Rajasthan Board RBSE Class 11 Geography Important Questions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में Important Questions and Answers. RBSE Class 11 Geography Important Questions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप मेंबहुविकल्पीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न निम्न में स्तम्भ 'अ' को स्तम्भ 'ब' से सुमेलित कीजिएस्तम्भ 'अ' (विज्ञान/विषय)
उत्तर:
निम्न वाक्यों में रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए उत्तर: सत्य-असत्य कथन सम्बन्धी प्रश्न निम्न कथनों में से सत्य-असत्य कथन की पहचान कीजिए
उत्तर:
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. प्रश्न 17. प्रश्न 18. प्रश्न 19.
प्रश्न 20. प्रश्न 21. प्रश्न 22. प्रश्न 23. प्रश्न 24. उत्तर:
प्रश्न 25.
प्रश्न 26. प्रश्न 27. प्रश्न 28.
प्रश्न 29. प्रश्न 30. प्रश्न 31. प्रश्न 32. प्रश्न 33. प्रश्न
34. प्रश्न 35. प्रश्न 36. प्रश्न 37. प्रश्न 38.
प्रश्न 39. प्रश्न 40. प्रश्न 41. प्रश्न 42. प्रश्न 43. प्रश्न 44.
प्रश्न 45.
प्रश्न 46. प्रश्न 47. प्रश्न 48. प्रश्न 49. लघु उत्तरीय प्रश्न (SA1 प्रश्न) प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5.
प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14.
प्रश्न 15.
प्रश्न 16. लघु उत्तरीय प्रश्न (SA2 प्रश्न) प्रश्न 1. (2) भूगोल विभिन्न तत्वों के अन्तर्सम्बन्धों का विज्ञान है- भूगोल में विभिन्न तत्वों का अलग-अलग अध्ययन नहीं किया जाता बल्कि विभिन्न तत्वों के पारस्परिक सम्बन्धों से उत्पन्न भू-दृश्यों की विस्तृत विवेचना की जाती है। अतः कहा जा सकता है कि भूगोल अन्तर्सम्बन्धों का विज्ञान है। (3) भूगोल प्रादेशिक समाकलन का अध्ययन है-भूगोल में अध्ययन की सुविधा के लिए प्रादेशीकरण एवं सीमांकन किया जाता है। एक प्रदेश अपनी समांगता व कार्यात्मक एकता के आधार पर दूसरे प्रदेशों से भिन्न हो जाता है। भूगोल में प्रदेशों के समाकलित अध्ययन पर बल दिया जाता है। (4) भूगोल संश्लेषणात्मक विज्ञान है-भूगोल का मुख्य कार्य प्रदेश विशेष के सन्दर्भ में विभिन्न तत्वों के अन्तर्सम्बन्धों का समाकलन करना है। (5) भूगोल व्यावहारिक समस्याओं के निराकरण का विज्ञान है-भूगोल एक व्यावहारिक विज्ञान है, जिसके अध्ययन का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र/प्रदेश की समस्याओं की खोज करके उसके समाधान हेतु विधि एवं नियोजन प्रस्तुत करना है। प्रश्न 2.
इस प्रकार भूगोल के अध्ययन का मुख्य उद्देश्य मानव एवं पर्यावरण के अन्तर्सम्बन्धों को समझते हुए सतत् विकास की प्रक्रिया को बनाये रखना है। प्रश्न 3. समुद्री सीमाएँ किसी देश की सुरक्षा से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ी हैं। नौ-संचालन की सुविधाओं ने एशियाई एवं अफ्रीकी राष्ट्रों पर औपनिवेशीकरण में सहायता दी। इस प्रकार भौगोलिक तत्व विश्व के विभिन्न भागों में इतिहास की धारा को परिवर्तित करने में महत्त्वपूर्ण सिद्ध हुए। अतः स्पष्ट है कि प्राचीन इतिहास वर्तमान भूगोल है और बीता हुआ भूगोल, इतिहास है। भूगोल की एक शाखा ऐतिहासिक भूगोल है जिसमें भूगोल के कालक्रमिक विकास का अध्ययन किया जाता है। अतः दोनों घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित हैं। प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6.
