INTRODUCTION Show घड़ी के पुर्जे निबंध के माध्यम से लेखक ने धर्म के रहस्यों को जानने पर धर्म उपदेशकों द्वारा लगाये गए धर्म का रहस्य धर्मोपदेशक उपदेश देते समय कहते हैं की बातों को
गहराई से जानने की इच्छा हर व्यक्ति को नहीं करनी लेखक की सोच लेखक कहता है की घड़ी खोलकर ठीक करना कठिन काम नहीं है, साधारण लोगों में से ही बहुत से VIDEO WATCH ASK ANY PROBLEM CLICK HERE घड़ी के पुर्जे पाठ का प्रतिपाद्य क्या है?' ( ख ) घड़ी के पुर्जे 1. धर्म संबंधी अपनी मान्यता पर लेख / निबंध लिखिए | , 2. ' धर्म का रहस्य जानना सिर्फ़ धर्माचार्यों का काम नहीं कोई भी व्यक्ति अपने स्तर पर उस रहस्य को जानने की कोशिश कर सकता है, अपनी राय दे सकता है' - टिप्पणी कीजिए ।
घड़ी के पुर्जे निबंध में घड़ी किसका प्रतीक है?इस कारण से बच्चे का बचपन समाप्त हो जाता है, उसके पिता ने उसका बचपन समाप्त कर लिया है। एक बच्चे के लिए शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन उसे खेलने कूदने से रोकना बच्चे और Page 3 समाज के लिए सुखदायक नहीं है। जब बच्चे ने इनाम में एक लड्डू मांगा, तो लेखक ने खुशी की सांस ली।
घड़ी के पुर्जे निबंध के लेखक कौन हैं?( घड़ी के पुर्जे )- सुमिरनी के मनके -[ पण्डित चन्द्रधर शर्मा गुलेरी ]- गद्य खण्ड- अंतरा- Summary. लेकिन आप इतने से संतुष्ट नहीं होते तो स्वयं घड़ी देखना सीख सकते हैं।
सुमिरिनी के मनके पाठ के अन्तर्गत कितने लघु निबंध हैं?बालक बच गया। उसके बचने की आशा है क्योंकि वह लड्डू की पुकार जीवित वृक्ष के हरे पत्तों का मधुर मर्मर था मरे काठ की अलमारी की सिर दुखानेवाली खड़खड़ाहट नहीं कथन के आधार पर बालक की स्वाभाविक प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिए । - उत्तर एक छोटे बच्चे के अंदर बालपन होता है जैसे खेलना कूदना चंचल होना, छोटी-छोटी चीजे पाकर खुश होना।
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