रविवार व्रत, पूजा और कथाthedivineindia.com | Updated UTC time: 2022-09-12 03:24:14 Show महत्वपूर्ण जानकारी
हिन्दू धर्म में सप्ताह के सात दिन किसी ने किसी देवता को समर्पित होते है। इस प्रकार रविवार का दिन भी हिन्दू धर्म में महत्व रखता है। रविवार का दिन भगवान सूयदेव को समर्पित होता है। यह व्रत पुरूष और महिलाओं द्वारा किया जाता हैं। रविवार का व्रत बहुत ही फल दायक माना जाता है। इस दिन सूर्यदेव की पूजा का विधान है। रविवार के दिन सूर्यदेव की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि, धन-संपत्ति और शत्रुओं से सुरक्षा मिलती है। रविवार का व्रत करने व कथा सुनने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मान-सम्मान, धन-यश तथा उत्तम स्वास्थ्य मिलता है। कुष्ठ रोग से मुक्ति के लिए भी यह व्रत किया जाता है। रविवार व्रत में पूजा विधिसर्व मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु रविवार का व्रत श्रेष्ठ है। इस व्रत की विधि इस प्रकार है। प्रातः काल स्नानादि से निवृत्त हो स्वच्छ वस्त्र धारण करें। शानचित्त होकर सूर्यदेव का स्मरण करें। भोजन एक समय से अधिक नहीं करना चाहिए। भोजन तथा फलाहार सूर्य के प्रकाश रहते की कर लेना चाहिए उचित है यदि निराहार रहने पर सूर्य छिप जाये तो दूसरे दिन सूर्य उदय हो जाने पर अर्ध्य देने के बाद ही भोजन करें। इसके बाद विधि-विधान से गंध-पुष्पादि से भगवान सूर्य का पूजन करें। पूजन के बाद व्रतकथा सुनें। व्रतकथा सुनने के बाद आरती करें। तत्पश्चात सूर्य भगवान का स्मरण करते हुए सूर्य को जल देकर सात्विक भोजन व फलाहार करें। व्रत के दिन नमकीन तेलयुक्त भोजन कदापि ग्रहण न करें। इस व्रत के करने से मान-सम्मान बढ़ता है तथा शत्रुओं का क्षय होता है। आँख की पीड़ा के अतिरिक्त अन्य सब पीड़ायें दूर होती है। रविवार व्रत में नहीं करना चाहिए
रविवार व्रत कथाप्राचीन काल में किसी नगर में एक बुढ़िया रहती थी। वह प्रत्येक रविवार को सुबह उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर आंगन को गोबर से लीपकर स्वच्छ करती थी। उसके बाद सूर्य भगवान की पूजा करने के बाद भोजन तैयार कर भगवान को भोग लगाकर ही स्वयं भोजन करती थी। भगवान सूर्यदेव की कृपा से उसे किसी प्रकार की चिन्ता व कष्ट नहीं था। धीरे-धीरे उसका घर धन-धान्य से भर रहा था।उस बुढ़िया को सुखी होते देख उसकी पड़ोसन उससे बुरी तरह जलने लगी। बुढ़िया ने कोई गाय नहीं पाल रखी थी। अतः रविवार के दिन घर लीपने केलिए वह अपनी पड़ोसन के आंगन में बंधी गाय का गोबर लाती थी। पड़ोसन ने कुछ सोचकर अपनी गाय को घर के भीतर बांध दिया। आगे पढ़ें... मंत्र
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लिए संक्षिप्त में जानकारी दी जा रही है यह संपूर्ण कैलेंडर नहीं है। सिर्फ प्रमुख दिनों की सूचना मात्र है। जनवरी 2022 1 जनवरी शनिवारमासिक शिवरात्रि 2 जनवरी रविवारपौष अमावस्या 13 जनवरी गुरुवारपौष पुत्रदा एकादशी 14 जनवरी शुक्रवारपोंगल, उत्तरायण, मकर संक्रांति 15 जनवरी शनिवारप्रदोष व्रत (शुक्ल) 17 जनवरी सोमवारपौष पूर्णिमा व्रत 21 जनवरी शुक्रवारसंकष्टी चतुर्थी 28 जनवरी शुक्रवारषटतिला एकादशी 30 जनवरी रविवारमासिक