ओणम केरल का एक प्रमुख त्योहार है। ओणम का उत्सव चिंगम (सिंघम/सिंहम्) मास में भगवान वामन की जयन्ती और राजा बलि के स्वागत में प्रति वर्ष आयोजित किया जाता है जो दस दिनों तक चलता है।[1] उत्सव त्रिक्काकरा (कोच्ची के पास) केरल के एक मात्र वामन मन्दिर से प्रारम्भ होता है। ओणम में प्रत्येक घर के आँगन में फूलों की पंखुड़ियों से सुन्दर सुन्दर रंगोलिया (पूकलम) डाली जाती हैं। युवतियां उन रंगोलियों के चारों ओर वृत्त बनाकर उल्लास पूर्वक नृत्य (तिरुवाथिरा कलि) करती हैं। इस पूकलम का प्रारम्भिक स्वरुप पहले (अथम के दिन) तो छोटा होता है परन्तु नित्य इसमें एक और वृत्त फूलों का बढ़ा दिया जाता है। ऐसे बढ़ते बढ़ते दसवें दिन (थिरुवोणम) यह पूकलम वृहत आकार धारण कर लेता है। इस पूकलम के बीच त्रिक्काकरप्पन (वामन अवतार में विष्णु), राजा बलि तथा उसके अंग-रक्षकों की प्रतिष्ठा होती है जो कच्ची मिटटी से बनायीं जाती है। ओणम में नौका दौड़ जैसे खेलों का आयोजन भी होता है। ओणम एक सम्पूर्णता से भरा हुआ त्योहार है जो सभी के घरों को सुखों से भर देता है। Show
चित्र दीर्घा[संपादित करें]सन्दर्भ[संपादित करें]
इन्हें भी देखें[संपादित करें]ओणम त्यौहार कहानी एवं पूजा विधि 2022 (Onam Festival In Kerala History, Date In Hindi) भारत में तरह तरह के धर्म के लोग रहते है, ये हम सभी जानते है. यहाँ सभी धर्मों के अपने अपने त्यौहार है, कुछ त्यौहार तो देश के हर कोने में मनाते है, तो कुछ किसी विशेष क्षेत्र या राज्य में मनाये जाते है. भारत के मुख्य त्योहारों की बात करे, तो दीवाली, होली, ईद, बैसाखी, क्रिसमस, दुर्गा पूजा आदि है. दीवाली की बात की जाये तो ये देश का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है, मुख्यरूप से उत्तरी भारत का तो ये बहुत बड़ा त्यौहार है, इसी तरह कलकत्ता में दुर्गा पूजा, पंजाब में बैसाखी मुख्य है. किसी राज्य विशेष के त्योहारों की बात करें, तो दक्षिण भारत के केरल में ओणम त्यौहार उत्तरी भारत के दीवाली जितना ही महत्वपूर्ण है. ओणम को मुख्य रूप से केरल राज्य में मनाया जाता है, जहाँ इसे बड़ी ही धूमधाम से हिन्दू धर्म के द्वारा मनाया जाता है. ओणम एक मलयाली त्यौहार है, जो किसानों का फेस्टिवल है, लेकिन सभी लोग ही वहां इसे मनाते है. जिसमें केरल राज्य में लोकल हॉलिडे भी होता है. यहाँ इस दौरान 4 दिन की छुट्टी रहती है. इस त्यौहार की प्रसिद्धता को देखते हुए, 1961 में इसे केरल का नेशनल फेस्टिवल घोषित कर दिया गया. ओणम का त्यौहार समस्त केरल में 10 दिनों तक मनाया जाता है. भारत सरकार इस रंगबिरंगे त्यौहार को अन्तराष्ट्रीय तौर पर बढ़ावा दे रही है, जिससे ओणम त्यौहार के समय अधिक से अधिक पर्यटक केरल आ सकें. इसका असर देखा भी जा सकता है, भगवान् का देश कहा जाने केरल को देखने के लिए, ओणम के दौरान सबसे अधिक लोग जाते है.
