हेलो स्ट्रेंस यहां पर एक क्वेश्चन पूछा गया है लोहा कितने प्रकार का होता है प्रत्येक के नाम और दो दो विशेषताएं बताइए ठीक है तो हम यहां बात करेंगे लोहे के प्रकार की तो लोहा तीन प्रकार का होता है पहले ढलवा लोहा दूसरा है पिटवा लोहा तथा तीसरा है इस्पात ठीक है इनमें पूछा क्या इनकी दो दो विशेषताएं बताइए तो इनकी विशेषताओं की अगर बात करें तो ढलवा लोहा जो हमारा होता है इसमें 93 से 94% मात्रा में हमारा आयरन होता है ठीक है और बाकी जो बचा प्रतिशत मात्रा होती है उसमें हमारा तीन या चार परसेंट जो शेष बचता है उसमें हमारा क्या होता है कार्बन पाया जाता है ठीक है 2 से 4% कार्बन और अब इसके बाद करें डलवा लो बाकी तो डलवा लू हाल होता है मारा यह गलत अशुद्ध लोहा होता है कैसा होता है दलित अशुद्ध लोहा ठीक है इसे हम क्यों बोला भट्टी द्वारा प्राप्त करते हैं क्यों प्रॉपर्टी में जब इस कार्यक्रम चलता
हमें गलत अशुद्ध लोहा प्राप्त होता है जिसका नाम हम क्या रखें ढलवा लोहा इसका प्रयोग हम किसके लिए करते हैं इसका उपयोग हम करते हैं सांचे बनाने के लिए किसी भी वस्तु के साथ चाय बनाने के लिए इसका उपयोग किया जाता है ठीक है जैसे कि मैं आ लिख देती हूं इसके उपयोग में किसका उपयोग किया जाता है मैनहोल के ढक्कन बनाने में मेनहोल के ढक्कन तथा मशीनरी फ्रेम बनाने में मशीनों के फ्रेम बनाने में इसलिए सकते मशीनरी के फ्रेम इत्यादि में शादी में इसका उपयोग किया जाता है तो यह बात हो गई डलवा लो है कि अब इसी तरह बात करते हैं पिटवा लोहा पिटवा लोहा भी एक लोहे का प्रकार होता है फिट होता है इसमें हमारे आयरन की जो मात्रा होती है वह सबसे ज्यादा होती है ठीक है 98 से 8 पॉइंट आठ प्रतिशत से 9 पॉइंट
9 प्रतिशत मात्रा जो होती है वह आयरन की होती है ठीक है बाकी बचे जो पदार्थ होता है उसमें हमारा जीरो पॉइंट 1 प्रतिशत से 0.25 प्रतिशत मात्रा जो कार्बन की होती है इसमें और भी पाई जाती है तथा होता है यह शुद्ध लोहा होता है ठीक है जहां तक देखा जाए तो दिलवा क्योंकि 99% मात्रा में आयरन की होती है जो लोहे के नाम से भी जानते हैं जो शुद्ध लोहा भी कहते हैं इसका उपयोग किया जाता है इसका उपयोग करते हैं जैसे वेल्डिंग आदि के कार्य में किया जाता है तथा फास्फोरस के शुद्धि उनके कारण है जल्दी से भंगुरी भी हो जाता है इसे गर्म करने पर तो मिल सकते हैं इसका उपयोग लोहाघाट वर्दी नियति है तथा वन्य जीवन और ऐसे दाल और टाइप का होता है इसका उपयोग कम वेल्डिंग में करते हैं ठीक है क्या लिख सकते हैं इसका उपयोग वेल्डिंग इत्यादि के लिए किया जाता है वेल्डिंग के कार्य के
कार्य के लिए योग ढलवा लोहे की बात अब बात करते हैं इस बात के लिए इस्पात जो होता है हमारा यह भी लोहे का इस प्रारूप ही होता है इस में लोहे की मात्रा छोटी है वह 98 से 99.8 प्रतिशत होती है ठीक है तो यहां लिख देते हैं 9 पॉइंट 8 से 8% मात्रा ज्योति वह आयरन की होती है बाकी जो बचा हुआ होता है बता 20.25 से 1.5 प्रतिशत मात्रा जो होती है वह कार्बन की होती है ठीक है इस्पात इस्पात सोता है इसका जो पिटवा लोहा और इस्पात का निर्माण जो करते हैं उधर में लोहे से करते हैं तब इसका और इसका निर्माण होता है वह दिल्ली में लोहे से ही होता है और ढलवा लोहा इस्पात और इन सब के अचूक गुण होते हैं मैं काफी अंतर पाया जाता है इस बात से भी हम भिन्न प्रकार की वस्तुएं बनाते हैं इस्पात जैसे कि स्टील इसके और उसका उपयोग बर्तन बनाने के उपयोग में लाया जाता है ठीक है बर्तन