शिवरात्रि फरवरी 2022 1 फरवरी मंगलवारमाघ अमावस्या 5 फरवरी शनिवारबसंत पंचमी, सरस्वती पूजा 12 फरवरी शनिवारजया एकादशी 13 फरवरी रविवारप्रदोष व्रत (शुक्ल), कुंभ संक्रांति 16 फरवरी बुधवारमाघ पूर्णिमा व्रत 20 फरवरी रविवारसंकष्टी चतुर्थी 27 फरवरी रविवारविजया एकादशी 28 फरवरी सोमवारप्रदोष व्रत (कृष्ण) मार्च 2022 1 मार्च मंगलवारमहाशिवरात्रि, मासिक शिवरात्रि 2 मार्च बुधवारफाल्गुन अमावस्या 14 मार्च सोमवारआमलकी एकादशी 15 मार्च मंगलवार प्रदोष व्रत (शुक्ल), मीन संक्रांति 17 मार्च गुरुवारहोलिका दहन 18 मार्च शुक्रवारहोली, फाल्गुन पूर्णिमा व्रत 21 मार्च सोमवार संकष्टी चतुर्थी 28 मार्च सोमवारपापमोचिनी एकादशी 29 मार्च मंगलवार प्रदोष व्रत (कृष्ण) 30 मार्च बुधवारमासिक शिवरात्रि अप्रैल 2022 1 अप्रैल शुक्रवारचैत्र अमावस्या 2 अप्रैल शनिवारचैत्र नवरात्रि, उगाडी, घटस्थापना, गुड़ी पड़वा 3 अप्रैल रविवारचेटी चंड 10 अप्रैल रविवारराम नवमी 11 अप्रैल सोमवारचैत्र नवरात्रि पारणा 12 अप्रैल मंगलवार कामदा एकादशी 14 अप्रैल गुरुवारप्रदोष व्रत (शुक्ल), मेष संक्रांति 16 अप्रैल शनिवारहनुमान जयंती, चैत्र पूर्णिमा व्रत 19 अप्रैल मंगलवार संकष्टी चतुर्थी 26 अप्रैल मंगलवार वरुथिनी एकादशी 28 अप्रैल गुरुवारप्रदोष व्रत (कृष्ण) 29 अप्रैल शुक्रवारमासिक शिवरात्रि 30 अप्रैल शनिवारवैशाख अमावस्या मई 2022 3 मई मंगलवार अक्षय तृतीया 12 मई गुरुवारमोहिनी एकादशी 13 मई शुक्रवारप्रदोष व्रत (शुक्ल) 15 मई रविवारवृष संक्रांति 16 मई सोमवारवैशाख पूर्णिमा व्रत 19 मई गुरुवारसंकष्टी चतुर्थी 26 मई गुरुवारअपरा एकादशी 27 मई शुक्रवारप्रदोष व्रत (कृष्ण) 28 मई शनिवारमासिक शिवरात्रि 30 मई सोमवारज्येष्ठ अमावस्या जून 2022 11 जून शनिवारनिर्जला एकादशी 12 जून रविवारप्रदोष व्रत (शुक्ल) 14 जून मंगलवार ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत 15 जून बुधवारमिथुन संक्रांति 17 जून शुक्रवारसंकष्टी चतुर्थी 24 जून शुक्रवारयोगिनी एकादशी 26 जून रविवारप्रदोष व्रत (कृष्ण) 27 जून सोमवारमासिक शिवरात्रि 29 जून बुधवारआषाढ़ अमावस्या जुलाई 2022 1 जुलाई 10 जुलाई रविवारदेवशयनी एकादशी, अषाढ़ी एकादशी 11 जुलाई सोमवारप्रदोष व्रत (शुक्ल) 13 जुलाई बुधवारगुरु-पूर्णिमा, आषाढ़ पूर्णिमा व्रत 16 जुलाई शनिवारसंकष्टी चतुर्थी, कर्क संक्रांति 24 जुलाई रविवारकामिका एकादशी 25 जुलाई सोमवारप्रदोष व्रत (कृष्ण) 26 जुलाई मंगलवार मासिक शिवरात्रि 28 जुलाई गुरुवारश्रावण अमावस्या 31 जुलाई रविवारहरियाली तीज अगस्त 2022 2 अगस्त मंगलवारनाग पंचमी 8 अगस्त सोमवारश्रावण पुत्रदा एकादशी 9 अगस्त मंगलवारप्रदोष व्रत (शुक्ल) 11 अगस्त गुरुवाररक्षा बंधन 12 अगस्त शुक्रवारश्रावण पूर्णिमा व्रत 14 अगस्त रविवारकजरी तीज 15 अगस्त सोमवारसंकष्टी चतुर्थी/ स्वतंत्रता दिवस 17 अगस्त बुधवारसिंह संक्रांति 19 अगस्त शुक्रवारजन्माष्टमी 23 अगस्त मंगलवार अजा एकादशी 24 अगस्त बुधवारप्रदोष व्रत (कृष्ण) 25 अगस्त गुरुवारमासिक शिवरात्रि 27 अगस्त शनिवारभाद्रपद अमावस्या 30 अगस्त मंगलवार हरतालिका तीज 31 अगस्त बुधवार गणेश चतुर्थी सितंबर 2022 6 सितंबर मंगलवारपरिवर्तिनी एकादशी 8 सितंबर गुरुवारप्रदोष व्रत (शुक्ल), ओणम/थिरुवोणम 9 सितंबर शुक्रवारअनंत चतुर्दशी 10 सितंबर शनिवारभाद्रपद पूर्णिमा व्रत 13 सितंबर मंगलवार संकष्टी चतुर्थी 17 सितंबर शनिवारकन्या संक्रांति 21 सितंबर बुधवारइन्दिरा एकादशी 23 सितंबर शुक्रवारप्रदोष व्रत (कृष्ण) 24 सितंबर शनिवारमासिक शिवरात्रि 25 सितंबर रविवारअश्विन अमावस्या 26 सितंबर सोमवारशरद नवरात्रि, घटस्थापना अक्टूबर 2022 1 अक्टूबर शनिवारकल्परम्भ 2 अक्टूबर रविवारनवपत्रिका पूजा 3 अक्टूबर सोमवारदुर्गा महा अष्टमी पूजा 4 अक्टूबर मंगलवारदुर्गा महा नवमी पूजा, शरद नवरात्रि पारणा 5 अक्टूबर बुधवारदुर्गा विसर्जन, दशहरा 6 अक्टूबर गुरुवारपापांकुशा एकादशी 7 अक्टूबर शुक्रवारप्रदोष व्रत (शुक्ल) 9 अक्टूबर रविवारअश्विन पूर्णिमा व्रत 13 अक्टूबर गुरुवारसंकष्टी चतुर्थी, करवा चौथ 17 अक्टूबर सोमवार तुला संक्रांति 21 अक्टूबर शुक्रवाररमा एकादशी 22 अक्टूबर शनिवारप्रदोष व्रत (कृष्ण) 23 अक्टूबर रविवारमासिक शिवरात्रि, धनतेरस 24 अक्टूबर सोमवारदिवाली, नरक चतुर्दशी 25 अक्टूबर मंगलवार कार्तिक अमावस्या 26 अक्टूबर बुधवारभाई दूज, गोवर्धन पूजा 30 अक्टूबर रविवारछठ पूजा नवंबर 2022 4 नवंबर शुक्रवारदेवुत्थान एकादशी 5 नवंबर शनिवारप्रदोष व्रत (शुक्ल) 8 नवंबर मंगलवारकार्तिक पूर्णिमा व्रत 12 नवंबर शनिवारसंकष्टी चतुर्थी 16 नवंबर बुधवारवृश्चिक संक्रांति 20 नवंबर रविवारउत्पन्ना एकादशी 21 नवंबर सोमवारप्रदोष व्रत (कृष्ण) 22 नवंबर मंगलवार मासिक शिवरात्रि
23 नवंबर बुधवारमार्गशीर्ष अमावस्या दिसंबर 2022 3 दिसंबर शनिवारमोक्षदा एकादशी 5 दिसंबर सोमवारप्रदोष व्रत (शुक्ल) 8 दिसंबर गुरुवार मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत 11 दिसंबर रविवारसंकष्टी चतुर्थी 16 दिसंबर शुक्रवारधनु संक्रांति 19 दिसंबर सोमवारसफला एकादशी 21 दिसंबर बुधवारप्रदोष व्रत (कृष्ण), मासिक शिवरात्रि 23 दिसंबर शुक्रवारपौष अमावस्या बड़ा रविवार क्यों मनाया जाता है?यह उपवास सप्ताह के प्रथम दिवस इतवार व्रत कथा को रखा जाता है. रविवार सूर्य देवता की पूजा का वार है। जीवन में सुख-समृद्धि, धन-संपत्ति और शत्रुओं से सुरक्षा के लिए रविवार का व्रत सर्वश्रेष्ठ है।
बड़का इतवार कब का है?भादो माह में अमावस्या के बाद पड़ने वाले रविवार को बड़का इतवार के रूप में मनाया जाता है। इसके बाद बड़ा दिन फिर चैत्र माह में ही होगा।
रविवार का व्रत कब से शुरू करना चाहिए?रविवार व्रत करने का सही तरीका
सबसे पहले रविवार के दिन सूर्योदय से पहले उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त हो जाएं, स्नान करके साफ लाल रंग के वस्त्र पहनें. मान्यता के अनुसार सूर्य देव का व्रत एक साल, 30 रविवार या फिर 12 रविवार तक करना अत्यंत शुभ माना जाता है.
रविवार के कितने व्रत करने चाहिए?कैसे रखें व्रत : सूर्य का व्रत एक वर्ष या 30 रविवारों तक अथवा 12 रविवारों तक करना चाहिए। रविवार को एक समय व्रत रखकर उत्तम भोजन या पकवान बनाकर खाना चाहिए जिससे शरीर को भरपुर ऊर्जा मिलती है। भोजन में नमक का उपयोग उपर से ना करें और सूर्यास्त के बाद नमक ना खाएं। इससे स्वास्थ्य पर असर पड़ता है और हर कार्य में बाधा आती है।
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