ओणम का त्यौहार मलयालम सोलर कैलेंडर के अनुसार चिंगम महीने में मनाया जाता है. यह मलयालम कैलेंडर का पहला महिना होता है, जो ज्यादातर अगस्त-सितम्बर महीने के समय में ही आता है. दुसरे सोलर कैलेंडर के अनुसार इसे महीने को सिम्हा महिना भी कहते है, जबकि तमिल कैलेंडर के अनुसार इसे अवनी माह कहा जाता है. जब थिरुवोनम नक्षत्र चिंगम महीने में आता है, उस दिन ओणम का त्यौहार मनाया जाता है. थिरुवोनम नक्षत्र को हिन्दू कैलेंडर के अनुसार श्रवना कहते है. इस बार सन 2022 में ओणम 30 अगस्त से शुरू होकर 9 सितंबर तक चलेगा. ओणम त्यौहार में थिरुवोनम दिन सबसे महत्वपूर्ण होता है, जो 8 सितम्बर को है.
ओणम त्यौहार का महत्व और क्यों मनाया जाता है (Significance of Onam festival in Kerala)ओणम एक प्राचीन त्योहार है, जो अभी भी आधुनिक समय में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. ओणम के साथ साथ चिंगम महीने में केरल में चावल की फसल का त्योहार और वर्षा के फूल का त्योहार मनाया जाता है. ओणम त्यौहार की कहानी असुर राजा महाबली एवं भगवान् विष्णु से जुड़ी हुई है. लोगों का मानना है कि ओणम त्यौहार के दौरान राजा महाबली अपनी प्रजा से मिलने, उनके हाल चाल, खुशहाली जानने के लिए हर साल केरल राज्य में आते है. राजा महाबली के सम्मान में यह त्यौहार यहाँ मनाया जाता है. ओणम त्यौहार के 10 दिन (Onam Ten Days)
ओणम पर्व से जुड़ी कथा (Onam Festival Story in Hindi)महाबली, पहलाद के पोते थे. पहलाद जो असुर हिरनकश्यप के बेटे थे, लेकिन फिर भी वे विष्णु के भक्त थे. अपने दादा की तरह महाबली भी बचपन से ही विष्णु भक्त थे. समय के साथ महाबली बड़े होते गए और उनका साम्राज्य विशाल होते चला गया. वे एक बहुत अच्छे, पराक्रमी, न्यायप्रिय, दानी, प्रजा का भला सोचने वाले रजा थे. महाबली असुर होने के बाद भी धरती एवं स्वर्ग पर राज्य किया करते थे. धरती पर उनकी प्रजा उनसे अत्याधिक प्रसन्न रहती थी, वे अपने राजा को भगवान् के बराबर दर्जा दिया करते थे. इसके साथ ही महाबली में घमंड भी कहीं न कहीं आने लगा था. ब्रह्मांड में बढ़ती असुरी शक्ति को देख बाकि देवी देवता घबरा गए, उन्होंने इसके लिए विष्णु जी की मदद मांगी. विष्णु जी इसके लिए मान जाते है. हिरनकश्यप और पहलाद की पूरी कहानी को यहाँ पढ़ें. विष्णु जी महाबली को सबक सिखाने के लिए, सभी देवी देवताओं की मदद के लिए माता अदिति के बेटे के रूप में ‘वामन’ बन कर जन्म लेते है. ये विष्णु जी का पांचवां अवतार होते है. एक बार महाबली इंद्र से अपने सबसे ताकतवर शस्त्र को बचाने के लिए, नर्मदा नदी के किनारे अश्व्मेव यज्ञ करते है. इस यज्ञ की सफलता के बाद तीनों लोकों में असुर शक्ति और अधिक ताकतवर हो जाती. महाबली बोलते है, इस यज्ञ के दौरान उनसे जो कोई जो कुछ मांगेगा उसे दे दिया जायेगा. इस बात को सुन वामन इस यज्ञ शाला में आते है. ब्राह्मण के बेटे होने के कारण महाबली उन्हें पूरे सम्मान के साथ अंदर लाता है. महाबली वामन से बोलता है कि वो उनकी किस प्रकार सेवा कर सकता है, उन्हें उपहार में क्या दे सकता है. वामन मुस्कराते हुए कहते है, मुझे ज्यादा कुछ नहीं चाहिए, बस मुझे