लघु निबंध घड़ी के पुर्जे का मूल प्रतिपाद्य क्या है? - laghu nibandh ghadee ke purje ka mool pratipaady kya hai?

INTRODUCTION

लघु निबंध घड़ी के पुर्जे का मूल प्रतिपाद्य क्या है? - laghu nibandh ghadee ke purje ka mool pratipaady kya hai?

घड़ी के पुर्जे निबंध के माध्यम से लेखक ने धर्म के रहस्यों को जानने पर धर्म उपदेशकों द्वारा लगाये गए
प्रतिबंधों को घड़ी के दृष्टान्तों द्वारा अत्यंत रोचक ढंग से पेश किया है

धर्म का रहस्य 

धर्मोपदेशक उपदेश देते समय कहते हैं की बातों को गहराई से जानने की इच्छा हर व्यक्ति को नहीं करनी
चाहिए |
जो कुछ उपदेशक बताते हैं उसे चुपचाप सुन लेना चाहिए और स्वीकार कर लेना चाहिए |
और वे घड़ी का उदाहरण देते हुए बताते हैं की, यदि आपकों समय जानना हो तो जिसे घड़ी देखनी आती हो
उससे समय जानकर अपना काम चला लेना चाहिए |
लेकिन आप इतने से संतुष्ट नहीं होते तो स्वयं घड़ी देखना सीख सकते हैं।
किन्तु मन में यह इच्छा नहीं करनी चाहिए की घड़ी को खोलकर, इसके पुर्जे गिनकर, उन पुर्जी को यथा
स्थान लगाकर घड़ी बंद कर दें।
यह काम साधारण व्यक्ति का नहीं, विशेषज्ञ का है, इसी प्रकार धर्म के रहस्यों को जानना भी केवल
धर्माचार्यों का काम है।

लेखक की सोच

लेखक कहता है की घड़ी खोलकर ठीक करना कठिन काम नहीं है, साधारण लोगों में से ही बहुत से
लोग घड़ी को खोलकर ठीक करना सीखते भी हैं और दूसरों को सीखाते भी हैं।
इसी प्रकार धर्माचार्यों को आम आदमियों को भी धर्म के रहस्यों की जानकारी देनी चाहिए |
धर्म का ज्ञान प्राप्त कर लेने के बाद कोई व्यक्ति धर्म के विषय में मूर्ख नहीं बन सकता |
लेखक धर्माचार्यों से यह भी कहता है की यदि वे लोगों को धर्म के बारे में शिक्षित करेंगे तो इससे यह
भी पता चलता है की स्वयं धर्माचार्यों को कितनी जानकारी है |
लेखक स्वयं को धर्म का ठेकेदार समझने वाले धर्माचार्यों पर व्यंग्य करते हुए कहता है की ये लोग
दूसरों के धर्म का रहस्य जानने से रोकते हैं क्योंकि स्वयं उन्हें धर्म की पूरी जानकारी नहीं है |

VIDEO WATCH

लघु निबंध घड़ी के पुर्जे का मूल प्रतिपाद्य क्या है? - laghu nibandh ghadee ke purje ka mool pratipaady kya hai?

ASK ANY PROBLEM CLICK HERE

घड़ी के पुर्जे पाठ का प्रतिपाद्य क्या है?

' ( ख ) घड़ी के पुर्जे 1. धर्म संबंधी अपनी मान्यता पर लेख / निबंध लिखिए | , 2. ' धर्म का रहस्य जानना सिर्फ़ धर्माचार्यों का काम नहीं कोई भी व्यक्ति अपने स्तर पर उस रहस्य को जानने की कोशिश कर सकता है, अपनी राय दे सकता है' - टिप्पणी कीजिए ।

घड़ी के पुर्जे निबंध में घड़ी किसका प्रतीक है?

इस कारण से बच्चे का बचपन समाप्त हो जाता है, उसके पिता ने उसका बचपन समाप्त कर लिया है। एक बच्चे के लिए शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन उसे खेलने कूदने से रोकना बच्चे और Page 3 समाज के लिए सुखदायक नहीं है। जब बच्चे ने इनाम में एक लड्डू मांगा, तो लेखक ने खुशी की सांस ली।

घड़ी के पुर्जे निबंध के लेखक कौन हैं?

( घड़ी के पुर्जे )- सुमिरनी के मनके -[ पण्डित चन्द्रधर शर्मा गुलेरी ]- गद्य खण्ड- अंतरा- Summary. लेकिन आप इतने से संतुष्ट नहीं होते तो स्वयं घड़ी देखना सीख सकते हैं

सुमिरिनी के मनके पाठ के अन्तर्गत कितने लघु निबंध हैं?

बालक बच गया। उसके बचने की आशा है क्योंकि वह लड्डू की पुकार जीवित वृक्ष के हरे पत्तों का मधुर मर्मर था मरे काठ की अलमारी की सिर दुखानेवाली खड़खड़ाहट नहीं कथन के आधार पर बालक की स्वाभाविक प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिए । - उत्तर एक छोटे बच्चे के अंदर बालपन होता है जैसे खेलना कूदना चंचल होना, छोटी-छोटी चीजे पाकर खुश होना।