क्यों बाएं हाथ में रत्न पहनना - kyon baen haath mein ratn pahanana

दुनिया की हर वस्तु की एक विशेष तत्त्व, रंग और तरंग होती है, जो अलग-अलग केन्द्रों से नियंत्रित होती है. उस तत्त्व, रंग और तरंग में असंतुलन पैदा होने पर तमाम तरह की समस्याएं आती हैं.

ज्योतिष में इस असंतुलन को दूर करने के लिए तमाम मंत्रो तथा ऋचाओं के जाप की सलाह दी जाती है. इसके अलावा तत्वों तथा रंग और तरंग के आधार पर रत्न पहनने की सलाह दी जाती है. रत्न जीवन पर सीधा प्रभाव डालते हैं. सबसे पहले चक्रों पर, उसके बाद मन पर असर पड़ता है. 

क्या है रत्नों के पहनने का तरीका? और क्या क्या सावधानियां रखनी चाहिए ?

- बिना तत्त्व और इसके संतुलन को देखें, केवल राशी और लग्न से रत्न न पहनें.

- एक साथ कई रत्न पहने जा सकते हैं परन्तु वे आपस में विरोधी नहीं होने चाहिए.

- आपस में विरोधी रत्न पहनने से मानसिक पीड़ा के साथ-साथ दुर्घटना भी हो सकती है.

- शनि प्रधान लोग माणिक्य, मूंगा तथा पुखराज पहनने से बचें.

- बृहस्पति प्रधान लोग नीलम, पन्ना और हीरा न पहनें.

- रत्नों को सामन्यतः सोने, चांदी या तांबे में ही पहनें, जो लोग मांसाहार करते हैं वे तांबा बाएं हाथ में पहनें.

- जिस हाथ से आप काम करते हैं उसी हाथ की अंगुलियों में रत्न धारण करें.

- रत्नों को प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं होती, ये केवल शुद्ध करके पहने जा सकते हैं.

- सुबह सूर्योदय का समय और सायं सूर्यास्त का समय रत्न धारण करने का सबसे उत्तम समय है.

नई दिल्‍ली: रत्‍न पहनने से कुंडली का संबंधित ग्रह मजबूत होकर अच्‍छा फल देने लगता है. इसके पीछे पूरा एक विज्ञान है कि कैसे रत्‍न हमारे शरीर और मन पर असर डालते हैं. रत्‍न शास्‍त्र में हर ग्रह के लिए रत्‍न और उपरत्‍न बताए गए हैं. साथ ही उन्‍हें पहनने के लिए जरूरी नियम भी बताए गए हैं. हालांकि सभी लोगों को इस बारे में पूरी जानकारी नहीं होती है और वे गलतियां कर बैठते हैं, इससे उन्‍हें रत्‍न पहनने का पूरा लाभ नहीं मिलता है. 

रत्‍न से जुड़ी अहम बातें 

विज्ञान के मुताबिक हमारा शरीर लगातार ऊर्जा ग्रहण करता है और उसका ह्रास भी करता रहता है. इसके लिए ऊर्जा ग्रहण करने की सबसे प्रभावशाली जगह हमारे माथे पर दोनों भौहों के बीच की जगह होती है. जबकि पैरों के अंगूठे से सबसे ज्‍यादा ऊर्जा का ह्रास होता है. रत्‍न से होने वाला सबसे ज्‍यादा तब मिलता है जब इसे माथे पर दोनों भौंहों के बीच ग्रहण किया जाए इसलिए राजा-महाराजा मुकुट में रत्‍न जड़वा कर पहनते थे. हालांकि आज के समय में इस तरह रत्‍न पहनना संभव नहीं है. 

वहीं रत्‍न पहनने के लिए शरीर की अन्‍य जगहों की बात करें तो गर्दन, हृदय के पास का स्‍थान, कलाई और उंगलियों में रत्‍न धारण कर सकते हैं. चूंकि हाथ की हर उंगली का संबंध किसी न किसी ग्रह से होता है इसलिए आमतौर पर रत्‍न उंगलियों में पहने जाते हैं. 

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हर रत्‍न दिखाता है अलग समय में असर

