पुनर्जागरण से आप क्या समझते हैं पुनर्जागरण की विशेषताएं बताइए? - punarjaagaran se aap kya samajhate hain punarjaagaran kee visheshataen bataie?

पुनर्जागरण से आप क्या समझते हैं पुनर्जागरण की विशेषताएं बताइए? - punarjaagaran se aap kya samajhate hain punarjaagaran kee visheshataen bataie?

पुनर्जागरण क्या है (Punarjagran kya hai) –

आधुनिक युग की शुरुआत पुनर्जागरण के साथ होती है! पुनर्जागरण से तात्पर्य उन सभी परिवर्तनों से है जो मध्य युग के अंत में दृष्टिगोचर हो रहे थे! परिवर्तनों का आशय उन सभी बौद्धिक, सांस्कृतिक एवं वैज्ञानिक प्रवृत्तियों से हैं जो उत्तर मध्य युगीन मान्यताओं के साथ तार्किक दृष्टि, मानवीय सोच, अन्वेषणात्मक बुद्धि और कोतुहलयुक्त चेतना व जागृति की भावना के साथ आधुनिक युग में प्रवेश कर रही थी! 

पुनर्जागरण का अर्थ (punarjagran ka arth) –

पुनर्जागरण (Renaissance) फ्रेंच भाषा का शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ है – ‘फिर से जागना’ किंतु यहां रेनेसां का अर्थ किसी सोए हुए व्यक्ति को निंद्रा से जागना नहीं, बल्कि समस्त मानव जाति का जागृत होना है! वस्तुतः पुनर्जागरण कोई राजनीतिक अथवा धार्मिक आंदोलन न होकर मानव की मनोदशा में हुए परिवर्तन को अभिव्यक्त करता है!

पुनर्जागरण के कारण (Punarjagran Ke Karan) – 

पुनर्जागरण के कारण इस प्रकार हैं –

पुनरुत्थान या पुनर्जागरण के स्वरूप को ठीक से समझने के लिए उसकी पृष्ठभूमि अथवा कारणों को जान लेना भी उपयोगी होगा! इस पृष्ठभूमि का निर्माण पश्चिम के विभिन्न देशों में विभिन्न घटनाओं स्थितियों से संभव हुआ था इसलिए कहीं-कहीं विविधता और विरोधाभास भी संभव है! 

पुनर्जागरण (Punarjagran) कोई आकस्मिक घटना नहीं बल्कि लगभग 2 शताब्दियों तक यूरोप के विभिन्न देशों में हुए परिवर्तनों का परिणाम था! पुनर्जागरण के लिए निम्नलिखित कारणों को उत्तरदाई माना जाता है! 

(1) धर्म युद्ध – 

पुनरुत्थान की पृष्ठभूमि के रूप में तुर्कों और ईसाइयों के बीच धर्म युद्धों क्रूसेड (8 धर्मयुद्ध) का महत्वपूर्ण योगदान है! धर्म युद्ध के कारण यूरोपवासियों का पूर्व के विद्वानों से संपर्क स्थापित हुआ, जिससे उन्हें पूर्वी देशों की तर्क शक्ति प्रयोग पद्धति तथा वैज्ञानिक खोजों की जानकारी मिली! इससे यूरोप का बौद्धिक विकास हुआ! 

धर्म युद्ध में असफलता के कारणों पर चर्चो की प्रतिष्ठा कम हुई,जिससे लोगों के जीवन पर धर्म का प्रभाव भी कम हुआ तथा लोग स्वतंत्र चिंतन पद्धति हेतु प्रेरित हुए! धर्म युद्ध में भाग लेने से सामंतों की शक्ति भी कमजोर हुई, जिससे यूरोप में सामंतवादी व्यवस्था का पतन प्रारंभ हो गया! 

