा पार्टी से अलग बीजेपी संग चल दिया है।

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बहुमत का आंकड़ा- 145
महाराष्ट्र विधानसभा में 288 सीटें हैं। सरकार बनाने के लिए बहुमत का जरूरी आंकड़ा 145 का है। विधानसभा चुनाव के नतीजों में भारतीय जनता पार्टी को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली हैं। बीजेपी और शिवसेना चुनाव से पहले साथ थीं और ऐसे में दोनों के पास बहुमत का आंकड़ा था। हालांकि, गठबंधन टूट गया और बीजेपी को सरकार बनाने के लिए 40 सीटों की जरूरत हो गई।

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बीजेपी को यूं मिला संख्याबल
ताजा घटनाक्रम के बाद यह माना जा रहा है कि एनसीपी से अलग राह पकड़कर बीजेपी संग सरकार में शामिल होने वाले अजित पवार के पास यह जरूरी संख्या है। शरद पवार ने साफ कहा है कि बीजेपी को समर्थन का फैसला अजित का निजी था। इससे यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि एनसीपी के सभी 54 विधायकों का साथ बीजेपी के को नहीं मिला है। राजनीतिक सूत्रों की मानें तो अजित के साथ एनसीपी के 35 विधायक हैं। उनके अलावा करीब 13 निर्दलीय विधायकों के समर्थन का दावा बीजेपी पहले ही कर रही थी। ये निर्दलीय शिवसेना और बीजेपी के बागी नेता हैं।

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दल-बदल के तहत अजित को 36 विधायक चाहिए
एनसीपी के पास कुल 54 विधायक हैं। दल-बदल कानून के प्रावधान के तहत अलग गुट को मान्यता हासिल करने के लिए दो तिहाई विधायकों के समर्थन की जरूरत होती है। इस लिहाज से अजित पवार को 36 विधायकों का समर्थन चाहिए। अगर अजित 36 या इससे ज्यादा विधायकों का समर्थन हासिल कर लेते हैं तो उन्हें नई पार्टी बनाने में मुश्किल नहीं होगी लेकिन अगर ऐसा नहीं हो पाता है तो बागी विधायकों की सदस्यता खत्म हो सकती है।

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पूर्ण बहुमत के लिए कितनी सीट चाहिए Maharashtra? - poorn bahumat ke lie kitanee seet chaahie maharashtr?


किसको कितनी सीटें

पार्टी सीटें
भारतीय जनता पार्टी 105
शिवसेना 56
कांग्रेस 44
एनसीपी 54
एआईएमआईएम 2
बहुजन विकास आघाडी 3
सीपीआई (एम) 1
निर्दलीय 13
जन सुराज्य शक्ति 1
क्रांतिकारी शेतकारी पार्टी 1
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना 1
पीडब्ल्यूपीआई 1
प्राहर जनशक्ति पार्टी 2
राष्ट्रीय समाज पक्ष 1
समाजवादी पार्टी 2
स्वाभिमानी पक्ष 1
कुल 288


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दल-बदल के घेरे में आएंगे अजित पवार?
बीजेपी सरकार बनने के बाद खबरों में कहा जाने लगा कि ‘चूंकि 30 अक्टूबर को सर्वसम्मति से अजित पवार एनसीपी विधायक दल के नेता चुने गए थे, ऐसे में उनके समर्थन को एनसीपी का समर्थन माना जा सकता है। विधायक दल के नेता के निर्णय के विरुद्ध जाने पर विधायकों पर दल-बदल विरोधी कानून के तहत कार्रवाई हो सकती है।’ लेकिन, सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता इसे बेहद जटिल विषय बताते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार गठन के बाद भी आगे राज्यपाल और विधानसभा अध्यक्ष की अहम भूमिका रहेगी। मामला सुप्रीम कोर्ट भी जा सकता है।

गुप्ता ने कहा, ‘इस मामले के कई पहलू हैं। राजनीतिक दलों को चुनाव आयोग द्वारा मान्यता दी जाती है। दल के अध्यक्ष द्वारा की गई अनुशंसा के अनुसार विधानसभा या लोकसभा प्रत्याशियों को पार्टी का चुनाव चिन्ह आवंटित किया जाता है। चुनाव जीतने के बाद पार्टी विधायक दल के नेता को सदन में मान्यता मिलती है, जिससे मुख्यमंत्री या नेता विपक्ष का चयन होता है। विधायक दल के नेता को विप जारी करने का अधिकार होता है और जिसके उल्लंघन पर दल बदल विरोधी कानून लागू किया जा सकता है।’

