पाठ पर आधारित लघु उत्तरीय प्रश्न Show प्रश्न 1. ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ के आधार पर बताइये कि लेखक ने यात्रा करने के लिये सेकंड क्लास का टिकट क्यों खरीदा ? प्रश्न 2. लखनवी अंदाज़ पाठ के अनुसार बताइए कि नवाब साहब ने खीरे किस उद्देश्य से खरीदे थे? वे कितने खीरे थे और लेखक
के उस डिब्बे में दाखिल होते समय वे किस स्थिति में रखे रहे ? इस दृश्य से किस बात का अनुमान किया जा सकता है ? प्रश्न 3. ‘लखनवी अंदाज’ पाठ के आधार पर बताइए कि लखनऊ के नवाबों और रईसों के बारे में लेखक की क्या धारणा थी ? प्रश्न 4. लेखक ने नवाब साहब के सामने की बर्थ पर बैठकर भी आँखें क्यों चुराईं? ‘लखनवी
अंदाज़’ पाठ के आधार पर लिखिए। प्रश्न 5. नवाब साहब का कैसा भाव-परिवर्तन लेखक को अच्छा नहीं लगा और क्यों? ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ के आधार पर लिखिए। प्रश्न 6. लेखक को नवाब साहब के किन हाव-भावों से महसूस हुआ कि वे उनसे बातचीत करने के लिए उत्सुक नहीं
हैं? प्रश्न 7. नवाब साहब ने खीरा खाने की जो तैयारी की, उस प्रक्रिया को अपने शब्दों
में लिखिए। प्रश्न 8. यद्यपि लेखक के मुँह में पानी भर आया फिर भी उसने खीरा खाने से इंकार क्यों किया ? प्रश्न 9. नवाब साहब खीरों की फाँकों को खिड़की से बाहर फेंकने से पहले नाक के पास क्यों ले गए? उनके इस कार्यकलाप का क्या उद्देश्य था ? प्रश्न 10. नवाब साहब ने अपने तरीके से खीरा खाने के बाद क्या किया और क्यों? प्रश्न 11. नवाब साहब ने अपनी नवाबी का परिचय किस प्रकार दिया? ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ के आधार पर लिखिए। प्रश्न 12. ‘नवाब साहब खीरे खाने की तैयारी और इस्तेमाल से थककर लेट गए’-इस पंक्ति में निहित व्यंग्य स्पष्ट
कीजिए। प्रश्न 13. नवाब का व्यवहार क्या दर्शाता है? ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ के आधार पर लिखिए। प्रश्न 14.‘लखनवी अंदाज़’ पाठ के नवाब साहब पतनशील सामन्ती वर्ग के जीते-जागते उदाहरण हैं। टिप्पणी लिखिए। प्रश्न
15. ‘लखनवी अंदाज़’ व्यंग्य किस सामाजिक वर्ग पर कटाक्ष करता है? प्रश्न 16. लेखक नवाब साहब के जबड़ों के स्फुरण को देखकर क्या अनुभव कर रहे थे? अपने सामने खीरों को देखकर मुँह में पानी आने पर भी उन्होंने खीरे खाने के लिये नवाब साहब के अनुरोध को स्वीकृत क्यों नहीं किया ? प्रश्न 17. ‘लखनवी अंदाज़’ कहानी के शीर्षक की सार्थकता पर संक्षेप में प्रकाश
डालिये। प्रश्न 18. किन-किन चीजों का
रसास्वादन करने के लिये आप किस प्रकार की तैयारी करते हैं ? प्रश्न 19. बिना विचार, घटना और पात्रों के भी क्या कहानी लिखी जा सकती है? यशपाल के विचार से आप कहाँ
तक सहमत हैं? लेखक ने नवाब साहब के सामने बैठकर अपनी आँखें क्यों चुराई * 1 Point?सोचा, हो सकता है, यह भी कहानी के लिए सूझ की चिन्ता में हों या खीरे-जैसी अपदार्थ वस्तु का शौक करते देखे जाने के संकोच में हों। नवाब साहब ने संगति के लिए उत्साह नहीं दिखाया। हमने भी उनके सामने की बर्थ पर बैठकर आत्म-सम्मान में आँखें चुरा लीं। खाली बैठे, कल्पना करते रहने की पुरानी आदत है।
नवाब साहब के सामने बर्थ पर बैठकर लेखक ने क्यों नज़र चुरा ली थी?नवाब साहब के सामने की बर्थ पर बैठकर लेखक ने आँखें इसलिए चुरा ली थी क्योंकि लेखक ने जैसी डब्बे में कदम रखा तो नवाब साहब की आंखों में नाराजगी और अनमनापन सा झलकने लगा था। वह लेखक के साथ बातचीत करने के लिए उत्सुक नहीं थे।
नवाब साहब को लेखक के सामने झिझक क्यों महसूस हो रही थी?नवाब साहब को लेखक के सामने झिझक हो रही थी। नवाब साहब को देख कर ऐसा लगता था कि उनको एकांत में बैठना था और लेखक के आने से खलल पड़ गया। लेखक से बात करने के लिए, नवाब साहब कोई उत्साह प्रकट नहीं कर रहे थे। अपनी झूठी शान बनाने के लिए नवाब साहब मौन रह रहे थे।
नवाब साहब ने गुलाबी आँखों से लेखक की और गर्व से क्यों देखा?नवाब साहब ने खीरे की सब फाँकों को खिड़की के बाहर फेंककर तौलिए से हाथ और होंठ पोंछ लिए और गर्व से गुलाबी आँखों से हमारी ओर देख लिया, मानो कह रहे हों - यह है खानदानी रईसों का तरीका! नवाब साहब खीरे की तैयारी और इस्तेमाल से थककर लेट गए। हमें तसलीम में सिर खम कर लेना पड़ा–यह है खानदानी तहज़ीब, नफ़ासत और नज़ाकत!
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