(2) व्यापार का उदय – 

व्यापार का उदय और व्यापारिक समृद्धि पुनर्जागरण का महत्वपूर्ण कारण सिद्ध हुई! व्यापार के विस्तार का भी प्रारंभिक श्रेय धर्म युद्धों को ही है! इन युद्धों परिणामस्वरूप पूर्व देशों के साथ यूरोपीय के व्यापारिक संबंध स्थापित हो सके! व्यापार की वृद्धि पुनर्जागरण के उदय में सहायक हुई ! 

(3) सामंती व्यवस्था का पतन – 

धर्म युद्ध में सामंतों द्वारा भाग लेने के कारण उनकी शक्ति कमजोर हो गई, जिससे यूरोप में सामंतवादी व्यवस्था का पतन प्रारंभ हो गया! सामंतवादी व्यवस्था के पतन के बाद ही सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में खुलेपन की प्रक्रिया प्रारंभ हुई! मंगोल साम्राज्य तथा उसके प्रसिद्ध बादशाह कुबलाई खाॅं से भी पुनरुत्थान की प्रेरणा मिली! 

(4) भौगोलिक खोजें – 

1453 में कस्तुनतुनिया पर तुर्कों का अधिकार हो गया, जिससे यूरोप व पूर्वी देशों के बीच संपर्क का मार्ग अवरुद्ध हो गया! फलतः नवीन व्यापारिक मार्गों की खोज की आवश्यकता महसूस की गई! स्पेन और पुर्तगाल के अनेक नाविकों ने अनेक नवीन जल मार्गों की खोज की! 

1487 ई. में बार्थोलोम्यू डियाज़ ने ‘केप ऑफ गुड होप’.1492 ई. में कोलम्बस ने ‘अमेरिका’ तथा 1498 ई. में वास्कोडिगामा ने ‘भारत’ की खोज की! इन भौगोलिक खोजों की के कारण यूरोपीय देशों में वैचारिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिला, जिससे लोगों में स्वतंत्र चिंतन पद्धति का विकास हुआ

(5) कुस्तुनतुनिया का पतन – 

1453 ई.  में तुर्कों ने पूर्वी रोमन साम्राज्य की राजधानी कुस्तुनतुनिया पर अधिकार कर लिया था कुस्तुनतुनिया के पतन से वहां मौजूद बहुत से लेखक, दार्शनिक, कलाकार, और वैज्ञानिक आदि इटली, जर्मनी और फ्रांस की ओर पलायन कर गए! 

वे अपने साथ प्राचीन यूनानी एवं रोम ज्ञान-विज्ञान के सामग्री भी यूरोप ले गए! इससे यूरोपवासियों को प्राचीन यूनानी एवं रोमन ज्ञान विज्ञान और चिंतन पद्धति की जानकारी मिली! 

(6) कागज एवं मुद्रण तकनीक का आविष्कार –

11 वीं शताब्दी में यूरोपवासियों ने अरबों से कागज बनाने की कला सीखी! 15 वी शताब्दी के मध्य में जर्मनी के “गुटेनबर्ग” ने प्रिंटिंग प्रेस का आविष्कार किया! जिससे धीरे-धीरे इस यंत्र का प्रयोग जर्मनी  इटली, स्पेन, फ्रांस आदि देशों में भी होने लगा! 

इस प्रकार कागजों एवं मुद्रण तकनीक के अविष्कार ने ज्ञान पर विशिष्ट लोगों का एकाधिकार समाप्त कर दिया! बाइबल का अनुवाद स्थानीय भाषाओं में करके उसका मुद्रण होने लगा, जिससे अब पादरी मनमाने ढंग से बादल की व्याख्या नहीं कर सकते थे! 

पुनर्जागरण से आप क्या समझते हैं पुनर्जागरण की विशेषताएं बताइए? - punarjaagaran se aap kya samajhate hain punarjaagaran kee visheshataen bataie?

पुनर्जागरण की विशेषताएं या स्वरूप (Punarjagran Ki Visheshtayen) –

पुनर्जागरण की विशेषताएं इस प्रकार हैं –

(1) मानववाद – 

पुनर्जागरण की सर्वाधिक महत्वपूर्ण विशेषता मानववाद थी!  मानववाद से तात्पर्य है- मानव जीवन में रूचि लेना, मानव की समस्याओं का अध्ययन करना, उसके जीवन को सुधारने व उन्नत करने का प्रयास करना, अर्थात – ईश्वर को नहीं, बल्कि मनुष्य को केंद्र में रखकर चिंतन करना! 