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अगर अजित एनसीपी के मुखिया बनेंगे तो नया मोड़
विराग गुप्ता कहते हैं, ‘महाराष्ट्र मामले में अजित पवार भले ही एनसीपी विधायक दल के नेता हैं, लेकिन सरकार बनाने में समर्थन के लिए पार्टी अध्यक्ष के पत्र का ही वैधानिक महत्व है। इस घटनाक्रम के बाद एनसीपी के विधायक बहुमत से अजीत पवार को दल के नेता पद से हटा भी सकते हैं। अजीत यदि ज्यादा विधायकों के समर्थन का दावा करके एनसीपी के ही मुखिया बन जाएं तो इस मामले में नया मोड़ आ जाएगा।’

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'सरकार बनाने में राज्यपाल की भूमिका'
उन्होंने कहा, ‘राज्यपाल को यह भी बताना चाहिए कि देवेंद्र फडणवीस ने सरकार बनाने के लिए बीजेपी के अलावा किन विधायकों का समर्थन पत्र सौंपा है। इस पूरी प्रक्रिया में सरकार बनाने में राज्यपाल की भूमिका है, परन्तु विधायकों की दल बदल कानून के तहत अयोग्यता के बारे में फैसला विधानसभा अध्यक्ष द्वारा ही लिया जाता है। महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन खत्म होने के बाद दो कानूनी प्रक्रियाएं होनी बाकी हैं। पहला नई विधानसभा का गठन और दूसरा मुख्यमंत्री द्वारा विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए राज्यपाल द्वारा उन्हें समय दिया जाना।’

गुप्ता ने कहा, ‘एनसीपी में शरद पवार के पास यदि अभी विधायकों का बहुमत है तो वह कांग्रेस और शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाने का जवाबी दावा कर सकते हैं। ऐसी जवाबी स्थिति में मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच सकता है, जहां शिवसेना ने पहले याचिका दायर की थी। पुराने फैसलों की नजीर के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में यदि सुनवाई हुई तो विधानसभा के पटल पर ही बहुमत साबित करने का निर्देश दिया जा सकता है।’

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शरद पवार का दावा, हम बनाएंगे सरकार
इस बारे में एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने कहा, 'मुझे नहीं पता कि क्या अजित पवार यह जांच एजेंसियों के डर से कर रहे हैं। मेरे सूत्रों के अनुसार राजभवन में 10-11 विधायक मौजूद थे, उनमें से 3 यहां पहुंच चुके हैं।' उन्होंने दावा किया कि उनके पास नंबर हैं, सरकार वह बनाएंगे। उन्होंने कहा कि अजित पवार पर कार्रवाई के बारे में पार्टी की संसदीय बोर्ड की बैठक में निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने आरोप भी लगाया कि पार्टी विधायक दल के नेता के चयन के दौरान विधायकों के हस्ताक्षर लिए गए थे और हस्ताक्षर वाली चिट्ठी को ही राजभवन में दिया गया होगा।

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बीजेपी का दावा, सभी एनसीपी विधायक साथ
हालांकि, बीजेपी नेता गिरीश महाजन ने दावा किया है कि एनसीपी के सभी विधायकों का समर्थन बीजेपी को मिला है। महाजन ने कहा है, 'हम 170 के ऊपर विधायकों के साथ अपना बहुमत साबित करेंगे। अजित पवार ने राज्यपाल को अपने विधायकों का समर्थन दिया है और वह एनसीपी के विधायक दल के नेता हैं। इसका मतलब है कि सभी एनसीपी विधायकों ने हमारा समर्थन किया है।' महाजन ने यह दावा भी किया है कि शिवसेना के कुछ विधायक इतने खीझ चुके हैं कि वे बीजेपी के साथ आ सकते हैं।

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महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए कितनी सीटें चाहिए?

सरकार बनाने के लिए 288 विधायकों की विधानसभा में बहुमत की आवश्यकता 145 सीटों की है।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव कब होंगे?

महाराष्ट्र विधानसभा के २८८ विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के लिए २१ अक्टूबर २०१९ को चुनाव हुआ। इसके मतों की गणना २४ अक्टूबर २०१९ को हुई।

एक राज्य में कितने विधायक होते हैं?

प्रत्येक राज्य में प्रत्येक संसद के सदस्य (सांसद) के लिए सात और नौ विधायक होते हैं, जो भारत के निम्न सदन लोकसभा द्विसदनीय लोकसभा में है।