इंडिया में सबसे पहले जिला कौन सा आजाद हुआ? - indiya mein sabase pahale jila kaun sa aajaad hua?

गुरदासपुर। दुनिया को विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत की आजादी के दिन का इंतजार था। 15 अगस्त 1947 को वह दिन आया। लेकिन देश की आजादी में अहम योगदान देने वाला पंजाब का सीमावर्ती जिला गुरदासपुर पाकिस्तान के साथ 14 अगस्त को ही आजाद हो गया था। उस समय यहां की हिंदू आबादी खुद को पाकिस्तान का नागरिक बनाए जाने को लेकर चिंतित थी। जिले से बड़ी संख्या में मुसलमानों के पाकिस्तान में जाने की प्राथमिकता को देखते हुए देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली खां के बीच हुई बातचीत के बाद दो दिन तक पाकिस्तान के कब्जे में रहे जिला गुरदासपुर को तहसील शकरगढ़ को छोड़कर 17 अगस्त की सुबह भारत में शामिल करने की आधिकारिक घोषणा कर दी गई।

बंटवारे के बाद पनियाड़ में लगा रिफ्यूजी कैंप : बंटवारा होने के बाद पाकिस्तान के हुक्मरानों ने कई जगहों पर बसे मुसलमानों को देश में आकर बसने की अपील की, जिसके बाद मारकाट का सिलसिला शुरू हो गया। उसी दौरान जिले के गांव पनियाड़ ने इंसानियत का शानदार नमूना पेश किया। जिले के कई क्षेत्रों में बसे हजारों मुस्लिम परिवार एकजुट होकर पनियाड़ में इकट्ठे हुए। यहां गांव वासियों के साथ जिला प्रशासन ने भी हालात सुधरने के बाद मुसलमानों को पाकिस्तान भेजने के मद्देनजर करीब दो माह तक गांव के बीचो-बीच मैदान में रिफ्यूजी कैंप बनाकर दिया।

भारत-पाकिस्तान के पीएम पहुंचे थे रिफ्यूजी कैंप में
अंग्रेजों के खिलाफ बगावत करने और आजादी के लिए लोगों में जज्बा पैदा करने वाले स्वतंत्रता सेनानी शिव कुमार शारदा ने जिला प्रशासन और भारत सरकार को पाकिस्तान में हिंदू की दयनीय स्थिति के बारे में बताया। प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को जब पता चला कि पाकिस्तान में हिंदुओं की हत्याएं हो रही हैं तो वह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली खां को लेकर गांव पनियाड़ में लगे रिफ्यूजी कैंप में पहुंचे। यहां उन्होंने खां से पूछा कि बताओ पाकिस्तान में ऐसी कौन सी जगह है, जहां मुसलमानों को इतनी सुरक्षा और सम्मान के साथ रखा गया है। इसके बावजूद लियाकत अली खां ने कैंप में ठहरे मुस्लिम परिवारों को देश आने का आह्वान किया। बाद में सैनिकों की विशेष टुकड़ी की निगरानी में हजारों मुस्लिम परिवारों को दो तीन भागों में त्रिमो पत्तन के रास्ते पाकिस्तान भेजा गया।

आगे की स्लाइड्स में देखें संबंधित फोटोज

अंग्रेज़ों से एक ही दिन आज़ादी मिलने के बाद भी भारत और पाकिस्तान अलग-अलग स्वतंत्रता दिवस क्यों मनाते हैं.

क्या पाकिस्तान वाक़ई में एक दिन पहले आज़ाद हो गया था?

पाकिस्तान को एक दिन पहले स्वतंत्रता मिली भी थी या नहीं? पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस का सच बताने वाला वुसतुल्लाह ख़ान का ब्लॉग.

स्वतंत्रता दिवस पर तो बात होती रहेगी, पहले एक मसला सुलटाने में मेरी मदद कीजिए.

ये बताइए जब आप एक ख़रबूजा छुरी से काटते हैं तो क्या उसके एक साथ ही दो टुकड़े हो जाते हैं या फिर एक टुकड़ा मंगलवार को कटता है और दूसरा बुधवार को?

आप भले कहते रहें कि ये क्या पागलपन का सवाल है, लेकिन मेरे लिए ये एक गंभीर समस्या है, कोई हंसी ठिठोली नहीं.

चलिए एक उदाहरण देता हूं. ये तो आप हम सब जानते हैं कि गोरों ने इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट के अनुसार भारत और पाकिस्तान को 1947 में 14 और 15 अगस्त के बीच की रात आज़ाद किया और 12 का गजर बजते ही दो देश वजूद में आ गए.

अब अगर एक देश को रात 12 बजे दो हिस्सों में बांटा गया तो फिर ये कैसे हुआ कि पाकिस्तान अपना स्वतंत्र दिवस 14 और भारत 15 अगस्त को मनाता है?

पाकिस्तान बनने के बाद मोहम्मद अली जिन्ना साहब 13 महीने ज़िंदा रहे और यही समझते रहे कि पाकिस्तान और भारत बिलकुल एक ही दिन एक ही समय में आज़ाद हुए हैं.

रेडियो पाकिस्तान हर साल जिन्ना साहब की आवाज़ में पहला बधाई संदेश सुनाता है जिसमें वो कह रहे हैं कि 15 अगस्त की आज़ाद सुबह पूरे राष्ट्र को मुबारक हो.