प्रश्न 7.
प्रश्न 8.
वर्तमान समय में भूगोल का विषय-क्षेत्र परिवर्तित होता जा रहा है, क्योंकि मानव एवं प्रकृति का सम्बन्ध समय के साथ परिवर्तित होता जा रहा है। अतः पर्यावरणीय समस्याओं, संसाधनों के संरक्षण एवं सतत् विकास की अवधारणा को भूगोल के विषय-क्षेत्र के अन्तर्गत सम्मिलित किया जाने लगा है। प्रश्न 9. प्रश्न 1. (ii) भूगोल एवं गणित-भूगोल में तथ्यात्मक अध्ययनों पर विशेष बल दिया जाता है। देशों एवं प्रदेशों की सीमाओं, उनके अक्षांशीय एवं देशान्तरीय विस्तार, क्षेत्रफल आदि का अध्ययन किया जाता है। वर्तमान समय में विधितन्त्र में मात्रात्मक तकनीकी का भूगोल में विस्तार होता जा रहा है। अतएव भूगोल का गणित से प्राचीन समय से ही गहन सम्बन्ध रहा है। (iii) भूगोल एवं भू-गर्भ विज्ञान-भूगोल पृथ्वी की सतह का अध्ययन है, किन्तु पृथ्वी की सतह का स्वरूप बहुत कुछ पृथ्वी की भू-गर्भिक संरचना तथा शक्तियों द्वारा निर्धारित होता है। खनिज भण्डार पृथ्वी के भू-गर्भ में ही स्थित है। अतः भू-गर्भशास्त्र एवं भूगोल का गहन सम्बन्ध है। (iv) भूगोल एवं जलवायु विज्ञान-जलवायु विज्ञान में विभिन्न प्रदेशों की जलवायविक दशाओं आदि का अध्ययन किया जाता है जबकि प्रदेश की संकल्पना भूगोल द्वारा निर्धारित की जाती है। जलवायु एवं मौसमी दशाओं में परिवर्तन, विभिन्न प्रदेशों की जलवायु तथा उनका मानव जीवन पर प्रभाव तथा धरातलीय संसाधनों पर प्रभाव का अध्ययन भूगोल में किया जाता है, इसलिए दोनों विज्ञान एक-दूसरे के पूरक हैं। (v) भूगोल एवं जल विज्ञान-भूगोल में महासागरों व अन्य जलमण्डलों का विस्तृत विवेचन होता है। जल विज्ञान में भी जलमण्डलों की विस्तृत विवेचना की जाती है अतएव दोनों विषयों का घनिष्ठ सम्बन्ध है। (vi) भूगोल एवं मृदा विज्ञान-मानव की मुख्य आवश्यकता भोजन की प्राप्ति मिट्टी से ही होती है। मिट्टी में ही मानव कृषि करके अनेक प्रकार की फसलों को उगाता है। खाद्यान्नों का उत्पादन करने वाली मिट्टियों का विस्तृत अध्ययन भूगोल तथा मृदा विज्ञान दोनों में किया जाता है। अतः दोनों विषयों का घनिष्ठ सम्बन्ध है। (vii) भूगोल एवं जैव विज्ञान-जैव विज्ञान में विभिन्न जीवों एवं वनस्पतियों का अध्ययन किया जाता है। वनस्पतियाँ एवं जीव प्रमुख प्राकृतिक संसाधन हैं जिनका अध्ययन भूगोल एवं जीव विज्ञान में भी किया जाता है। अतः दोनों विषयों का घनिष्ठ सम्बन्ध है। भूगोल एवं सामाजिक विज्ञानों में सम्बन्ध - (i) भूगोल एवं समाजशास्त्र-समाजशास्त्र एक ऐसा विज्ञान है जिसमें मानव के सामाजिक जीवन के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन किया जाता है। भूगोल विभिन्न प्रदेशों में निवास करने वाली जनसंख्या के प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक पर्यावरण, उनके सम्बन्धों तथा उनके प्रभावों का विस्तृत अध्ययन करता