रत्‍न धारण करते ही व्‍यक्ति इंतजार करता है कि उसका असर कब दिखना शुरू होगा. रत्‍न शास्‍त्र के मुताबिक हर रत्‍न के असर दिखाने का समय अलग-अलग होता है. इनके धारण करने के समय की बात करें तो मोती 3 दिन में, माणिक्य 30 दिन, मूंगा 21 दिन, पन्ना 7 दिन, पुखराज 15 दिन, नीलम 2 दिन, हीरा 22 दिन, गोमेद 30 दिन, लहसुनिया 30 दिन में असर दिखाने लगता है. ध्‍यान रखें कि महिलाओं को बाएं और पुरुषों को दाएं हाथ में रत्‍न धारण करना चाहिए. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Gemology: जीवन में अगर तमाम कोशिशों के बाद भी सफलता या तरक्की नहीं मिल रही तो कुंडली में मौजूद कुछ ग्रहों की स्थिति कमजोर हो जाती है. ऐसे में ज्योतिष शास्त्र में कुछ उपाय बताए गए हैं और रत्न शास्त्र (Ratan Shastra) में रत्नों के बारे बताया गया है. रत्न पहनने से कुंडली (Gemstoen In Kundali) का संबंधित ग्रह मजबूत स्थिति में हो जाता है और अच्छा फल देने लगता है. रत्न शास्त्र में हर ग्रह के लिए खास रत्न और उपरत्न के बारे में बताया गया है. इतना ही नहीं, रत्न पहनने के कुछ खास नियम (Gems wearingRules) भी बताए गए हैं. रत्न पहनने के नियमों के बारे में अक्सर लोगों को बहुत कम जानकारी होती है. पूरी जानकारी न होने के कारण वे गलतियां कर बैठते हैं. इतना ही नहीं, इससे उन्हें रत्नों का पूरा लाभ नहीं मिल पाता.

जानें रत्‍न से जुड़ी खास बातें (Important Thing Related To Gems)

कहते हैं कि रत्न को सबसे ज्यादा लाभ तभी मिलता है जब उसे दोनों भौंहों के बीच ग्रहण किया जाए. इसलिए राजा-महाराजा मुकुट में रत्न जड़वा कर पहनते थे. हालांकि, आज के समय में इस तरह से रत्न धारण करना संभव नहीं है. वैज्ञानिकों के अनुसार हमारा शरीर लगातार ऊर्जा ग्रहण करता है और उसका ह्रास भी करता है. इसके लिए ऊर्जा ग्रहण करने की सबसे प्रभावशाली जगह हमारे माथे पर दोनों भौहों के बीच की जगह होती है. जबकि पैरों के अंगूठे से सबसे ज्यादा ऊर्जा का ह्रास होता है. इसलिए रत्नों का फायदा तभी होता है जब इसे भौहों के बीच में पहना जाए. 

शरीर के इन हिस्सों में धारण कर सकते हैं रत्न (Best Body Part To Wear Gems)

रत्‍न पहनने के लिए शरीर की कई हिस्सों की बात की गई है. इसमें गर्दन, हृदय के पास का स्‍थान, कलाई और उंगलियों में रत्‍न धारण किए जा सकते हैं. रत्न शास्त्र के अनुसार हाथ की हर उंगली का संबंध किसी न किसी ग्रह से होता है, इसलिए आमतौर पर रत्‍न उंगलियों में पहनने की सलाह दी जाती है. 

हर रत्‍न के असर में अलग समय लगता है

रत्न धारण करने के बाद व्यक्ति एकदम से ही उसके असर के बारे में सोचने लगता है तो आपको बता दें कि हर रत्न अलग समय लेता है. रत्‍न शास्‍त्र के मुताबिक मोती 3 दिन में, माणिक्य 30 दिन, मूंगा 21 दिन, पन्ना 7 दिन, पुखराज 15 दिन, नीलम 2 दिन, हीरा 22 दिन, गोमेद 30 दिन, लहसुनिया 30 दिन में असर दिखाने लगता है. रत्न धारण करते समय इस बात का ध्यान रखें कि महिलाएं बाएं और पुरुष दाएं हाथ में रत्‍न धारण करें. 

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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सबसे शक्तिशाली रत्न कौन सा है?

इन रत्नों में से एक है नीलम रत्न। यह शनि का रत्न है और इसे बहुत ही शक्तिशाली रत्न माना जाता है। इसके विषय में कहा जाता है कि यह रंक को भी राजा बना सकता है लेकिन नीलम रत्न धारण करने से पहले उसके नियम व विधि जानना बेहद आवश्यक होता है। तो चलिए जानते हैं नीलम रत्न धारण करने के फायदे, नियम व विधि।

महिलाओं को मोती कौन से हाथ में पहनना चाहिए?

मोती को दाहिने हाथ की कनिष्ठा उंगली में धारण करने की सलाह दी जाती है. चांदी के साथ मोती को धारण अच्छा माना गया है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिस व्यक्ति को क्रोध अधिक आता है, उसे मोती धारण करना चाहिए. इसके साथ ही मन स्थिर नहीं रहता है, अज्ञात भय की स्थिति बनी रहती है तो मोती धारण कर सकते हैं.

माणिक कौन से हाथ में पहनना चाहिए?

माणिक रत्न सूर्य ग्रह से संबंधित है। इसे दाहिने हाथ की अनामिका उंगली मे पहनना चाहिए

पन्ना कौन से हाथ में धारण करना चाहिए?

पन्ना हरे रंग का होता है। इसे कनिष्ठा यानी छोटी उंगली में धारण करना चाहिए। क्योंकि इस उंगली के अंतिम पोर से सटा हुआ बुध पर्वत होता है।