लेकिन जिन्ना साहब की ये बधाई हर साल 15 की बजाए 14 अगस्त को सुनवाई जाती है.

पाकिस्तान बनने के बाद दो स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को ही मनाए गए. लेकिन जिन्ना साहब की आंखें बंद होते ही, जाने किसने चुपके से स्वतंत्रता का घड़ियाल पूरे 24 घंटे पीछे कर दिया.

तब से सब कुछ पीछे होता चला गया. आज तक 14 अगस्त ही पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस है. ना कोई पूछता है ना बताता है कि क्यों भाई?

अब समझ में आता है कि ऐसा क्यों हुआ? जिन्ना साहब ने कहा कि पाकिस्तान में जितने भी हिंदू, मुसलमान, सिख, ईसाई हैं, सबका हक नए देश पर बराबर है. किसका क्या दीन धर्म है, सरकार को इससे कोई लेना देना नहीं.

हमने कहा बुड्ढा सठिया गया है, जब यही करना था तो पाकिस्तान क्यों बनाया. फिर जिन्ना के पाकिस्तान के ऊपर हमने अपनी सहूलियत का पाकिस्तान बना लिया.

जिन्ना ने कहा कि सेना का काम सिर्फ़ सीमा की रक्षा और लोगों की चुनी सरकार के आदेश का पालन करना है. सेना को राजनीति से कोई मतलब नहीं होना चाहिए. हमने कहा, यार जिन्ना तुम भी क्या याद करोगे. ये लो पहला, ये दूसरा, ये तीसरा और ये रहा चौथा मार्शल लॉ.

देश बनाना और बात है, इसे चलाना और बात. बस अपनी क़ब्र में शांत पड़े रहो. अब हम जानें और तुम्हारा पाकिस्तान.

आज का पाकिस्तान स्वतंत्रता के बाद जन्म लेने वाली पीढ़ी के हाथ में है. जो ज़ाहिरी तौर पर अपने पुरखों से ज़्यादा शिक्षित है, आसपास की दुनिया को ज़्यादा बेहतर समझती है, ज़्यादा विकासशील है. लेकिन इस पीढ़ी के होते हुए भी देश उससे ज़्यादा कंज़र्वेटिव और असुरक्षित है, जितना 14 अगस्त, 1947 को था.

मैंने पाकिस्तान बनने के दो दिन बाद छपने वाले डॉन अख़बार की एक फोटोकॉपी संभाल रखी है. जिसके पहले पन्ने पर ये इश्तेहार छपा था- स्वतंत्रता दिवस की ख़ुशी में होटल बीच लग्ज़री में ऑस्ट्रिया की मेहमान कैबरे डांसर की परफ़ॉर्मेंस देखिए. जगह सीमित है, इसलिए तुरंत बुकिंग करवाइए. टिकट ढाई रुपए, ड्रिंक्स शामिल नहीं है.

आज 68वें स्वतंत्रता दिवस पर ऐसा इश्तेहार किसी भी उर्दू या अंग्रेज़ी समाचार पत्र के पहले क्या 38वें पन्ने पर भी छाप कर तो दिखाइए. आपकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की पुंगी बनाकर हाथ में ना दे दी जाए तो बात क्या है.

अक्सर देशों के लोग स्वतंत्रता दिवस पर ये सोचते हैं कि आगे क्या करना है. हम अपने स्वतंत्रता दिवस पर ये सोच रहे हैं कि आगे और क्या होने वाला है?

भारत का कौन सा जिला सबसे पहले आजाद हुआ?

दुनिया को विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत की आजादी के दिन का इंतजार था। 15 अगस्त 1947 को वह दिन आया। लेकिन देश की आजादी में अहम योगदान देने वाला पंजाब का सीमावर्ती जिला गुरदासपुर पाकिस्तान के साथ 14 अगस्त को ही आजाद हो गया था।

आजादी से पहले भारत में कुल कितने राज्य थे?

सन १९४७ में स्वतंत्रता और विभाजन से पहले भारतवर्ष में ब्रिटिश शासित क्षेत्र के अलावा भी छोटे-बड़े कुल 565 स्वतन्त्र रियासत हुआ करते थे, जो ब्रिटिश भारत का हिस्सा नहीं थे

1947 से पहले भारत का क्या नाम था?

आज जिसे हम अखंड भारत कहते हैं वह पहले कभी नाभि खंड, फिर अजनाभखंड और बाद में भारतवर्ष कहा जाने लगा। यह क्षेत्र 16 महाजनपदों में बंटा हुआ था। हालांकि सभी क्षेत्रों के राजा अलग-अलग होते थे लेकिन कहलाते सभी भारतवर्ष के महाजनपद थे। आज इस संपूर्ण क्षेत्र को अखंड भारत इसलिए कहा जाता है, क्योंकि अब यह खंड-खंड हो गया है।

बलिया कितने दिन पहले आजाद हुआ था?

हालांकि यह आजादी महज 6 दिन की रही और अंग्रेज अधिकारियों ने दोबारा बलिया पर कब्जा कर लिया लेकिन इन 6 दिनों की आजादी ने बलिया के इतिहास में स्वर्णिम अध्याय लिख दिया था

संबंधित पोस्ट

Toplist

नवीनतम लेख

टैग