नवाब साहब की खीरा सेवन की प्रक्रिया को देख कर लेखक के मन में क्या विचार आया? - navaab saahab kee kheera sevan kee prakriya ko dekh kar lekhak ke man mein kya vichaar aaya?

लखनवी अंदाज

यशपाल

NCERT Exercise

प्रश्न 1: लेखक को नवाब साहब के किन हाव भावों से महसूस हुआ कि वे उनसे बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं हैं?

उत्तर: जब लेखक अपनी सीट पर बैठा तो नवाब साहब उनसे नजरें मिलाने से बच रहे थे। नवाब साहब खिड़की के बाहर देख रहे थे। इन हाव भावों से पता चलता है कि नवाब साहब लेखक से बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं थे।

प्रश्न 2: नवाब साहब ने बहुत ही यत्न से खीरा काटा, नमक-मिर्च बुरका, अंतत: सूँघकर ही खिड़की से बाहर फेंक दिया। उन्होंने ऐसा क्यों किया होगा? उनका ऐसा करना उनके कैसे स्वभाव को इंगित करता है?

उत्तर: नवाब साहब को झूठी शान दिखाने की आदत रही होगी। वे खीरे को गरीबों का फल मानते होंगे और इसलिए किसी के सामने खीरे को खाने से बचना चाहते होंगे। वह यह भी दिखाना चाहते होंगे कि नफासत के मामले में उनका कोई सानी नहीं है। इसलिए उन्होंने खीरे को बड़े यत्न से काटा, नमक-मिर्च बुरका और फिर खिड़की से बाहर फेंक दिया।


Chapter List

  • सूरदास
  • तुलसीदास
  • देव
  • जयशंकर प्रसाद
  • सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
  • नागार्जुन
  • गिरिजाकुमार माथुर
  • ऋतुराज
  • मंगलेश डबराल
  • नेताजी का चश्मा
  • बालगोबिन भगत
  • लखनवी अंदाज
  • मानवीय करुणा की दिव्य चमक
  • एक कहानी यह भी
  • स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन
  • नौबतखाने में इबादत
  • संस्कृति

प्रश्न 3: बिना विचार, घटना और पात्रों के भी क्या कहानी लिखी जा सकती है। यशपाल के इस विचार से आप कहाँ तक सहमत हैं?

उत्तर: कहानी के लिए विचार, घटना और पात्र उतने ही जरूरी हैं, जितना की पेट भरने के लिए भोजन। मैं लेखक के इस विचार से सहमत नहीं हूँ। बहरहाल, मैं लेखक द्वारा किए गए कटाक्ष से जरूर सहमत हूँ कि जब केवल सूँघकर और देखकर पेट की तृप्ति हो सकती है तो फिर बिना विचार, घटना और पात्र के कहानी क्यों नहीं लिखी जा सकती है।

प्रश्न 4: आप इस निबंध को और क्या नाम देना चाहेंगे?

उत्तर: हवा में पकौड़े तलना


प्रश्न 5: नवाब साहब द्वारा खीरा खाने की तैयारी करने का एक चित्र प्रस्तुत किया गया है। इस पूरी प्रक्रिया को अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए।

उत्तर: नवाब साहब ने बड़े करीने से खीरों को तौलिये पर रखा। फिर उन्होंने अपनी जेब में से चाकू निकाला और खीरे के सिरे को काट दिया। फिर खीरे के सिरे को गोदकर उसे रगड़कर झाग निकाला। कई जगह इस प्रक्रिया को खीरे का बुखार निकालना कहते हैं। उसके बाद नवाब साहब ने खीरे के छिलके उतारे। फिर उन्होंने खीरे की पतली-पतली फाँकें काटीं और उन्हें तौलिये पर सजा दिया। उसके बाद उन फाँकों पर नमक-मिर्च छिड़का जिससे उनकी खीरा खाने की तैयारी पूरी हो गई।

प्रश्न 6: किन-किन चीजों का रसास्वादन करने के लिए आप किस प्रकार की तैयारी करते हैं?

उत्तर: मैं आम का रसास्वादन करने के लिए पहले आम को पानी से अच्छी तरह से धोता हूँ। फिर आम को दबाकर उसका दूध निकाल देता हूँ। उसके बाद आम चूसने के लायक बन जाता है। जलेबी के साथ अगर तीखी सब्जी हो तो इससे जलेबी का स्वाद बढ़ जाता है।


प्रश्न 7: खीरे के संबंध में नवाब साहब के व्यवहार को उनकी सनक कहा जा सकता है। आपने नवाबों की और भी सनकों और शौक के बारे में पढ़ा सुना होगा। किसी एक के बारे में लिखिए।

उत्तर: एक बार लखनऊ के एक नवाब मसनद के सहारे बैठकर शतरंज खेल रहे थे। तभी उन्हें खबर मिली कि अंग्रेजों की सेना ने आक्रमण कर दिया है। नवाब साहब ने अपने अर्दली को आवज लगाई ताकि वह आकर उन्हें जूते पहना दे। लेकिन अर्दली तो अपनी जान बचाकर भाग चुका था। फिर क्या था, नवाब साहब वहीं बैठे रहे। एक नवाब भला अपने हाथों से जूते कैसे पहन सकता था। अंग्रेजों के सैनिक आये और नवाब साहब को पकड़कर ले गए।

प्रश्न 8: क्या सनक का कोई सकारात्मक रूप हो सकता है? यदि हाँ तो ऐसी सनकों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर: यदि किसी व्यक्ति में लगन से काम करने की सनक हो तो इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। हमने ऐसे कई वैज्ञानिकों के बारे में सुना है जो दिन रात प्रयोगशाला में काम करते थे। अपनी इसी सनक के कारण उन वैज्ञानिकों ने कई महत्वपूर्ण आविष्कार किए हैं।


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नवाब के व्यवहार को देखकर लेखक के मन में क्या विचार आया?

(ख) नवाब साहब की भाव-भंगिमा देखकर लेखक के मन में यह विचार आया कि नवाब साहब का मुँह खीरे के स्वाद की कल्पना से ही भर गया है। (ग) पूर्व में इनकार कर चुकने के कारण आत्मसम्मान की रक्षा के लिए लेखक ने खीरा खाने से इंकार कर दिया। (क) भगत के व्यक्तित्व और उनकी वेशभूषा का अपने शब्दों में चित्र प्रस्तुत कीजिये।

खीरे की घटना से लेखक क्या सोचने पर विवश हो गया?

बिना खीरा खाए नवाब साहब को डकार लेते देखकर लेकर क्या सोचने पर विवश हो गया? लेखक ने देखा कि नवाब साहब ने खीरों की फाँकों का रसास्वादन किया उन्हें मुँह के करीब ले जाकर सूंघा और बाहर फेंक दिया। इसके बाद नवाब साहब को डकार लेता देखकर लेखक यह सोचने पर विवश हो गया कि क्या इस तरह सँघने मात्र से पेट भर सकता है।

लखनवी अंदाज पाठ में नवाब साहब को खीरा खाने की तैयारी में देख लेखक क्या सोचने लगे?

Answer. Answer: नवाब साहब को खीरा खाने की तैयारी में देखकर लेखक के मुंह में पानी भर आया। वह सोचने लगा कि यह खीरा कितना लज़ीज़ है और इसको खाने वाला व्यक्ति भी अवश्य ही कोई नवाब है जो सफर वस्त्र पहने हुए है।

लखनवी अंदाज पाठ के नवाब साहब को देखकर आपके मन में कैसे व्यक्ति का चित्र भरता है?

Expert-verified answer 'लखनवी अंदाज' पाठ के नवाब साहब को देखकर एक ऐसे व्यक्ति का चित्र उभर कर सामने आता है. जो पतनशील सामन्त वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है, क्योंकि नवाब साहब की जो भी जीवन शैली थी जो भी उनमें दिखावा करने की प्रवृत्ति थी, वह सामंतवाद का ही प्रतीक थी।