(2) व्यक्तिवाद – 

व्यक्तिवाद पुनर्जागरण की दूसरी महत्वपूर्ण विशेषताएं इस काल में प्रत्येक व्यक्ति एवं उसकी उपलब्धियों को महत्व प्राप्त हुआ! मध्यकालीन कलाकार एवं साहित्यकार अपनी कृतियों पर अपने नाम का उल्लेख नहीं करते थे, क्योंकि वह अपनी उपलब्धियों को ईश्वर की देन मानते थे! पुनर्जागरण चेतना ने व्यक्ति को इसके महत्व से परिचित कराया और इस काल के चित्रकारों, साहित्यकारों आदि ने हस्ताक्षरयुक्त कृतियों को प्रस्तुत किया! 

(3) तर्क बुद्धि का प्रयोग पर बल –

पुनर्जागरण काल में आस्था की जगह बौद्धिकता को महत्व दिया गया! किसी सिद्धांत तथा विचारधारा को सत्य प्रमाणित करने के लिए वाद-विवाद के स्थान पर प्रयोग को अधिक प्रभावी माने जाने लगा! रोजर बेकन प्रयोगात्मक खोज प्रणाली का अग्रदूत थे! प्रयोगों के आधार पर गैलीलियो ने कॉपरनिकस के सिद्धांत को अकरार सिद्ध कर दिया! 

(4) धर्मनिरपेक्षता – 

इस काल में मनुष्य के जीवन पर धर्म का नियंत्रण कमजोर होने लगा! अब ईश्वर व पारलौकिक जीवन की बजाय मानव व लौकिक जीवन की घटनाओं को साहित्य एवं कला की विषय वस्तु में शामिल किया जाने लगा! 

(5) मध्यमवर्गीय की चेतना –  

पुनर्जागरण की जन्मस्थली इटली में आर्थिक समृद्धि कारण एक नवीन मध्यम वर्ग का उदय हुआ, जिसने शिक्षा, साहित्य, कला, विज्ञान व शिक्षण संस्थाओं का प्रश्न दिया! इस प्रकार पुनर्जागरण के उदभव में मध्यम वर्ग का महत्वपूर्ण योगदान रहा! अत: पुनर्जागरण को मध्यमवर्गीय चेतना का परिणाम माना जाता है! 

पुनर्जागरण के अभाव में मध्यम वर्ग का ही सर्वोपरि योगदान रहा किंतु इसका प्रभाव मध्यम वर्ग के साथ-साथ जनसाधारण पर भी पड़ा! 

(6) मानसिक क्रांति – 

पुनर्जागरण एक मानसिक क्रांति की थी, हालांकि वह आकस्मिक नहीं थी, क्योंकि उसके कारण भी मध्ययुग के अंधविश्वासों में थे! हेनरी एस. लुक्स का कथन उचित है कि पुनर्जागरण से तात्पर्य मध्ययुगीन विचारों के तरीकों में परिवर्तन से हैं! विचारों की पुष्टि भी तर्क या प्रयोग के आधार पर ही संभव थी!  

(7) सहज सौंदर्य की उपासना –

पुनर्जागरण काल में सहज एवं सरल सौंदर्य को महत्व दिया जाने लगा, जो इस काल की कला एवं साहित्य में भी परिलक्षित होता है! ‘मोनालिसा’ नामक चित्र में प्रदर्शित महिला कोई सुंदरी अथवा राजकुमारी नहीं, बल्कि एक साधारण से दिखाई देने वाली महिला है, जिसकी रहस्यमई मुस्कान आज भी चर्चा का विषय है!