बर्तन बनाने में या स्टील की मूर्तियां हो गई या स्टील के पेट इत्यादि बनाने में इसका उपयोग किया जाता है ठीक है तो यह हो गए हमारे लोहे के प्रारूप तथा उनकी विशेषताएं हो गया हमारा आंसर आशा करती हूं यहां सर आपको समझ में आ गया होगा थैंक यू
Lohe Ke Prakar
Pradeep Chawla on 24-09-2018
- मेग्नेटाइट- यह सबसे उत्तम कोटि का अयस्क हैं। इसमें धातु अंश 70 प्रतिशतपायी जाती हैं। इसका रंग काला होता हैं।
- हैमेटाइड- यह लाल,कत्थर्इ, रंग का होता हैं। इसमें लोह
ांश 60 से 70 प्रतिशतपायी जाती हैं। - लिमोनाइट- इसका रंग पीला या भूरा होता हैं। इसमें लोहांश की मात्रा 40 से60 प्रतिशत तक पाया जाताहैं
- सिडेराइट- इसका रंग राख जैसे होता हैं। इसमें लोहांश 10 से 48 प्रतिशत पायाजाता हैं।
सम्बन्धित प्रश्न
Comments Sunil nishad on 22-12-2022
Maignetigh adhiktar kaha paya jata hai
Siya lawana on 22-11-2022
Lohe ke vibhinn prakaron ko sankshipt varnan kijiye
Deepankar on 27-06-2022
Lohe mein agar Hara color Laga hai to kaun
sa Loh
a hai
Deepankar on 27-06-2022
Lohe mein lohe mein Hara color Laga hai to kaun sa Loha hai
Sonu.singh on 05-02-2021
Lohe ayesk ke prkar
Pimmti on 10-07-2020
Pimati
Afsa on 28-05-2020
Lohaysk k utpadnka vitran btay
Vishal on 12-05-2019
Loahea ka sabsea suddh prakar kya hai
Sunil pandey on 12-05-2019
Lohe ki unit
विश्व में अन्य किसी धातु का इतना अधिक व्यापक रुप में प्रयोग नहीं किया जाता है, जितना कि लोहे का। लोहा किसी भी देश के आर्थिक विकास का मुख्य आधार है। यह धातु सस्ती होने के साथ-साथ बहुउपयोगी है। यही कारण है कि वर्तमान में अन्य कोई धातु इससे प्रतिस्पर्धा करने में सफल नहीं हो सकी है। भूगर्भ से यह धातु अशुद्ध रूप में निकाली जाती हैं। लोहा कार्बन की विभिन्न मात्राओं से संयोग कर भिन्न-भिन्न प्रकार के इस्पात तथा हल्के लोहे का निर्माण करता है।
लोहा के प्रकार
1. मेग्नेटाइट (Magnetite)- यह काले अथवा गहरे भूरे रंग का होता है, जिसमें शुद्ध लौह धातु का अंश 52-62 प्रतिशत तक होता है। इस अयस्क में चुम्बकीय गुण होता है। भारत में इस अयस्क के संचित भण्डार लगभग 600 करोड़ मी. टन है।यह सबसे उत्तम कोटि का अयस्क हैं।
2. हैमेटाइड (Hametite)- यह अयस्क लाल रंग का होता है, जो लोहे के आक्सीकृत (लौह आक्साइड) होने से बनता है। जिसके भारत में संचित भण्डार लगभग 1,140 करोड़ मी. टन हैं।। इसमें लोहांश 60 से 70 प्रतिशत पायी जाती हैं।
3. लिमोनाइट (Limonite)- इसका रंग पीला या भूरा होता हैं। इसमें लोहांश की मात्रा 40 से 60 प्रतिशत तक पाया जाता हैं
4. सिडेराइट (Siderite)- इसका रंग राख जैसे होता हैं। इसमें लोहांश 48 प्रतिशत पाया जाता हैं।
भारत में लोहा के उत्पादन क्षेत्र
भारत का प्रमुख लौह उत्पादक क्षेत्र झारखण्ड राज्य के सिंहभूम जिले से होता हुआ ओडिशा में क्योंझर, बोनाई, मयूरभंज क्षेत्रों तक फैला है। इस क्षेत्र में उच्च कोटि का हेमेटाइट लोहा पाया जाता है, जिसमें धातु का अंश 60 से 65 प्रतिशत तक पाया जाता है। लोहा के उत्पादन में उड़ीसा, कर्नाटक, छŸाीसगढ़, गोआ, झारखण्ड, आंध्रप्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान महत्वपूर्ण है।
(1) ओडिशा - लोहा उत्पादन की दृष्टि से यह देश का प्रथम राज्य है। इस राज्य का अधिकांश लोहा उच्चकोटि का है जिसमें लौहांश का प्रतिशत 50 से 70 के मध्ये है। इस राज्य में सुन्दरगढ़, मयूरभंज तथा क्योंझर लोहा के प्रमुख उत्पादक जिले हैं। सुन्दरगढ़ जिले में बरसना, कूड़ाझार-पहाड़, कोटू तथा मालनगोलो, मयूरभंज जिले में गुरमहिसानी, सुलेपत तथा बादाम पहाड़ एवं क्योंझर जिले में बाँसपानी, ठकुरानी, टोड़ा कोड़ेकोला, किरुबक तथा फिलैरा लोहा उत्पादक क्षेत्र हैं।