है। प्राकृतिक पर्यावरण के आधार पर ही मानव के सामाजिक पर्यावरण का निर्माण होता है। अतएव भूगोल एवं समाजशास्त्र का घनिष्ठ सम्बन्ध है। (ii) भूगोल एवं अर्थशास्त्र-अर्थशास्त्र आर्थिक क्रियाओं के वितरण, विनिमय एवं उपभोग की व्याख्या करता है। भूगोल में विभिन्न क्षेत्रों के आर्थिक संसाधनों के वितरण एवं उनके मानव की आर्थिक क्रियाओं पर प्रभावों की व्याख्या की जाती है। दोनों ही विज्ञान मानव की आर्थिक गतिविधियों की विस्तृत विवेचना करते हैं। अतः भूगोल एवं अर्थशास्त्र का घनिष्ठ सम्बन्ध है। (iii) भूगोल एवं राजनीतिशास्त्र-राजनीतिशास्त्र में राज्यों की उत्पत्ति, विकास, उनकी प्रशासनिक व्यवस्थाओं आदि का विस्तृत अध्ययन किया जाता है। एक राजनीतिक इकाई के रूप में राज्यों के संसाधनों, उसकी जनसंख्या तथा सामाजिक-सांस्कृतिक विशेषताओं का अध्ययन भूगोल में भी किया जाता है। अतएव भूगोल एवं राजनीतिशास्त्र दोनों घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित हैं। (iv) भूगोल एवं इतिहास-इतिहास में विभिन्न तत्वों का ऐतिहासिक विवेचन होता है। इतिहास में पूर्व घटित घटनाओं की व्याख्या उनके ऐतिहासिक सन्दर्भ में की जाती है। वर्तमान भौगोलिक घटनाएँ ही अतीत में इतिहास बनती हैं। भूगोल में विभिन्न धरातलीय तत्वों की व्याख्या ऐतिहासिक सन्दर्भ में की जाती है। अतएव इतिहास एवं भूगोल का घनिष्ठ सम्बन्ध है। संक्षेप में हम कह सकते हैं कि भूगोल एक ऐसा विज्ञान है जो भौतिक विज्ञान, मानव विज्ञान तथा सामाजिक विज्ञान को परस्पर जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण श्रृंखला है। जिसका लक्ष्य 'पृथ्वी तल' पर प्राकृतिक वातावरण और समस्त मानव जाति की पारस्परिक प्रतिक्रिया को समझना है। इसलिए इसे अन्तरानुशासिक विज्ञान भी कहते हैं। प्रश्न 2. [अ] भौतिक भूगोल यह भूगोल की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण शाखा है। इसमें पृथ्वी की उत्पत्ति, आन्तरिक संरचना, चट्टान, ज्वालामुखी एवं भूकम्प, अपक्षय एवं अपरदन के कारकों, वायुमण्डल, जलमण्डल एवं जैवमण्डल आदि का विस्तृत अध्ययन होता है। भौतिक भूगोल की प्रमुख उपशाखाओं का संक्षिप्त विश्लेषण निम्न प्रकार है-
[ब] मानव भूगोल मानव भूगोल, भूगोल की द्वितीय हत्त्वपूर्ण शाखा है। इसमें मानव, उसकी उत्पत्ति, प्रजातियों, उनके वितरण तथा उनकी क्रियाओं की विस्तृत विवेचना तथा उनके पर्यावरणीय सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है।
वास्तव में भूगोल की विभिन्न शाखाओं का विभाजन सैद्धान्तिक आधार पर उपयुक्त हो सकता है किन्तु किसी भी क्षेत्र का समग्र अध्ययन विभिन्न शाखाओं के सामूहिक अध्ययन से ही पूर्ण होता है। भूगोल एक समाकलित विज्ञान है जिसमें विभिन्न विज्ञानों का समाकलित अध्ययन क्रमबद्ध एवं प्रादेशिक रीतियों से किया जाता है। प्रश्न 3.
