ओणम त्योहार के 10 दिनों के नाम - onam tyohaar ke 10 dinon ke naam

दस दिन तक चलने वाले ओणम त्योहार में रोज एक नया त्योहार मनाया जाता है। हर दिन के साथ एक अलग गाथा है और मान्यता है। हालांकि पहला और आखिरी दिन ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। इन दस दिनों को केरल के लोग पूरे मन से मनाते हैं और साल भर इनका इंतज़ार करते हैं। चलिये आपको हर दिन का नाम और उसके बारे में बताते हैं।

ओणम त्योहार के 10 दिनों के नाम - onam tyohaar ke 10 dinon ke naam

अथम

अथम इस त्योहार का सबसे पहला दिन होता है। पहला दिन होने के मद्देनज़र इसको बड़े चाव से मनाया जाता है। लोग सुबह जल्दी उठते हैं और फिर नहा धो कर पूजा पाठ करते हैं। नाश्ते में क्या खाना है ये पहले से ही तय होता है। इसी दिन से फूलों की रंगोली बनाना शुरू कर दी जाती है जो कि राजा महाबलि के स्वागत के लिये बनाई जाती है।

चिथिरा

 

ओणम के दूसरे दिन चिथिरा होती है। इस दिन सब लोग पूजा पाठ से ही दिन की शुरूआत करते हैं। घर के लड़कों की ये जिम्मेदारी होती है कि वो रंगोली के फूलों का इंजाम करें और लड़कियों कि रंगोली बनाने की।

चोढ़ी

हालांकि तीसरे दिन घर में कोई खास कार्यक्रम नहीं होता है, लेकिन इस दिन ख़रीददारी की जाती है। खासकर महिलाएं इस दिन जमकर ख़रीददारी करती हैं। नए कपड़े लिये जाते हैं और एक दूसरे के लिये गिफ्ट खरीदे जाते हैं।

विसकम

इस दिन घर सजाया जाता है। हर जगह त्योहार का रंग चढ़ने लगता है। घर की महिलाएं आचार डालती हैं और पापड़ बनाती हैं। लड़कियां रंगोली सजाने में व्यस्त रहती हैं। ख़रीददारी का आलम इस दिन भी रहता है।

अनिज़्हम

ये दिन बड़ा खास होता है। इस दिन केरल की सबसे फेमस बोट रेस होती है। इस रेस को वल्लमकली कहा जाता है। सांप की तरह सजी नौकाओं के बीच दौड़ होती है और जीतने वाले को इनाम दिया जाता है।

थ्रिकेटा

इस दिन सभी लोग आपस में मिलते हैं। गिफ्ट एक दूसरे को दिये जाते हैं और कई रंगारंग कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये जाते हैं।

मूलम

इस दिन मंदिरों में भोज का आयोजन किया जाता है साथ ही रंगोली को नए तरीके से सजाया जाता है।

पुरदम

भगवान विष्णु के अवतार वामन और राजा महाबलि की मिट्टी की मूर्तियां इस दिन बनाई जाती है।

उत्तरदम

 

इसे वास्तम में पहला ओणम कहा जाता है। इस दिन महाराज महाबलि के लिये फूलों का गलीचा सजाया जाता है।

थिरु ओणम

ओणम के अंतिम दिन को दूसरा ओणम भी कहा जाता है। इस दिन पूरे केरल में ओणम की धूम रहती है। लोग सुबह जल्दी उठ कर स्नान करते हैं। नए कपड़े डालते हैं। भगवान की पूजा करते हैं। पूरा दिन खाने पीने और नाचने गाने का कार्यक्रम चलता है।

ओणम त्योहार के 10 दिनों के नाम - onam tyohaar ke 10 dinon ke naam

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ओणम का त्योहार कुल कितने दिन तक चलता है?

घरों को फूलों से सजाने का कार्यक्रम पूरे 10 दिनों तक चलता है. लोग अपने दरवाजों पर फूलों से रंगोली भी बनाते हैं. ओणम उत्सव के दौरान एक पारंपरिक दावत समारोह का आयोजन किया जाता है.

ओणम का दूसरा नाम क्या है?

केरल में लोग इस पर्व की तैयारी दस दिन पूर्व से शुरु कर देते हैं। इस दौरान लोगो द्वारा अपने घरों को साफ-सुधरा किया जाता है। ओणम का पर्व मनाने वाले लोग इस दिन अपने घरों के आँगन मे फूलों की पंखड़ुयों से सुंदर रंगोलिया बनाते हैं, स्थानीय भाषा में इन रंगोलियों को 'पूकलम' कहा जाता है।

केरल में ओणम क्यों मनाया जाता है?

ओणम का अर्थ सावन होता है। यह त्यौहार जिस महीने में आता है उस महीने को सावन कहते है। यह सावन महीने का वह खास दिन होता है जिस दिन बहुत वर्षा होती है और इस सावन महीने में हुई वर्षा के कारण फसल काफी अच्छी होती है इस वजह से अपने राजा बलि और भगवान विष्णु को शुक्रियादा व्यक्त करने के लिए ओणम का त्योहार मनाया जाता है।

ओणम का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?

इस तरह मनाया जाता है त्योहार ओणम के खास मौके पर तरह-तरह के स्वादिष्ट पकवान बनाए जाते हैं. इसमें पचड़ी,रसम, पुलीसेरी, एरीसेरी, खीर और अवियल आदि शामिल हैं. केरल के लोग ओणम के त्योहार के दौरान केवल दूध से 18 व्यंजन बनाते हैं. इस उत्सव के दौरान लोग दूर-दूर से यहां घूमने के लिए आते हैं.