झारखंड राज्य का राजकीय फल क्या है? - jhaarakhand raajy ka raajakeey phal kya hai?

तो जैसा कि आप जानते है कि विदेश, देश और राज्य तीनो  ही स्तर पर सब देशों और राज्यों की अलग अलग राजकीय प्रतीक की सूची होती है। उसी में से एक हमारा देश भारत का एक राज्य जिसका नाम झारखंड है आज हम उसके राजकीय प्रतीको की सूची के बारे में बात करेंगे। झारखंड पहले बिहार के अन्दर ही आता था किन्तु 15 नवम्बर 2000 को वो बिहार से अलग होकर झारखंड बन गया। इसका नाम जंगली झाड़ी और ढेर सारे पैधे और पेड़ के सर्वाधिक मात्रा में होने के कारण झारखंड रखा गया।

राजकीय पशु – भारतीय हाथी

भारतीय हाथी को झारखंड का राजकीय पशु माना गया है। इसका वैज्ञानिक नाम ‘एलिप्से मैक्सिमस इंडिकस’ है। इसे राजकीय पशु इसलिए माना गया है क्योंकि इसकी संख्या झारखंड में सबसे ज्यादा है। 1972 में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के अनुसार हाथी को आईयूसीएन द्वारा लुप्तप्राय प्रजातियों में वर्गीकृत किया गया था।सामान्य हाथी की ऊंचाई 5m से 6.4m के बीच होता है और कंधों तक उनकी ऊंचाई लगभग 2m से 3.2 होती है और उनका वजन 2000 से 5400 के बीच होता है। इनके शरीर का रंग हल्का काला होता है।

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राजकीय पक्षी – कोयल

कोयल जो कि आपने मीठे आवाज के लिए प्रसिद्ध हैं उसे झारखंड का राजकीय पक्षी का दर्जा दिया गया है। इसका वैज्ञानिक नाम ग्राकुला रेलीगियुसा पेनिबसुलैरिस है।एशियाई कोयल को आईयूसीएन द्वारा कम से कम चिंता के रूप में वर्गीकृत किया गया है यदि हम पूंछ को शामिल करें तो सामान्य एशियाई कोयल की ऊंचाई 38 से 46 सेंटीमीटर है।एशियाई कोयल का वजन 180 से 240 ग्राम के बीच होता है।एशियाई कोयल का रंग काला होता है।

राजकीय फूल – पलाश 

पलाश जिसे ’जंगल की आग’ कहा जाता है उसे राजकीय फूल का स्थान दिया गया है। इसका वैज्ञानिक नाम बयुटिया मोनोस्परमा। इस पेड़ का प्रत्येक भाग जैसे पत्ते, तना, आदि सब कुछ उपयोग में लाया जा सकता है। इस से प्राचीन काल से ही होली के रंग तैयार किया जाता आ रहा है। पलाश को भारतीय डाकतार विभाग डाक टिकट पर लगा कर सम्मानित भी किया जा चुका है।

राजकीय वृक्ष – साल

इस राज्य में साल को राजकीय वृक्ष का दर्जा मिला हुआ है। इसका वैज्ञानिक नाम सोरिया रोबुस्टा है।यह एक वृक्ष जो कि डीपेटरोकारपेशिया है। यह दृढ़ लकड़ी का महत्वपूर्ण स्रोत है। इस पेड़ की लकड़ी बहुत टिकाऊ होती हैं इसे ज्यादातर हम दरवाजा और खिड़कियों के चोखट बनाने के काम आती है।

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राजकीय चिन्ह्

हाल ही में 15 अगस्त 2020 को यहां के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन द्वारा इस राज्य का नया राजकीय चिन्ह् लागू किया गया। इस चिन्ह् का आकार गोल है।इस गोल चिन्ह् में  कई छल्ले है जिसमे बाहरी छल्ले में हाथी जो कि यहां का राष्ट्रीय पशु है उसकी आकृति है हरे रंग की पृष्ठभूमि के साथ। बीच के छल्ले में पलाश के फूल है जो यहां की संस्कृति को दर्शाता हैं। अंदर के छल्ले में झारखंड की पारम्परिक सौर  चित्रकारी है। और बीच में अशोक की लियोन कैपिटल सत्यमेव जयते का उद्देश्य लिए हुए हैं।

राजकीय मिठाई: दुधौरी 

यह मिठाई जब यहां चावल की नई फसल की कटाई होती हैं तब इस चावल से यह मिठाई बनाई जाती हैं।यह मिठाई बहुत स्वादिष्ट होती है।

राजकीय भाषा

यहां की राजकीय भाषा हिन्दी को बनाया गया है जो कि हमारी मातृ भाषा भी है। और दूसरी राजकीय भाषा उर्दू को बनाया गया है। 

झारखंड की राजकीय पशु, पक्षी, पेड़ इत्यादि

December 22, 2022 by bnnbharat.com

राजकीय पशु – भारतीय हाथी,  वैज्ञानिक नाम ‘एलिप्से मैक्सिमस इंडिकस’ है।

राजकीय पक्षी – कोयल, वैज्ञानिक नाम ग्राकुला रेलीगियुसा पेनिबसुलैरिस है।

राजकीय फूल – पलाश,  वैज्ञानिक नाम बयुटिया मोनोस्परमा।

राजकीय वृक्ष – साल, वैज्ञानिक नाम सोरिया रोबुस्टा है।

राजकीय चिन्ह् –

झारखंड के राजकीय चिन्ह, 15 अगस्त 2020 को यहां के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन द्वारा इस राज्य का नया राजकीय चिन्ह् लागू किया गया।

राजकीय मिठाई: दुधौरी

राजकीय भाषा: प्रथम हिंदी, द्वितीय उर्दू

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झारखंड का राजकीय फल का क्या नाम है?

कटहल राज्य का एक मशहूर फल है़ इसके पेड़ झारखंड के विभिन्न जिलों में काफी संख्या में पाये जाते हैं। रांची, खूंटी, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, गुमला, सिमडेगा, हजारीबाग, चतरा व लोहरदगा सहित संताल के इलाके में भरपूर मात्रा में कटहल होते है।

झारखंड राज्य का राजकीय फूल कौन सा है?

पलाश झारखंड और उत्तर प्रदेश का राज्य पुष्प है। झारखंड का राज्य पशु: भारतीय हाथी। झारखंड का राज्य पक्षी: एशियाई कोयल।

झारखंड की राष्ट्रीय मिठाई क्या है?

Jharkhand Famous Dish: दुधौरी मिठाई झारखंड की मशहूर मिठाई है. झारखंड के साथ ही ये बिहार में भी काफी लोकप्रिय है. दुधौरी झारखंड और बिहार की पारंपरिक मिठाई है.

झारखंड का राजकीय सब्जी कौन सा है?

झारखण्ड राज्य में विभिन्न सब्जियों के अंतर्गत प्रयुक्त क्षेत्र फल एवं अनुमानित बीज की आवश्यकता.

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