इसके आलवा कोरापुट जिले में अमरकोट तथा कटक जिले में तमका पहाड़ी व दैतारी क्षेत्रों में भी लोहा का उत्पादन होता है।
(2) कर्नाटक - कर्नाटक में देश के सबसे अधिक 38 प्रतिशत लोहा के संचित भण्डार हैं। इस राज्य का अधिकांश लोहा बेल्लारी तथा चिकमंगलूर जिलों में प्राप्त किया जाता है। यहाँ से उत्तम किस्म का हैमेटाइट अयस्क प्राप्त किया जाता है। हास्पेट क्षेत्र में लोहा के लगभग 125 करोड़ मी. टन संचित भण्डार हैं। चित्रदुर्ग, शिमोगा, तुमकुर तथा धारवाड़ लौह अयस्क उत्पादन के अन्य क्षेत्र हैं। लोहा उत्पादन की दृष्टि से कर्नाटक का देश में द्वितीय स्थान है।
(3) छतीसगढ़ - छतीसगढ़ भारत का तीसरा सबसे अधिक लोहा उत्पादित करता है। यहाँ देश के लगभग 10 प्रतिशत लोहा के प्रमाणित संचित भण्डार हैं। यहाँ उत्पादित किये जाने वाला अधिकांश लोहा हैमेटाइट किस्म का है, जिसमें 67 प्रतिशत तक लोहांश मिलता है।
(4) गोआ - गोआ में लिमोनाइट तथा सीडेराइट के भण्डार हैं। गोआ में पिरनाअदोल, पाल-ओलड़ा, कुड़नेमपिसरूलेम तथा कुदनेय-सुरला नामक स्थानों पर लोहा की प्रमुख खदानें हैं। इस राज्य में लोहा की 315 खदानें हैं। यहाँ का अधिकांश लोहा मार्मुगाओ बन्दरगाह द्वारा निर्यात कर दिया जाता है।
(5) झारखण्ड - देश के कुल उत्पादन का लगभग 10 प्रतिशत झारखण्ड राज्य से मिलता है। यहाँ उत्पादित किया जाने वाला अधिकांश लोहा हैमेटाइट एवं मैग्नेटाइट किस्म का है। यहाँ का लोहा टाटा नगर, दुर्गापुर, राउरकेला तथा भिलाई इस्पात कारखानों को भेजा जाता है। इसी राज्य में बोकारो नामक कारखाना एशिया का सर्वाधिक बड़ा कारखाना स्थापित किया गया है। लोहा के नवीन भण्डार पलामू जिले में कोयल नदी के पश्चिम में स्थित सेमरा सलतुआ क्षेत्र में कोल वासरी में पाये गये हैं।
(6) आंध्रप्रदेश - यहाँ देश के 6.5 प्रतिशत लौह भंडार है। कृष्णा, कुर्नुल, कुडुप्पा, अनंतपुर, खम्भाम व नेल्लोर प्रमुख उत्पादक जिले हैं। यहाँ 50 से 65 प्रतिशत शुद्ध धातु का अयस्क पाया जाता है।
(7) महाराष्ट्र - यहाँ प्रतिवर्ष देश का लगभग 2 प्रतिशत लोहा उत्पादित किया जाता है। इस राज्य में पूर्वी एवं दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्रों में लोहा के भण्डार निहित हैं। पूर्वी भाग में चाँदा जिला तथा दक्षिण-पश्चिमी भाग में रत्नागिरी जिला लोहा के प्रमुख उत्पादक क्षेत्र हैं। इस राज्य में उत्पादित लौह अयस्क घटिया किस्म का होता है।
(8) मध्य प्रदेश - यह देश का प्रमुख लौह उत्पादक राज्य है। यहाँ पाया जाने वाला अधिकांश लोहा उत्तम श्रेणी का है। जिसमें 65 से 67 प्रतिशत लोहांश मिलता है। प्रदेश के मण्डला, बालाघाट, जबलपुर कटनी आदि जिलों में लोहे के भण्डार पाये जाते हैं। यहाँ लगभग 75 लाख टन लोहा संचित है।
(9) बिहार - यह राज्य देश का 3 प्रतिशत लोहा उत्पादित करता है। यहाँ उत्पादित किये जाने वाला अधिकांश लोहा हैमेटाइट एवं मैग्नेटाइट किस्म का है। भागलपुर तथा संथाल परगना लोहा उत्पादन के प्रमुख जिले हैं।
(10) लोहा उत्पादन के अन्य राज्य - तमिलनाडु राज्य में सेलम, मदुराई, त्रिचुरापल्ली तथा दक्षिणी अरकाट जिले, हरियाणा में मेहन्द्रगढ़ जिला, उत्तराखण्ड में गढ़वाल जिला, हिमाचल प्रदेश में मण्डी तथा काँगड़ा जिला तथा केरल राज्य में कोजिकोड जिला लोहा उत्पादन के अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं।