क्या रूट 3 एक अपरिमेय संख्या है? - kya root 3 ek aparimey sankhya hai?

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नमस्कार आपका प्रश्न है रूट 3 एक परिमेय संख्या है या नहीं नहीं यह परिमेय संख्या नहीं है रूट 3 एक अपरिमेय संख्या है जहां रूट 3 एक अपरिमेय संख्या है

namaskar aapka prashna hai root 3 ek parimey sankhya hai ya nahi nahi yah parimey sankhya nahi hai root 3 ek aparimeya sankhya hai jaha root 3 ek aparimeya sankhya hai

नमस्कार आपका प्रश्न है रूट 3 एक परिमेय संख्या है या नहीं नहीं यह परिमेय संख्या नहीं है रूट

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क्या रूट 3 एक अपरिमेय संख्या है? - kya root 3 ek aparimey sankhya hai?
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क्या रूट 3 एक अपरिमेय संख्या है? - kya root 3 ek aparimey sankhya hai?

क्या रूट 3 एक अपरिमेय संख्या है? - kya root 3 ek aparimey sankhya hai?

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Solution : माना `sqrt(3)` परिमेय संख्या है ।
तब, `sqrt(3) = (p),(q) , p, q, in Z,q ne 0`
(सरलतम रूप में अर्थात p और q दोनों में 1 के अतिरिक्त कोई उभयनिष्ठ गुणनखण्ड नहीं है ।)
`rArr p = sqrt(3)q`
दोनों पक्षों का वर्ग करने पर
`p^(2) = 3q^(2)`
परन्तु `3,3q^(2)` को विभाजित करता है।
`rArr 3,p^(2)` को विभाजित करता है।`"......"(1)`
`rArr 3,p^(2)` को विभाजित करता है । [(1) से ]
`rArr 3,p` को विभाजित करता है `({:( :' 3","9 "को विभाजित करता है ।" rArr 3","3 "को भी विभाजित करता है।") ,(" "3","36"को विभाजित करता है ।" rArr3","6 "को भी विभाजित करता है।, इत्यादि।"):})`
अब, माना `p = 3m, m in Z"..."(2)`
`rArr p^(2) = 9m^(2)`(वर्ग करने पर)
`rArr 3q^(2) = 9m^(2)` [(1) से]
`rArr q^(2) = 3m^(2)"...."(3)`
परन्तु `3,3m^(2)` को विभाजित करता है।
`rArr 3,q^(2)` को विभाजित करता है ।
`rArr 3,q` को भी विभाजित करता है। [(3) से]
माना `q = 3n, n in Z"...."(4)`
समीकरण (2) और (4) से, हम देखते है कि 3,p औरq दोनों को विभाजित करता है परन्तु हम यह माना चुके है कि p और q में 1 के अतिरिक्त कोई अन्य उभयनिष्ठ गुणनखण्ड नहीं हैं ।
अतः यह हमारे पूर्व कथन कि `sqrt(3)` एक परिमेय संख्या है , का विरोध करता है ।
अतः हमारी धारणा गलत है ।
अतः `sqrt(3)` एक परिमेय संख्या नहीं हैं ।
अतः `sqrt(3)` अपरिमेय है ।

Solution : इसके विपरीत हम यह मान ले कि `sqrt3` एक परिमेय संख्या है।
हम ऐसे दो पूर्णांक a और `b(n ne 0)` प्राप्त कर सकते हैं कि `sqrt3=(a)/(b)` है।
यदि a और b में, 1 के अतिरिक्त कोई उभयनिष्ठ गुणनखण्ड हो, तब उस उभयनिष्ठ गुणनखण्ड से भाग देकर a और b को सह अभाज्य बना सकते है।
`"अतः "bsqrt3=a` है ।
दोनों पक्षों का वर्ग करने पर `3b^(2)=a^(2)` प्राप्त होता है।
अतः `a^(2),3` से विभाजित है, तब 3, a को भी विभाजित करेगा।
अतः हम `a=3c` लिख सकते है, जहाँ c एक पूर्णांक है।
a के इस मान को `3b^(2)=a^(2)` में प्रतिस्थापित करने पर
`3b^(2)=9c^(2)" या "b^(2)=3c^(2)`
इसका अर्थ है कि `b^(2),3 `से विभाजित हो जाता है। इसलिए b भी उसे विभाजित होगा ।
अतः a और b में कम से कम एक उभयनिष्ठ गुणनखण्ड 3 है। परन्तु इससे इस तथ्य का विरोधाभास होता है कि a और b सह अभाज्य है।
इसलिए यह विरोधाभास हमारी कल्पना की कमी के कारण है कि `sqrt3` एक परिमेय संख्या है ।
अतः`sqrt3` एक अपरिमेय संख्या है।

Solution : आइए हम इसके विपरीत यह मान लेते है कि `sqrt(3)` एक परिमेय संख्या है, तो इस प्रकार के दो सह-अभाज्य पूर्णांक a और b विद्यमान होंगे कि
`sqrt(3)=(a)/(b)`
`rArr 3=(a^(2))/(b^(2))`
`rArr 3b^(2)=a^(2)`
`rArr 3।a^(2) " " [because 3।3b^(2)]`
`rArr 3।a " " `...(i)
`rArr a=3c` जहाँ c एक पूर्णांक है।
`rArr a^(2)=9c^(2)`
`rArr 3b^(2)=9c^(2) " " [because a^(2)=3b^(2)]`
`rArr b^(2)=3c^t(2)`
`rArr 3।b^(2) " " [because 3।3c^(2)]`
`rArr 3।b " " `... (ii)
समीकरण (i ) तथा (ii ) से हम कह सकते है कि a और b का कम से कम एक गुणनखंड 3 है । परन्तु यह इस तथ्य का विरोधाभास करता है कि a और b सह-अभाज्य है। इसका अर्थ यह है कि हमारी परिकल्पना सही नहीं है।
अतः `sqrt(3)` एक अपरिमेय संख्या है।

रूट 3 एक अपरिमेय संख्या है क्या?

(ii) <br> समीकरण (i ) तथा (ii ) से हम कह सकते है कि a और b का कम से कम एक गुणनखंड 3 है । परन्तु यह इस तथ्य का विरोधाभास करता है कि a और b सह-अभाज्य है। इसका अर्थ यह है कि हमारी परिकल्पना सही नहीं है। <br> अतः `sqrt(3)` एक अपरिमेय संख्या है।

क्या 2 अंडर रूट 3 एक परिमेय संख्या है?

जो एक विरोधाभास है क्योंकि एक परिमेय संख्या और अपरिमेय संख्या कभी भी बराबर नहीं हो सकते। अतः हमारी कल्पना कि `2+sqrt(3)` परिमेय है गलत है। <br> `:. (2+sqrt(3))` एक अपरिमेय संख्या है

√ 2 एक अपरिमेय संख्या है कैसे?

(ii) <br> समीकरण (i ) तथा (ii ) से हम कह सकते है है कि a और b का उभयनिष्ठ गुणनखंड 2 है। परन्तु यह इस तथ्य का विरोध करता है कि a और b में, 1 के अतिरिक्त कोई उभयनिष्ठ नहीं है। अतः हमारी परिकल्पना गलत है। <br> अतः `sqrt(2)` अपरिमेय संख्या है।

क्या √ 5 परिमेय संख्या है?

<br> अर्थात `sqrt(5)` एक अपरिमेय संख्या है।