नींद की गोली का असर कितने घंटे रहता है ? जानें 4012 Show
Google+ नींद की गोली का असर कितने घंटे रहता है – अनिंद्रा यानी ‘नींद ना आना’ आजकल लोगों की सबसे बड़ी परेशानी है. आप सभी जानते हैं कि नींद का कनेक्शन सीधे सेहत से होता है. लेकिन भाग-दौड़, तनाव से भरी जिंदगी में आज कल लोग अनिंद्रा की बीमारी से पीड़ित हो रहे हैं. ऐसे में इस बीमारी से बचने के लिए लोग कभी नींद की गोली खाते हैं तो कभी डॉक्टर की सलाह लेकर नींद की टेबलेट नाम एंड प्राइस पूछते हैं. लेकिन आपको बता दें कि नींद की गोली के सेवन से साइडइफ़ेक्ट भी देखने को मिलते हैं. आज के इस पोस्ट में नींद की गोली का असर कितने घंटे रहता है और इसके क्या साइडइफेक्ट हैं, इसके बारे में जानेंगे. तो पोस्ट को पूरा पढ़ें. तो चलिए जानते हैं… नींद की गोली का असर कितने घंटे रहता हैतो चलिए जानते हैं, अगर कोई व्यक्ति या फिर मरीज नींद की गोली खाता है तब नींद की गोली का असर कितनी देर तक रहेगा. आपको बता दें कि नींद की गोली का असर इसे लेने से 20 से 30 मिनट में शुरू हो जाता है. नींद की गोली किसी भी मरीज को 8 घंटे की सुकून की नींद दे सकती है. इससे ज्यादा घंटे भी नींद आ सकती है. तो इससे साफ़ है कि नींद की गोली का असर 8 से 10 घंटे तक रहता है जो कि गोली लेने के 20 मिनट से 30 मिनट में ही असर शुरू हो जाता है. नींद की गोली के साइडइफ़ेक्टआपको बता दें कि नियमित रूप से नींद की गोली के सेवन से कई सारे नुकसान होते हैं. इसके कई खतरनाक साइडइफ़ेक्ट हैं. अगर आप नींद की टेबलेट लेने की सोच रहे हैं तो किसी चिकित्सक के सलाह के मुताबिक ही इसका सेवन करें, वरना ये जानलेवा हो सकता है. तो चलिए नींद की टेबलेट के साइडइफ़ेक्ट जानते हैं… यदि आपको या आपके किसी परिचित को नींद में परेशानी है - तो यह लेख आपके लिये है| इसमे नींद से जुड़ी कुछ समस्याओं के बारे में बताया गया है| इसमें कुछ आसान तरीके बताये गये हैं जो आपकी नींद को बेहतर बनाएँगे एवं ये बताएँगे कि क्या आपको विशेषज्ञ की मदद की जरूरत है| सामान्यतः आपको नींद के बारे में सोचने की आवश्यकता नहीं होती| ये आपकी दिनचर्या का एक हिस्सा है| लेकिन ज्यादातर लोग कभी न कभी नींद आने मे परेशानी का सामना करते है| आप लोगो ने एक शब्द सुना होगा - अनिद्रा (Insomnia), अगर आप बहुत चिन्तित हों या बहुत उत्तेजित हों तो थोड़े समय के लिए आप इसके शिकार हो सकते हो और जब आपकी उत्तेजना या चिन्ता खत्म हो जाती है तो सब सामान्य हो जाता है| अगर आपको अच्छी नींद नही आती है तो ये एक समस्या है क्योंकि नींद आपके शरीर और दिमाग को स्वस्थ एवं चुस्त रखती है| नींद क्या है?