भौतिक भूगोल के अध्ययन का महत्त्व - रिचर्ड हार्टशोर्न के अनुसार, “भूगोल का उद्देश्य धरातल की प्रादेशिक/क्षेत्रीय विभिन्नता का वर्णन और व्याख्या करना है।" भौतिक भूगोल में भूमण्डल, वायुमण्डल, जलमण्डल एवं जैवमण्डल का विस्तृत अध्ययन किया जाता है। मिट्टियों का निर्माण एक निश्चित प्रक्रिया द्वारा होता है जिसमें जलवायु की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। समय के साथ-साथ मिट्टियाँ परिपक्व होती हैं तथा मृदा पाश्विका के निर्माण में सहायक होती हैं। भू-आकृतियाँ वे आधार हैं जहाँ पर मानवीय क्रियाएँ सम्पन्न होती हैं। अलग-अलग उच्चावचीय स्वरूपों पर अलग-अलग प्रकार की मानवीय क्रियाएँ विकसित होती हैं तथा भिन्न-भिन्न प्रकार के सांस्कृतिक भू-दृश्यों का निर्माण होता है। पठारी भाग सामान्यतः खनिजों के भण्डार हैं। पर्वतीय भाग सामान्यतः पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित हो रहे हैं। यहीं नदियों के उद्गम स्थल भी हैं। भूगोल में जलवायु का अध्ययन महत्त्वपूर्ण है। जलवायु द्वारा मानव अधिवास, उनके रहन-सहन का स्तर, भोजन, वस्त्र एवं उनकी संस्कृति प्रभावित होती है। वनस्पति, कृषि, पशुपालन, उद्योग आदि भी बहुत कुछ जलवायु कारकों द्वारा प्रभावित होते हैं। समुद्र संसाधनों के अगाध भण्डार गृह रहे हैं। मछलियों एवं अन्य समुद्री जीवों के अलावा समुद्र स्थल खनिजों के भी भण्डार स्थल माने गये हैं। भारत ने समुद्री तल से मैंगनीज पिण्ड एकत्रित करने की तकनीकी का विकास कर लिया है। इसके अलावा समुद्री जीवों से विभिन्न प्रकार के उत्पाद प्राप्त किये जाने लगे हैं। समुद्र परिवहन में भी अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मिट्टी एक ऐसा महत्त्वपूर्ण संसाधन है जो नव्यकरणीय है, जिसमें गुणवृद्धि की जा सकती है और जिसे अधिक समय तक प्रयोजनीय बनाये रखा जा सकता है, यह कृषि का आधार है। यह पौधों, पशुओं एवं सूक्ष्म जीवाणुओं का आधार है। इसका अध्ययन भूगोल में महत्त्वपूर्ण है। संक्षेप में, भौतिक भूगोल वर्तमान समय में भौतिक संसाधनों के मूल्यांकन एवं प्रबन्धन से सम्बन्धित विषय के रूप में विकसित हो रहा है। वर्तमान समय में प्राकृतिक संसाधनों के अधिकाधिक विदोहन से अनेक पर्यावरणीय समस्यायें उत्पन्न हो रही हैं। सतत् विकास के लिए आवश्यक है कि भौतिक पर्यावरण को भली-भाँति समझा जाय। इस दृष्टि से भौतिक भूगोल के महत्त्व को सर्वोपरि माना जा सकता है। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गए इस अध्याय से सम्बन्धित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. |