तो 3 डग जमीन दे दो. ये बात सुन महाबली के गुरु समझ जाते है कि ये कोई साधारण बालक नहीं है, वे महाबली को उनकी इच्छा पूरी न करने को कहते है. लेकिन महाबली एक अच्छे राजा थे, वे अपने वचनों के पक्के थे, उन्होंने वामन को हाँ कर दिया. महाबली वामन को अपनी इच्छा अनुसार भूमि लेने के लिए बोलते है. ये बात सुन वामन अपने विशाल रूप में आ जाते है. उनके पहले कदम में सारी धरती समां जाती है, उनके दुसरे कदम में स्वर्गलोक आ जाता है. अब उनके तीसरे कदम के लिए राजा के पास कुछ नहीं होता है, तो अपने वचन को पूरा करने के लिए, राजा अपना सर वामन के पैर के नीचे रख देते है. ऐसा करते ही, राजा धरती में पाताललोक में समां जाते है. पाताललोक में जाने से पहले महाबली से एक इच्छा पूछी जाती है. महाबली विष्णु जी से मांगते है कि हर साल धरती में ओणम का त्यौहार उनकी याद में मनाया जाए, और उन्हें इस दिन धरती में आने की अनुमति दी जाये, ताकि वे यहाँ आकर अपनी प्रजा से मिलकर, उनके सुख दुःख को जान सकें. ओणम मनाने का तरीका (Onam Festival Celebrations Kerala)
10-12 दिन का त्यौहार हर्षोल्लास के साथ ख़त्म होता है, जिसे केरल का हर इन्सान बहुत मन से मनाता है. इस रंगबिरंगे अनौखे त्यौहार में पूरा केरल चमक उठता है. FAQQ : ओणम का त्यौहार 2022 में कब है ? Ans : 8 september Q : ओणम का त्यौहार कब तक है ? Ans : 9 सितंबर Q : ओणम का त्यौहार कितने दिन का होता है ? Ans : 10 दिन का Q : ओणम 2022 का शुभ मुहूर्त कब से कब तक का है ? Ans : 7 दिसंबर को शाम 04:05 से 8 दिसंबर को दोपहर 01:40 तक Q : ओणम में विशेष दिन को किस नाम से जानते हैं ? Ans : थिरुवोनम अन्य त्यौहार के बारे में पढ़े:
ओणम का त्योहार कब और कहां मनाया जाता है?यह त्यौहार दक्षिण भारत के केरल राज्य में मुख्य रूप से मनाया जाता है। यह मुख्य रूप से किसानों का त्योहार है जो फसल और अच्छी मौसम की शुक्रियादा व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। अगर आप जानना चाहते है की ओणम कब है तो हम आपको बता दें इस साल यह त्यौहार 30 अगस्त 2022 से 8 सितंबर 2022 तक पूरे केरल में धूमधाम से मनाया जाएगा।
ओणम कितने दिन मनाया जाता है?ओणम केरल का एक प्रमुख त्योहार है। ओणम का उत्सव चिंगम (सिंघम/सिंहम्) मास में भगवान वामन की जयन्ती और राजा बलि के स्वागत में प्रति वर्ष आयोजित किया जाता है जो दस दिनों तक चलता है। उत्सव त्रिक्काकरा (कोच्ची के पास) केरल के एक मात्र वामन मन्दिर से प्रारम्भ होता है।
ओणम का दूसरा नाम क्या है?ओणम 2022 तिथि और मुहूर्त
ओणम का त्योहार थिरुवोणम् नामक इसी नक्षत्र में मनाया जाता है. इस साल ओणम 08 सिंतबर को मनाया जाएगा.
ओणम का त्योहार क्यों मनाते हैं?ओणम पर्व का महत्व
दक्षिण भारत में विशेष रूप से केरल में ओणम का त्योहार राजा बलि के सालभर में एक बार थिरुवोणम नक्षत्र के दौरान अपनी प्रजा से मिलने के लिए पाताल लोक से पृथ्वी पर आने का उत्सव है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार तीनों लोकों पर राजा बलि का राज था। महाबलि अपनी प्रजा से विशेष लगाव था।
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