नींद हर 24 घंटे में नियमित रुप से आने वाला वो समय है जब हम अचेतन अवस्था मे होते है, और आस पास की चीजों से अनजान रहते है| नीद के दो प्रमुख हिस्से होते है- 1) तीव्र चक्षुगति निद्रा (Rapid Eye Movement Sleep - REM)ये अवस्था नींद का लगभग पांचवा हिस्सा बनाती है| इस दौरान दिमाग बहुत सक्रिय होता है आँखें तेजी से हरकत करती है | हम सपने देखते है | लेकिन हमारी मांसपेंशियाँ बहुत ढीली रहती है| 2) मन्द चक्षुगति निद्रा (Non Rapid Eye Movement Sleep -non REM)इसमे मस्तिष्क शान्त रहता है लेकिन हमारा शरीर चल फ़िर सकता है| रक्त में कुछ हार्मोन्स (Hormones) बनते है जिससे हमारा शरीर दिन भर की टूट फूट की मरम्मत करता है| इस अवस्था के चार भाग होते है।
पूरी रात मे आप लगभग 5 बार REM एवं non REM निद्रा के बीच आते जाते है और सुबह के समय ज्यादा सपने देखते है| एक सामान्य रात में आप लगभग हर दो घंटे पर 1-2 मिनट के लिये जगते हैं| आप सामान्यतः इस जगने के बारे में नहीं जान पाते| लेकिन आप इतना याद रख सकते हैं कि आपको घबराहट हो रही थी या बाहर कुछ हो रहा था जैसे शोर या आपका साथी खर्राटे ले रहा था। हमें कितनी नींद की आवश्यकता होती है ?यह उम्र पर निर्भर है| 1- बच्चे -17 घन्टे 2- किशोर - 9 से 10 घन्टे 3- व्यस्क - 8 घन्टे 4- वृद्ध - व्यस्क के समान, लेकिन गहरी नींद केवल एक बार ही आती है, सामान्यतः शुरुआती 3-4 घन्टे- उसके बाद वे आसानी से जाग जाते हैं तथा वे स्वप्न भी कम देखते हैं| रात में जागने का थोड़ा समय भी उनको वास्तविकता से ज्यादा लम्बा लगता है। उनको लगता है कि वे उतना नहीं सोये हैं जितना कि वे वास्तव में सोये थे| समान उम्र के लोगों के बीच मे भी अन्तर पाया जाता है| अधिकांश लोग 8 घन्टे सोते हैं जबकि कुछ लोगों के लिये 3 घन्टे की नींद ही पर्याप्त होती है| क्या होगा अगर मै न सोऊँ ?जब आपको नींद नहीं आती है तो आपको चिन्ता होती है। अगर आप एकाध रात न सोएं तो अगले दिन आप थका हुआ मह्सूस करते हैं लेकिन इससे आपके मानसिक या शारीरिक स्वास्थ्य को नुकसान नहीं पहुँचता| लेकिन, अगर आप कई रातों तक ना सो पाये तो
आप अगर वाहन चलाते हैं या मशीनों पर काम करते हैं तो यह खतरनाक हो सकता है| हर साल कई लोगों की म्रृत्यु इसलिये हो जाती है क्योंकि वे वाहन चलाते समय सो जाते हैं| अनिद्रा से उच्च रक्तचाप, मधुमेह और मोटापा जैसी बीमारियाँ हो सकती हैं| व्यस्कों में निद्रा सम्बन्धी समस्याएँ :कभी कभी आप महसूस करते हैं कि आपने पूरी नींद नहीं ली है या पर्याप्त समय सोने के बाद भी आपको ताजगी महसूस नहीं होती| ठीक तरह से न सो पाने के कई कारण रोजमर्रा की जिंदगी से ज़ुडे होते हैं -
अनिद्रा के कुछ और गम्भीर कारण भी सकते है| जैसे
अपनी मदद स्वंय करना यहाँ कुछ आसान तरीके दिये गये है जो आपके लिए उपयुक्त हो सकते है क्या करना चाहिए ?
क्या ना करें?
अगर उपरोक्त उपाय करने के बाद भी आप नहीं सो पा रहे हैं तो चिकित्सक से परामर्श लें| आप अपने डाक्टर से अपनी हर समस्या के बारे में परामर्श ले सकते हैं| आपके डाक्टर आपको बता सकते हैं कि आपकी अनिद्रा का कारण कोई शारीरिक बीमारी है, कोई दवा है जो आप खा रहे हैं, या कोई भावात्मक समस्या है| इस बात के प्रमाण है कि "काग्नीटिव बिहैवियर थिरैपी" (CBT) आपकी अनिद्रा की समस्या का समाधान कर सकती है| मनोचिकित्सा:काग्नीटिव थिरैपी आपकी उस गलत सोच को बदलती हो जिसके कारण आप चिन्तित होते हों और आपको सोने में दिक्कत हो रही है। स्टिम्यूलस कन्ट्रोल (Stimulus Control) आपकी मदद करता है-
प्रोग्रेसिव मसल रिलैक्सिशन (Progressive Muscle Relaxation): आपकी मांसपेशियां को आराम देने में सहायक होता है। एक एक करके आप अपनी मांसपेशियों में तनाव लाते हैं, फ़िर ढीला करते हैं- ऐसा आप नीचे से ऊपर की ओर करते हैं अर्थात सर्वप्रथम पैर फ़िर हाथ फ़िर कन्धे, फ़िर चेहरा व गर्दन्। क्या दवाईयाँ मदद कर सकती हैं ?लोग सालों से नींद की गोलियां का इस्तेमाल कर रहे हैं लेकिन अब हम जानते हैं कि वे
कुछ नई दवाइयाँ आई हैं लेकिन इनमें भी पुरानी दवाइयों के नुकसान हैं। नींद की गोलियां केवल बहुत थोड़े समय के लिये लेनी चाहिये (2 हफ़्ते से कम समय के लिये) जब आप इतने परेशान हों कि सो ही न पाये। अगर आपको लम्बे समय तक नींद की दवाइयाँ लेनी हो तो अपने डाक्टर से सलाह लेने के बाद उनकी मात्रा धीरे धीरे कम कीजिये। कभी कभी उदासी खत्म करने की दवाओं का प्रयोग बेहतर रहता है | ओवर द काउन्टर मेडिकेशन (Over the Counter Medication) : आप अपने दवा विक्रेता से कुछ नींद की गोलियां बिना किसी डाक्टर के पर्चे के ले सकती हैं। ऐसी दवाइयों में ज्यादातर एन्टी हिस्टामीनिक होते हैं जो कि फ़ीवर, सर्दी जुकाम में दिये जाते हैं। ये कार्य करती हैं लेकिन आपको अगली सुबह भी हल्की नींद में रखती हैं। अगर आप इन दवाइयों को लेते हैं तो अगली सुबह गाडी न चलाये और मशीनो के साथ काम न करें । इन दवाइओ को लगातार इस्तेमाल करने से आपके शरीर को इनकी आदत पड़ सकती है। इसलिये बेहतर है कि आप ऐसी दवाइयों को लम्बे समय तक न लें। हर्बल दवाइयाँ ज्यादातर वैलेरिन नामक हर्ब पर आधारित होती है| ये तब ज्यादा असर करती है कि जब आप 2-3 सप्ताह या ज्यादा समय तक हर रात इन्हें ले| अगर आप इन्हें कभी कभी लेते है तो ये कार्य नही करती| जैसा कि एन्टी हिस्टामीनिक के साथ होता है वैसे ही इन दवाइयों को लेने पर आपको अगली सुबह सावधान रहना चाहिये | अगर आप अपने रक्तचाप के लिए कोई दवा लेते है(या कोई और नींद की गोली ) तो आपको डाक्टर की सलाह लेनी चाहिए | आपको कभी कभी रात में काम करना पड़ सकता है जब सामान्यतः आप सोते है |अगर ऐसा कभी कभी होता है तो आप आसानी से समायोजन कर लेते है। लेकिन अगर आपके साथ लगातार ऐसा होता रहे तो आपको परेशानी होती है। शिफ़्ट में कार्य करने वाले कर्मचारी (shift workers),चिकित्सक एव नर्स जिन्हे सारी रात काम करना पड़ता है या स्तन पान कराने वाली माँ ,इन सबको ये दिक्कत होती है कि इनको तब सोना पड़ता है जब सामान्यतः ये जगते है|ये "जेट लैग" की तरह होता है जिसमें अलग अलग समय मे तीव्र गति से यात्रा करने के कारण आप उस समय जागते हैं जब बाकी सब सोते हैं | सामान्य होने का अच्छा तरीका यह है कि आप रात मे चाहे जब सोये हो सुबह निशिचत समय पर उठे| इसके लिए आप अलार्म घड़ी का उपयोग कर सकते है |इस बात का ध्यान रखे कि अगली रात आप 10 बजे से पहले न सोये |अगर आप ऐसा कुछ रातो तक करेगे तो जल्द ही आप रात मे सही समय पर सोने लगेगे| बहुत ज्यादा सोना (अतिनिन्द्रा)- Hypersomniaकभी कभी आपको लगता है कि आपको दिन के समय भी नीद आ रही जब आपको जगना होता है सामान्यत ऐसा रात मे न सोने के कारण होता है| अगर आपको लगता है कि रात मे पूरी नींद लेने के बाद भी लगातार 1 या 2 हफ्तो तक आपको ज्यादा नीद आ रही हो तो आपको डाक्टर से सलाह लेनी चाहिए| कुछ शारीरिक रोग जैसे मधुमेह ,वायरल फीवर या थायराइड सम्बंधी समस्या इसका कारण हो सकते है|कुछ अन्य कारण भी हो सकते है| 1: नार्कोलेप्सी (दिन में ज्यादा सोना) यह कम पाया जाने वाला रोग है जिससे चिकित्सक इसे पहचानने मे अकसर गलती कर देते है इसके दो मुख्य लक्षण होते है - क) आपको दिन भर बहुत नीद महसूस होती है तथा आपको अचानक नीद के गहरे झटके आते है जिसे आप रोक नही पाते है चाहे आप और लोगों के साथ ही क्यों न बैठे हों | ख) जब आप बहुत गुस्से में या उत्तेजित होते है या हँस रहे होते हैं तो आप अपनी मासपेशियो नियंत्रण खो देते है और गिर जाते है इसको कैटालेप्सी कहते हैं| कभी कभी ये उम्र के साथ ठीक हो जाता है | ऐसा भी हो सकता है कि आप:
नार्कोलेप्सी का कारण हाइपोक्रिटिन नामक तत्व की कमी का होना है। इसके उपचार के लिये सर्वप्रथम आप नियमित व्यायाम करिये एवं सोने की नियमित दिनचर्या बनाइये। अगर इससे मदद नहीं मिलती है तो कुछ दवाइयाँ आपकी मदद कर सकती हैं। जैसे एन्टीडिप्रेसेन्ट एवं मोडफ़ेनिल। एन्टीडिप्रेसेन्ट जैसे क्लोमिप्रामीन एवं फ़्लूआक्सिटीन कैटालेप्सी में सहायक होती है। इसके अलावा सोडियम आक्सीबेट नाम की नई दवा भी उपलब्ध है। स्लीप एप्नीया (Interuppted Sleep)
ऐसा रात में कई बार होता है। आप अगले दिन थका हुआ महसूस करते हैं और आपको इतनी तेज नींद आती है कि आप खुद को रोक नहीं पाते हैं। अतः सुबह जागने पर आपका मुँह सूखा लगता है और सिर दर्द होता है। अगर आप -
तो आपको स्लीप एप्नीया होने की ज्यादा सम्भावना रहती है। ये समस्या रोगी के बजाय ज्यादातर उसका साथी बताता है। चिकित्सा:
कुछ अन्यसम स्याएँ:हर 20 में से व्यक्ति को नाइट टेरर होते हैं । हर 100 में से 1 व्यक्ति सोते हुए चलता है, ये दोनों समस्याएँ बच्चों में ज्यादा होती हैं । स्लीप वाकिंग: अगर आपको ये बीमारी है तो अन्य लोगों को ऐसा लगता है कि आप बहुत गहरी नींद से जगे हैं। आप उठते हैं व कुछ कार्य करते हैं। ये कार्य कठिन भी हो सकते हैं जैसे आस पास घूमना, सीढ़ियों से ऊपर नीचे आना। इसमें कई बार आप खुद को परेशानी में भी डाल सकते हैं । अगर आपको कोई जगाए न तो आपको अगले दिन कुछ याद नहीं रहता। स्लीप वाकिंग कभी कभी नाइट टेरर के बाद हो सकती है। अगर आप को ठीक से नींद नहीं आती है या बहुत कम समय के लिये सोते हैं तो इस बात की सम्भावना ज्यादा है कि आप सोते हुए चलें । इसलिये एक पर्याप्त नींद लेना जरूरी हो जाता है। ऐसे रोगी को धीरे से उसके बिस्तर पर पुन: लिटा देना चाहिये और उसे जगाना नहीं चाहिये। दरवाजे व खिड़कियॉ बन्द रखनी चाहिये, धारदार वस्तुओं जैसे चाकू आदि को दूर रखना चाहिये। नाइट टेरर : ये बिना स्लीप वाकिंग के भी हो सकता है। रोगी गहरी नींद से अचानक जगा हुआ प्रतीत होता है। रोगी अर्धनिद्रा में व बहुत डरा हुआ सा लगता है लेकिन बिना पूरी तरह जगे हुए ही वो पुन: सो जाता है। आप इस दौरान उनके साथ रह सकते हैं जब तक वो फ़िर से न सो जाएँ। रोगी को अगले दिन इस बारे में कुछ भी याद नहीं रहता। नाइट मेयर: हममे से अधिकांश को डरावने सपने या नाइट मेयर आते हैं। ये ज्यादातर देर रात में होते हैं जब हम सबसे सजीव एवं याद रहने वाले स्वप्न देखते हैं। इनमे कोई दिक्कत नहीं होती जब तक ये भावात्मक समस्याओं के कारण रोज नहीं होते। ये सामान्यतः किसी बहुत परेशान करने वाले या जीवन को संकट मे डालने वाली घटना जैसे तूफ़ान, महामारी, किसी की मौत, दुर्घटना या जानलेवा हमला के बाद होते हैं। इसके उपचार के लिये परामर्श एवं सलाह उपयुक्त रहती है। रेस्टलेस लेग सिन्ड्रोम (Restless Leg Syndrome):
हालाँकि कई लोग बचपन से ही इस बीमारी से ग्रसित होते हैं लेकिन ज्यादातर लोग मध्यावस्था में डाक्टर के पास जाते हैं। ये बीमारी आनुवंशिक होती है। अधिकांश मामलों में इस बीमारी का कोई कारण नहीं होता, लेकिन कभी कभी ये शारीरिक बीमारियों जैसे लौह तत्व व विटामिन की कमी, मधुमेह तथा गुर्दे की बीमारियों से हो सकती है। ये गर्भावस्था के दौरान भी कभी कभी हो सकता है। अगर इस बीमारी का कोई कारण नहीं हो जैसा कि अधिकांश मामलों में होता है तो उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि मरीज को कितनी परेशानी है। अगर ज्यादा परेशानी है तो नींद बेह्तर करने के आसान उपायों से आराम मिल सकता है। ज्यादा गम्भीर मरीज़ो मे दवाइयों की आवश्यकता होती है। जैसे कि पार्किंसन्स रोग में प्रयोग होने वाली दवाएं, मिर्गी के दौरे मे प्रयोग होने वाली दवाएं, बेन्ज़ोडायाजिपीन, दर्द निरोधी दवाइयाँ। अगर मरीज को आराम न मिले तो विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिये। आटिस्म : इस रोग से ग्रसित रोगियो को कभी इस बात का अह्सास नहीं होता कि रात का समय सोने के लिये होता हो और वे रात भर इधर उधर चलते रहते हैं। इस बीमारी के लिये विशेषज्ञ डाक्टर की सलाह लेनी चाहिये। नींद की दवा का असर कैसे कम करें?ऐसा ही एक उपाय आपकी नींद की समस्या को भी दूर कर सकता है.. सबसे पहले एक कटोरी में अश्वगंधा और सर्पगंधा के पाउडर को अच्छे से मिलाएं.. अब मिश्रण को 4 से 5 ग्राम की पुड़िया में बांट लें.. रोज रात को सोने से पहले एक गिलास पानी के साथ सेवन करें. ऐसा करने से गहरी नींद आएगी.. नींद की गोली खाने से क्या साइड इफेक्ट होता है?लंबे समय तक नींद की गोलियां लेने के कारण रक्त नलिकाओं में थक्के बन जाते हैं, याददाश्त कमजोर हो जाती है और बेचैनी की शिकायत आम हो जाती है। नींद की गोलियों का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
गोली का असर कितने दिन तक रहता है?यह असर अलग अलग लोगों अलग अलग देर तक रहता है। किसी किसी को तो असर ही नही करता और कोई एक ही गोली मै 12 घंटा तक सोता रहता है। दूसरा यह कि किस प्रकार की नीं की गोली है इस बात का भी असर होता है। कुछ गोलियां तो ट्यंकलाइजर की तरह काम करती है।
ज्यादा नींद की गोली खा लेने से क्या होता है?नींद की दवाई खतरनाक
नींद की दवाई के सेवन से ब्लड प्रेशर और हार्ट डिजीज का खतरा बना रहता है. नींद की दवाईयों के सेवन से पहले आप डॉक्टर की सलाह जरूर लें. इसके नियमित सेवन से आपको कब्ज, सुस्ती, याददाशत कमजोर, पेट दर्द, कमजोरी और चक्कर आने जैसी समस्या का भी सामना करना पड़ सकता है.
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