(7) बहुमुखी प्रतिभा का विकास –

पुनर्जागरण काल में बहुमुखी प्रतिभा संपन्न व्यक्तियों का महत्व स्थापित हुआ! लियोनार्दो द विंची बहुमुखी प्रतिभा संपन्न व्यक्ति थे, जो एक महान चित्रकार के साथ-साथ अच्छे मूर्तिकार, स्थापत्यकार, गणितज्ञ, दार्शनिक, वनस्पति विज्ञान का ज्ञाता, मानव शरीर का विशेषज्ञ एवं भूगर्भ शास्त्री भी था! माइकल एंजेलो भी चित्रकार, मूर्तिकार, इंजीनियर एवं कवि थे! 

(8) साहसिक मनोभाव, जिज्ञासु प्रवृत्ति तथा खोजी दृष्टि – 

मानववाद एवं व्यक्तिवाद पर बल देने के कारण मनुष्य में साहसिक मनोभावों, जिज्ञासु प्रवृत्ति तथा खोजी दृष्टि का विकास हुआ! अब व्यक्ति की उपलब्धियों हेतु ईश्वर को उत्तरदाई न मानकर उसकी योग्यता एवं क्षमता को श्रेय दिया जाने लगा! फलतः मानव ने साहसिक मनोभावों एवं आत्मविश्वास से युक्त होकर अनेक भौगोलिक खोजो एवं वैज्ञानिक आविष्कारों को जन्म दिया! 

पुनर्जागरण से आप क्या समझते हैं पुनर्जागरण की विशेषताएं बताइए? - punarjaagaran se aap kya samajhate hain punarjaagaran kee visheshataen bataie?
मोनालिसा पेंटिंग

पुनर्जागरण इटली में ही क्यों प्रारंभ हुआ (Punarjagran italee mein hee kyon praarambh hua) –

वास्तव में यूरोप में पुनर्जागरण का केंद्र बिंदु इटली था! इटली से पुनर्जागरण की लहर यूरोप के अन्य देशों में पहुॅंची! निम्नलिखित कारणों के परिणामस्वरुप पुनर्जागरण सर्वप्रथम इटली में प्रारंभ हुआ! 

(1) इटली की भौगोलिक दशाओं ने उसे पूर्व और पश्चिम के बीच प्राकृतिक प्रवेश द्वार बना दिया था! 1453 ई. में कस्तुनतुनिया पर तुर्कों का अधिकार हो जाने से उनसे आतंकित विद्वान इटली में बसने लगे! कस्तुनतुनिया ही इटली का सबसे निकटवर्ती प्रदेश था, जहां विद्वानों को शरण मिल सकती थी! इटली में रहते हुए उन्होंने प्राचीन यूनानी और रोमन ज्ञान तथा मानववाद का प्रसार किया, जिसनें पुनर्जागरण के प्रादुर्भाव में पर्याप्त योगदान दिया! 

(2) इटली के नगरों से सामंतवाद का पतन हो जाने तथा वहां स्वतंत्र नगर की स्थापना से मानवतावदी विचारधारा के प्रसार को पर्याप्त  प्रोत्साहन मिला! इटली के जेनेवा, वेनिस, मिलान और फ्लोरेंस जैसे नगरों का एशिया के देशों के साथ बिना रूकावट के व्यापार चलता रहता था तथा वहां का नगरी समाज अपेक्षाकृत जागरूक था! 

 (3) इटली यूरोप का एक समृद्धशाली देश था! अत: यहां के शासकों तथा संपन्न लोगों ने यहां आकर बसने वाले विद्वानों, कलाकार एवं साहित्यकारों को आर्थिक संरक्षण प्रदान किया! परिणामस्वरूप मानवतावादी विचारों का विकास एवं प्रसार सर्वप्रथम इटली में ही हुआ! 

(4) 13वीं और 14वीं शताब्दी में इटली के महत्वपूर्ण व्यापारिक नगरों का विस्तार हुआ और वैसे नगर-राज्यों के रूप में विकसित हो गए जिनका आसपास के ग्रामों के राजनीतिक एवं आर्थिक जीवन पर पर्याप्त प्रभाव था! नए संपन्न व्यापारी वर्ग ने अभिजात वर्ग की स्थिति को प्राप्त करने के लिए अपने धन का प्रयोग शिक्षा के विस्तार तथा विभिन्न कलाओं के विकास के लिए करना प्रारंभ कर दिया! जिससे पुनर्जागरण के प्रादुर्भाव को प्रोत्साहन मिला! 

प्रश्न :- पुनर्जागरण से क्या तात्पर्य है (punarjagran se kya tatparya hai)

उत्तर :- पुनर्जागरण (Renaissance) फ्रेंच भाषा का शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ है – ‘फिर से जागना’ किंतु यहां रेनेसां का अर्थ किसी सोए हुए व्यक्ति को निंद्रा से जागना नहीं, बल्कि समस्त मानव जाति का जागृत होना है! वस्तुतः पुनर्जागरण कोई राजनीतिक अथवा धार्मिक आंदोलन न होकर मानव की मनोदशा में हुए परिवर्तन को अभिव्यक्त करता है!

प्रश्न :- यूरोप में पुनर्जागरण सर्वप्रथम किस देश में हुआ

उत्तर :- वास्तव में यूरोप में पुनर्जागरण का केंद्र बिंदु इटली था! इटली से पुनर्जागरण की लहर यूरोप के अन्य देशों में पहुॅंची! निम्नलिखित कारणों के परिणामस्वरुप पुनर्जागरण सर्वप्रथम इटली में प्रारंभ हुआ

प्रश्न :- पुनर्जागरण से भौगोलिक खोजों को किस प्रकार प्रोत्साहन मिला

उत्तर :- 1453 में कस्तुनतुनिया पर तुर्कों का अधिकार हो गया, जिससे यूरोप व पूर्वी देशों के बीच संपर्क का मार्ग अवरुद्ध हो गया! फलतः नवीन व्यापारिक मार्गों की खोज की आवश्यकता महसूस की गई! स्पेन और पुर्तगाल के अनेक नाविकों ने अनेक नवीन जल मार्गों की खोज की! 
1487 ई. में बार्थोलोम्यू डियाज़ ने ‘केप ऑफ गुड होप’.1492 ई. में कोलम्बस ने ‘अमेरिका’ तथा 1498 ई. में वास्कोडिगामा ने ‘भारत’ की खोज की! इन भौगोलिक खोजों की के कारण यूरोपीय देशों में वैचारिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिला, जिससे लोगों में स्वतंत्र चिंतन पद्धति का विकास हुआ

पुनर्जागरण से आप क्या समझते हैं और इसकी विशेषताएं क्या हैं?

पुनर्जागरण की मुख्य विशेषता स्वतन्त्र चिन्तन है। मध्य युग में व्यक्ति के चिन्तन एवं मनन पर धर्म का कठोर अंकुश लगा हुआ था। पुनर्जागरण 'को नई गति एवं विचारधारा को नवीन निडरता प्रदान की। पुनरुत्थान का लक्ष्य परम्परागत विचारधाराओं को स्वतन्त्र आलोचना की कसौटी पर कसना था।

पुनर्जागरण की सबसे प्रमुख विशेषता क्या थी?

पुनर्जागरण की विशेषताएँ.
स्वतंत्र चिंतन.
तर्क पर बल.
मानववाद का समर्थन.
देशज भाषाओं का विकास.
सहज सौन्दर्य की उपासना.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास.
भौगोलिक खोजे.
कला, विज्ञान व साहित्य के क्षेत्र में विकास.

पुनर्जागरण से आप क्या समझते हैं इसका कारण बताइए?

चिन्तन शक्ति के विकास से पुरानी। मान्यताएँ टूटने लगी और नई मान्यताओं की प्रष्ठभूमि तैयार होती गई जिससे पुनर्जागरण को बल प्राप्त हुआ। नगरों में आने वाले विदेशी व्यापारियों से भी नगरवासी विचारों का आदान-प्रदान किया करते थे। देश-विदेश की बातों पर चिन्तन मनन होता था जिससे नगरवासियों की चिन्तन शक्ति बढ़ने लगी।